Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
01-02-2020, 12:46 PM,
#19
RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
'आप कौन हैं मिस?' जयसिंह ने अचँभे से कहा.

'हीहीहाहाहा...पापा! क्या है आपको...इट्स मी ना...’ मनिका ने कुछ हँसते कुछ लजाते हुए कहा.

जयसिंह वैसे तो अपने ज्यादातर इमोशन मनिका से दिखावे के लिए ही व्यक्त करते थे पर अपने सामने खड़ी खूबसूरत लड़की को देख वे आश्चर्यचकित रह गए थे. मनिका की खूबसूरती के कायल जयसिंह ने देखा कि ब्यूटी-सैलून जाने के बाद तो उसका काया-पलट ही हो गया था. मनिका ने बालों में स्टेप-कट करवाया था जिससे उसके बाल किसी मॉडल से प्रतीत हो रहे थे. उसका चेहरा भी मेकअप से दमक रहा था और गोरे-गोरे गालों पर लालिमा फैली थी. मनिका की आँखों को काले मस्कारा ने और अधिक मनमोहक बना दिया था व उसके होंठों पर एक गाजरी रंग की स्पार्कल-लिपस्टिक लगी थी जिससे वे काम-रस से भरे हुए जान पड़ रहे थे, जब वे उसे तकते रहे और कुछ नहीं बोले तो मनिका ने खीखियाते हुए फिर से कहा,

'पापा! स्टॉप इट ना...’ वह तो बस मस्ती-मस्ती में हल्का सा मेकअप करवा आई थी और जयसिंह का रिएक्शन देख उसे लग रहा था कि वे उसकी टाँग खींच उसे सताने के लिए ऐसा कर रहे थे.

'पहले यह तो बता दो कि आप हैं कौन?' जयसिंह ने भी जरा मुस्कुरा कर मजाक करने के अंदाज़ से कहा.

कुछ देर तक यूँ ही उन दोनों के बीच खींच-तान चलती रही, उसकी खूबसूरती को निहारने के मारे जयसिंह रह-रह कर उसे देख मुस्काए जा रहे थे और उसके उनकी तरफ देखने पर कोई कमेंट कर उसे चिढ़ा रहे थे. आखिर मनिका को भी थोड़ी लाज आने लगी और वह बाथरूम में जा कर अपना मुहँ धो कर मेकअप साफ़ कर आई.

'अरे वो लड़की कहाँ गई जो अभी यहाँ बैठी थी?' जयसिंह ने मनिका को मेकअप उतारने के बाद देखते हुए पूछा.

'पापा आप फिर चालू हो गए...' मनिका हँसते हुए बोली.

'अरे भई इतनी सुन्दर लड़की के साथ बैठा था अभी मैं कि क्या बताऊँ?' जयसिंह ने उसे देखते हुए मुस्का कर कहा, 'पर पता नहीं कहाँ गई उठ कर अभी तुम्हारे आने से पहले...'

'हाहाहा पापा...भाग गई वो मुझे देख...' मनिका हँसते हुए बोली.

'ओह...मेरा तो दिल ही टूट गया फिर...' जयसिंह ने झूठा दुःख प्रकट किया.

'ऊऊऊ...क्यों पापा आपकी गर्लफ्रेंड थी क्या वो?' मनिका मजाक करते हुए बोली, जयसिंह को एक बार फिर मौके पर चौका मारने का चाँस मिल गया था.

'मेरी किस्मत में कहाँ ऐसी गर्लफ्रेंड...' जयसिंह ने मगर के आँसू बहाए.

'हाहाहा पापा...गर्लफ्रेंड चाहिए आपको? मम्मी को बता दूँ? बहुत पिटोगे देखना...’मनिका ने ठहाका लगाते हुए कहा था. उसे भी जयसिंह की टांग खिंचाई का मौका जो मिला था.

पर जयसिंह भी उसके पिता यूँ ही नहीं थे, 'बता दो भई...मेरा क्या है तुम ही फँसोगी.' जयसिंह ने शरारत से कहा.

