09-25-2019, 03:47 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
"हाँ बेटी तुम्हारा अपना ही घर है" अनिल ने कंचन की बात सुनते ही कहा । कंचन अपने दादा की बात सुनकर बाथरूम में घुस गयी । वह अपनी सलवार कमीज उतारकर नहाने लगी उसने जानबूझकर तौलिया नहीं उठाया था।
"दादा जी ज़रा तौलिया तो देना में लेना भूल गई" कुछ देर नहाने के बाद कंचन ने शावर को बंद करते हुए कहा । अनिल जो अपनी पोती के बाथरूम में जाते ही अपने हाथ से अपने लंड को सहला रहा था अपनी पोती की बात सुनकर जल्दी से तौलिया उठाकर बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा । उसका लंड अब पहले से ज्यादा अकडकर झटके मार रहा था।
"बेटी यह रहा तौलिया" अनिल ने बाथरूम के बाहर आते ही अपनी पोती को जवाब देते हुए कहा।
"थैंक्स दादा जी" कंचन ने बाथरूम का दरवाजा खोलते हुए अपने दादा के हाथ से तौलिया लेते हुए कहा और मुस्कुराकर दरवाज़ा वापस बंद कर दिया । कंचन के दरवाज़ा खोलने के बाद जो नज़ारा अनिल ने देखा वह उसे पागल करने के लिए काफी था। कंचन बिलकुल नंगी अपने भीगे बालों से अपनी चुचियों को ढके हुए और अपनी चूत के आगे अपने एक हाथ को रखे हुए अनिल के सामने आकर उससे टॉवल लिया था, जीतनी देर में कंचन ने अनिल से टॉवल लिया उतना टाइम उसके लिए अपनी पोती का जिस्म देखने के लिए काफी था।
अनिल ने आज तक इतनी ज्यादा सूंदर और ख़ूबसूरत जिस्म की मालिक लड़की नहीं देखी थी । कंचन का पूरा जिस्म अनिल की आँखों के सामने झूम रहा था उसका गोरा चिकना पेट, मांसल चुतड, चिकनी टाँगेँ, लम्बे नागिन जैसे काले भीगे बाल, शराब से ज्यादा नशीले गुलाबी लब, और उसका भरा हुआ क़यामत ढाता सीना । अनिल बेड पर आकर बैठ गया। उसका मन कर रहा था की जैसे ही कंचन बाथरूम से निकले वह उसे अपनी बाहों में भरकर उसके होंठो का सारा रस निचोड ले और यही सब सोचते हुए अनिल का लंड झटके खा रहा था, कंचन अपने कपडे पहनकर बाथरुम से बाहर निकल चुकी थी जिसे देखकर अनिल को फिर से एक झटका लगा।
कंचन की चुचियाँ फिर से उसकी कमीज में साफ़ नज़र आ रही थी । शायद कंचन ने अपनी चुचियों से पानी को ठीक तरीके से साफ़ नहीं किया था जिस वजह से वहां का हिस्सा भीगने की वजह से साफ़ नज़र आ रहा था।
"दादा जी क्या देख रहे हो ताज़ा दूध पीना है न?" कंचन ने अपने दादा के बिलकुल पास खड़े होकर नीचे झुकते हुए कहा।
"जी बेटी पीना है जल्दी से पिलाओ ना" अनिल ने अपनी पोती के झुकने से उसकी नंगी चुचियों को घूरते हुए कहा । उत्तेजना के मारे अनिल के माथे से पसीना टपक रहा था।
"दादा जी अभी पिलाती हूँ आप हमारी आइसक्रीम का बंदोबस्त करे" कंचन ने अपने हाथ से अनिल के माथे के पसीने को पोछते हुए कहा और सीधी होकर कमरे से निकल गयी।
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