Hindi Sex Story हवस का जंजाल
06-26-2018, 11:10 AM,
#5
RE: Hindi Sex Story हवस का जंजाल
ससुर बहू के अनौखे अंदाज--1

मैं आपको एक बहुत ही रोचक घटना बताने जा रहा हूँ| मैंने कैसे अपनी नयी नवेली बहू की चुदाई कर डाली| मेरा नाम मस्ताना सिंह है और मेरी उम्र 48 साल है| मेरी पत्नी का देहांत करीब 5 साल पहले हो गया था| फिटनेस फ्रिक होने की वजह से मैं अभी तक बहुत फिट रहता हूँ| पत्नी के जाने के बाद मेरे कई औरतों और कम उम्र की लड़कियों से शारीरिक सम्बन्ध रहे हैं|
मेरा एक ही बेटा है और कोई औलाद नहीं| घर में हम 2 लोग ही थे| पर अभी 2 महीने पहले मैंने मेरे बेटे रंगीला की शादी करवा दी| मेरी बहु मिनी बहुत सुन्दर, आकर्षक और अच्छे स्वाभाव की लड़की है|
अब चूंकि रंगीला अपने काम में इतना व्यस्त है कि मिनी पूरे दिन में कई
घण्टे मेरे साथ ही बिताती है। उसने मुझसे पूछा भी कि क्या वह मेरे साथ मेरे
जिम में, टेनिस, तैराकी में साथ आ सकती है तो मुझे उसे अपने साथ रखने में
कुछ ज्यादा ही खुशी का अनुभव हुआ। हम अक्सर साथ साथ शॉपिंग के लिए भी जाते
तो एक बार क्या हुआ कि-
मिनी-रंगीला की शादी को दो महीने ही हुए थे, हम मत्लब मिनी और मैं एक
मॉल में स्विम सूट देख रहे थे, थोड़ा मुस्कुराते हुए, थोड़ा शरमाते हुए मिनी
ने मुझे एक छोटी सी टू पीस बिकिनी दिखाई और पूछा- यह कैसी है पापा?
और जिस तरह से यह पूछते हुए उसने मेरी ओर देखा, तो दोस्तो, मेरे
जीवन में शायद इससे उत्तेजक अदा किसी लड़की या औरत ने नहीं दिखाई थी। उसके
चेहरे पर मुस्कान थी, आँखों में शरारत भरा प्रश्न था, उसकी यह कामुक अदा
मुझे मेरे अन्दर तक हिला गई।
मैंने बिना एक भी पल गंवाए उसकी कमर पर अपने दोनों हाथ रखे और दबाते
हुए कहा- हाँ ! इसमें तुम लाजवाब लगोगी, तुम्हारी ही फ़िगर है इसे पहनने के
लिए एकदम उपयुक्त !
वो खिलखिलाई- मैं तो बस मजाक कर रही थी पापा ! मैं इसे आम स्विमिंगपूल में कैसे पहन सकती हूँ.
“लेकिन जान ! मैं मजाक नहीं कर रहा !” मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर
के पीछे लेजा कर, दूसरा हाथ उसके कूल्हे पर रखकर उसे अपनी तरफ़ दबाते हुए
कहा- हमारा क्लब एक विशिष्ट क्लब है और यहाँ पर काफ़ी लड़कियाँ और महिलाएँ
ऐसे कपड़े पहनती हैं। और वीक-एण्ड्स को छोड़ कर अंधेरा होने के बाद तो शायद
ही कोई क्लब में होता हो ! तुम इसे उस वक्त तो पहन ही सकती हो !
