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RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
तभी रणबीर ने सूमी के घाघरे मे हाथ डाल दिया, उसने देखा की सूमी ने कोई पॅंटी नही पहन रखी थी. उसकी उंगलियाँ चूत पर उगी झांतो से टकराई.
"पर उसे दीखे तब ना... उ दया कितना बड़ा और मोटा है तुमहरा जो तुम्हारे नीचे आ गयी वो तो....." सूमी उसके लंड को आज़ाद कर अपनी मुति मे जकड़ते हुए बोल पड़ी.
"क्यों भाभी पसंद आया?' रणबीर उसकी चूत को सहलाते हुए बोला, "तुम्हारी चूत भी तो कितनी प्यारी, मुलायम और चिकनी है."
"जो करना है आज जल्दी कर लो कहीं मालती चाची को सक ना हो जाए.
तभी सूमी झुक कर रणबीर के लंड को मुँह मे ले चोसने लगी. रणबीर ने सूमी को चारपाई पर लीटा दिया और उसके घग्रे को कमर तक उठा दिया और अपना मुँह सूमी की चूत से लगा उसे चूसने और चाटने लगा.
दोनो एक दूसरे के अंगों को इसी तरह चूस्ते और चाटते रहे. सूमी सिसकारियाँ भरते हुए रणबीर के चेहरे को अपनी जांघों से जाकड़ रही थी.
"तेरी मालती चाची की तो गांद मारु.... तुम्हे मालूम है सूमी जबसे तुम्हे देखा मुझे तो कुछ अक्च्छा ही नही लगता... जानती हो कल ठाकुर से कहा सुनी हो जाती अगर भानु बीच मे ना आता तो.
सूमी अब पीठ के बल लेट गयी और उसने अपनी टाँगे फैला दी. वो इंतजार करने लगी की कब रणबीर अपना लंड उसकी चूत मे डाल उसकी प्यास बुझाए कब उसकी पॅयाषी चूत को अपने रस से सीँचे.
"ठाकुर से कहा सुनी क्यों हो जाती?" सूमी ने पूछा.
"कल जब उसने शिकार पर चलने के लिए कहा तो मेरे तो तन बदन मे आग लग गयी. एक बार तो मन किया की उसे वहीं छोड़ सीधा तुम्हारे पास चला आयुं." रणबीर अब सूमी के उपर आते हुए बोला.
"तुम मेरे लिए ठाकुर की नौकरी भी छोड़ देते." सूमी ने खुश होते हुए पूछा.
रणबीर का लंड सूमी की चूत के दरवाज़े पर टीका हुआ था. रणबीर की बात सुनकर उसके मन मैंउसके लिए ढेर सारा प्यार उमड़ पड़ा, वो उसे बेतहसहा चूमेने लगी और अपनी कमर को थोडा उपर उठा एक ही झटके मे उसके लंड को अपनी चूत के अंदर ले लिया.
जोश मे वो ऐसा कर तो गयी लेकिन उसके मुँह से एक "उईईई मा मर गयी..." भी निकल पड़ी.
"तुम्हारे लिए तो में ऐसी दस नौकरियाँ छोड़ दूँ." रणबीर अब उसकी चूत मे धक्के मारने लग गया था. कमजोर चारपाई की ठप ठप की आवाज़ झोपडे मे गूँज रही थी. सूमी अब रणबीर के हर धक्के का जवाब अपनी गंद उछाल कर दे रही ही. उसे रणबीर बहोत ही अक्च्छा लगा था और अब वो जी जान से उससे चुदवा रही थी. दोनो पर उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर थी, दोनो एक दूसरे के अंगो को मसल रहे थे, काट रहे थे भींच रहे थे.
कुछ देर बाद रणबीर ने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी. दो दीवाने पूरे जोश के साथ अपनी मंज़िल पर पहुँचना चाह रहे थे.
"ओह रणबीर और ज़ोर से चोदूऊऊऊ ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाआँ और ज़ोर से.... ऑश हाआँ अंदर तक डाल दूऊऊऊ." सूमी की सिसकारियाँ गूँज रही थी.
