Hot Sex stories एक अनोखा बंधन
07-16-2017, 10:20 AM,
#81
RE: Hot Sex stories एक अनोखा बंधन
76

मैंने उनके होंठ अब भी अपने मुंह से ढके हुए थे| मैंने जब अपना मुंह हटाया तो भौजी की सिसकारी निकलने लगी..."स्स्स्स....जानू....स्स्स्स्स" मैंने रफ़्तार बढ़ा दी.... और भौजी के साथ-साथ मेरी हालत भी ख़राब होने लगी|

रफ़्तार बढ़ने से भौजी की सिस्कारिया और तेज होने लगी... "स्स्स..अह्ह्हह्ह...म्म्म्म्म...जानू....."

मैं: प्लीज ज्यादा जोर से मत चिल्लाना...वरना कोई ऊपर आ जायेगा?

भौजी ने हाँ में सर हिलाया और फिर उनके मुंह से सिस्कारियां रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी| उन्होंने अपनी टांगें उठा के मेरे कमर पे लॉक कर ली और मेरे चेहरे को हाथ में थाम के मुझे अपने होठों से लगा लिया और मेरे होठों को चूसने लगी और मैं अब भी नीचे से धक्के लगाय जा रहा था|

भौजी: जानू....आज....स्स्स्स्स.... मुझे पूरा कर दो.... आज आखरी रात है हमारी साथ.....स्स्स्स्स अम्म्म्म्म्म ... (मस्ती में उनके मुंह से शब्द भी ठीक से नहीं निकल रहे थे)

इसी के साथ भौजी दुबारा स्खलित हो गईं और उनके रस की गर्म फुवार जब मेरे लंड पे पड़ी तो मैं भी झड़ गया| हाँफते हुए मैं उनके ऊपर जा गिरा| सांसें तो भौजी की भी तेज थीं| उनके गोर-गोर स्तन मेरी छाती में धंसे हुए थे| भौजी की योनि में जो रस था वो अब बाह के बहार आना चाहता था परनतु भौजी जैसे एक बूँद भी बाहर नहीं गिरना चाहती थीं| उन्होंने अपनी कमर ऊपर उठा ली और जैसे चाहा रहीं हों की सारा रास उनकी बच्चेदानी में भर जाए! मैं उनके ऊपर से उत्तर के उनकी बगल में लेट गया| दो मिनट बाद भौजी ने कमर नीचे की;

मैं: ये आप क्या कर रहे थे?

भौजी: आपका रस अपने अंदर समा रही थी!

मैं: (उनकी बचकानी बात सुन के मैं हँस पड़ा) ही...ही... ही... ही...

भौजी: हँस क्या रहे हो...सच कह रही हूँ|

मैं: अच्छा बाबा!

फिर उन्होंने लेटे-लेटे अपनी साडी उठाई;

मैं: क्या हुआ? जा रहे हो? अभी? प्लीज...मत जाओ ना.... मेरे पास बैठो ना|

भौजी: किसने कहा मैं जा रही हूँ? मैंने साडी में कुछ गाँठ लगा के रखा है उसे निकाल रही हूँ|

मैं: क्या है?

भौजी ने गाँठ खोल के उसमें से स्ट्रॉबेरी वाली लोलीपोप निकाली!

मैं: आप सब प्लान कर के रखते हो?

भौजी: जानू आप से ही सीखा| वैसे भी ये आपकी FARFEWELL पार्टी है! इसे Special तो होना ही है|

और भौजी लोलीपोप अपने मुंह में लेके चूसने लगी| भौजी ने मेरी तरफ करवट ली और अपनी दायीं टांग मोड़ के मेरे लंड के पास रख दी और अपने घुटने से मेरे लंड को सहलाने लगीं| लोलीपोप चूसने के बाद उन्होंने मुझे दी और मैं उसे चूसने लगा;

भौजी: So you must be exhausted!

मैं: Are you?

भौजी: नहीं...

मैं: तो मैं कैसे हो सकता हूँ...वैसे भी ये आखरी रत है हमारी..इसके बाद तो हम कुछ महीने बाद ही मिलेनेगे और तब तो मैं आपको छू भी नहीं पाउँगा?

भौजी: वो क्यों?

मैं: मैंने सुना है की Pregnancy के दिनों में सम्भोग नहीं करते!

भौजी: हाय ...आपको मेरी कितनी फ़िक्र है...पर एक चीज तो कर ही सकते हैं?
(उनका मतलब था Anal Sex से)

मैं: (उनका मतलब समझते हुए) ना...कभी नहीं.... मुझे वो वहशी पना लगता है| Anal तो जानवर करते हैं...और मैं आपसे प्यार करता हूँ...आपके जिस्म का भूखा नहीं हूँ|

भौजी; जानती हूँ...अगर आप जिस्म के ही भूखे होते तो आज मेरे इतनी बार मन अकरने पे या तो मुझसे रूठ जाते या फिर जबरदस्ती सब करते! मैं तो बस आपका मन जानना चाहती थी| अगर आप उसके लिए कहते भी तो मैं मन नहीं करती!

