09-24-2019, 01:46 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
मैं झरने के बिलकुल क़रीब थी इसीलिए मज़े से मुझे पता ही नहीं चल रहा था की बापू अपना लंड मेरी चूत में 7 इंच तक घुसा चुके हैं । बापू के हलके धक्कों से उसका लंड और आगे नहीं जा रहा था ।
अचानक मेरा बदन टूटने लगा और में अपने चूतड़ उछालते हुए दूसरी बार झरने लगी।
"यआह्ह्ह्ह शहहह बापू ओह्ह्ह ज़ोर से मुझे चोदो।मैं झर रही हूँ" मज़े से मैंने अपनी आँखें बंद करके सिसकते हुए कहा ।
बापु ने मुझे झरता हुआ देखकर अपने लंड को ज़ोर से मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा । मेरी चूत से जाने कितनी देर तक पानी निकलता रहा, जब मेरा झरना बंद हुआ तो मैंने अपनी आँखें खोली ।
बापु ने मुझे देखकर मेरी टांगों को मज़बूती से पकडते हुए अपने लंड को पीछे खींचते हुए 4-5 ज़ोर के धक्के मार दिए जिससे उनका बचा हुआ लंड भी मेरी चूत में जगह बनाता हुआ अंदर घुस गया ।
"उई माँ ओह्ह्ह बापु" मेरी ऑंखों के सामने अँधेरा होने लगा, मुझे फिर से बुहत ज़ोर का दर्द होने लगा।
बापु मेरे चिल्लाने की परवाह न करते हुए अपना लंड बुहत ज़ोर से मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे। 9-10 धक्कों के बाद ही मेरी चूत का दर्द ग़ायब हो गया और मुझे मजा आने लगा ।
बापु का लंड मेरी चूत के आखरी हिस्से तक जाकर मेरी बचचेदानी को ठोकरें मार रहा था । बापू का लंड जैसे ही पूरा अंदर घुसता मेरा अंग अंग काम्प उठता, मुझे इतना मजा आ रहा था की मैं बापू का लंड निकलते ही अपने चूतड़ ऊपर उछालते हुए उसे अपनी चूत में वापस लेने लगती और बापू जैसे ही अपना लंड ज़ोर से मेरी चूत में पेलते मेरे मूह से ज़ोर की सिसकी निकल जाती ।
बापु भी अपना पूरा लंड बाहर निकालकर अंदर डाल रहे थे, उनके हर धक्के के साथ मेरा पूरा शरीर हिल रहा था । बापू ५ मिनट तक मेरी चूत में अपना मुसल लंड अंदर बाहर करने के बाद हाँफने लगे ।
मैंने महसूस किया की बापू का लंड मेरी चूत में फूल रहा है । बापू का लंड फूलने से उनका लंड मुझे अपनी चूत में ज़ोर की रगड देने लगा, आअह्ह्ह बेटी ओह्ह्ह मैं आया । बापू ने इतना ही कहा था की उनके लंड से कुछ गरम निकलकर मेरी चूत में गिरने लगा, मेरी चूत उस गरम अह्सास के साथ ही झटके खाने लगी और मैं भी आह्ह्ह्ह इश करते हुए तीसरी बार झरने लगी।
बापु जी झरने के बाद मेरे ऊपर ही ढेर हो गये और मेरे होंठो को चूमते हुए कहने लगे "बेटी तुम बुहत अच्छी हो, मेरा कितना ख़याल करती हो" । बापू ने उस रात मुझे दो बार और चोदा, इस बार उन्होंने मुझे कई तरीक़ों से चोदा।
तींन बार की चुदाई के बाद हम दोनों को गहरी नींद आ गयी । सुबह जब मैं उठी तो खटिया पर बिछायी चादर को देखकर चोंक गयी ।
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09-24-2019, 01:47 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
चादर पूरी मेरी चूत के निकले खून से लाल हो चुकी थी । मैंने घबराते हुए बापू को उठाया, बापू ने मुझे कहा "यह खून पहली बार में हर लड़की से निकलता है, तुम्हें घबराने के कोई ज़रुरत नही।
