Hot Sex stories एक अनोखा बंधन
07-16-2017, 10:01 AM,
#41
RE: Hot Sex stories एक अनोखा बंधन
36

भौजी बिलकुल घबरा गईं और बोलीं; "हाय राम!!! आपका बदन तो जल रहा है|" इतना कहके वो चलीं गईं... मैंने वापस कम्बल ओढ़ा और सो गया| उसके बाद मुझे अपने पास लोगों की आवाज सुनाई दी और उसमें से एक आवाज जानी पहचानी थी| ये कोई और नहीं डॉक्टर साहब थे| वो मुझे उठाने की कोशिश कर रहे थे पर मैं जानबूझ के सोने का बहन कर रहा था, क्योंकि मैं जानता था की अगर मैं उठ गया तो ये जर्रूर पूछेंगे की तुमने खाना क्यों नहीं खाया| इसलिए मैं सोने का ड्रामा करता रहा .... मैं उनकी आवाजें साफ़ सुन सकता था... डॉक्टर साहब भौजी से कह रहे थे की; " देखिये आप मानु की सबसे अच्छी दोस्त हैं.. जब आप बीमार पड़ीं थी तब इन्होने आपका ध्यान रखा था और अब चूँकि ये बीमार हैं तो एक अच्छा दोस्त होने के नाते आपको इनका ख्याल रखें है| दवाई समय पर देना और खाने-पीने का भी ध्यान रखें| मौसम में आये बदलाव से इन्हें इतनी परेशानी हुई है|

पिताजी: डॉक्टर साहब लड़का बारिश में भीग गया था इसीलिए इतना बीमार पड़ा है|

डॉक्टर साहब: देखिये अंकल, मेरे अनुसार थोड़ा-बहुत भीगने से कोई इतना बीमार नहीं पड़ता, केवल जुखाम ही तंग करता है| और ऐसा भी नहीं है की मानु शारीरिक रूप से कमजोर हो, मेरा अनुमान है की इन्होने उस दिन कुछ ज्यादा ही मस्ती की है बारिश में और ऊपर से आपने बताया की कल पूरा दिन कुछ खाया भी नहीं... मैं सलाह दूंगा की आप इन्हें ज्यादा से ज्यादा आराम दें तथा थोड़ा ख्याल रखें और ये काम आपका है भाभी जी| खेर मैं एक इंजेक्शन लगा देता हूँ, बुखार कम हो जायेगा|

इंजेक्शन का नाम सुन के मेरी फटी ... पर क्या करता चुप-चाप लेटा रहा| आखिर डॉक्टर ने सुई लगाई और अपने को रोकने के बावजूद मुंह से "आह" निकल ही गई| डॉक्टर चला गया और फिर कुछ देर बाद भौजी ने मुझे जगाया और सामने बैठ के खाना खिलाया| कमरे में पिताजी की मजद्गी थी इसलिए डर के मारे मैंने भोजन कर लिया| रात्रि तक भौजी ने मेरा बहुत ख्याल रखा... मेरे आस पास रहीं पर हमारे बीच कोई बात नहीं हुई| वो तो मैं माँ का सहारा ले के उन्हें भोजन के लिए बोल देता था तब वो भोजन करने जाती थीं| रात्रि में भोजन के पश्चात माँ, बड़की अम्मा और भौजी सभी बड़े घर के आँगन में सोई| मैं अकेला कमरे में सो रहा था... नींद तो कोसों दूर थी| रात को करीब दो बजे मुझे बाथरूम जाना था इसलिए मैं उठ के बहार आया... बुखार काम लग रहा था और जब ठंडी-ठंडी हवा ने मेरे गर्म शरीर को छुआ तो आनंद आ गया| इससे पहले की मैं कमरे के बहार कदम रखता, भौजी उठ के आ गईं;

भौजी: क्या हुआ? कुछ चाहिए था आपको?

मैं: नहीं... बाथरूम जा रहा हूँ|

भौजी: (मेरा हाथ पकड़ते हुए|) मैं साथ चलूँ?

मैं: नहीं... अभी इतनी ताकत तो आ ही गई है| आप सो जाओ ...

मैं इतना कह के बहार चला गया और बाथरूम हो के आया और हाथ धो के फिर लेट गया पर नींद अब भी नहीं आई| ये समझो की सुबह होने तक हर सेकंड को गुजरते हुए मैं महसूस कर पा रहा था|

सुबह नहाना चाहता था परन्तु भौजी ने मना कर दिया और मैं मुंह हाथ धो के, ब्रश कर के वापस पलंग पे, दिवार से पीठ टिका के बैठ गया| ग्यारह बजे होंगे की तभी माँ ने भौजी से कहा की "बहु बेटा तुम खाना बनाने की तैयारी करो, मैं यहाँ बैठती हूँ"|कुछ ही देर में बड़की अम्मा ने माँ को किसी काम से बुला लिया और माँ चली गईं| मैं अकेला कमरे में बैठा था, रसिका भाभी भौजी की मदद कर रहीं थी, घर के बाकी के सभी पुरुष सदस्य खेत में थे| तभी वहां माधुरी आ गई, उसे देखते ही मेरे होश उड़ गए क्योंकि अब भी दोनों घरों के बीच शीट युद्ध जैसा माहोल था!

मैं: तुम? यहाँ क्या कर रही हो?

माधुरी: कल मुझे रसिका भाभी ने आपकी तबियत के बारे में बताया था, मैं कल भी आई थी पर तब आप सो रहे थे| आज मुझसे रहा नहीं गया तो मैं आ गई!

