09-26-2019, 12:19 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
इसी स्थिति में महेश ने अपनी बहू नीलम की चूत में लंड पेल दिया और दस बारह धक्के लगा कर नीलम को तैयार किया. फिर महेश ने नीलम की दोनों टांगों को दायें बाएं फैला के लंड को उसके गांड के छेद से सटा दिया और उसके कूल्हों पर चपत लगाने लगा, पहले इस वाले पे, फिर उस वाले पे.
नीलम बेटी , जरा अपनी गांड को अन्दर की तरफ सिकोड़ो और फिर ढीली छोड़ दो.”
“कोशिश करती हूँ पिताजी.” नीलम बोली और अपनी गांड को सिकोड़ लिया. उसकी गांड के झुर्रीदार छेद में हलचल सी हुई और उसका छेद सिकुड़ गया.
“गुड वर्क, बेटी. ऐसे ही करो तीन चार बार!”
महेश के कहने पर नीलम ने अपनी गांड को तीन चार बार सिकोड़ के ढीला किया.
“बेटी, अब बिलकुल रिलैक्स हो जाओ. गहरी सांस लो और गांड को एकदम ढीला छोड़ दो.”
नीलम ने बिल्कुल वैसा ही किया.
“नीलम बेटी, गेट रेडी, मैं आ रहा हूँ.” महेश ने कहा. और लंड से उसकी गांड पर तीन चार बार थपकी दी.
“पिता जी आराम से”नीलम बोली।
“आराम से ही जाएगा बेटी, बस तू ऐसे ही रहना; एकदम रिलैक्स फील करना.”
गांड के छेद का छल्ला थोड़ा सख्त होता है. लंड एक बार उसके पार हो जाए फिर तो कोई प्रॉब्लम नहीं आती. अतः महेश ने अपनी फोरस्किन को कई बार आगे पीछे करके सुपाड़े को तेल से और चिकना किया और नीलम की गांड पर रख कर उनकी कमर कस के पकड़ ली और लंड को ताकत से पेल दिया गांड के भीतर.
लंड का टोपा पहले ही प्रयास में गप्प से नीलम की गांड में समा गया. उधर नीलम जलबिन मछली की तरह छटपटाई- उई मम्मी रे… बहुत दर्द हो रहा है, पिताजी… फाड़ ही डाली आपने तो; हाय राम मर गयी, हे भगवान् बचा लो आज!
नीलम ऐसे ही चिल्लाने लगी.
ऐसे अनुभव महेश को पहले भी अपनी पत्नी के साथ हो चुके थे, वो भी ऐसी ही रोई थी और रो रो कर आसमान सिर पर उठा लिया था, बाद में जब मज़ा आने लगा था तो अपनी गांड हिला हिला के लंड का भरपूर मज़ा लिया था।
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09-26-2019, 12:20 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
महेश जानता था कि बस एक दो मिनट की बात थी और बहू भी अभी लाइन पर आ जायेगी. अतः वह बहू की चीत्कार, रोने धोने को अनसुना करके यूं ही स्थिर रहा और उसकी पीठ चूमते हुए नीचे हाथ डाल कर उसके बूब्स की घुन्डियाँ मसलता रहा और उसे प्यार से सांत्वना देता रहा.
उधर बहू बेड पर अपना सिर रख के सुबक सुबक के रोती रही.
कुछ ही मिनटों बाद महेश को अनुभव हुआ कि उसके लंड पर गांड का कसाव कुछ ढीला पड़ गया साथ ही बहू भी कुछ रिलैक्स लगने लगीं थी. हालांकि रोते रोते उसकी हिचकी बंध गई थी.
“नीलम बेटी, अब कैसा लग रहा है?” महेश ने लंड को गांड में धीरे से आगे पीछे करते हुए पूछा.
“पहले से कुछ ठीक है पिताजी, लेकिन दर्द अब भी हो रही है.”
“बस थोड़ी सी और हिम्मत रखो बेटी, दर्द अभी ख़त्म हो जाएगा फिर तुझे एक नया मज़ा मिलेगा.”
महेश लंड को यूं ही उसकी गांड में फंसाए हुए उसके चूतड़ सहलाता और मसलता रहा; बीच बीच में पीठ को चूम कर चुचियाँ दबाता रहा. कुछ ही मिनटों में नीलम नार्मल लगने लगी, लंड पर उसकी गांड की जकड़ कुछ ढीली पड़ गई और उसकी कमर स्वतः ही लंड लीलने का प्रयास करते हुए आगे पीछे होने लगी.
