09-24-2019, 01:44 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
कंचन का आज कॉलेज में बिलकुल मन नहीं लग रहा था, फ्री पीरियड होते ही वह पार्क में जा बैठी । कंचन जो रोज़ नीलम के न आने की दुआएँ करती थी आज उसका दिल कह रहा था की भगवान करे की नीलम आज आ जाये और वह उससे कुछ पूछ सके ।
"क्या सोच रही हो मेरी रानी" नीलम ने आते ही कंचन को गुमशूम देखकर कहा।
"नीलम तुम आ गई" कंचन ने उसे देखते ही खुश होते हुए कहा ।
"क्यों कोई काम था" नीलम ने कंचन के साथ बैठते हुए कहा।
"नही ऐसे ही कह रही थी" कंचन ने अपनी चोरी पकरे जाने पर घबराते हुए कहा।
"यार शर्मा मत जो पूछना है जल्दी पूछ, आज मुझे जल्दी घर जाना है" नीलम ने कंचन की तरफ देखते हुए कहा।
"नीलम तुम ने कल कहा था । " इतना कहकर कंचन चुप हो गई ।
"कंचन बोल न, हाँ तो क्या तुमने भी अपनी जवानी का मजा लेने का सोच लिया है" नीलम को जैसे ही कल वाली बात याद आई। उसने उछलते हुए कहा ।
"मगर नीलम मैं किसी के साथ रिस्क नहीं ले सकती" कंचन ने अपनी मजबूरी नीलम को बताते हुए कहा ।
"मैंने कहा था न की तुम अपने भाई पर ट्राई करो" नीलम ने जल्दी से कहा।
"नीलम तुम मुझे अपने सगे भाई के साथ गलत काम करने को कह रही हो, तुम्हारा भाई होता तो ऐसा करती"
कंचन ने नीलम को गुस्से से कहा ।
"कंचन अगर मेरा कोई भाई होता और वह जवान होता तो मुझे बदनाम होने की क्या ज़रूरत थी" नीलम ने कंचन को समझाते हुए कहा।
"मगर यह पाप नहीं है" कंचन ने नीलम से कहा।
"पाप पुण्य की सोचेगी तो भूखी मर जाएगी" नीलम ने कंचन से कहा।
नीलम ने कंचन को खमोश देखकर कहा "एक राज़ की बात बताउं, किसी को बताना मत ?",
"हा बताओ नीलम, मैं किसी को नहीं बताऊँगी" कंचन ने जल्दी से उतावली होते हुए कहा।
"तुम्हेँ पता है मुझे चुदाई का चस्का किसने ड़ाला था ?"
"नीलम बताओ न मुझे क्या पता" कंचन ने नीलम की बात का जल्दी से जवाब देते हुए कहा।
तुम्हेँ पता है की जब मैं १८ साल की थी तो मेरी माँ का इंतक़ाल हो गया और मेरा कोई भाई बहन भी नहीं है ।माँ के मरने के बाद मेरे बापु गुमसुम रहने लगे ।
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09-24-2019, 01:45 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
माँ को मरे हुए ३ महिने बीत चुके थे सर्दि के दिन चल रहे थे, एक रात जब खाना खाने के बाद मैं सोने के लिए खटिया पर गयी तो बापुजी को खोया हुआ देखकर मुझसे रहा नहीं गया । "मैंने बापू जी से पुछा की आप मम्मी के गुज़रने के बाद बुहत उदास रहते हो क्या बात है?" ।
बापु जी मेरा सवाल सुनकर चौंकते हुए मेरी तरफ गौर से देखते हुए बोले "बेटी तुम अब जवान हो चुकी हो इसीलिए तुम्हें मालूम होना चाहिए की औरत और मरद का आपस में क्या रिश्ता होता है, जब मरद और औरत शादी करते हैं तो वो आपस में क्या करते हैं"।
मैं उस वक्त बापु जी की बात बड़े गौर से सुन रही थी, क्योंकी उस वक्त मुझे मालूम नहीं था की मरद के पास लंड और औरत के पास चूत होती है जिसका उपयोग वह शादी के बाद करते हैं ।
बापु जी ने आगे कहा "बेटी जब कोई मरद किसी औरत से शादी करता है तो वह अपना लंड जो यहाँ होता है (अपनी धोती की तरफ इशारा करते हुए) उस औरत की चूत जहाँ से तुम पेशाब करती हो वहां डालता है, जिससे मरद और औरत दोनों को बुहत मजा आता है" बापू ने मुझे समझाते हुए कहा ।
