09-26-2019, 01:16 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
"हहिईीईईईईईईईईईईई........हाए....हाए .....मेरी चूत......उफफफफ्फ़....चोद....चोद मुझे.....चोद बेटा........चोद अपनी माँ को......,उफफफफफफफफ्फ़...,,चोद मुझीईई......" रेखा ने आपनी टाँगे विजय के कमर पर कस दीं थी.विजय ने भी कमर खींच कर लंड पेलना शूरू कर दिया. पहले धक्के से ही उसकी माँ अपनी कमर उछालने लगी. जितना ज़ोर विजय उपर से लगाता, उतना ही ज़ोर रेखा कंधे थामे नीचे से लगाती. दोनों की ताल से ताल मिल रही थी. लंड और चूत खटक खटक एक दूसरे पर वार पे वार कर रहे थे. उस ठंडे मौसम में भी उन दोनो माँ बेटे के बदन पसीने से भीगने लगे थे.
"हाए चोद....ऐसे ही चोद........मार मेरी चूत.........उउउफफफफ्फ़.......कस कस के मार मेरी चूत............चोद दे अपनी माँ को.......चोद दे अपनी माँ को मेरे लाल......" रेखा पूरी बेशरमी पर उतर आई थी जैसे विजय ने उसे मजबूर कर दिया था जो भी हो मगर उस घमसान चुदाई का एक अलग ही मज़ा था.
"ले......ले मेरा लंड माँ.......,,,चुदवा ले अपने बेटे से.......ऐसा चोदुन्गा जैसे आज तक ना चुदि होगी तू.........."विजय ताबड़तोड़ धक्के मारता अपना पूरा ज़ोर लगा रहा था.
"आजा मेरे लाल....चोद ले अपनी माँ को.........चोद ले हाए.............हाए मेरे मम्मे मसल........मसल मेरे मम्मों को..........ऐसे ही पूरा लंड जड़ तक पेल मेरी चूत में ........हाए....हाए......" रेखा हर धक्के पर और भी गहराई तक लंड घुसेड़ने की कोशिश करती. विजय के हाथ पूरी बेरेहमी से माँ की बड़ी बड़ी चुचियों को मसल रहे थे. इतनी बेरहमी से शायद वो आम हालातों मे बर्दाशत ना कर पाती मगर इस समय जितना विजय उससे ज़ोर आज़माइश करता उतना ही उसे मज़ा आता.
"ऐसे ही चुदवा बेशर्म बनके माँ......ऐसे ही.....हाए बड़ा मज़ा आता है मुझे.....जब...तू...हाए......उफफफ़फ़गगग अपनी गांड उछालती है......"विजय बोला
"बस तू अपना लॉडा पेलता रह मेरे बेटे ..........अपनी माँ को ठोकता रह.........हाए....जितना तू चाहेगा........ उससे ज़्यादा ...........तेरी माँ बेशर्म बनके तुझसे चुदवायेगी..........मेरे लाल.....मेरे बच्चे.......अपनी माँ की ले ले .....ले ले अपनी माँ की......"रेखा मस्ती में बोली।
"तू देखती जा कैसे चोदता हूँ तुझे .........साली कुतिया बनाकर चोदुंगा तुझे........कुतिया बनाकर विजय बोला।
वासना मे इंसान क्या नहीं बोल देता।
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
"मेरा भी निकलने वाला है माँ.....हाए ...बस थोड़ी देर माँ ........."विजय उन पलों को कुछ देर और बढ़ाना चाहता था मगर जिस ज़ोर से उसने चुदाई की थी अब ज़्यादा देर वह टिकने वाला नही था. उन आख़िरी धक्कों के बीच विजय का ध्यान अपनी माँ की गान्ड के उस बेहद छोटे भूरे छेद पर गया और अगले ही पल उसके मन में एक नया विचार आया.
"माँ हाए मेरा तो....अभी...उफ़फ्फ़ ध्यान ही नही गया.......तुम्हारी...,गान्ड कितनी .........टाइट है.......उफफफफफ्फ़...बड़ा मज़ा आएगा...,तेरी गान्ड मारने में........" विजय एक हाथ उठाकर दोनो चुतड़ों के बीच की खाई में डाल अपनी माँ की गान्ड का छेद रगड़ने लगा. उसने अपनी एक उंगली माँ की गान्ड में घुसा दी.
"आआआआआआहह..." रेखा चिहुक पड़ी. विजय ने चूत में लंड पेलते हुए उसकी गान्ड में जब उंगली आगे पीछे की. बस अगले ही पल उसकी माँ का पूरा जिस्म काँपने लगा, चूत संकुचित होने लगी वो चीखती, चिल्लाती विजय के लंड पर अपनी चूत रगड़ती छूटने लगी. उसके छूटते ही विजय का भी बाँध ढह गया और उसके लंड से भी वीर्य की गरमागरम पिककारियाँ छूटने लगीं. उसकी माँ सिसक रही थी, कराह रही थी, विजय भी हुंकारे भर रहा था.