“पिता जी, अब थोडा मज़ा आ रहा है. जल्दी जल्दी करो अब!” बहू ने अपनी गांड उचका के दायें बाएं हिलाई.
“आ गई ना लाइन पे, बहुत चिल्ला चिल्ला के रो रो के दिखा रही थी अभी!” महेश बहू के चूतड़ों पर चांटे मारते हुए कहा.
“अब मुझे क्या पता था कि पीछे वाली भी दर्द के बाद इतना ढेर सारा मज़ा देती है.”नीलम बोली।
“तो ले बेटी, अपनी गांड में अपने ससुर के लंड का मज़ा ले.” महेश ने कहा और लंड को थोडा पीछे ले कर पूरे दम से पेल दिया बहू की गांड में.
“लाओ, दो पिता जी.. ये लो अपनी बहू की गांड!” नीलम बोली और अपनी गांड को अपने ससुर के लंड से लड़ाने लगी.
“शाबाश बेटी, ऐसे ही करती रह.” महेश ने बहू की पतली कमर दोनों हाथों से कसके पकड़ के उसकी गांड में लंड से कसकर ठोकर लगाई, साथ में नीचे उसकी चूत में अपनी बीच वाली उंगली घुसा के अन्दर बाहर करने लगा.
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
अगले दिन जब समीर ऑफिस चला गया और नीलम सोने चली गई तो महेश धीरे से अपनी बेटी ज्योति के बेडरूम में घुस गया।
वहाँ ज्योति अभी अभी बाथरूम से नहा कर निकली थी और सिर्फ पेंटी और ब्रा में बहुत सेक्सी दिख रही थी।
महेश ने अपनी बेटी को अपनी बाहों में भर लिया और अपनी बेटी ले रसीले होंठो को चूसना शुरू कर दिया।
फिर महेश अपनी बेटी की पेंटी को सूंघने लगा।
पिताजी, किसकी खुश्बू ज़्यादा अच्छी लगी, मेरी पेंटी की या चूत की?”ज्योति बोली।
“अरे बेटी, दोनो ही बहुत मादक हैं.कहकर महेश ने अपनी बेटी के पेंटी को निचे करके निकाल दिया और बेड पर बिठाकर अपनी बेटी ज्योति की गीली चूत को चाटने लगा
“हाय पिताजी, अब तो ये चूत और पेंटी दोनो आपकी है, जब मन करे ले लीजिए.” काफ़ी देर चूत चाटने के बाद महेश खड़े हुए और अपने मोटे लंड का सूपाड़ा अपनी बेटी ज्योति के होंठों पे टीका दिया. ज्योति ने जीभ निकाल के सुपारे को चाटा और फिर पूरा मुँह खोल के उस मोटे मूसल को मुँह में लेने की कोशिश करने लगी. बड़ी मुश्किल से उसने महेश का लंड मुँह में लिया. अपने बाप का लंड चूस के तो ज्योति धन्य हो गयी। महेश अपनी बेटी के मुँह को पकड़ के उसके मुँह को चोदने लगे. उनके मोटे मोटे बॉल्स नीचे पेंडुलम की तरह झूल रहे थे. फिर महेश ने ज्योति के मुँह से लंड निकाला और उसके होंठों को चूमते हुए बोले,
“ज्योति मेरी जान, अब अपनी प्यारी चूत को चोदने दो.” ज्योति चुदवाने की मुद्रा में अपनी टाँगें चौड़ी कर के मोड़ ली. अब ज्योति की चूत उसके बाप के सामने थी.
“लीजिए पिताजी, अब मेरी चूत आपके हवाले है.” महेश ने अपना मोटा सुपारा ज्योति की चूत के मुँह पे टीका दिया. ज्योति का दिल ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगा. आख़िर वो घड़ी भी आ गयी थी जब पापा का लंड कई दिनों के बाद फिर से उसकी चूत में जाने वाला था. महेश ने लंड के सुपारे को ज्योति की चूत के कटाव पे थोड़ी देर रखा और फिर धीरे से उसकी चूत में दाखिल कर दिया.
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