मैं बड़े गौर से बापू की तरफ देख रही थी, उनकी धोती में मुझसे बात करते हुए बुहत बड़ा उभार बन चूका था । मुझे उस वक्त पता नहीं था की वह मेरे बापु का लंड था जो अपनी बेटी को गन्दी बातें बताते हुए खडा हो चुका था ।
"बेटी जब मरद औरत की चूत में इसे डालता है तो मज़े की चरम सीमा तक पहचने के बाद इसमें से वीर्य निकलता है जिस से औरत गारभवती होती है और मरद को बुहत मजा आता है । अब जब तुम्हारी मम्मी मर चुकी है तो हमारा लंड हमें बुहत तँग करता है, इसी लिए हम उदास है"।
बापु जी की बात सुनने से मुझे अपने जिस्म में अजीब गुदगुदी महसूस हो रही थी, मुझे उस वक्त पता नहीं था की मैं एक जवान लड़की हूँ जिसको अपने बाप के मूह से लंड और चूत के शब्द सुनने से उसकी चूत से पानी बह रहा है ।
"बापु जी जो सुख आप को माँ देती थी क्या मैं दे सकती हूँ?" मैंने बापू जी की बात सुनने के बाद मासूमियत से कहा।
"हा बेटी तुम वह हर सुख दे सकती हो, पर तुम मेरी बेटी हो" बापू जी ने मुझे समझाते हुए कहा ।
"तो क्या हुआ बापू हम आपको ऐसे उदास नहीं देख सकते" मैंने बापु जी से कहा । कंचन उस वक्त मुझे सेक्स का कोई ज्ञान नहीं था, हम गाँव में ही रहते थे और १० तक वहीँ पढे थे । हमें पता नहीं था की हम कितना बड़ा पाप कर रहे हैं ।
"मगर बेटी यह सब गलत है" बापु जी फिर से कहा।
"हम कुछ नहीं जानते, हमें अपने बापू जी को खुश देखना है" हम ने ज़िद करते हुए कहा।
"ठीक है बेटी मगर यह कभी किसी को नहीं बताना" बापू जी ने मेरी तरफ एक मरद की नज़र से देखते हुए कहा।
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09-24-2019, 01:45 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
"ठीक है बापु जी हम किसी को नहीं बताएंगे" मैंने खुश होते हुए कहा ।।।। मुझे क्या पता था की मैं अपने पाँव पर खुद कुल्हाड़ी मार रही हूं, बापू मेरी बात सुनकर अपनी चारपाई से उठते हुए मेरी चारपाई पर आकर बेठ गये ।
बापु जी सिर्फ एक धोती में थे, वह क़रीब बैठते ही मेरी तरफ गौर से देखते हुए मेरा सर अपने हाथों में पकड लिये और अपने गरम होंठ मेरे होंठो पर रख दिये, बापू जी के होंठ अपने होठो पर महसूस होते ही मेरे सारे शरीर में चींटियाँ रेंगने लगी ।
बापु हमारे होंठो को कई मिनटों तक चूसते रहे, पहले तो मुझे अजीब लगा मगर थोडी देर में मुझे बुहत अच्छा लगने लगा । बापू जी जैसे जैसे मेरे होंठो को चूसते जा रहे थे। मुझे सारे शरीर में अजीब किस्म के मज़े का अहसास हो रहा था ।
बापु जी ने अचानक अपने होंठ हमारे होंठो से हटा दिये और मुझसे कहा "बेटी अगर पेशाब लगी है तो करके आजा" । मैं हैंरान थी के बापू जी को कैसे पता लगा की मुझे पेशाब आई है, मैं बाथरूम में जाकर मूतने लगी।
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की मुझे बुहत ज़ोर की पेशाब लगी है । मगर जब मैं अपनी कच्छी को नीचे करते हुए मूतने बैठी तो मेरी छूट से थोडा ही पेशाब निकला, मैंने बुहत ज़ोर लगाये मगर कोई फ़ायदा नहीं हुआ ।
मुझे अपनी चूत में बुहत ज़ोर की सिहरन हो रही थी । मैंने अपने हाथ से जैसे ही अपनी चूत को छुआ। मैं हैंरान रह गयी मेरी चुत बुहत गीली थी, मैं वहां से उठते हुए अपनी खटिया की तरफ जाने लगी । बापू जी ने मुझे देखकर खटिया से उठते हुए मुझे खटिया के पास ही रोक लिया ।
बापु ने मेरी साड़ी को पकड कर उतार दिया । मैं अब सिर्फ पेटिकोट और पेंटी में बापू जी के सामने खडी थी, बापू मेरे आधे नंगे गोरे जिस्म को देखते हुए खटिया पर बैठ गए और मुझे कमर में हाथ ड़ालते हुए अपने क़रीब कर लिया ।