आह्ह्ह्ह 'बेटा....बेटा' कह रही थी और विजय के मुख से 'माँ...माँ......ओह माँ' फुट रहा था. ऐसे स्खलन के बारे में कभी सोचा तक नही था.
माँ बेटा दोनो बुरी तरह थक कर पस्त हो चुके थे. किसी में भी हिलने का दम नही था. आधे से भी ज़्यादा घंटे तक रेखा और विजय बिना हीले डुले पड़े रहे. अंत में रेखा ने ही हिम्मत दिखाई. उसने कपड़े पहने ।
हाए देख तो इस हरामी को कैसे अंदर घुसने को बेताब है" माँ विजय के लंड के उपर अपनी उंगलिया फिराती बोली.
"तेरी चूत का दीवाना हो गया है माँ, देख कैसे तड़प रहा है, अब इसे तरसा मत माँ" विजय अपनी माँ के बड़ी बड़ी चुचियों को सहलाता बोला.
"हाए नही तरसाती इसे बेटा..........इसे क्यों तर्साउन्गी....इसने तो वो मज़ा दिया है....हाए इसे जो चाहिए वो मिलेगा.......और देख मेरी चूत भी कैसे रो रही है" रेखा ने अपने कूल्हे उठाए. एक हाथ से विजय का लंड पकड़ा और उसे अपनी चूत पर सही जगह पर अड्जस्ट किया. फिर धीरे धीरे नीचे बैठने लगी. एक बार सुपाडा अंदर घुस गया तो उसने सिसकते हुए अपना हाथ हटा लिया और अपने बेटे के कंधो पर दोनो हाथ रख नीचे कर विजय के लंड पर बैठने लगी.
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09-26-2019, 01:17 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
चूत पूरी गीली थी. जैसे जैसे लंड अंदर घुसता गया उसकी माँ की आँखे बंद होती गयी, वो सिसकती हुई पूरा लंड लेकर विजय के गोद में बैठ गयी. उसकी आँखे भींची हुई थी. उसकी माँ के मुख पर एसी मादकता ऐसा रूप पसरा हुआ था कि विजय ने उसके चेहरे पर चुंबनो की बरसात कर दी. सच में उस समय वो बहुत ही कामुक लग रही थी.
"उफ़फ्फ़....कितना बड़ा है.लंड तेरा.......एकदम फैला कर रख दी है इसने" रेखा ने आँखे खोल कर कहा.
"चिंता मत करो, दो चार दिन खूब चुदवायेगी तो आदत पड़ जाएगी" विजय की बात सुनकर माँ ने उसकी छाती पर थप्पड़ मारा. विजय हँसने लगा.
"मज़ाक नही कर रही हूँ,'बहुत दुख रही है मेरी चूत, सूज भी गयी है" रेखा विजय के कंधे थामे थोड़ा थोड़ा उपर नीचे होती चुदवाने लगी.
"चिंता मत करो माँ आगे से यह परेशानी नही होगी"विजय बोला।
"क्या मतलब?" उसकी माँ अब हल्की से स्पीड पकड़ रही थी. लंड भी काफ़ी गहराई तक जा रहा था.
आज जैसी तेरी चुदाई होती ही रहा करेगी"
"आज जैसी चुदाई.......?" विजय ने माँ को एक पल के लिए रोका, और थोड़ा सा घूम कर बेड पर लेट गया. विजय ने अपनी टाँगे घुटनो से मोड़ कर खड़ी कर दी और माँ को इशारा किया, माँ उसके घुटनो पर हाथ रखे विजय के लंड पर उपर नीचे होती ठुकवाने लगी.
"आज जैसी चुदाई माँ.......आज जैसी चुदाई..........जैसे आज तुझे कुतिया की तरह चोदा था वैसे ही चोदा करूँगा"विजय बोला।
विजय के मुँह से वो लफ़्ज सुन कर उसकी माँ अपने होंठ काटती अपने बेटे की आँखो में देखने लगी. उसकी स्पीड एक जैसी थी, मगर अब फ़ायदा ये था वो उपर उठाकर लंड चूत से सुपाडे तक बाहर निकालती और फिर पूरा अंदर वापस ले लेती. विजय अपनी माँ को उपर नीचे होता देख उसकी पतली कमर पर उन भारी मम्मों की सुंदरता को निहार रहा था और उसकी उछलती हुई बड़ी बड़ी चूचियों को देख रहा था।
"अब चुप क्यों हो गयी....बोलती क्यों नही......मेरी कुतिया नही बनेगी क्या?"विजय उसके मम्मों को मसलता बोला.
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