थोड़ी ही देर मे दोनो थक कर चूर हो गये और दोनो झाड़ गये. दोनो कुछ देर तक एक दूसरे को बाहों मे भींचे ऐसे ही पड़े रहे. फिर सूमी रणबीर से अलग हुई और अपने घाहघरे से चूत से बहते रस को पौंचने लगी. फिर रणबीर के लंड को अक्च्ची तरह पौंचने लगी. फिर वो अपने कपड़े ठीक करने लगी.
बाहर रात का अंधेरा बढ़ने लगा था, उस अंधेरे मे सूमी जैसे कुछ देर पहले आई थी उसी तरह चुपके से वहाँ से चली गयी.
रणबीर भी खेत से बाहर आ गया और उसने तुरंत जाना उचित नही समझा और नदी की और चल पड़ा. कुछ देर चलने के बाद उसने देखा की सामने से भानु और रघु साथ साथ चले आ रहे थे.
"तो तुम हवेली से आ रहे हो?" रणबीर ने भानु से प्पुछा.
"हमारी छोड़ो तुम अपनी बताओ, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? घर पर मालती चाची है ना?" भानु ने रणबीर से पूछा.
भानु की बात सुनकर रघु भी खिलखिला कर हंस पड़ा. फिर रघु वहाँ से अपने घर चला गया. रणबीर और भानु साथ साथ घर पहुँचे जहाँ पर रामानंद बरामदे मे बैठा हुक्का गडगडा रहा था. दोनो वहीं पर बैठ गये.
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RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
ठाकुर रजनी की बात सुनकर बहोत खुश हो गया और ठकुराइन की चुचियों नंगी कर दी और उन्हे चूसने लगा. इधर रजनी ने भी ठाकुर का लंड बाहर निकाल लिया और उसे मुँह मे ले चूसने लगी.
वो ठाकुर के झड़ने से पहले रणबीर के लिए हवेली मे कोई इंतज़ाम कर लेना चाहती थी.
"फिर भी इतनी बड़ी हवेली मे आपके उस नौजवान जैसा कोई पह्रादरी के लिए होना चाहिए."
"कम से कम एक नौजवान तो ऐसा होना चाहिए पह्रादरी के लिए जो शेरा डाकू से मुकाबला कर सके." रजनी ने ठाकुर के लंड से खेलते हुए कहा.
"आप मधुलिका के आने से पहले ही ये इंतज़ाम कर दीजिए.. कल कुछ हो गया तो जिंदगी भर के लिए पछतावा रह जाएगा."
अब ठाकुर रजनी मे समा जाना चाहता था, रजनी भी समझ गयी और पलंग पर चित होकर टाँगे चौड़ी कर लेट गयी. ठाकुर उसकी टॅंगो के बीच जगह बनाता हुआ बोला, "तुम्हारी जैसे तुम्हारी मर्ज़ी में कल ही उसे हवेली के पहरे का काम दे देता हूँ, लेकिन शिकार पर उसकी कमी मुझे बहोत खलेगी."
ठाकुर ने रजनी की चूत पर लंड टीका दिया और बहोत आसानी से उसका लंड अंदर चला गया. ठाकुर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा लेकिन रजनी वैसे ही लेटी रही. वो जानती थी जैसे ही वो नीचे से ठप लगाएगी ठाकुर का लंड झाड़ जाएगा.
"हां ये अक्चा रहेगा, शिकार के लिए तो आपको रणबीर जैसों की क्या दरकार है, आप अकेले किसी से कम हैं क्या? इस उमर में भी शेर का पीछा कर उसे मार गिराते हैं.
रजनी ठाकुर को उकसा रही थी की कम से कम ये ठाकुर उसे एक बार तो उसकी चूत से पानी छुड़ा दे.
"हम ठाकुर लोग उमर के मोहताज़ नही होते." ठाकुर अब जोश मे आ रजनी की चूत मे कस के धक्के लगाने लगा था. उनका रजपूती खून अब रंग दीखा रहा था.
ठाकुर अब कस कस के लंड पेल रहा था और रजनी भी अपनी गंद उछाल उछाल कर नीचे से धक्के मार रही थी. कुछ देर बाद दोनो एक साथ झाड़ गये.
ऐसा बहोत कम बार हुआ था की दोनो एक साथ झाडे हो. शायद शराब और हिरण के माँस और रजनी के उकसाने का मिला जुला असर था की आज रजनी की चूत की भी प्यास बुझी थी. ठाकुर तो चुदाई ख़तम करते ही बिस्तर पर निढाल हो कर पड़ गया था और सुबह ही उसकी नींद
खुली.