मैं खटिया से उठकर बाथरूम जाने लगी, मैं ठीक तरह से चल भी नही पा रही थी और मेरी चूत तीन बार बापू के मुसल लंड से चुदकर सुज चुकी थी । उस दिन बापू मेरे लिए पेन किलर गोलियां ले आये जिन्हें खाकर मेरा दर्द कम हो गया और तब से जब तक मैं बापू के साथ थी ।वह मुझे डेली चोदते थे।घर में हर जगह उन्होंने मुझे चोदा।रात तो रात दिन में भी वो मुझे चोदते थे।हर जगह उन्होंने मुझे चोदा।किचन में बाथरूम में छत पर आँगन में।
मैं अपने बाप का एक बच्चा भी गिरा चुकी हूँ । यहाँ आने के बाद मुझे अपनी चूत की खुजली तंग करने लगी, इसीलिए मैंने कॉलेज में अपने कई दोस्त बना लिये जो मेरी चूत की खुजलि मिटाते हैं ।
कंचन अपनी सहेली की सारी बात सुनकर हैंरान रह गयी।
"कंचन अब बता क्या कहती हो?" नीलम ने कंचन से पुछा।
"नीलम तुम्हारी बात सुनकर मेरी हालत ख़राब हो गई है" कंचन ने नीलम से कहा।
"तो आज ही विजय का लंड अपनी चूत में ले ले" नीलम ने कंचन को कहा ।
"नीलम सच बताओं मैंने अपने भाई को अपने हुस्न का जलवा दिखाया है और वह मुझ पर लटू हो गया है" कंचन ने नीलम से कहा।
"तो प्रॉब्लम क्या है, ले ले अपने भाई से" नीलम ने खुश होते हुए कहा ।
"नीलम मैं अपने भाई के लंड से डर गयी थी, उसका बुहत लम्बा और मोटा है" कंचन ने नीलम से कहा।
"अरे पगली तुम तो ख़ुशनसीब हो जो घर में ही तगडा लंड मिल गया, जल्दी से उससे छुडवाले कुछ नहीं होगा तुम्हें" नीलम ने कंचन को समझाते हुए कहा । दोनों को बातों बातों में पता ही नहीं चला। कॉलेज की छुट्टी हो चुकी थी।
कंचन ने नीलम से कहा "छुट्टी हो गई है, भैया मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे"।
"हा अब तुम हमें लिफ्ट कहाँ दोगी, जाओ अपने बड़े लंड वाले भैया के पास" नीलम ने कंचन को चिढाते हुए कहा ।
"नीलु की बच्ची में तुम्हें नहीं छोड़ूँगी" नीलम की बात सुनकर कंचन ने धक्का देते हुए उसे बालों से पकड लिया।
"ओह सॉरी छोड़ दे आगे से नहीं कहूँगी" नीलम ने दर्द से चिल्लाते हुए कहा । कंचन वहां से उठकर कॉलेज से बाहर जाने लगी ।
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09-24-2019, 01:47 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
गेट पर विजय और कोमल खडी थी । तीनों साथ में एक रिक्शा पर बैठ गये, रिक्शा के चलते ही कंचन ने अपना हाथ विजय की जाँघ पर रख दिया । विजय अपनी बड़ी बहन का हाथ अपनी जाँघ पर महसूस करते ही सिहर उठा।
कंचन अपना हाथ वहीँ रखे ही विजय से बातें करने लगी । कंचन रिक्शा में बीच में बैठी थी और वह थोडा आगे सरक कर बैठी थी जिस वजह से कोमल को कुछ नज़र नहीं आ रहा था । विजय ने भी मोका देखकर अपना हाथ अपनी बड़ी बहन के हाथ के ऊपर रख दिया।
विजय अपने हाथ से अपनी बड़ी बहन का हाथ सहलाने लगा । कंचन ने भी कोई विरोध नहीं किया, अचानक कंचन को ऐसा महसूस हुआ की उसका हाथ आगे सरक रहा है, कंचन ने देखा की उसका भाई उसके हाथ को आगे सरकाते हुए अपनी पेंट की तरफ कर रहा है ।
कंचन ने अपने हाथ को ढीला छोड दिया । विजय ने अपनी बड़ी बहन का हाथ ढीला होते ही अपनी पेंट की ज़िप के अंदर रख दिया, कंचन का सारा शरीर सिहर उठा क्योंके विजय की पेंट की ज़िप खुली हुयी थी ।
