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Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
होली पे चुदाई --1
हाई फ्रेंड्स मैं राज शर्मा आपको फिर से एक घरेलू कहानी सुनाने जा रहा
हूँ. यह मेरी फ्रेंड सुनीता की कहानी है. वह आपको बताने जा रही
है की कैसे उसने अपनी सहेली और उसके बड़े भाई के साथ चुदवाया.
इस होली पर मम्मी पापा बाहर जा रहे थे. रीलेशन मैं एक डेत हो
गयी थी. माँ ने पड़ोस की आंटी को मेरा ध्यान रखने को कह दिया
था. आंटी ने कहा था कि आप लोग जाइए सुनीता का हम लोग ध्यान
रखेंगे. माँ ने हमे समझाया और फिर चली गयी. पड़ोस की आंटी की
एक लड़की थी मीना जो मेरी उमर की ही थी. वह मेरी बहुत फास्ट फ्रेंड
थी. वह बोली कि जब तक तुम्हारे मम्मी पापा नही आते तुम खाना
हमारे घर ही खाना.
मैं खाना और समय वही बिताती पर रात मैं सोती मीना के साथ
अपने घर पर ही थी. दो दिन हो गये और होली आ गयी. सुबह होते ही
मीना ने अपने घर चलने को कहा तो मैं रंग से बचने की लिए बहाने
करने लगी. मीना बोली, "मैं जानती हूँ तुम रंग से बचना चाहती हो.
नही आई तो मैं खुद आ जाउन्गी." "कसम से आउन्गि."
मैं जान गयी कि वह रंग लगाए बगैर नही मानेगी. मैने सोचा की
घर पर ही रहूंगी जब आएगी तू चली जाउन्गि. होली के लिए पुराने
कपड़े निकाल लिए थे. पुराने कपड़े छ्होटे थे. स्कर्ट और शर्ट पहन
लिया. शर्ट छ्होटी थी इसलिए बहुत कसी थी जिससे दोनो चूचियों
मुश्किल से सम्हल रही थी. बाहर होली का शोरगुल मच रहा था.
चड्डी भी पुरानी थी और कसी थी. कसे कपड़े पहनने मैं जो मज़ा
आ रहा था वह कभी शलवार समीज़ मैं नही आया. चलने मैं कसे
कपड़े चूचियों और चूत से रगड़ कर मज़ा दे रहे थे इसलिए मैं
इधर उधर चल फिर रही थी.
मैं अभी मीना के घर जाने को सोच ही रही थी कि मीना दरवाज़े को
ज़ोर ज़ोर से खटखटाते हुवे चिल्लाई, "अरी सुनीता की बच्ची जल्दी से
दरवाज़ा खोल." मैने जल्दी से दरवाज़ा खोला तो मीना के पीछे ही
उसका बड़ा भाई रमेश भी अंदर घुस आया. उसकी हथेली मैं रंग
था. अंदर आते ही रमेश ने कहा, "आज होली है बचोगी नही,
लगाउन्गा ज़रूर."
मीना बचने के लिए मेरे पीछे आई और बोली, "देखो भैया यह
ठीक नही है." मेरी समझ मैं नही आया कि क्या करूँ. रमेश
मेरे आगे आया तो ऐसा लगा की मीना के बजाय मेरे ही ना लगा दे. मैं
डरी तो वह हथेली रगड़ता बोला, "बिना लगाए जाउन्गा नही
मीना." "हाए राम भैया तुमको लड़कियों से रंग खेलते शरम नही
आती." "होली है बुरा ना मानो. लड़कियों को लगाने मैं ही तो मज़ा
है. तुम हटो आगे से सुनीता नही तो तुमको भी लगा दूँगा." मैं डर
से किनारे थी. तभी रमेश ने मीना को बाँहों मैं भरा और हथेली
को उसके गाल पर लगा रंग लगाने लगा. मीना पूरी तरह रमेश की
पकड़ मैं थी. वह बोली, "हाए भैया अब छ्चोड़ो ना." "अभी कहाँ
मेरी जान अभी तो असली जगह लगाना बाकी ही है." और वह पीछे से
चिपक मीना की दोनो चूचियों को मसल उसकी गांद को अपने लंड पर
दबाने लगा.