दूसरे दिन 11.00 बजे रणबीर और भानु साथ साथ हवेली पहुँचे और ठाकुर के सामने आकर झुक कर सलाम किया. तभी ठाकुर ने रणबीर से कहा, "भाई हम तो तुम्हे हवेली के लिए ही तेरे बाप से तुझे माँग कर लाए थे और तुम्हारी सही जगह हवेली मे ही है. तुम आज से ही हवेली मे रहना शुरू कर दो अब इस हवेली की रखवाली का जिम्मा तुम्हारा है."
रणबीर मुँह बाए ठाकुर की और देखता रहा.
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RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
हवेली मे नौकरों के रहने के लिए कमरे बने हुए है, तुम्हे एक कमरा मिल जाएगा पर हां रात मे बड़ी मुस्तैदी से तुम्हे हवेली का पहरा देना होगा. ध्यान रहे एक परिंदा भी पर ना मार सके."
फिर ठाकुर ने भानु से कहा की वह मुंशी से मिल के रणबीर का सारा इंतेज़ाम कर दे. रणबीर ठाकुर से इजाज़त ले घर को चला गया की वह शाम को कपड़े लत्ते ले हवेली पहुँच जाएगा.
रणबीर कुछ उदास कदमों से घर की और जा रहा था. वो सोच रहा था की सूमी जैसी नौजवान औरत उसे मिली पर अब उससे दूर रहना पड़ेगा. तभी उसका मन ठकुराइन और ठाकुर की जवान बेटी के बारे मे सोचने लगा. यह सोचते वह घर पहुँच गया. रामननंद उस समय घर पर ही था, रणबीर उसकी के पास बैठ गया.
रामानंद ने उसे समझाया की यह बहोत ही ज़िम्मेदारी का काम है और यह काम ठाकुर हर किसी को नही सौंपता, उसका भाग्या अक्च्छा है की ठाकुर इतनी ज़िमेदारी का काम उसे दे दिया. फिर कहा की वह इसे अपना ही घर समझे और जब मन हो यहाँ बेरोक टोक चला आया करे.
फिर रणबीर वहाँ से उठ कर भानु के कमरे की और चल पड़ा की अभी तो कमरा खाली होगा और वो कुछ देर आराम कर लेगा. तभी उसे मालती मिल गयी और उसने हंसते हुए कहा, "तो तुम्हे हवेली की पहरेदारी पर लगा दिया गया है, पेरेदारी तो तुम्हे कई करनी
पड़ेगी."
"चाची और पहेरेदारी से तुम्हारा क्या मतलब है?" रणबीर ने चाची के चूतडो पर चींटी काटते हुए पूछा.
"सब समझ जाओगे, अभी मुझे जाने दो मुझे हवेली जल्दी जाना है." ये कहकर मालती चूतड़ मटकाती रसोई मे चली गयी.
रणबीर भी भानु के कमरे मे बिस्तर पर लेट गया. करीब 3 बजे उसकी आँख खुली तभी सूमी कमरे मे आ गयी. वह बहोत ही उदास लग रही थी.
तभी सूमी रणबीर के बिल्कुल पास पलंग पर बैठ गयी और उसकी छाती मे मुँह छुपा लिया. रणबीर भी काफ़ी देर उसके बालों मे हाथ फेरता रहा और पूछा, "मालती चाची हवेली चली गयी क्या?"
"हां और बाबूजी भी सोए हुए हैं और 5 बजे से पहले उठने वाले नही है. ये रणबीर के लिए खुला निमंत्रण था की दो घंटे जितनी मस्ती लूटनि है लूट लो फिर शायद कब मिलना हो.
"पर भाभी इतनी उदास क्यों हो रही हो, तुम्हारा गाओं छोड़ कर थोड़े ही जा रहा हूँ. तुम जब कहोगी तुम्हारे खेत मे चला आया करूँगा." रणबीर ने ये बात सूमी की आँख मे झाँककर और उसके खेत यानी उसकी चूत को सहलाते हुए कही थी.
सूमी के लिए इतना ही काफ़ी था और वो रणबीर से कस के लिपट गयी.