कंचन को अपना हाथ ठीक अपने छोटे भाई के अंडरवियर में खडे लंड पर महसूस हुआ । कंचन जानबूझकर अपना हाथ अपने छोटे भाई के अंडरवियर पर घुमाने लगी, विजय अपनी बहन का हाथ अपने अंडरवियर में खडे लंड पर पड़ते ही मज़े से हवा में उड़ने लगा ।
कंचन ने अपने छोटे भाई के लंड को सहलाते हुए उसे अचानक अपनी ऊँगली दबा दिया और अपना हाथ वहां से खींचकर दूर कर दिया, आअह्ह्ह अपने लंड पर दबाव पड़ते ही विजय के मूह से हलकी चीख़ निकल गई।
"क्या हुआ भाई?" कंचन ने अन्जान बनते हुए विजय से कहा।
"कुछ नहीं मच्छर ने काट दिया" विजय ने जल्दी से कहा।
"यहां पर भी मच्छर है" कंचन ने हँसते हुए कहा । अचानक रिक्शा रुक गया उनका घर आ चुका था ।
सभी खाना खाने के बाद सोने के लिए अपने कमरों में चले गए । कंचन की आँखों से नींद ग़ायब थी वह सोच रही थी की कब रात हो और वह अपना भैया का लंड अपनी चूत में ले, अचानक उसने सोचा क्यों न वह अपने भैया के कमरे में जाकर देखे की वह क्या कर रहा है ।
कंचन अपने कमरे से जाते हुए अपने भाई के रूम में आ गयी । कंचन ने अंदर आते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया, कंचन ने देखा की विजय बाथरूम में नहा रहा है। वह चुपचाप वहां बेड पर जाकर बैठ गयी ।
विजय ने जैसे ही नहाने के बाद अपना जिस्म टॉवल से पोछ लिया उसे याद आया के वह नए कपड़े तो लाना भूल गया । विजय वह छोटा सा टॉवल ही लपेट कर बाहर निकलने लगा, बाथरूम का दरवाज़ा खोलते ही उसे सामने बेड पर अपनी बड़ी बहन बैठी हुयी नज़र आई।
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09-24-2019, 01:49 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
विजय को अपनी बहन पर बुहत प्यार आ रहा था, वह अपनी बहन के गालों को चूमते हुए उसके काँधे को चूमने लगा । कंचन की नरम चुचियां अपने भाई के ठोस सीने में दबा हुआ था और वह मज़े से आहें भर रही थी।
कंचन का सारा जिस्म तपकर आग बन चुका था।उसने अपने भाई को बालों से पकडते हुए उसके होंठ अपने होंठो पर रख दिये । कंचन हवस के मारे अपने भाई के दोनों होंठो को चूसते हुए हल्का काटने लगी, विजय की हालत भी ख़राब हो चुकी थी । उसका लंड अपने बड़ी बहन की पेंटी पर रगड रहा था ।
विजय ने अपनी जीभ अपनी बड़ी बहन के मूह में डाल दिया, कंचन फ़ौरन अपने छोटे भाई की जीभ को पकडकर चाटने लगी । कंचन अपने भाई की जीभ को जी भरकर चाटने के बाद अपनी जीभ को अपने छोटे भाई के मुँह में डाल दिया ।
विजय अपनी बहन की जीभ अपने मूह में आते ही पागल हो गया और बुहत ज़ोर से कंचन की जीभ को चाटते हुए अपना हाथ नीचे ले जाते हुए उसकी चूचि को सहलाने लगा । विजय को अपनी बहन की जीभ का स्वाद शहद से ज़्यादा मीठा लगा रहा था ।
विजय अचानक अपनी बहन के ऊपर से उठते हुए उसे उलटा कर दिया । विजय अपनी बहन को उल्टा करने के बाद उसके ऊपर लेट गया, विजय का लंड अब सीधा उसकी बड़ी बहन के मांसल चूतड के बीच रगड खा रहा था । विजय अपनी बहन के चिकने पीठ को चूमते हुए उसका ब्लाउज खोलने लगा।
ब्लॉउस खोलने के बाद विजय ने अपनी बहन की ब्रा के हुक भी खोल दिए । विजय अब अपनी जीभ को निकालकर अपनी बहन के पीठ पर घुमाते हुए नीचे होने लगा ।