अब तक मेरा ऊपर वाला हाथ भी नीचे फ़िसल कर उसके चूतड़ों पर आ टिका था।
मैंने सेलगर्ल की ओर घूमते हुए वो बिकिनी भी पैक करने को कह दिया।
अगली सुबह मिनी मेरे साथ ज़िम में थी, उसकी छरहरी-सुडौल काया से मेरी
नजर तो हट ही नहीं रही थी। उसने भी शायद मेरी घूरती नजर को पहचान लिया था,
तभी तो उसके गुलाबी गाल और लाल लाल से हो गए थे, और ज्यादा प्यारे हो गए
थे। वो मेरे पास आकर मेरे गले में एक बाजू डालते हुए बोली- जब आप मेरी तरफ़
इस तरह से देखते हैं ना पापा ! मुझे बहुत शर्म आती है पर अच्छा भी बहुत
लगता है।
उसने अपना चेहरा मेरी छाती में छिपा लिया, मैं उसकी पीठ थपथपाते हुए
उससे जिम में रखी मशीनों के बारे में बात करने लगा कि उन्हें कैसे
इस्तेमाल करना है और उनसे क्या नहीं करना है।
उसे मेरी बातें तुरन्त समझ आ जाती थी और अपनी बात भी मुझसे कह देती थी।
हमने ज़िम में थोड़ी वर्जिश करने के बाद आराम किया, फ़िर नाश्ता करके टेनिस के लिये क्लब आ गये।
उसे टेनिस बिल्कुल नहीं आता था तो मैंने उसे रैकेट पकड़ना आदि बता कर
शुरु में अलीशार पर कुछ शॉट मार कर कुछ सीखने को कहा। गयारह बजे तक हम
वापिस घर आ गए और आते ही वो तो बगीचे में ही कुर्सी पर ढेर हो गई।
मैं उसके पास वाली कुर्सी पर बैठ गया और पूछा- क्या मैंने तुझे ज्यादा ही थका दिया?
उसने कहा- नहीं पापा, ऐसी कोई बात नहीं !
पर उसके चेहरे के हाव भाव से साफ़ नजर आ रहा था कि वो थक चुकी है,
मैं उसकी कुर्सी के पीछे खड़ा हुआ और उसके कंधे और ऊपरी बाजुएँ सहलाते हुए
बोला- टेनिस प्रैक्टिस कुछ ज्यादा हो गई !
वो बोली- पापा, कई महीनों से मैंने कसरत आदि नहीं की थी ना, शायद इसलिए !
मैंने कुछ देर उसकी बाजू, कन्धे और पीठ सहलाई तो वो कुर्सी छोड़ खड़े होते हुए बोली- पापा, आप कितने अच्छे हैं।
यह कहते हुए उसने मुझे अपनी बाहों में भींच लिया। मैंने भी उसके बदन
को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया और कहा- मेरी मिनी भी तो कितनी प्यारी
है !
कहते हुए मैंने उसके माथे का चुम्बन लिया और जानबूझ कर अपनी जीभ से मुख का थोड़ा गीलापन उसके माथे पर छोड़ दिया।
“पापा, मैं कितनी खुशनसीब हूँ जो मैं आपकी बहू बन कर इस घर में आई !”
“आप यहीं बैठ कर आराम कीजिए, मैं चाय बना कर लाती हूँ !” कहते हुए मिनी मुड़ी।
मैं कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा- मैं भी कितना खुश हूँ मिनी जैसी बहू पाकर ! आज कितना अच्छा लगा मिनी के साथ !
तभी मन में यह विचार भी आया कि उसके वक्ष कैसे मेरी छाती में गड़े जा रहे थे जब वो मेरी बाहों में थी।
ओह ! जब मिनी चाय बनाने के लिए जाने लगी तो मेरी नजर उसके चूतड़ों पर
पड़ी, उसका टॉप थोड़ा ऊपर सरक गया था और शायद टेनिस खेलने से उसकी सफ़ेद
निक्कर थोड़ी नीचे होकर मुझे उसके चूतड़ों की घाटी का दीदार करा रही थी। अब
या तो उसने पैंटी पहनी ही नहीं था या फ़िर पैन्टी निक्कर के साथ नीचे खिसक
गई थी।
अब तो यह देखते ही छलांगें मारने लगी।
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