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RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
"पता नही जब से तुम्हारे हवेली मे रहने की बात सुनी है कुछ भी अक्चा नही लग रहा. कुछ ही दीनो में ऐसा लगने लगा जिस तुम मेरे बरसों की ......."
"क्या बरसों की भाभी? रणबीर ने अब सूमी की चुचियों दबानी शुरू कर दी थी. वा जैसे ही उसके ब्लाउस के हुक खोलने लगा सूमी बोल पड़ी, "मेरे बरसों के साथी, मेरे बरसो के प्रेमी..... पर ये सब अभी दिन मे मत खोलो, जो करना है बिना खोले ही करो. ये गाओं है याहान कोई भी आकर द्वार खटका सकता है. ये कह कर सूमी रणबीर की गोद मे बैठ गयी और दोनो टाँगे चौड़ी करती हुई रणबीर की छाती पर अपने शरीर का सारा बोझ डाल दिया.
इससे सूमी का बदन पीछे को झुक आया और उसकी चूचियों के दो शिखर हवा मे अपना मस्तक उठाए हुए थे. रणबीर ने दोनो उन्नत शिखरों को अपने हाथों मे ले लिया और उन्हे मसालने लगा.
"क्या भाभी उस दिन झोपडे मे भी अंधेरे मे कुछ नही देख सका और आज भी मना कर रही हो. ऐसा कह रणबीर ने सूमी के होठों को अपने होठों मे ले लिया और उन्हे चूसने लगा
"हाय ऐसे ही चूसो ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह खूब दबाऊओ तुम्हारे हाथों मे तो जादू है आज खेत भी देख लो और उसकी सिंचाई भी कर दो....." सूमी अब पलट चुकी थी और रणबीर के मुँह मे अपनी जीब डाल रही थी.
तभी रणबीर ने सूमी की दोनो टाँगे हवा मे उँची उठा दी और उसका घाघरा अपने आप कमर के चारों और सिमट गया और झाड़ियों से हरा भरा खेत रणबीर के चरने के लिए सामने खुला पड़ा था.
रणबीर सूमी की चूत को एक टक देखता रहा. क्या उभरी हुई मांसल चूत थी. चूत के होठों मे जैसे हवा भरी हुई हो, बीच की लाल रेखा स्पष्ट नज़र आ रही थी, पर्रो पर झांतो का झुर्मुट था और चूत के साइड के काले लंबे बाल इधर उधर बिखरे हुए थे.
रणबीर ने सूमी को थोडा अपनी और खींच उसके चूतड़ अपनी जाँघो पर रख लिए और सूमी के घूटने उसकी छाती से लगा दिए. अब मतवाली चूत पूरी तरह खुल के मलाई माल पुए खाने की दावत दे रही थी.
रणबीर ने कोई देर नही की और सूमी की चूत के इर्द गिर्द जीभ फिरने लगा. बीच बीच मे जीब की नोक से चूत की दरार मे एक लकीर खींच देता और सीमी सिहर के सिसकारियाँ लेने लगती.
रणबीर ने चूतड़ के दोनो तरबूज अपने हाथ मे ले लिए और जीब जड़ तक पेल उसकी चूत के अंदर के हर हिस्से को जीब से छूने लगा, ये थी उसकी कला , जो एक बार इसका स्वाद चख लेता जिंदगी भर के लिए उसी का होके रह जाता.
सूमी ज़ोर ज़ोर से हाँपने लगी, साँसों की गति तेज हो गयी, आँखों मे लाल डोरे उभर आए और रणबीर के लंड को पॅंट के उपर से ही बुरी तरह से मसल्ने लगी.
"ऑश रनबीईएर अब कब तक तड़पाओगे. कुछ करो ना.... क्यों मेरी जान ले रही हो.... खेत सामने खुला पड़ा है जी भर के देख तो लिया.....जालिम अब नही सहा जाता हे मेरे राजा रणबीर अब .... आआओ... ना." सूमी बदहवास हो बड़बड़ा रही थी.
वह रणबीर के पॅंट के बटन खोल कcछि सहित उसे उतार चुकी थी और रणबीर अब केवल बनियान मे था. उसका लंड को पकड़ कर अपनी और खींच रही थी उसका बस चलता तो वा उसके लंड को उखाड़ कर अपनी तड़पति चूत मे खुद ही घुसेड लेती.