"आह्हः शहहह कंचन के मूह से ज़ोर की सिसकिया निकल रही थी", विजय नीचे होता हुआ अपनी बहन की भारी चुतडो तक आ गया । विजय अपनी बहन के गोर मोटे मोटे चुतडो को अपनी जीभ से चाटते हुए उसे अपने दाँतों से हल्का काटने लगा।
"उह आह" अपने भाई के दाँत अपनी नरम मोटे चुतडों पर पड़ते ही कंचन के मूह से हलकी चीख़ निकल गयी ।
विजय ने अपने बड़ी बहन की पेंटी में हाथ डालकर उसे उतारने लगा।
"नही विजु इस वक्त नही" मगर उसी वक्त कंचन ने अचानक सीधा होते हुए कहा।
"अब क्या हुआ दीदी?" विजय ने दुखी होते हुए कहा।
"वीजू इस वक्त दिन है और कोई भी आ सकता है, मैं रात को आऊँगी" कंचन ने अपना डर विजय को बताया,
"मगर दीदी रात तक मैं सबर नहीं कर सकता" विजय ने मूह बनाते हुए कहा । कंचन को अपने भाई की यह अदा बुहत पसंद आई।
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09-24-2019, 01:50 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
अनिल अचानक अपनी बेटी और उनके बच्चों को देखकर हैंरानी से खुश होते हुए बेड से उठ गया । मनीषा भागते हुए अपने पिता के गले जा लगी, अनिल सिर्फ धोती में था और उसका लंड भी अभी सुस्त नहीं हुआ था ।
मनिषा के गले लगते ही उसकी चुचियां अपना पिता के सीने में दब गयी । अनिल का लंड अपनी बेटी की चुचियां अपने सीने में दबने से तनने लगी, मनीषा ख़ुशी में अपने पिता को गले लगाकर उनसे चिपक गयी थी ।मनीषा को अचानक महसूस हुआ की उसके चूत के पास कोई चीज़ रगड खा रही है।
मनिषा को जैसे ही अहसास हुआ की वह उसके पिता का लंड है वह जल्दी से अपने पिता से दूर होगई । अनिल ने अपनी बेटी के अलग होते ही शर्म से अपने लंड को अपने हाथ से अपनी टांगों के बीच छुपाने लगा।
" आप बाबू जी से बातें करो मैं अपने बच्चों को लेकर आती हू" रेखा यह कहते हुए वहां से चलि गयी । रेखा के जाते ही मनीषा की दोनों बेटियाँ और बेटे अनिल के पाँव पडकर उससे आशीवार्द लेने लगे, अनिल उनको आशीवार्द देते हुए बेड पर बैठ गया ।
अनिल के बेड पर बैठते ही मनीषा भी उनके साइड में बैठ गयी । नरेश और उसकी बहनें सोफ़े पर जाकर बैठ गये, रेखा विजय और अपनी दोनों बेटियों को लेकर कमरे में आ गयी । रेखा के तीनों बच्चे मनीषा को देखते ही उनके पाँव पडकर आशिर्वाद लेने लगे ।
मनिषा ने तीनों को अशिर्वाद देते हुए गले से लगा लिया और रेखा से कहा "भाभी भगवान की कृपा से हमारे बच्चों की तरह हमारे भाई के बच्चे भी जवान हो चुके है। विजय और उसकी दोनों बहनें अपने कजिन भाई बहनों से मिलने लगे।
"चलो हमारे कमरे में चलते है" विजय ने सब से कहा। विजय की बात सुनकर सभी वहां से उठकर विजय के कमरे में जाने लगे ।
"दीदी आप बातें करो में चाय बनाकर आती हूँ" बच्चों के जाते ही रेखा ने उठते हुए कहा ।
"बाबूजी और बताओ आप कैसी हो?" रेखा के जाते ही मनीषा ने अपने पिता से सवाल किया।
"बेटी भगवान् की कृपा से हम बुहत खुश है, हमारी बहु हमारा बुहत ख़याल रखती है" अनिल ने अपनी बेटी को जवाब देते हुए कहा।