मैं: अगर किसी ने तुम्हें यहाँ देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी! (मैंने चिंता जताते हुए कहा)

माधुरी: मैं पिताजी से पूछ के आई हूँ|

मैं: (मैं उसकी दो मुही बात भांपते हुए) किसके पिताजी से?

माधुरी: आपके ... मैंने उन से गुज़ारिश की और वो मान गए|
(मुझे उसकी बातों पे बिलकुल विश्वास नहीं था ... और वो मेरे भाव को बड़ी जल्दी समझ गई|)

माधुरी: मैं खेतों में आपके पिताजी की अनुमति से यहाँ आई हूँ| यकीन ना आये तो आप अजय भैया से पूछ लीजियेगा|
(अब मुझे कुछ संतुष्टि हुई और मैंने रहत की सांस ली|)

माधुरी: उस दिन के बाद तो आपको आन चाहिए था मेरा हाल पूछने के लिए? पर कुदरत का कानून तो देखो, मुझे आपका हाल चाल पूछने आना पड़ा| आखिर क्यों भीगे आप इतना?

मैं उसकी बात समझ चूका था... उसका तात्पर्य उसके कौमार्य भांग होने से था| इसलिए मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया|

माधुरी: लगता है की आपका गुस्सा अब भी शांत नहीं हुआ? मुझे तो लगा की उस दिन अपना सारा गुस्सा आपने मेरे मर्दन (चुदाई) पर निकाल दिया होगा!!!

मैं: तुम्हें कैसे पता मैं अपना गुस्सा निकाल रहा था?

माधुरी: भले ही आप मुझसे प्यार ना करते हों पर मैं तो करती हूँ| मैं जानती हूँ आपने वो सब कितना मजबूर होक किया... आपकी शक्ल से पता लग रहा था की आप का सम्भोग करने का बिलकुल भी मन नहीं था|काश आपने वो सब मन से किया होता? पता है अब भी मैं ठीक से चल नहीं पाती... और उस दिन कितना खून निकला था?
मैं: अगर मन से ही करना होता तो मैं उस दिन कुछ नहीं करता| ये सब शादी के बाद ही होता ... पर तुम्हारी जिद्द ने मेरी जिंदगी में तूफ़ान खड़ा कर दिया है| मैं तुमसे हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट करता हूँ, प्लीज इन बातों को मेरे सामने मत दोहराओ| मैं बहुत परेशान हूँ....

माधुरी: मुझे माफ़ कर दीजिये| खेर अब हमारा मिलना तो नहीं हो पायेगा... जैसा की आपने अपनी शर्त में कहा था की मुझे इसकी आदत नहीं डालनी है! तो अगलीबार हम मिलेंगे तो मेरे हाथ में मेरी शादी का कार्ड होगा| मुझे अपनी शादी में बुलाना तो नहीं भूलोगे ना ?

मैं: अम्म ... देखो मैं जूठ नहीं कहूँगा पर मैं तुम्हारी शादी में नहीं आ पाउँगा| तबतक मेरे स्कूल शुरू हो जायेंगे इसलिए मेरी तरफ से अभी से शुभकामनाएं| रही मेरी शादी की बात तो मैं अभी कुछ नहीं कह सकता की मेरी शादी कहाँ होगी? पर तुम्हें बुलाऊंगा जर्रूर!

माधुरी और कुछ नहीं बोली बस एक प्यारी सी मुस्कान दी| मैं जानता था की वो अपनी मुस्कान के पीछे अपने दर्द को छुपाने की कोशिश कर रही है पर मैं उसके जख्मों को कुरेदना नहीं चाहता था|

वो चली गई और उसके जाते ही भौजी अंदर आ गईं| वो में ओर देख रहीं थी ओर उनकी आँखें भर आईं थी| शायद उन्होंने हमारी बातें सुन ली थीं| वो रूवांसी होक बोलीं;

भौजी: मुझे माफ़ कर दो! मैंने आपको गलत समझा !!! मैंने आप दोनों की सारी बातें सुन ली| कितनी गलत थी मैं... (और भौजी रोने लगीं)

मैं: बस..बस..बस.. चुप हो जाओ! मैंने आपको कहा था ना की आप रोते हुए अच्छे नहीं लगते| और आपको माफ़ी मांगने की कोई जर्रूरत नहीं|पर आप तो भोजन बंनाने गए थे तो वापस क्यों आये?

भौजी: अम्मा ने कहा था की आपसे पूछ लूँ की आप भोजन में क्या खाएंगे? वो चाहती थीं की आपके पसंद का भोजन बने| अब चलिए बहार बैठिये, दो दिनों से आपने खुद को इस कमरे में बंद कर रखा है|... अब सब ठीक होगा... कोई नाराजगी नहीं !!!

खेर मैं कमरे के बहार आँगन में एक किनारे पे खाट डाल के बैठ गया.. शरीर कल ना सोने की वजह से थका हुआ सा था पर नींद आने से डर लग रहा था| ये डर क्या था ये आप सब को मैं आगे चल के बताऊंगा| अभी के लिए अच्छा ये हुआ की कम से काम भौजी ने मुझसे पुनः बात करना शुरू कर दिया|
Reply


Messages In This Thread
RE: Hot Sex stories एक अनोखा बंधन - by sexstories - 07-16-2017, 10:01 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  बाप का माल {मेरी gf बन गयी मेरी बाप की wife.} sexstories 72 13,414 06-26-2024, 01:31 PM
Last Post: sexstories
  Incest Maa beta se pati patni (completed) sexstories 35 9,773 06-26-2024, 01:04 PM
Last Post: sexstories
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 19,535 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 9,337 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 6,445 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,766,569 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 578,704 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,348,317 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,032,532 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,812,204 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68



Users browsing this thread: 4 Guest(s)