रबनीर ने भी देर नही की और उसकी टॅंगो के बीच आसन जमा चूत के मुँह पर लंड टीका दिया और एक ही धक्के मे अपना लंड जड़ तक पेल दिया एक बार तो सूमी की जान जैसे गले तक आ गयी हो. उसके शरीर ने एक झटका खाया फिर उसने दोनो बाहें आगे बढ़ा कर रणबीर की कमर जाकड़ ली और नीचे से गंद चला धक्के देने लगी.
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RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
"मेरे देवर राजा तुम जीतने चूतिए हो उतने ही तुम गान्डू भी हो. वह साला मेरे वाला भादुआ तो सुखी ही मार देता है, सामने वाली को मज़ा आ रहा है या नही उसे कोई मतलब नही.
"हां अब अछा लग रहा है, "अब सूमी भी समझ गयी थी की गंद मे लंड कैसे पिलवाया जाता है.
अब वा जब गंद ढीली छोड़ती तब खुद पीछे तेल गंद मे लंड लेने लगी और रणबीर का पूरा 9' का लंड उसकी गंद मे समा गया.
'अब देख साली मेरा गान्डू पना.....ले झेल... अरे साली ये सूखा कुँवा नही ये तो तो तेरी केशर क्यारी है. अरे भोसड़ी की आज तक तूने एक भद्वे से गंद मरवाई है. कभी उसने मारी तेरी इस तरह से. " अब रणबीर उसे गालियाँ देते हुए पूरा बाहर खींच फिर एक ही धक्के मे जड़ तक पेल सूमी की गंद मार रहा था.
हाय.. मेरे राजा मुझे अपनी बना लो... मुझे लेके भाग जाओ... फिर दिन मे खूब गंद मारना और रात मे खूब चुदाई करना ..... ओह बहुत मज़ा आ रहा है...... कस के धक्के लगाओ में तो वैसे ही डर रही थी..... " सूमी ने पहले एक उंगल चूत मे डाली और बाद मे दो उंगल चूत मे डाल अंदर बाहर करती जा रही थी. उंगलियाँ फ़च फ़च करती उसकी चूत के अंदर बाहर हो रही थी.
तभी रणबीर के लंड ने सूमी की गंद के अंदर गरम गरम ढेर सारा वीर्य गिरा दिया. सूमी भी जोश मे आ अंगुल चूत मे और ज़ोर ज़ोर से पेलने लगी और उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया. सूमी की गंद से वीर्या चू रहा था. कुछ देर वो बिस्तर पर लेटी रही फिर घाघरे से गंद पौंचती हुई उठी और बोली.
"तुम भी नहा धो कर फ्रेश हो जाओ, तुम्हारा हवेली जाने का समय हो रहा है और हाआँ... अपनी इस भाभी... सूमी को भूल मत जाना."
शाम 5.00 बजे रणबीर नहा धो कर रामानंद से आशीर्वाद लेके अपने नये मुकाम पर चल पड़ा.
हवेली पहुँचने पर रणबीर को उसका नया आशियाना बता दिया गया. यह हवेली की चारदीवारी के भीतर ही बना हुआ एक कमरा और रसोई का मकान था. कमरे और रसोई के बीच एक बड़ा सा बरामदा था. बरामदे के बाहर कुछ पेड़ थे और एक तरफ एक कुँवा था पास ही एक बड़ा सा पठार की शीला थी जिस पर नाहया और कपड़ों की धुलाई की
जेया सकती थी. वहीं पास सर्विस टाय्लेट भी बना हुआ था.
फिर हवेली के मैं गेट के पास बना एक छोटा सा कमरा उसे समझा दिया गया. यही उसकी कर्म भूमि थी जहाँ रहते हुए उसे हवेली मे शाम 6.00 बजे से सुबह 6.00 बजे तक हर आने जाने वाले पर नज़र रखनी थी. हवेली की सुरक्षा की देख भाल करनी थी. उसे दो वर्दियाँ दी गयी थी, बंदूक, कारतूस भरा पड़ा था, एक टोपी एक सीटी और कुछ ज़रूरी सम्मान भी दिया गया. हवेली के नियम और क़ायदे उसे समझा दिए गये थे.