"हाए भैया." चूचियों दबाने पर मीना बोली तो रमेश मेरी ओर
देख अपनी बहन की दोनो चूचियों को दबाता बोला, "बुरा ना मानो होली
है." मीना की मसली जा रही चूचियों को देख मैं अपने आप कसमसा
उठी. चूचियों को अपने भाई के हाथ मैं दे मीना की उछल कूद कम
हो गयी थी. रमेश उसकी दोनो चूचियों को कसकर दबाते हुवे उसकी
गांद को अपनी रानो पर उठता जा रहा था.
"हाए भैया फ्रॉक फट जाएगी." "फटत जाने दो. नयी ला दूँगा." और
अपनी बहन के दोनो अमरूद दबाने लगा. इस तरह की होली देख मुझे
अजीब लगा. मैं समझ गयी कि रमेश रंग लगाने के बहाने मीना की
चूचियों का मज़ा ले रहा है. "हाए अब छ्होरो ना." मीना ने मेरी ओर
देखते कहा तो मुझे मीना मैं एक बदलाव लगा. तभी रमेश उसकी गोल
गोल चूचियों को दबाते हुवे बोला. "हाए इस साल होली का मज़ा आ
रहा है. हाए मीना अब तो पूरा रंग लगाकर ही छोड़ूँगा." और पूरी
चूचियों को मुट्ठी मैं दबा बेताबी से दबाने लगा. मैने देखा की
रमेश का चेहरा लाल हो गया था. अब मीना विरोध नही कर रही थी
और वह मेरे सामने ही अपनी बहन को रंग लगाने के बहाने उसकी
चूचियाँ दबा रहा था. इस सीन को देख मेरे मन मैं अजीब सी
उलझन हुई. मेरी और मीना की चूचियों मैं थोड़ा सा फ़र्क था. मेरी
मीना से ज़रा छ्होटी थी. सहेली की दबाई जा रही चूचियों को देख
मेरी चूचियाँ भी गुदगुदाने लगी और लगा कि रमेश मेरी भी रंग
लगाने के बहाने दबाएगा. मीना को वह अपने बदन से कसकर चिपकाए
था.
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RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
"हाए छोड़ो भैया सहेली क्या सोचेगी." मीना चूचियों को फ्रॉक के
उपर से दब्वाती मेरी ओर देख बोली तो रमेश उसी तरह करते हुवे
मेरी ओर देखता बोला, "सहेली क्या कहेगी. उसके पास भी तो हैं.
कहेगी तो उसको भी रंग लगा दूँगा." मेरी हालत यह सब देख खराब
हो गयी थी. मैने सोचा की कही रमेश अपनी बहन को रंग लगाने के
बहाने यही चोदने ना लगे. समझ मैं नही आ रहा था कि क्या
करूँ. मुझे लगा कि वह अपनी बहन को चोदने को तैय्यार है. मीना
के हाव भाव और खामोश रहने से ऐसा लग रहा था कि उसे भी मज़ा
मिल रहा है. मैं जानती थी की चूचियाँ दबवाने और चूत चुदवाने
से लड़कियों को मज़ा आता है. मुझे दोनो भाई बहन का खेल देखने
मैं अच्छा लगा. मेरे अंदर भी वासना जागी.
तभी मीना ने नखरे दिखाते हुवे कहा, "हाए भैया फाड़ दोगे
क्या?" "क़ायदे से लगवाएगी तो नही फाड़ुँगा. मेरी जान बस एक बार
दिखा दो." और रमेश ने दोनो चूचियों को दबाते हुवे उसके चूतड़
को अपनी रान पर उभारा. "अच्छा बाबा ठीक है. छोड़ो,
लगवाउंगी." "इतना तडपा रही हो जैसे केवल मुझे ही आएगा होली का
मज़ा. आज तो बिना देखे नही रहूँगा चाहे तुम मेरी शिकायत कर दो."
फिर मीना मेरी ओर देख बोली, "दरवाज़ा बंद कर दो सुनीता मानेगा नही."
