Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
12-28-2018, 12:45 PM,
#26
RE: Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
वो अपने ख़यालों में पूरी तरह से डूबी हुई थी शायद इसीलिए उसने पेड़ों के सूखे पत्तों पर तेज़ी से भागते मेरे कदमो का शोर नही सुना. वैसे भी कोई ज़यादा दूरी नही थी, कोई दस, बारह फीट का फासला रहा होगा. अंत मैं जब शोर से उसकी तंद्रा टूटी और वो पीछे को घूमी तब तक मैं उसके पास पहुँच चुका था. मुझे अपनी ओर इस तरह भागते देख एक पल के लिए शायद वो विस्मित हो गयी थी और फिर उसके चेहरे पर उलझन का भाव था. उसने मुँह खोला शायद मुझसे वजह पूछना चाहती थी मगर मैने एक हाथ उसके मुँह पर रखा और दूसरे हाथ से उसे कंधे से पकड़ उसे ज़ोर से घुमाया. वो पीछे की ओर घूम गयी. मैने एक हाथ उसकी छातियों के नीचे डाल उसे अपने सीने से भींच लिया और दूसरे हाथ से उसका मुँह पूरी मज़बूती से बंद कर दिया. वो गू गू कर कुछ बोलना चाहती थी मगर मैं कोई मौका दिए बिना उसे पेड़ों की ओर घसीटने लगा. वो हाथ पाँव चला रही थी. दोनों हाथों से मेरा हाथ अपने मुख से हटाने की कोशिस कर रही थी, शायद उसे साँस नही आ रही थी. मैने उसे घसीटना चालू रखा और तभी रुका जब पेड़ों के काफ़ी अंदर चला गया था, 

मैने उसके पेट से हाथ हटाया और अपनी कमर में डाला हुआ एक बहुत बड़ा चाकू बाहर निकाला. चाकू उसकी गर्दन पर रख मैने धीरे से उसे कहा.. "आवाज़ नही, आवाज़ नही निकलनी चाहिए. मैं हाथ हटा रहा हूँ अगर चिल्लाने की कोशिस की तो गर्दन काट दूँगा. दूसरा मौका नही मिलेगा. समझ गई ना?" उसने सहमति में सर हिलाया तो मैने उसके मुँह से हाथ हटा लिया. 

जैसे ही मैने हाथ हटाया वो नीचे ज़मीन पर गिर पड़ी और बुरी तरह से खांसने लगी. खाँसते हुए बीच बीच में वो मेरी ओर बहुत गुस्से से देख रही थी. 

"तुम्हारा ....दिमाग़ तो नही खराब...... हो गया. उफफफ़फ्ग...मुझे मार ही......डाला था. ये सब क्या है? मेरे साथ बदतमीज़ी करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई" वो अपनी अकड़ दिखा रही थी और मैने उसे अपनी अकड़ दिखाई उसके चेहरे पर एक ज़ोरदार टाँचा मारकर. 

वो एक पल को सन्न रह गयी थी, उसे जैसे यकीन ही नही हो रहा था "तुम पागल हो गये हो! इस सबका अंज़ाम जानते हो ना!" 

मैने आगे बढ़कर उसके शॉल और चोली को गले से पकड़ कर दो तीन बार झटका और फिर गुस्से से गुर्राया "मेरी बहन कहाँ है? सच सच बता दे......वरना मेरा जो अंजाम होगा वो बाद मैं होगा मगर तेरी मैं वो हालत करूँगा कि तू किसी से नज़र मिलाना तो दूर किसी के सामने जाने लायक भी नही रहेगी" 

"क्या बकवास कर रहे हो तुम्हारी बहन से मेरा क्या वास्ता. मुझे क्या मालूम वो कहाँ है" वो मेरे हाथों से खुद को छुड़ाने की कोशिस कर रही थी मगर हैरानी की बात थी अभी तक उसने चिल्ला कर किसी से मदद की गुहार नही लगाई थी.

"तुम्हे अच्छी तरह से मालूम है....अच्छी तरह से मालूम है..,तुम्हारा ही हाथ है उसके यहाँ से जाने में......खबरदार जो मुझसे झूठ बोलने की कोशिस की तो...,मैं सब जानता हूँ" 

"क्या जानते हो तुम..... तुम्हे कोई बहुत बड़ी ग़लतफहमी हुई है.....मेरा कोई हाथ नही है तुम्हारी बहन को भगाने में. मुझे तो मालूम ही नही वो घर से भाग गई है" उसका चेहरे पर थोड़ी हैरत थी, थोड़ा गुस्सा था मगर भय नही था. वो भयभीत नही थी.

"ग़लतफहमी!...........याद है उस दिन सहर से आते तुमने क्या बोला था, घबराओ नही सब ठीक हो जाएगा?,क्या ठीक हो जाएगा. तुम्हे कैसे पता मुझे क्या परेशानी थी. तुम तो सहर से लौट रही थी. और मेरी बहन के साथ घंटो वक़्त बिताना, वो? उस दिन भी तू उसी के साथ थी जिस दिन वो घर से गयी थी. और तो और वो सहर गयी तो तुम्हारे साथ गयी, तुम्हारी गाड़ी में गयी. मुझे खुद सड़क पर दुकान वाले पनवाडी ने बताया है" आख़िरी बात मेरा अंधेरे में छोड़ा हुआ एक तीर था, मुझे नही मालूम था कि वो किसके साथ गई है. मगर वो और देविका दोनो एक ही दिन सहर के लिए निकली थीं, इसलिए मुझे यकीन था ज़रूर बहन देविका की गाड़ी में शहर गयी थी.

"अरे वो तो सड़क पर खड़ी थी, मैने जिस तरह तुम्हे सहर से आते हुए लिफ्ट दी थी उसी तरह तुम्हारी बहन को लिफ्ट दी थी. और वो सहर जाकर उतर गयी थी, मुझे नही मालूम वो कहाँ गयी? नही मुझे मालूम था वो घर से भागकर जा रही है" मेरा तीर निशाने पर लगा था. उसने अपना जुर्म खुद ही कबूल लिया था. मगर साली के चेहरे पर अभी भी कोई डर की भावना नही थी.

"देविका मेरे सबर का इम्तिहान मत लो! मैं अपनी बहन के लिए कितना तड़पा हूँ मैं ही जानता हूँ. सच सच बता दो, वो कहाँ है. वरना तुम्हारी वो दुर्गति करूँगा कि......."

"मैं नही जानती... मुझे नही पता. मैं क्यों झूठ बोलूँगी. देखो मुझे जाने दो. मैं किसी से कुछ नही कहूँगी, वरना तुम जानते हो मेरे पति को. तुम्हारे बदन की खाल उधेड़ लेंगे अगर उन्हे मालूम चल गया कि तुमने मुझे छूने की हिम्मत की है"

"मेरे बदन की खाल उधेड़ेंगे....,साली कुतिया एक तो मेरी बहन के साथ तूने ना जाने क्या किया है, हमारे परिवार को तबाह करके रख दिया है और उपर से धमकियाँ देती है.....ठहर जा" मेरा खून खौल उठा था. मैं उसके लहंगे को पकड़ कर खींचने लगा, वो एकदम से मेरे हाथों को हटाने लगी 
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