रणबीर ने बड़ी मुस्तैदी से अपना काम संभाल लिया. बहादुर चौकन्ना और आछा निःशाने बाज तो वह पहले से ही था.
फिर वर्दी का रुबाब और ख़ास चौकीदार के रुतबे ने देखते देखते उसे हवेली का ख़ास आदमी बना दिया. फिर ठाकुर साहब भी उस पर मेहर बन थे., जो जल्दी ही और नौकरों पर उसका हुमकुम भी चलने लगा था.
हालाँकि उसकी ड्यूटी रात की थी और दिन वो आराम कर सकता था पर रणबीर सुबह तक अपनी ड्यूटी बजा 11 बजे तक सोता था. फिर नहा धो कर वो अपने लिए खाना बनाता और खाना खाने के बाद फिर हवेली मे आ जाता.
हवेली के मुख्य द्वार पर उसकी ड्यूटी 6.00 बजे से शुरू होती इसलिए वो अस्तबल मे चला जाता, वहाँ उसने सभी से अछी दोस्ती कर ली थी. इन सब का नतीज़ा ये हुआ की वो बीस दिन मे ही एक अक्च्छा घुड़सवार भी बन गया हा. इन्ही दीनो मे उसने जीप चलना भी सीख लिया था.
ठाकुर को जब इन सब बातो का पता चला तो ठाकुर खुश हुआ और ये सब उसकी अलग से काबिलियत समझी गयी और उसी हिसाब से उसकी तरक्की भी हो गयी. जहाँ दूसरे नौकर हवेली के घोड़ों पर सवारी करने के ख्वाब भी नही देख सकते थे और ना ही जीप के आस पास फटक सकते थे.
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RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
फिर एक दिन ठाकुर ने शिकार का प्रोग्राम बनाया. इस बार एक ठाकुर की हवेली मे एक और ठाकुर हवेली का मेहमान बना हुआ था जिसके साथ मधुलिका की शादी की बात चल रही थी. मधुलिका अगले साप्ताह तक एमबीबीएस के इम्तिहान देकर हवेली मे आने वाली थी. फिर उसकी मर्ज़ी से शादी की बात करनी थी. उसके आने के स्वागत की तय्यारियाँ हवेली मे चल रही थी. दूसरा ठाकुर भी ठाकुर के साथ शिकार पर जा रहा था.
इसलिए इस बार की तय्यारियाँ कुछ अलग ही थी, ये एक दिन और दो रात का प्रोग्राम था. ठाकुर रणबीर जैसे बहादुर इंसान का इस शिकार पर ना रहने का बार बार अफ़सोस जता रहा था. पर इतनी जल्दी हवेली की सुरक्षा के लिए कोई दूसरा रखा भी तो नही जा सकता था. खैर ठीक दिन ठाकुर अपने लश्कर के साथ शिकार के लिए रवाना हो गया.
घोड़े, साईस, जीप ड्राइवर और कई मुलाज़िम ठाकुर के साथ शिकार पर चले गये, पीछे रह गये ठकुराइन, कुछ दासियाँ इकके दुके नौकर और रणबीर.
ठाकुर साहेब अपने लश्कर के साथ शाम 4 बजे निकल गये. मालती को ठकुराइन ने पहले ही बता दिया था की उसे दो दिन अब हवेली मे ही रहना पड़ेगा. इसके अलावा भी ठकुराइन ने मालती से बहोत कुछ कहा था. मालती जैसी ही दो तीन औरतें हवेली मे काम करने वाली थी पर वो सब रात मे अपने अपने घर चली जाती थी.
हवेली के नौकरों को हवेली के भीतर आने की आग्या नही थी इसलिए वो अपना काम ख़तम कर रणबीर को मिले जैसे कमरों मे रहना पड़ता था. इसलिए रजनी ने मालती को सहेली ज़्यादा और नौकरानी कम समझती थी और उसे हवेली मे अपने साथ रख लिया था. ठाकुर की अनुपस्थिति मे अब हवेली की कमान उसके हाथ मे थी.