मीना की आवाज़ भारी हो रही थी. चेहरा भी तमतमा रहा था. रमेश
ने देखने की बात कर मेरे बदन मैं सनसनी दौड़ा दी थी. मेरी
चूत भी चुनचुनाने लगी थी. तभी रमेश उसकी चूचियों को
सहलाकर बोला, "बंद कर दो आज अपनी सहेली के साथ मेरी होली मन
जाने दो." रमेश की बात ने मेरे बदन के रोए गंगना दिए. मैने
धीरे से दरवाज़ा बंद कर दिया. जैसे ही दरवाज़ा बंद किया, रमेश
उसको छोड़ आँगन मे चला गया. उसके जाते ही अपनी सिकुड़ी हुई
फ्रॉक ठीक करती मीना मेरे पास आ बोली, "सुनीता किसी से बताना
नही. भैया मानेगे नही. देखा मेरी चूचियों को कैसे ज़ोर ज़ोर से
दबा रहे थे." उसका बदन गरम था. मैं गुदगुदाते मंन से
बोली, "हाए मीना तू चुदवायेगि क्या?" मीना मेरी चूचियों को दबाती
मेरे बदन मैं करेंट दौड़ा बोली, "बिना चोदे मानेगा नही. कहना
नही किसी से." "पर वह तो तुम्हारा बड़ा भाई है.?" "तो क्या हुवा. हम
दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं." "ठीक है नही
कहूँगी." "हाए सुनीता तुम कितनी अच्छी सहेली हो." और मीना मेरी दोनो
चूचियों को छ्चोड़ मुस्कराती हुई अंगड़ाई लेने लगी.
हर साँस के साथ मेरी चूचियों और चूत का वोल्टेज इनक्रीस हो
रहा था. रमेश अभी तक आँगन मैं ही था. मीना की दबाई गयी
चूचियाँ मेरी चूचियों से ज़्यादा तेज़ी से हाँफ रही थी. उसकी
फ्रॉक बहुत टाइट थी इसलिए दोनो निपल उभरे थे. अब मेरी कसी
चड्डी और मज़ा दे रही थी. मैं होली की इस रंगीन बहार के बारे
मैं सोच ही रही थी कि मीना मुस्करती हुई बोली, "सुनीता तुम्हारी
वजह से आज हमको बहुत मज़ा आएगा." "बुला लो ना अपने भैया
को." "पेशाब करने गया होगा. देखा था मेरी चूचियों को मीस्थे ही
भैया का फंफना गया था. हाए भैया का बहुत तगड़ा है. पूरे 8
इंच लंबा लंड है भैया का." मस्ती से भरी मीना ने हाथ से अपने
भाई के लंड का साइज़ बनाया तू मुझे और भी मज़ा आया. अब खुला था
की सहेली अपने भाई से चुदवाने को बेचैन है.
"हाए मीना मुझे तो नाम से डर लगता है. कैसे चोद्ते हैं." अब
मेरे बदन मैं भी चीटियाँ चल रही थी. "बड़ा मज़ा आता है.
डरने की कोई बात नही फिर अब तो हम लोग जवान हो गये हैं. तू कहे
तो भैया से तेरे लिए बात करूँ. मौका अच्छा है. घर खाली ही
है. तुम्हारे घर मैं ही भैया से मज़ा लिया जाएगा. जानती है लड़को
से ज़्यादा मज़ा लड़कियों को आता है. हाए मैं तो डब्वाते ही मस्त हो
गयी थी." मीना ऐसी बाते करने मैं ज़रा भी नही शर्मा रही थी.
उसके मुँह से चुदाई की बात सुन मेरी चूत दुप्दुपने लगी. मेरा मंन
भी मीना के साथ उसके भाई से मज़ा लेने को करने लगा. मीना की बात
सही थी कि घर खाली है किसी को पता नही चलेगा. मैं मीना को
दिल की बात बताने मैं शर्मा रही थी. तभी मीना ने अपनी दोनो
चूचियों को अपने हाथ से दबाते हुवे कहा, "अपने हाथ से दबाने
मैं ज़रा भी मज़ा नही आता. तुम दबाओ तो देखें."
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11-01-2017, 11:58 AM,
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RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
लंड को मेरे सामने नंगा कर रमेश ने फ़ौरन शर्ट के उपर से दोनो
चूचियों को पकड़कर मसला. मसलवाकर मैं मज़े से भर गयी. सच
बड़ा ही मज़ा था. चूचियों को उसके हाथ मैं दे मैने उसकी ओर
देखा तो रमेश सीतकारी ले बोला, "बड़ा मज़ा आएगा. जवान हो गयी हो.
