Incest Kahani उस प्यार की तलाश में
02-28-2019, 11:57 AM,
#22
RE: Incest Kahani उस प्यार की तलाश में
विशाल ने एक दो बार कोशिश की हर बार मैने ऐसा ही किया.......मुझे अब उसकी हर हरकत कर हँसी सी आ रही थी......

अदिति - क्या कर रहे हो विशाल........कैसे मर्द हो....तुमसे एक हुक नहीं लग रहा........अगर कल तो तुम्हारी बीवी आएगी और तुमसे ये कहेगी तो सोचो वो तुम्हारे बारे में क्या कहेगी.......विशाल मेरी बातों को सुनकर लगभग झेप सा गया.....

विशाल- इसमें मेरी क्या ग़लती है......आपका ये इतना टाइट है कि ये मेरी हाथों से फिसल जा रहा है.......

अदिति- फिसलेगा कैसे नहीं.....तुमने अपनी आँखें जो बंद कर रखी है......देख कर लगाओ देखना ये लग जाएगा.......मेरी बातों का असर विशाल पर तुरंत हुआ और उसने झट से अपनी आँखे खोल ली.........मेरे चेहरे पर भी मुस्कान तैर गयी मगर विशाल ने मेरी तरफ ना देखते हुए उसने अपना सारा ध्यान मेरी पीठ पर केंद्रित कर दिया.....

मैं उसके हाथों को अच्छे से अपनी नंगी पीठ पर पल पल महसूस कर रही थी.........मैं तो यही चाहती थी कि काश ये हसीन पल यहीं थम जाए......इधेर विशाल फिर थोड़ा सा झुक कर मेरी पीठ के और करीब आ गया और उसने इस बार मेरे दोनो ब्रा के हुक को अपने हाथों में पकड़ा और फिर उसने इस बार थोड़ा ज़ोर लगाते हुए मेरे ब्रा के हुक को लगाने की पूरी पूर कोशिश की.......इस वक़्त विशाल का चेहरा मेरे पीठ के बेहद करीब था......मैं उसकी साँसे को अपने पीठ पर महसूस कर रही थी.......उसकी गरम साँसें मेरी बेचैनी को और भी बढ़ाती जा रही थी......आख़िरकार उसकी मेहनत रंग लाई और उसे इतनी मेहनत के बाद उसे सफलता मिल ही गयी......

अब तक वो पसीने से बुरी तरह भीग चुका था......ऐसा उसका पहला मौका था जब वो किसी लड़की के साथ इस तरह का काम कर रहा था....भले ही वो लड़की उसकी खुद की बेहन ही क्यों ना हो.....आख़िर थी तो एक लड़की ही.

विशाल के चेहरे पर अब भी बारह बजे हुए थे........मेरा दिल भी बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था.......उस वक़्त मेरा जी कर रहा था कि मैं अभी विशाल के सीने से जाकर लिपट जाऊं और उसके मज़बूत बाहों में अपने आपको पूरा समर्पण कर दूं......मगर ऐसा करने की हिम्मत मुझ में बिल्कुल नहीं थी.....मगर मुझे पूरा यकीन था कि एक ना एक दिन ऐसा आएगा जब विशाल मेरा दामन थामेगा........मुझे अपने इन मज़बूत बाहों में मेरे इस नाज़ुक बदन को मसलेगा......मुझे उस दिन का बहुत बेसब्री से इंतेज़ार था.......

इस वक़्त तो मैं बाथरूम में जाना चाहती थी ताकि मैं अपने आप को शांत कर सकूँ.....मेरा जिस्म फिर से हवस की आग में तप रहा था.....मगर मैं पहले से ही लेट हो चुकी थी और अब मम्मी पापा भी आने वाले थे......विशाल मुझसे कुछ ना कह सका मगर जाते जाते वो एक बार फिर से मेरी नंगी पीठ का दीदार अच्छे से करता हुआ कमरे से बाहर चला गया........फिर मैने थोड़े देर बाद बाथरूम की आहट सुनी........एक बार फिर से मेरे चेहरे पर शरारती मुस्कान तैर गयी......आज फिर विशाल मेरे नाम की मूठ मार रहा था बाथरूम के अंदर........

करीब 10 मिनिट बाद मम्मी पापा भी आ गये......और विशाल थोड़ी देर बाद हॉल में आकर टी.वी देखने लगा.......करीब 1/2 घंटे बाद मैं पूरी तैयार होकर कमरे से बाहर निकली.......जब मैं विशाल के सामने गयी तो एक बार फिर से मेरा कलेजा ज़ोरों से धड़कने लगा.......ऐसा पहला बार था जब मैने विशाल के सामने साड़ी पहनी थी......मुझे अपने आप पर नाज़ था कि मेरा आज ये रूप देखकर विशाल ज़रूर घायल हो जाएगा......और ऐसा हुआ भी जब उसकी नज़र मुझपर पड़ी तो वो अपनी आँखें फाडे मुझे देखता ही रहा........

मम्मी पापा भी मेरी तारीफ किए बिना ना रह सके.........मैं जब विशाल के नज़दीक गयी तो वो मुझे अब भी आँखें फाडे देख रहा था....मुझे उसके इस तरह से देखने पर मुझे हँसी सी आ रही थी.......

स्वेता- बेटा अपना ध्यान रखा......और हां विशाल तू अदिति के सात साथ रहना.........आज कल जमाना खराब है........कहीं कुछ उन्च नीच हो गयी तो.......मैं मम्मी की बातों को सुनकर मुस्कुरा पड़ी.......मम्मी क्या जानती थी कि उनकी बेटी की नियत उसके बेटे पर ही खराब हो चुकी है......मेरा तो कुछ नहीं बिगड़ेगा मगर हां विशाल के साथ ज़रूर कुछ ना कुछ होगा अगर वक़्त रहते मैं उसे सिड्यूस कर सकी तो......

विशाल- आप निसचिंत रहिए मम्मी मैं दीदी के साथ रहूँगा......फिर मैं विशाल के साथ उसकी बाइक पर जाकर बैठ गयी.......मेरे बदन से भीनी भीनी पर्फ्यूम की खुसबू उठ रही थी जो विशाल की सांसो में उसकी खुसबू अब धीरे धीरे फैल रही थी.......मेरे बदन की खुश्बू से वो मानो अब पागल सा हो रहा था.......मैं आज फिर से उससे सट कर बैठ गयी और अपने सीने का पूरा वजन उसकी पीठ पर रख दिया.......विशाल बाइक चला रहा था मगर आज उसका सारा ध्यान मेरी तरफ था......बाइक के शीशे में मैं उसके चेहरे को पल पल देख रही थी......उसका ज़्यादातर ध्यान मेरी तरफ था ना कि रोड के तरफ...........

अदिति- विशाल .........तुमने मुझे बताया नहीं कि मैं आज कैसी लग रही हूँ........मैने अपने बीच इस खामोशी को तोड़ते हुए विशाल से ये सवाल किया.....फिर मैं उसके जवाब का बेसब्री से इंतेज़ार करने लगी.......

विशाल- हमेशा की तरह दीदी आप आज भी बहुत खूबसूरत लग रही हो......मगर.......इतना कहकर विशाल चुप हो जाता है.......

अदिति - मगर क्या विशाल.........
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RE: Incest Kahani उस प्यार की तलाश में - by sexstories - 02-28-2019, 11:57 AM

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