रणबीर ने ठाकुर के जाते ही हवेली का मेन गेट बंद करवा दिया. मेन गेट मे एक छोटा दरवाजा था जिसमें से लोग हवेली मे आते जाते थे. वो अपनी ड्यूटी पर मुस्तैदी से गेट के पास बने कमरे मे मौजूद था. रात मे वो 4-5 बार पूरी हवेली का चक्कर लगाता था. नयी जगह नये लोग फिर नये शौक़ जैसे घुड़सवारी, जीप चलाना इन सब मे उसका इतना मन लग गया की उसे सूमी की याद भी नही आई.
मालती चाची को वो हवेली से आते जाते देखता था. लेकिन इस महॉल मे कोई बात करने का मौका उसे नही मिला था. रात के 10.00 बजे होंगे, रणबीर अपने कमरे मे बैठा था तभी उसे किसिके कदमों के चलने की आवाज़ सुनाई पड़ी.वो फ़ौरन चौकन्ना हो गया. तभी उसे कंबल मे लिपटा एक साया उसके कमरे की तरफ आता दीखाई दिया. उसकी बंदूक पर पकड़ मजबूत हो गयी, पास आते ही उस साए ने कंबल उतार दी और रणबीर ने देख की वो मालती चाची थी.
"चाची आप इस समय और यहाँ, किसी ने नेदेख लिया तो ग़ज़ब हो जाएगा." रणबीर ने चौंकते हुए कहा.
मालती ने उसे चुप रहने का इशारा किया और अपने पीछे आने के लिए कहा. मालती को इस रात के समय मे अकेले देखते ही रणबीर की कई दीनो की शांत नदी हुई भावनाए भड़क उठी.
सूमी ना सही पर मालती इन हालत मे क्या बुरी थी, ये सोच वा तुरंत मालती के पीछे हो लिया. मालती उसे हवेली के भीतर ले जाने लगी तो उसके कदम रुक गये और उसने पूछा, "चाची हवेली के भीतर तो किसी मर्द को इस समय जाने की इजाज़त नही है?"
तब मालती ने उससे कहा, "अब ठकुराइन ही इस हवेली की हेड है और उसे तुमसे कुछ बात करनी है."
रणबीर असमंजस मे मालती के साथ हवेली मे घुस गया. मालती उसे कयी चक्कर दार गालियों से घूमाते हुए एक बड़े कमरे मे ले गयी. दीवारों पर बड़े बड़े आईने, बीचों बीच एक बड़ा सा तखत पुर कमरे मे बीचे आलीशान गाळीचे और दूधिया प्रकाश मे नाहया आह विशाल कमरा था. रणबीर की तो एक बार आँखें चौंधियाँ गयी.
तभी बहोत ही आकर्षित सारी मे सजी धजी क्रीम सेंट से महकती ठकुराइन उसके सामने आई और आदेश भरे लहजे मे बोली, "ये बंदूक और कारतूस उतार एक तरफ रख दो. यहाँ इनकी कोई ज़रूरत नही है. रणबीर ने फ़ौरन उन्हे एक तरफ रख दिया. वो ठकुराइन के रूप को देख रहा था इतने पास से ठकुराइन को उसने पहले कभी नही देखा था. उसके जीवन मे कई लड़कियाँ और औरतें आई थी पर ठकुराइन रजनी के मुक़ाबले कोई भी नही थी.
"ठाकुर साहेब से हमने तुम्हारी बहादुरी के कई कारनामे सुने है. हां इसी मालती को भी तुमने बहोत बहादुरी दीखाई है. हम भी तुम्हारी बहादुरी देखना चाहते है. हमे भी पता तो चले की तुम हवेली को संभाल सकते हो और जो हवेली मे हैं उन्हे भी." ठाकुरानी ने कहा.
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RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
तभी मालती ने रणबीर की तरफ एक आँख दबाई. खेला खाया रणबीर सब समझ गया. गाँव के ऐसी कई औरतों को तो वह रंडी और कुत्ते कह फ़ौरन काबू मे कर लेता था पर इस बार मामला ठकुराइन का था पर अंत तो एक जैसा ही होना था.
"ठकुराइन जी आपके के लिए तो में अपनी जान दे दूँगा, मेरे रहते आप पर कोई आँच ना आएगी, आअप जो भी हुकुम करें बंदा पीछे नही हटेगा." रणबीर ने झुक कर सलाम किया.