मीना के साथ आज इस पिचकारी से रंग खेलो. अगर मज़ा ना आता तो
मेरी बहन इतना बेचैन क्यों होती चुदवाने के लिए." एक हाथ को
लपलपते नंगे लंड पर लगा दूसरे हाथ की चूची को कसकर दबाते
कहा तो मैं होली की रंगिनी मैं डूबने की उतावली हो फिर उसके लंड को
देखने लगी. उसके नंगे लंड को देखते हुवे चूचियाँ दबवाने मैं
ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था. चूचियाँ टटोलवाने मैं चड्डी के अंदर
गदराई चूत के मुँह मे अपने आप फैलाव हो रहा था. पहले केवल सुना
था पर करवाने मैं तो बड़ा मज़ा था.
तभी चूची को और ज़ोर ज़ोर से दबा हाथ के लंड को उभारते
बोला, "ऐसा जल्दी पाओगि नही. देखना आज तुम्हारी सहेली मीना को कैसे
चोद्ता हूँ. कभी मज़ा नही लिया तुमने इसीलिए शर्मा रही हो. तुमको
भी बड़ा मज़ा आएगा हमसे चुदवाने मे." रमेश चूची पर हाथ
लगाते अपने मस्त लंड को दिखाता जो होली की बहार की बाते कर रहा
था उससे हमें ग़ज़ब का मज़ा मिल रहा था. मस्ती के साथ अपने आप
शरम ख़तम हो रही थी. अब इनकार करना मेरे बस मैं नही था. अब
खुद शर्ट के बटन खोल दोनो गदराई चूचियों को उसके हाथ मैं
दे देने को बेचैन थी. बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरी नज़रे हिनहिनाते
लंड पर जमी थी.
तभी मीना ज़मीन पर बिस्तर लगा पास आई और रमेश के लंड को हाथ
मैं पकड़ मेरी मसली जा रही चूचियों को देखती बोली, "भैया
हमसे छ्होटी हैं ना?" "हां मीना पर चुडवाएगी तो तुम्हारी तरह
इसको भी प्यार से दूँगा पर अभी तो तुम्हारी सहेली शर्मा रही है.
तुम तो जानती हो कि शरमाने वाली को मज़ा नही आता." और रमेश ने
मेरी चूचियों को मसलना बंद कर मीना की चूचियों को पकड़ा.
हाथ हट ते ही मज़ा किरकिरा हुवा. मीना अपने भाई के लंड को प्यार से
पकड़े थी. मैं बेताबी के साथ बोली, "हाए कहाँ शर्मा रही हूँ."
"नही शरमाएगी भैया इसको भी चोद्कर मज़ा देना." मीना ने कहा तो
रमेश बोला, "चोदने को हम तुम दोनो को तैय्यार हैं. घर खाली है
जब कहोगी यहाँ आकर चोद देंगे पर आज तुम दोनो को आपस मैं मज़ा
लेना भी सिखाएँगे." और एक हाथ मेरी चूची पर लगा दूसरे हाथ
से मीना की चूची को पकड़ लंड को मीना के हाथ मे दे एक साथ
हम दोनो की दबाने लगा. मेरा खोया मज़ा चूचियों पर हाथ आते ही
वापस मिल गया. तभी मीना उसके खड़े लंड पर हाथ फेर हमको
दिखाती बोली, "शरमाओ नही सुनीता मैं तो आज भैया से खूब
चुदवाउन्गि." अगर तुम शरमाओगी तो तुम्हे मज़ा नही मिलेगा
"नही शर्माउन्गि." "तो लो पाकड़ो भैया का और मज़ा लो." और मीना अपने
भाई के लंड को मेरे हाथ मैं पकड़ा खुद बगल हटकर दबवाने लगी.
रमेश के लंड को हाथ मैं लिया तो बदन का रोम रोम खड़ा हो
गया. सचमुच लंड पकड़ने मैं ग़ज़ब का मज़ा था. तभी रमेश
बोला, "हाए मीना बड़ा मज़ा आ रहा है तुम्हारी सहेली के
साथ." "हां भैया नया माल है ना." "कहो तो इसका एक पानी निकाल
दे." और मीना की चूचियों को छ्चोड़कर एक साथ मेरी दोनो चूचियाँ
दबाता लंड को मेरे हाथ मे कड़ा कर खड़ा हुवा.