मैं: आपका मन करता है Anal करने का?

भौजी: नहीं...मुझे नाम से ही चिढ़ है...पर आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी!

मैं: Thanks but No Thanks !

मैंने लोलीपोप निकाल के भौजी को दी जो अब लघभग खत्म हो गई थी|

मैं: Oops मैं सारी चूस गया!

भौजी: कोई बात नहीं...अभी तो एक आम वाली और एक ऑरेंज वाली बची है|

उन्होंने आम वाली खोली और उसे चूसने लगीं ...और इधर मेरी नजर उनके स्तनों पे पड़ी| जो अपनी नाराजगी जाता रहे थे की आखिर मैंने उन्हें अभी तक क्यों नहीं छुआ? मैंने उनके दायें स्तन को अपने मुंह में लिया और जीभ की नोक से उनके निप्पल को कुरेदने लगा| भौजी ने अपने दायें हाथ से मेरा सर अपने स्तन पे दबा दिया| मैंने जितना हो सकता था उतना बड़ा मुंह खोला और उनके स्तन को अपने मुंह में भरना चाहा परन्तु असफल राहा पर मेरे दाँतों ने उनके स्तन पे अपनी छाप छोड़ दी थी| पाँच मिनट तक उनके स्तन का पान करने के बाद मैंने उनके बाएं स्तन को पीना चाहा परन्तु उसके लिए मुझ फिर से उनकी दोनों टांगों के बीच आना पड़ा| मैंने उनके निप्पल को अपनी जीभ से छेड़ा तो भौजी ने "स्स्स" की सिटी बज दी| फिर मैंने उनके स्तन को मुंह में लेके चूसने लगा और इतनी तेज सुड़का मार जैसे उसमें से सच में दूध निकलेगा| "प्लीज...स्स्स्स्स " कहते उन्होंने मेरे सर को अपनी छाती पे दबा दिया! मैंने अपने दांत उनके स्तन पे गड़ा दिए और वो चिहुंक उठी!

भौजी: ये निशान मेरे दिल पे पड़ चुके हैं!

मैं उनकी आँखों में देखते हुए मुस्कुरा दिया! अब तो लंड तनतना गया था ...पर मुझे लगा की शायद तीसरी बार.....ये ठीक नहीं होगा!!

भौजी: क्या हुआ?

मैं: ये ठीक नहीं है... (मैं उनके उपरसे हट के उनकी बगल में पीठ के बल लेट गया|)

भौजी: (मेरी तरफ करवट लेते हुए) क्यों क्या हुआ?

मैं: मैं आपसे प्यार करता हूँ...दो बार तक करना ठीक था...परन्तु तीसरी बार...ये ...ऐसा लगता है जैसे मेरे अंदर आपके जिस्म की भूख है.... पर मैं आपसे प्यार करता हूँ... आपके जिस्म से नहीं!

भौजी: समझी... आप की सोच गलत नहीं है पर जैसा आपका दिमाग कह रहा है वैसे नहीं है...ये कोई शरीर की भूख नहीं है...ये आपका प्यार है! भूख तब होती जब मैं इसके लिए राजी नहीं होती..आप मुझसे जबरदस्ती करते..या मुझे जूठ बोल के ..Emotional ब्लैकमेल कर के करते...आपका शरीर अंदर से आपको ये करने को विवश करता| पर आप खुद देखो...आप ने खुद को रोक लिया...शर्रेरिक भूख होती तो आप खुद को कभी रोक ना पाते...और तो और आप रसिका के साथ कब का सब कुक कर चुके होते! आपको तो माधुरी के साथ करने के बाद भी ग्लानि हुई... रसिका के छूने भर से आपको अपवित्र जैसा लगा और आधी रात को नह बैठे...वो भी दो दिन... और क्या हालत हो गई थी आपकी? इसलिए आप कुछ भी गलत नहीं कर रहे...तीन बार क्या ...अगर सारी रात भी आप करना चाहो तो ना तो ये अनैतिक है ना ही मैं आप[को मना करुँगी| जबतक होगा...आपका साथ देती रहूंगी! अब चलो... Finish what you started? Or do you expect me to….