मैं खडी थी इसीलिए मेरा नंगा पेट बापू के मुँह के सामने आ गया । बापू ने अपने होंठ मेरे नंगे पेट पर रख दिया और मेरे सारे पेट को बेतहाशा चूमने लगे, मेरा नंगे पेट पर बापू के होंठ पड़ते ही मेरे सारे शरीर में झुरझुरी होने लगी।
बापु ने मेरे पेट को जी भरकर चूमने के बाद मुझे कमर से पकड कर उल्टा कर दिया । बापू मेरे उलटे होते ही मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से दबाने लगे, बापू के हाथ अपने चुतड़ों पर लगते ही मुझे अपनी चूत में ज़ोर की सनसनाहट होने लगी ।
बापु ने मेरे चुतडो को थोडी देर दबाने के बाद मुझे उल्टा ही अपनी गोद में बिठा दिया । बापु की गोद पर बैठते ही मुझे अपने चूतडों में कोई मोटी चीज़ चुभने लगी, मैं उस चीज़ के चुभने से सही से बैठ नहीं पा रही थी ।
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09-24-2019, 01:46 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
"हमारी बेटी तो बिलकुल जवान हो चुकी है, तुम्हें अपनी चूत में इसीलिए कुछ हो रहा है क्योंकि इसे अब अपने अंदर एक लंड चाहिए बेटी।जो इस की खुजलि को ख़तम कर सके" बापू ने मेरी टांगों को घुटनों तक मोडते हुए कहा । बापू ने मेरे चुतडो के नीचे एक तकिया दे दिया जिसकी वजह से मेरी चूत खुलकर ऊपर हो गई।
बापु ने नीचे झुकते हुए अपने होंठ मेरी चूत के दोनों पतले लबों पर रखते हुए उसे चूसने लगा।
बापु के होंठ मेरी चूत पर पडते ही मेरा सारा शरीर कम्पने लगा और मैंने चील्लाते हुए बापू से कहा।
"आह्ह्ह्ह बापू जी हमें वहां कुछ हो रहा है"
बापु ने मेरी बात सुनते ही अपना मूह खोल कर मेरी चूत के होंठो को अपने मूह में भर लिया और उन्हें ज़ोर से चूसते हुए अपने दुसरे हाथ से मेरी चूत के दाने को रगडने लगे । बापू जी की यह हरकत मुझसे बर्दाशत नहीं हुए और मेरी चूत ज़ोर के झटके खाते हुए अपना पानी छोड़ने लगी ।
"ओहहहह बापू जी इस्स्स्सस्ठ अपना मूह हटा लो। हमने पेशाब कर दिया । आह्ह" में झरते हुए अपनी आँखें बंद करके बुहत ज़ोर से चिल्ला रही थी । मुझे उस वक्त पता नहीं था की यह मेरा पहले ओर्गास्म है, मुझे लगा था के मेरी छूट से पेशाब निकल रही है ।
बापु मेरी चुत से निकलता हुआ सारा पानी चाटने लगा । मेरी चूत से इतना पानी निकला था की बापू का सारा चेहरा भीग चूका था । थोड़ी देर बाद जैसे ही मेने आँखें खोली बापू जी मेरी चूत को ही चाट रहे थे, उसकी नज़र जैसे ही मुझ पर पडी उसने कहा।
"बेटी अब कैसा लग रहा है"
"जी मुझे अपना जिस्म हल्का महसूस हो रहा है । और चूत में भी अब सिहरन नहीं हो रही है । मगर बापूजी मैंने आपके चेहरे पर मूत दिया" मैंने भोलेपन से कहा।
"नही बेटी यह तुम्हारा मूत नहीं है, यह तुम्हारी चूत का पानी है जो मरद से सेक्स करते वक़त मज़े से औरत की चूत से निकलता है" बापू ने मुझसे कहा।
"बापु जी सच में मुझे बुहत मजा आ रहा था जिस वक़त मेरा पानी निकला मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रही थी" मैने बापू की बात सुनते हुए कहा।
"बेटी अभी तुमने मजा लिया कहाँ है यह लंड जब तुम्हारी चूत में जाकर उसको गहराई तक रगड देगा तुम यह मज़ा भूल जाओगी" बापू ने अपनी धोती को उतारते हुए अपने लंड को सहलाते हुए कहा । कंचन तुम एतबार नहीं करोगी बापू जी लंड देखकर मेरा सारा बदन एक्साईटमेंट से फिर से काम्पने लगा।