तभी मीना मुझसे बोली, "सुनीता रानी इसका पानी निकाल दो तब चुदवाने
मैं मज़ा आएगा. अब हमलोग रमेश भैया की जवानी चूस्कर रहेंगे.
हाए तुम्हारे अनार मीस्थे भैया मस्त हो गये हैं." रमेश आँखे
बंदकर तमतमाए चेहरे के साथ मेरी चूचियों को शर्ट के ऊपर
से इतनी ज़ोर ज़ोर से मीस रहा था कि जैसे शर्ट फाड़ देगा. मेरी चूत
सनसना रही थी और लंड पकड़कर मीसवाने मैं ग़ज़ब का मज़ा मिल
रहा था. अब तो मीना से पहले उसकी पिचकारी से रंग खेलने का मंन
कर रहा था. रमेश ने लंड मेरी चड्डी से चिपका दिया था.
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11-01-2017, 11:58 AM,
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RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
अब
रमेश धीरे धीरे दबा रहा था. चड्डी से लगा मोटा गरम लंड
जन्नत का मज़ा दे रहा था. उसने एक तरह से मुझे अपने ऊपर लाद
लिया था. मीना धीरे से अपनी चड्डी खिसककर नंगी हो रही थी. मीना
ने अपनी चूत नंगी कर मस्ती मैं चार चाँद लगा दिया था. अब मैं
रमेश की गोद मे थी और ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था.
मीना की चूत साँवली और फाँक दबे से थे पर मेरी फाँक से उसकी
फाँक बड़े थे. मैं सोच रही थी कि मीना चूत नंगी करके क्या
करेगी. मैं सहेली की नंगी चूत को प्यार से देखती अपने दोनो
अमरूदु को मीस्वा रही थी.
तभी मीना आगे आई और चूत को उचकाती बोली, "देखो सुनीता इसी
तरह से तुमको भी चटाना होगा." "ठीक है." फिर वह अपनी चूत को
अपने भाई के मुँह के पास ला तिर्छि होकर बोली, "ले बहन्चोद चाट
अपनी बहन की चूत." रमेश एक साथ हम दोनो सहेलियों का मज़ा लेने
लगा. मुझे सहेली का अपने ही भाई को बहन्चोद कहना बड़ा अच्छा
लगा. मीना बड़े प्यार से उंगली से अपनी साँवली सलोनी चूत की दरार
फैला फैलाकर चटवा रही थी. सहेली का चेहरा बता रहा था कि
चूत चटवाने मैं उसे बड़ा मज़ा मिल रहा था.
मीना की चूत को जीभ से चाटते ही रमेश का लंड मेरी चड्डी पर
चोट करने लगा. मैने मीना को चत्वाते देखा तो मेरा मॅन भी
चाटने को करने लगा. तभी उसने मेरे निपल को मीसा तो मैं मज़े से
भर उसकी गोद मैं उचकी तो वह अपनी बहन की चूत से जीभ हटा
मेरी चूचियों को दबा मुझसे बोला, "हाए अभी नही झारा सुनीता तुम
अपनी चताओ." "चॅटो." मैं मस्ती से भर मीना की तरह चूत
चटवाने को तैय्यार हुई.
तभी मीना अपनी चाती गयी चूत को उंगली से खोलकर देखती
बोली, "हाए रमेश भैया मेरा पानी तो निकल गया." "तुम्हारी सहेली
की नयी चूत चाटूँगा तो मेरा पानी निकलेगा." और मेरी कमर मैं
हाथ से दबाकर उठाया. अब मेरी गोरी गोरी चूचियाँ एकदम लाल थी.
तभी मीना मुझे बाँहो मैं भर अपने बदन से चिपकाती
बोली, "चटवाने मे चुदवाने से ज़्यादा मज़ा आता है. चताओ." "अच्छा
मीना चटवा दो अपने भैया से." "भैया सहेली की चॅटो."
"मैं तो तैय्यार हूँ. कहो मस्ती से चाताए. इसकी चाटते मेरा
निकलेगा. हाए इसकी तो खूब गोरी गोरी होगी." और बेताबी के साथ लंड
उच्छालते हुवे पोज़ बदला. अब वह बिस्तर पर पेट के बल लेटा था. उसका
लंड गद्दे मैं दबा था और चूतड़ ऊपर था. तभी मीना ने
कहा, "अपनी चटवाउ क्या?" "हां मीना अपनी चटवओ तो सुनीता को और
मज़ा आएगा."