"वो तो देख रही हूँ बापु" मनीषा ने शरारती मुसकान के साथ अपने पिता की धोती की तरफ देखते हुए कहा।अनिल अपनी चोरी पकडे जाने पर झेंपते हुए अपनी धोती को ठीक करने के बहाने अपने लंड को अपनी टांगों के बीच दबा दिया ।
"बेटी रमेश कैसा है" अनिल ने बात को बदलते हुए कहा।
"वो बिलकुल ठीक है बाबूजी" मनीषा ने अपने पिता से कहा । तभी रेखा चाय लेकर आ गयी, रेखा पहले बच्चों को चाय देने के बाद इधर आई थी । रेखा ने चाय की ट्रे टेबल पर रखते हुए उस में से दो कप उठाकर मनीषा और अनिल को दे दिए और खुद जाकर सोफ़े पर बैठ गई।
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09-24-2019, 01:50 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
"भाभी भैया नहीं दिख रहें हें?" मनीषा ने रेखा के बैठते ही सवाल किया।
"उन्होने फ़ोन करके बताया था की उन्हें ऑफिस में काम है इसीलिए वह देर से आयेंगे" रेखा ने चाय पीते हुए कहा ।
"मानिषा दीदी हमारे घर में टोटल 6 कमरे हैं जिन में से एक ही खाली है, बच्चों को हमारे बच्चों के साथ सोना होगा" रेखा ने अपनी परेशानी के बारे में मनीषा को बताते हुए कहा ।
"अरे बेटी बच्चे अपने आप आपस में सो जाएंगे, तुम परेशान क्यों होती हो" अनिल ने अपनी बहु से कहा।
"हा दीदी बाबू सही कह रहें हैं" मनीषा ने भी रेखा को परेशान देखकर कहा । उसके बाद वह तीनों आपस में बाते करने लगे ।
इधर रेखा और मनीषा के बच्चे आपस में बुहत अच्छे दोस्त बन चुके थे । विजय की शीला, नरेश की कंचन और पिन्की की कोमल से बुहत दोस्ती हो गई थी, वह आपस में बुहत घूल मिल गए थे । क्योंके इन सब की सोच एक दुसरे से मिलती थी।
ऐसे ही बाते करते हुए मुकेश भी आ गये और अपनी दीदी और उनके बच्चों को देखकर खुश होते हुए उन सब से मिलकर बातें करने लगे । रेखा रात का खाना बनाने लगी और सभी खाना खाने के बाद सोने की तयारी करने लगे।
रेखा ने अपने बच्चों से कहा "विजय नरेश, शीला कंचन और पिन्की कोमल के कमरे में सोयेंगे" रेखा की बात सुनकर सभ ख़ुशी ख़ुशी मान गए और अपने अपने कमरों में चले गए । मनीषा अपने कमरे में जाकर अपना सामन रखते हुए लेट गयी ।
मनिषा को अपने बापू के ब्यवहार से बुहत शक हो रहा था, वह करवटे लेते हुए सोचने लगी की जब वह आये तो दरवाज़ा अंदर से बंद था । और रेखा ने बुहत देर के बाद दरवाज़ा खोला था ।
अपने बापू को जब वह गले लगी तो उनका लंड खडा होकर मनीषा की चूत टकरा रहा था, इससे पहले कभी उसके बापू से मिलते हुए उसके साथ ऐसा नहीं हुआ था । मनीषा का दिमाग चकरा रहा था उसे पूरा शक था के ज़रूर उसके बापू और रेखा के बीच कोई खिचड़ी पक रही है और वह पता लगाकर रहेगी के आखिर चक्कर क्या है।
इधर नरेश विजय के साथ बेड पर लेटते ही उससे गप मारते हुए पुछा।
"यार विजु कभी किसी लड़की को चोदा है?" । विजु और नरेश दोनों गर्मी होने के सबब सिर्फ अंडरवियर में सोये थे ।
"नही यार हमारी ऐसी किस्मत कहा" विजय ने मायूस होते हुए कहा।
"अरे यार फिर तुम कैसे अपने लौडे को ठण्डा करते हो। मैं तो कॉलेज की कई लड़कियों को चोद चूका हू" नरेश ने विजय से कहा।
"यार बस मुठ मार लेता हू" विजय ने नरेश से कहा ।
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