RE: Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी
उसके हाथ मेरी पीठ पर से फिरते हुए, मेरे चूतड़ों और कमर को दबाते हुए, अपनी तरफ खींच रहे थे। मैं भी । उसके चूतड़ों को दबाते हुए, उसकी गाण्ड की दरार में स्कर्ट के ऊपर से ही अपनी उंगली चला रहा था। कुछ देर तक इसी अवस्था में रहने के बाद मैंने उसे छोड़ दिया, और वो बेड पर चली गई। उसने अपने घुटनों को बेड के किनारे पर जमा दिया।
फिर वो इस तरह से झुक गई, जैसे कि वो बेड की दूसरी तरफ कोई चीज खोज रही हो। अपने घुटनों को बेड पर जमाने के बाद, मेरी प्यारी बहना ने गरदन घुमाकर मेरी तरफ देखा और मुश्कुराते हुए अपनी स्कर्ट को ऊपर उठा दिया। इस प्रकार उसके खूबसूरत गोलाकार चूतड़, जो कि नायलोन की एक जालीदार कसी हुई पैन्टी के अंदर कैद थे, दिखने लगे। उसकी चूत के उभार के ऊपर, उसकी पैन्टी एकदम कसी हुई थी और मैं देखा रहा था कि चूत के ऊपर पैन्टी का जो भाग था, वो पूरी तरह से भीगा हुआ था।
मैं दौड़ के उसके पास पहुँच गया और अपने चेहरे को, उसकी पैन्टी से ढकी हुई चूत और गाण्ड के बीच में घुसा दिया। उसके बदन की खुश्बू, और उसकी चूत के पानी और पशीने की महक ने मेरा दिमाग घुमा दिया, और मैंने
बुर के रस से भीगी हुई उसकी पैन्टी को चाट लिया। वो आनंद से सिसकारियां ले रही थी, और उसने मुझसे अपनी पैन्टी को निकाल देने का आग्रह किया।
मैंने उसकी चूत और गाण्ड को कसकर चूमा, उसके मांसल चूतड़ों को अपने दांतों से काटा और उसकी बुर से निकलने वाली मादक गंध को एक लम्बी सांस लेकर अपने फेफड़ों में भर लिया। मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था, और मैंने अपने पैन्ट और अंडरवियर को खोलकर इसे आजादी दे दी। दीदी की मांसल, कंदली जांघों को अपने हाथों से कसकर पकड़ते हुए, मैं उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत चाटने लगा। जालीदार पैन्टी से रिस-रिस कर बुर का पानी निकल रहा था।
मैं पैन्टी के साथ ही उसकी बुर को अपने मुँह में भरते हुए, चूसते हुए, चाट रहा था। पैन्टी का बीच वाला भाग सिमट कर उसकी चूत और गाण्ड की दरार में फंस गया था।
मैं चूत चाटते हुए, उसकी गाण्ड पर भी अपना मुँह मार रहा था। मेरे ऐसा करने से बहन की उत्तेजना बढ़ गई थी। वो अपनी गाण्ड को नचाते हुए, अपनी चूत और चूतड़ों को मेरे चेहरे पर रगड़ रही थी। फिर मैंने धीरे से अपनी बहन की पैन्टी को उतार दिया। उसके खूबसूरत चूतड़ों को देखकर मेरे लण्ड को जोरदार झटका लगा। उसके मैदे जैसे गोरे चूतड़ों की बीच की खाई में भूरे रंग की अनछुई गाण्ड, एकदम किसी फूल की कली की तरह
दिख रही थी। जिसे शायद किसी विशेष अवसर पर, जैसा की दीदी ने प्रोमिस किया था, मारने का मौका मुझे मिलने वाला था।
उसकी गाण्ड के नीचे गुलाबी पंखुड़ियों वाली उसकी चिकनी चूत थी। दीदी की चूत के होंठ फड़फड़ा रहे थे और भीगे हुए थे। मैंने अपने हाथों को धीरे से उसके चूतड़ों और गाण्ड की दरार में फिराया, फिर धीरे से हाथों को सरकाकर उसकी बिना झांटों वाली चूत के छेद को अपनी उंगलियों से कुरेदते हुए, सहलाने लगा। मेरी उंगलियों । पर उसकी चूत से निकला, उसका रस लग गया था। मैंने उसे अपनी नाक के पास लेजाकर सँघा, और फिर जीभ निकालकर चाट लिया।
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