तब मीना ने हमको रमेश के सामने डॉगी स्टाइल मैं होने को कहा. मैं
जन्नत की सैर कर रही थी. मज़ा पाकर तड़प गयी थी. मेरी कोशिश
थी कि मैं मीना से ज़्यादा मज़ा लूँ. उसकी बात सुन मैने
कहा, "चड्डी उतार दूँ मीना?" "तुम अपना चूतड़ सामने करो, भैया
चड्डी हटाकर चाट लेंगे. अभी तो यह हमलोगो का ब्रेकफास्ट है.
केवल चूत मैं लंड घुस्वकार कच कच चुदवाने मे मज़ा नही
आता. हमलोग अभी कुँवारी लौंडीयाँ हैं. असली मज़ा तो इन्ही सब मे
आता है. जैसे बताया है वैसे करो."
"अच्छा." और मैं रमेश के सामने चौपाया(डॉगी पोज़िशन) मैं आई
तो रमेश ने पीछे से मेरा स्कर्ट उठाकर मेरे चूतड़ पर हाथ
फेरा तो हमको बड़ा मज़ा आया. मेरी चूत इस पोज़ मे चड्डी के
नीचे कसी थी. मीना ने खड़े खड़े चटाइया था पर मुझे निहुरकर
चाटने को कह रही थी. अभी रमेश चूतड़ पर हाथ फेर रहा था.
मीना ने मेरे मुँह के सामने अपनी चूत की और बोली, "सुनीता पेट को
गद्दे मैं दबाकर पीछे से चूतड़ उभार दो. तुम्हारी भैया
चाटेंगे तुम मेरी चूत चॅटो और हाथ से मेरी चूचियाँ दबाओ फिर
देखना कितना मज़ा आता है."
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11-01-2017, 11:59 AM,
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RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
इस पोज़ मे मीना की साँवली चूत पूरी तरह से दिख रही थी. उसकी
चूत मेरी चूत से बड़ी थी. दरार खुली हुई थी. मीना की चूत
देख मैने सोचा कि मेरा तो सब कुच्छ इससे अच्छा है. अगर मेरे साथ
रमेश को ज़्यादा मज़ा आया तो वह मीना से ज़्यादा हमको प्यार करेगा.
मैने चूचियों को गद्दे मे दबा पीछे से चूतड़ उभारा और मुँह
को मीना की चूत के पास ला प्यार से जीभ को उसकी चूत पर चलाया
तो मीना अपनी चूत को हाथ से खोलती बोली, "चूत के अंदर तक जीभ
डालकर तब तक चाटना जब तक भैया तुम्हारी चाटते रहें. मज़ा लेना
सीख लो तभी जवानी का मज़ा पाओगि."
मीना की चूत पर जीभ लगाने मे सचमुच हमको काफ़ी मज़ा आया.
तभी रमेश नीचे कसी चड्डी की चूत पर उंगली चला हमे मज़े के
सागर मे ले जाते बोला, "तुम्हारी चड्डी बड़ी कसी है. फाड़ कर
चाट लें?" "हाए फाड़ दीजिए ना." मैं मीना की झारी चूत के
फैले दरार मे जीभ चलाती दोनो हाथों से मर्द की तरह उसके
गदराए अनारो को दबाती वासना से भर बोली. तभी रमेश ने दोनो
हाथों को चड्डी के इधर उधर लगा ज़ोर्से खींचा तो मेरी पुरानी
चड्डी एक झटके मे ही छार्र से फॅट गयी. उसे पूरी तरह अलग कर
मेरी गदराई हसीन गुलाबी चूत को नंगी कर उंगली को दरार मे
चलाता बोला, "ज़रा सा चूतड़ उठाओ."
नंगी चूत को रमेश की उंगलियों से सहलवाने मे इतना मज़ा आया कि
मेरे अंदर जो थोड़ी बहुत झिझक थी, वह भी ख़तम हो गयी. मैने
चूतड़ उठाया तो वह बोला, "ज़रा मीना की चूत चाटना और चूची
दबाना बंद करो." मैने चूची से हाथ अलग कर चूत से जीभ
निकाली तो उसने मेरी चूत को उंगलकी से कुरेदते पूछा, "अब ज़्यादा
मज़ा आ रहा है कि मीना की चाटते हुवे?" "जी अब कम आ रहा
है." "ठीक है तुम मीना की चॅटो."