बापु जी का लंड बिलकुल काला 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था, मेरी चूत यह सोचकर ही डर के मारे झटके खा रही थी की इतना बड़ा और मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत में घुसेगा कैसे।
"बापु जी यह तो बुहत लम्बा और मोटा है,यह मेरी चूत में कैसे घुसेगा" मैंने बापू जी के मुसल लंड को ऑंखें फाड कर देखते हुए कहा ।
"बेटी भगवान ने औरत की योनि की दीवार बनायी ही ऐसी है के मरद का कितना भी बड़ा और मोटा लंड हो उसे वह अपने आप में समां लेती है । बस पहली बार थोडा दर्द होता है" बापू ने मुझे समझाते हुए कहा।
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09-24-2019, 01:46 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
बापु जी हमें डर लग रहा है, यह बुहत लम्बा और मोटा है हमारी चूत फट जाएगी " मैंने डर के मारे बापू से कहा।
"बेटी तुम मुझ पर भरोसा करो। मैं तुझे बुहत आराम से चोदुँगा, इसे अपनी जाभ से गीला कर दो ताकी तुम्हें तकलीफ न हो" बापू जी नीचे से उठते हुए अपना लंड मेरे मूह के पास करते हुए बोले ।
मुझे बापू के लंड से अजीब गंध आ रही थी, मैंने अपनी जीभ निकालकर उनके लंड पर फिराने लगी । पहले मुझे उसके लंड का स्वाद अजीब लगा मगर फिर मुझे उसे चाटते हुए मजा आने लगा । मैंने बापू जी के पूरे लंड को अपनी जीभ से गीला कर दिया, बापू का लंड अब और ज्यादा अकड़ता हुआ और फूला हुआ लग रहा था ।
बापु अब मेरी टांगों को जो मैंने सिधी कर दी थी फिर से घुटनों तक मोड़ दिया और अपने लंड को मेरी फूली चूत पर रगडने लगे । बापू का लंड अपनी चूत पर लगते ही मेरा पूरा शरीर काम्पने लगा और मेरे मूह से सिसकियाँ निकलने लगी।
बापु ने अपना लंड अब मेरी चूत के दोनों होठो को खोलते हुए उसमें फँसा दिया । मेरा दिल आने वाले पल के बारे में सोचते हुए बुहत ज़ोर से धडक रहा था, बापू ने मेरी टांगों को पकड कर एक धक्का मारा। बापू जी का लंड मेरी चूत में जाने के बजाये फिसल कर बाहर आ गया ।
मेरा सारा शरीर गरम हो चुका था, मैंने बापू का लंड अपनी चूत में लेने के लिए उतावली हो रही थी । बापू का लंड दुसरी बार में भी अंदर जाने की बजाये फिसल गया।
"एक मिनट ठहरो बेटी" यह कहता हुआ बापू खटिया से उठकर किचन में चला गया । बापू जब लौटे तो उसके हाथ में मक्खन था, बापू ने मक्खन को मेरी चूत के छेद में अच्छी तरह से ड़ालते हुए बाकी का बचा हुआ अपने लंड पर लगा दिया ।
बापु ने इस बार अपने लंड को मेरी चूत में ड़ालने के बजाये अपनी एक ऊँगली मेरी छूट में डाल दी और उसे अंदर बाहर करने लगा । ऐसे ही बापू ने अब दो उँगलियाँ मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लाग, मुझे बापू की उँगलियों से बुहत मजा आ रहा था । मेरी चूत से पानी टपक रहा था और वह बिलकुल गीली हो चुकी थी।
बापु ने मेरी चूत के होंठो को खोलते हुए अपना लंड उनके बीच फँसा दिया । बापू ज़ोर का धक्का देने के बजाये अपने लंड को वहां पर ही हलके हलके धक्कों के साथ सेट करने लगे । मेरा पूरा शरीर पसीने से भीग चूका था और मेरा सारा शरीर एक्साईटमेंट में कांप रहा था, मैं चाहती थी की बापू जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में पेल दे । ऐसा करने से बापू जी लंड का मोटा टोपा मेरी चूत के होंठो को फ़ैलाता हुआ अंदर फँस चूका था ।
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