"मुझे ऐसे ही लोग पसंद है जो जो भी बात कही जाए उसे तुरंत मान ले. पर पहले मालती के साथ जाओ और यह जैसे कहे वैसे ही करते जाना. हां याद रहे उस दिन जिसा नहीं जब यह तीन दिन तक यहाँ आके रोई थी." ऐसा कह ठकुराइन कमरे से बाहर चली गयी.
तब मालती ने कहा, "पहले इस कमरे मे बने बाथरूम मे जाओ. वहाँ सब कुछ मौजूद है, इतरा, फुलेल, सेंट, क्रीम, साबुन शॅमपू और तुम्हारे लिए चोला. चूड़ीदार और दुपट्टा, सज धज कर बाहर आओ." यह कह कर मालती जिधर ठकुराइन गई थी उधर चल पड़ी.
रणबीर अपने भाग्य पर इठलाता हुआ स्नान घर मे गया और जो मालती ने बताया था वो सब वहाँ सलीके से रखा हुआ था. आज वह जी हर के नहाया. ऐसा साबुन उसने जिंदगी मे पहले कभी नही लगाया था. शरीर का रोम रोम फुलक उठा. फिर जब उसने वस्त्रा पहेने और अपने आप को आईने मे देखा तो देखता ही रह गया. उन वस्त्रों मे वह किसी राजकुमार से कम नही लग रहा था. वह बाहर आया तो उसने मालती को इंतेज़ार करते पाया.
मालती इस बार उसे दूसरे कमरे मे ले गयी, जो पहले कमरे से भी आलीशान था. सुंदरता और सजावट का क्या कहना. एक से एक बेश कीमती सामानों से सज़ा हुआ था वा कमरे. होता भी क्यों नही कमरा मधुलकिया के लिए तय्यार हुआ था जो अगले साप्ताह यहाँ आने वाली थी. कमरे के बीचों बीच रखी एक विशाल पलंग पर रजनी एक नाइटी पहने अढ़लेटी मुद्रा मे थी. वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी.
रणबीर बहोत देर तक उसकी तरफ नही देख सका और उसकी नज़रें झुकती चली गयी. तभी कोमल आवाज़ उसके कान मे पड़ी, "रणबीर आओ, यहाँ पलंग पर मेरे पास बैठो. रणबीर पलंग के कोने पर बैठ गया और ठकुराइन से परे देखने लगा.
"तो मालती यही है वो जिसने उस दिन तुम्हारी गांद की दुर्गति की थी, और तुम तीन दिन तक ठीक से चल भी नही पे थी. तो इतनी ताक़त है इसमे. मेरा मतलब इसके मे. हम नही मानते जब तक की हम खुद नही देख ले."
"ठकुराइन विश्वास कीजिए, मेरी गांद को तो आपने खुद देखी है, बल्कि खोद खोद के भी देखा है. मेरे मना करते रहने पर भी यह नही मना और मेरी गांद की दुर्गति कर के ही छोड़ी."
रणबीर जो सुन रहा था उसे अपने कानो पर विश्वास नही हो रहा था. ये दोनो औरतें किस तरह खुले शब्दों का इस्तामाल कर बात कर रहे थी और मालती चाची क्या ठकुराइन से इतनी खुली हुई हो सकती है.
उनकी बातें सुन कर रणबीर का भी लंड खड़ा होने लग गया था और सोचा जब ओखली मे सर दे ही दिया है तो मूसलों से क्या डरना. उसे वही करना है जैसे कहा जाता है. अपनी तरफ से कोई उत्तावलापन नही दीखाना है. बड़े लोगों का मामला है. बड़े बुड्ढे ठीक ही कहते है की बिना सोचे समझे बड़े लोगों की गंद मे नही बढ़ाना चाहिए. उनका क्या कब गंद भींच ले और बाहर निकलना मुश्किल हो जाए.
"ठीक है पहले हम अपनी आँखो से सब देखेंगे फिर फ़ैसला करेंगे. मालती उठो और तुम दोनो वह सब मेरी आँखों के सामने करो. इसे भी ठीक से समझा देना. जैसे उस दिन हुआ था वैसे ही होना चाहिए नही तो भोसड़ी की गंद मे भूस भरवा देंगे. मैं भी ठकुराइन हूँ कोई कोठे पर बैठी रंडी नही की कोई मा का लॉडा आए और चोद्के लंड समेटता हुआ चला जाए.
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