मैं फिर मीना की चूत चाटते हुवे उसकी चूचियाँ दबाने लगी तो
रमेश से नंगी चूत सहलवाने मे ग़ज़ब का मज़ा आने लगा. अभी
रमेश ने मेरी चाटना शुरू नही किया था पर उंगली से ही हल्का पानी
बाहर आया तो वह मेरी फटी चड्डी से मेरी चूत को पोछते पूरी
चूत को सहलाता अपनी बहन से बोला, "मीना इसकी अभी चुदी नही
है." "हां भैया मेरी सहेली को तुम ही चोद्कर जवान करना. अब तो
शर्मा भी नही रही है." "ठीक है रानी इसको भी तेरी तरह जवान
कर देंगे. वैसे चोदने लायक पूरी गदराई चूत है. क्यूँ सुनीता
कितने साल की हो?" "जी चौदह की." "बड़ी मस्त हो बोलो इसका मज़ा
हमसे लोगि या शादी के बाद अपने पति से?"
भाई लोगो आगे की कहानी अगले पार्ट मे आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........
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11-01-2017, 11:59 AM,
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RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
होली पे चुदाई --3
गतान्क से आगे..........
"हाए आपसे." मैं मीना की चूत से मुँह अलग कर बोली. "मीना तुम्हारी
सहेली की चूत टाइट है. तुम अकेले मे इसको तैय्यार करना. हमे
बहुत पसंद है तुम्हारी सहेली." "हां राजा यह तो पड़ोस की ही है.
भैया इसे तो तुम जानते ही हो." "हां पर आज पहली बार मिल रहा
हूँ." और इसके साथ मेरी मस्त गुलाबी फांको को चुटकी मे दबाकर
मसला तो मैं अपने आप कमर उभारती बोली, "हाए रमेश अच्छा लग
रहा है. ऐसे ही करो." तभी आगे से मीना चूत को उचकाती
बोली, "आ रहा है ना जन्नत का मज़ा?" "हां हाए."
"सुनीता. इसी तरह शरमाना नही, जिसको मेरे भैया चोद देते हैं
वह मेरे भैया की दीवानी हो जाती है. अभी तो शुरुआत है आगे
देखना. मैं तो भैया से खूब चुदवाती हूँ. रोज़ रात मे भैया
के कमरे मे ही सोती हूँ. तुम्हारे लिए भी बड़ा अच्छा मौका है.
घर खाली है जब चाहो भैया को बुलाकर डलवा लो. फिर जब मम्मी
पापा आ जाएँ तो मेरे घर आ जाना."
मीना की बातों से हमे अपने बदन का लाजवाब मज़ा मिल रहा था. वह
अभी तक मेरी गदराई 14 साल की चूत को सहला रहा था. मैं
चूचियाँ दबाती सहेली की चूत चाट्ती मज़ा ले रही थी. बाहर होली
का हुरदांग मचा था और घर मे जवानी का. तभी मेरी चूत की फाँक को
उंगली से कुरेदते रमेश ने पूछा, "सच बताओ हमारे साथ चूत का
मज़ा आ रहा है." "जी हाए बहुत आ रहा है. हाए नही शरमाएँगे,
हमको भी मीना की तरह चोदो ना.
"अभी मीना और तुमको चोद्कर चले जाएँगे. तुम खा पीकर घर पर
रहना तो तुमको अकेले मज़ा लेना सिखाएँगे. चूत तुम्हारी बड़ी मस्त
है. जितना चुदवाओगि उतना ही मज़ा पाओगि." फिर वह अपनी बहन से
बोला, "मीना तुमको ऐतराज़ ना हो तो दोपहर को अकेले तुम्हारी सहेली को
चोद दें." "नही भैया कहो तो अभी चले जाएँ." "ठीक है जाओ.
आज मैं तुम्हारी इस गदराई कुँवारी सहेली को जी भरकर रंग खिला
दूँ." और झुककर मेरी गदराई गोरी गोरी चूत को जीभ से लापर
लापर चाटने लगा.
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