RE: Hindi Sex Story हवस का जंजाल
मैं भूल गया कि यह मेरी पुत्र वधू है, मैं उठ कर उसके पीछे रसोई में
गया, उसके पीछे खड़े होकर उसे चाय बनाते देखने लगा। मेरी निक्कर का उभार
उसके कूल्हों के मध्य में छू रहा था !
उसने पीछे मुड़ कर अपने कन्धे के ऊपर से मेरी आँखों में झांका और बोली- पापा, मैं तो चाय लेकर बाहर ही आने वाली थी।
उसने मेरे लिंग के पड़ रहे दबाव से मुक्त होने के लिए अपने चूतड़ थोड़े
अन्दर दबा लिए और मैं उसकी टॉप और निक्कर के बीच चमक रही नंगी कमर पर अपनी
दोनों हथेलियाँ रख कर बोला- मैं कुछ मदद करूँ?
मेरे इस स्पर्श से उसे एक झटका सा लगा और वो मेरी ओर देखने के लिए
मुड़ी कि उसके चूतड़ मेरे लिंग पर दब गए, मेरा उत्थित लिंग उसके पृष्ठ उभारों
के बिल्कुल बीच में जैसे घुस सा गया।
उसे मेरी उत्तेजना का आभास हो चुका था पर कोई प्रतिक्रिया दिखाए बिना वो बोली- चलिए पापा ! चाय तैयार है।
वो मेरे आगे आगे चलने लगी और मैं उसके पीछे पीछे उसकी नंगी कमर और ऊपर नीचे होते कूल्हों पर नजर गड़ाए चलने लगा।
बाहर पहुँचते पहुँचते मैं अपने को रोक नहीं पाया और जैसे ही मिनी चाय
स्टूल पर रखने के लिए झुकी, मैं अपनी दोनों हथेलियाँ उसके कूल्हों पर
टिकाते हुए बोला- नाइस बम्स !
इसी के साथ मैंने अपनी दोनों कन्नी उंगलियाँ कूल्हों की दरार में दबा दी।
“ओह पापा ! आप भी ना ! अभी चाय छलक जाती !” चाय रखने के बाद वो मेरी तरफ़ घूमते हुए बोली और मेरे हाथ फ़िर से उसकी कमर पर आ गये।
“तुम्हारे कूल्हे बहुत लाजवाब हैं मिनी ! आई लाइक दैम !” पता नहीं
मैं कैसे बोल गया और इसी के साथ मेरी आठों उंगलियाँ उसकी निक्कर की
इलास्टिक को खींचते हुए उसके चूतड़ों के नंगे मांस में गड़ गई।
मिनी के बदन में जैसी बिजली सी दौड़ गई और थोड़ी लज्जा मिश्रित मुस्कान के साथ बोली- सच में पापा?
हाँ मिनी ! तुम्हारे चूतड़ एकदम परफ़ेक्ट हैं ! इससे बढ़िया चूतड़ मैंने
शायद किसी के नहीं देखे !” कहले हुए मैंने अपनी हथेलियाँ कुछ इस तरह नीचे
फ़िसलाई कि सफ़ेद निक्कर उसकी जांघों में लटक गई।
मिनी अपनी जगह से हिली नहीं और अब मैं उसके नंगे चूतड़ अपने हाथों में मसल रहा था।
मैंने फ़ुसफ़ुसाते हुए उससे कहा- मिनी ! मैंने बहुत सारे चूतड़ इस तरह
नंगे देखे हैं, सहलाए हैं, चाटे भी हैं पर… कहते कहते मैंने अपनी उंगलियों
के पोर उन दोनों कूल्हों के बीच की दरार में घुसा दिए।
हाँ पापा ! मैंने सुना है कि आपने खूब… !” कहते हुए वो कामुक मुस्कान के साथ शरमा गई।
“तुम्हें किसने बताया?”
उसके कनखियों से मेरी तरफ़ देखा और अर्थपूर्ण मुस्कुराहट के साथ
बोली- काम्या ने ! वो मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती थी, वो मेरी सहेली थी और
चटखारे ले ले कर आपकी रसीली कहानियाँ मुझे सुनाया करती थी।
इसी के साथ वो खिलखिला कर हंस पड़ी।
अब यह मेरे लिए परेशानी वाली बात थी, मैंने पूछा- काम्या ने तुम्हें क्या क्या बताया?
अब मेरे हाथ खुल्लमखुल्ला मिनी के चूतड़ों से खेल रहे थे।
वो फ़िर खिलखिलाई- ये लड़कियों की आपस की बातें हैं ! मैं आपको नहीं बताऊँगी।
“लेकिन ना कभी काम्या ने ना कभी तुमने बताया कि तुम सहेलियाँ थी?”