मैंने हाँ में गर्दन हिलाई| मैं समझ चूका था की जो भौजी कह रहीं हैं वो बिल्कु सही है! भौजी मेरे लंड पे अपनी दोनों टांगें मेरी कमर के इर्द-गिर्द रखते हुए बैठ गईं और ऊपर-नीचे होने लगीं| उनकी योनि अंदर सेपोरी तरह हमदोनों के रास से नह चुकी थी और अब तो भौजी को ज्यादा जोर भी नहीं लगाना पड़ रहा था..और लंड फिसलता हुआ सररर से अंदर जाता और उनकी बच्चेदानी से टकराता| भौजी के ऊपर-नीचे होने से उनके स्तन भी ऊपर-नीचे उछल रहे थे| भौजी के मुंह से सिस्कारियां छूटने लगीं थीं "स्स्स्स्स...म्मा ..माआ म्म्म्म्म्म...आह...म्म्म्म्म्म...स्स्स्स्स...आह...स्स्स्स...म्म्म्म...हम्म्म्म...स्स्स्स....हाय्य्य !!" अब तो मैंने भी उनकी कमर से ताल मिलाना शुरू कर दिया और उनके हर धक्के के साथ मैं भी अपनी कमर उचकाने लगा था|

भौजी: हाँ....स्स्स्सस्स्स्स......इसी तरह.....आअह.....लगता है आज तो आप मेरी बच्चेदानी के....आह !! ...स्स्स्स....मम्म.... अंदर घुसा दोगे...स्स्स्स्स्स!!!

मैं: Sorry ...आह...मुझे नहीं पता...मुझे क्या हो रहा है|

भौजी: प्लीज...रुकना मत ...स्स्स्सस्स्स्स....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...ऐसे ही..... मेरे साथ ताल मिल्लते रहो!

अब मेरे अंदर जोश और भी बढ़ गया मैंने भौजी को झटके से अपने नीचे लिटाया और मैंने उनकी टांगें अपने कंधे पे रखीं और उनके ऊपर आ गाय और तेजी से लंड अंदर-बाहर करने लगा| अब तो भौजी स्खलित होने ही वालीं थीं, उन्होंने अपने हाथों की सारी उँगलियाँ मेयर पीठ में धंसा दी और उनके नाखूनों ने मेरी पीठ को कुरेद दिया जैसे कोई बिल्ली के पंजे किसी गद्दे को कुरेद देते है| मेरे मुंह से "आह!" की सीत्कार निकली.... उनके कुरेदने से जख्म हो गया पर बहुत छोटा सा...बस नाख़ून के निशान थे|

.अगले दो मिनट में वो स्खलित हो गईं; "स्स्स्स्स...अह्ह्हह्ह्ह्ह....जानू...उउउउउउ म्म्म्म्म्म" और चूँकि मैंने उनकी कमर उठा राखी थी उनका रस बहार छलक नहीं पाया और मेरे लंड अंदर-बहार करने से फच-फच की आवाजें आने लगीं| अब मैंने उनकी अक्मर वापस नीचे राखी और उनकी दायीं टांग छोड़ दी पर बाईं टांग को सीधा हवा में खड़ा कर दिया और उनकी योनि में अपना लंड पेलता रहा| लंड पूरा नादर जा रहा था और अब मुझ में और शक्ति नहीं बची थी की मैं और खुद को संभाल पाऊँ| अपने आखरी धक्के के साथ मैं उनकी योनि में झड़ गया और सारा रस उनकी योनि में उड़ेल दिया और उनके ऊपर गिर पड़ा| पसीने से पीठ तरबतर थी और ऊपर से भौजी के नाखूनों से पीठ छिल गई थी तो उनमें पसीने की बूंदें पड़ते ही जलन मचने लगी|

दोनों में ही ताकत नहीं बची थी... दोनों हाँफ रहे थे... और अब तो नीचे जाके अपने बिस्तर में सोना जैसे आफत थी दोनों के लिए!

भौजी: आज...तो.....आपने मुझे....पूर्ण कर दिया! (भौजी ने अपनी सामनसों को नियंत्रित करते हुए कहा)

मैं कुछ नहीं बोल पाया .... अब तो मन कर रहा था की बस ये संमा यहीं थम जाए और मैं उनसे लिपट के यहीं सो जाऊँ!

मैं: यार...अभी तो कपडे भी पहनने हैं...और मुझ में बिलकुल ताकत नहीं बची है!

भौजी: जानू...पहले बताओ तो सही की टाइम क्या हुआ है?

मैं: एक बज रहा है!

भौजी: पिछले तीन घंटों से आप मुझे प्यार कर रहे हो तो थको गए ही ना! चलो आप लेटो मैं दूध बनाके ले आती हूँ!

मैं: कोई जर्रूरत नहीं...आप भी थके हुए हो...मेरे पास ही लेटो!

भौजी: पर आप थके हुए हो... सुबह कैसे जाओगे दिल्ली?

मैं: अच्छा है...कल जाना बच जायेगा| कल का दिन भी मैं आपके साथ गुजारूँगा!

भौजी: सच?

मैं: मुच..

भौजी: अच्छा पहले कपडे तो पहन लो ...

हमने जैसे-तैसे कपडे पहने ... फिर छत की Perapet Wall के साथ पीठ लगा के दोनों बैठ गए| और अब तो दोनों को बड़ी जोरों की नींद आने लगी थी| भौजी ने मेरी गोद में सर रखा और सो गईं| मैं भी कुछ देर तक उनके सर को सहलाता रहा और फिर मुझे भी नींद आ गई|
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RE: Hot Sex stories एक अनोखा बंधन - by sexstories - 07-16-2017, 10:20 AM

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