“रंगीला से मेरी शादी करवाने में काम्या का ही तो हाथ है ! दो साल
पहले जब एक बार आप लन्दन गये हुए थे तो काम्या मुझे यहाँ इस घर में लेकर आई थी। उस समय सुमन मौसी भी यहीं थी। तो काम्या ने ही मौसी को बीच में डाल कर रंगीला की शादी मुझसे करवाई।”
“ओह ! तो सुमन भी तुम्हारे साथ मिली हुई है?”
“तो क्या पापा? सुमन मौसी तो आपके साथ भी… है ना?”
“ह्म्म !”
“सुमन मौसी ने ही तो बताया था कि…!!”
“क्या बताया था उसने? बोलो !?!”
“उन्होंने बताया था कि आप किसी भी लड़की को अपने चुम्बन से पागल कर सकते हो !”
“सुमन से भी ना चुप नहीं रहा जाता… तो अब तुम भी पागल…? हंह…?” मैंने उसके टॉप के अन्दर उसकी पीठ पर एक हाथ फ़िराते हुए कहा।
“हाँ पापा, मुझे भी अपने होंठों का जादू दिखाइए ना !” मिनी ने अपना चेहरा ऊपर उठा कर अपने होंठों को गोल करते हुए कहा।
मैं अपना हाथ उसकी पीठ से सरका कर गर्दन तक ले आया और उसके सिर को पीछे के जकड़ते हुए अपने होंठ उसके रसीले होंठों पर रख दिये।
मेरे हाथ के उसके सिर पर जाने से हुआ यह कि उसका टॉप भी मेरे हाथ के साथ मिनी के कन्धों में आकर रुका।
मेरा दूसरा हाथ जो अभी तक उसके चूतड़ों पर था, वो फ़िसल कर उसकी जांघ तक चला गया और उसकी जांघ को उठा कर मैंने अपनी बाजू पर ले लिया।
मिनी ने अपने को मुझसे छुटवाते हुए कहा- पापा, अन्दर चलते हैं।
मैंने उसे छोड़ते हुए कहा- चलो ड्राइंग रूम में चलो !
जैसे ही वो सीधी खड़ी हुई, उसकी निक्कर उसके पैरों में ढेर हो गई।
मैंने निक्कर को पकड़ कर उसके पैरों से निकाल कर कहा- चलो, मैं इसे सम्भालता हूँ।
वो आगे आगे, मैं पीछे पीछे उसकी निक्कर को हाथ में लेकर सूंघते हुए
चल रहा था, उसकी जांघों और योनि की गन्ध उस निक्कर में रमी हुई थी। कपड़ों
के नाम पर मिनी के गले में उसका टॉप एक घेरा सा बनाए पड़ा था। निक्कर मेरे
हाथ में थी, ब्रा पैन्टी पहनना शायद उसे भाता नहीं था।
अन्दर ड्राइंग रूम में जाकर मिनी ने ऐ सी और सारी बत्तियाँ जला दी। पूरा कमरा रोशनी से नहा गया।
और जैसे ही मिनी बत्तियाँ जला कर मेरी तरफ़ घूमी, उसने अपने गले से वो टॉप निकाल कर मेरे मुँह पर फ़ेंक दिया।
लेकिन मेरी नजर तो उसकी नाभि पर थी, उसमें उसने एक बाली पहनी हुई
थी। उसके बाद मेरी निगाहें सरक कर नीचे गई तो देखा योनि ने घने सुनहरे-भूरे
बालों का घूंघट औढ़ा हुआ था।
मिनी ने मेरी तरफ़ अपनी बाहें फ़ैलाते हुए कहा- आओ ना पापा ! मुझे अपने होंठों से पागल करो ना !
मिनी अपने होंठों पर जीभ फ़िरा रही थी, उसके गीले होंठ मुझे निमंत्रण दे रहे थे।
मैंने उसके गालों को अपनी हथेलियों में पकड़ कर उसकी गहरी आँखों में झांका और अपने होंठ उसके होंठों पर हल्के से रगड़ दिया।
उसके मुख से सिसकारी फ़ूटी- पापा ! और करो ! प्लीज़ !
“जानू… अब तुम्हारी बारी है !” मैं उसके नंगे चूतड़ों को अपने हाथों में सहेजते हुए फ़ुसफ़ुसाया।
“पापा…प्लीज़ आप करो ना ! प्लीज़ पापा ! करो !” वो एक छोटे बच्चे की तरह मचलते हुए बोली- जन्नत का मजा तो आप ही मुझे देंगे ना पापा !
“ओ… ठीक है ! मेरे सिर को आपने हाथों में थाम लो मिनी !”
बिना एक भी शब्द बोले उसने मेरा सिर पकड़ कर अपने चेहरे पर झुका
लिया, हमारे होंठों ने एक दूसरे को छुआ और मैं उसे अपने होंठों से सताने
लगा।
मिनी का पूरा बदन काम्प रहा था और उसके मुख से कामुक सीत्कारें निकल रही थी।
और तभी अचानक एकदम से उसने मेरे होंठों को चॉकलेट की तरह चूसना-खाना शुरु कर दिया।
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