'हैं? वो कैसे?' मनिका ने अचरज जताया.

'तुम ही तो कह रहीं थी उस दिन कि तुम्हारी सहेलियाँ मुझे तुम्हारा बॉयफ्रेंड कहती हैं.' जयसिंह बोले.

'हाँ...ओ शिट...पापा! कितने खराब हो आप...हमेशा मुझे हरा देते हो...’ मनिका ने मुहँ बनाकर पाँव पटकते हुए नखरा किया.

'हाहाहा...' जयसिंह हँसते हुए बैठे रहे.

'और वो तो मेरी फ्रेंड्स कहतीं है मैं कोई सच्ची में आपकी गर्लफ्रेंड थोड़े ही ना हूँ...' मनिका ने नाराजगी दिखाते हुए उनके पास बैठते हुए कहा.

जयसिंह बस मुस्का दिए और उसकी तरफ हाथ बढ़ा दूसरे से अपनी जांघ थपथपा उसे गोद में आने का इशारा किया.

'जाओ मैं नहीं आती...गंदे हो आप...' मनिका नखरे कर ही थी.

'अरे भई सॉरी अब नहीं हँसता तुम पर...बस...' जयसिंह के चेहरे पर अभी भी शरारत थी.

'आप हँसोगे देख लेना...मुझे पता है ना...' मनिका ने उन्हें अविश्वास से देखते हुए कहा.

'अरे भई अभी तो नहीं हँस रहा ना...' जयसिंह भी कहाँ मानने वाले थे, 'सो अभी तो आ जाओ...' उन्होंने फिर अपनी जांघ पर हाथ रखते हुए उसे अपनी गोद में बुलाया.

'देख लेना पापा अगर आपने मुझे फिर तंग किया तो आपसे कभी बात नहीं करुँगी...' मनिका ने शिकायत भरे लहजे से कहा था पर उठ कर उनकी गोद में आ गई थी.

'लेकिन तुमने तो मुझसे नाराज ना होने का प्रॉमिस किया था न?' जयसिंह ने उसका मुहँ अपनी तरफ करते हुए पूछा.

'वो...वो तो मैंने ऐसे ही आपको उल्लू बनाने के लिए कर दिया था.' मनिका के चेहरे पर भी शरारती मुस्कान लौट आई थी.

'अच्छा ये बात थी...' जयसिंह ने मुस्का कर कहा और अपने दोनों हाथ मनिका के पेट पर ले जा उसे गुदगुदा दिया.

'आह क्या कच्चा बदन है...कुतिया हर वक़्त महकती भी रहती है...आह...' उन्होंने मनिका के जवान जिस्म पर इस तरह हाथ सेंकते हुए सोचा था, मनिका भी हिल-डुल रही थी सो उनका चेहरा उसके बालों में आ गया था.

'ईईईईईई...हाहाहा...पापाआआअ...नहीं नाराज होती...ईई...' मनिका उनकी गोद में उछलती हुई हँस रही थी.

जयसिंह ने उसे एक दो बार और गुदगुदा कर छोड़ दिया था क्यूंकि उसके इस तरह हिलने से उनकी पैंट में भी तूफ़ान उठने लगा था. मनिका अब खिलखिलाती हुई उनके साथ लग बैठी थी, उसकी साँस जरा फूली हुई थी. पहली बार उसका पूरा भार जयसिंह के शरीर पर था. जयसिंह अपने बदन पर इस तरह उसके यौवन भरे जिस्म का एहसास पाकर अपनी उत्तेजना को बड़ी मुस्किल से कंट्रोल कर पा रहे थे.

कुछ देर बाद जयसिंह की मुश्किल मनिका ने हल कर दी जब उसने उनकी गोद से उठते हुए उनसे भूख लगी होने का कहा था. सो आज एक बार फिर से वे नीचे रेस्टोरेंट में खाना खाने को चले गए थे.

खाना खाने के बाद मनिका और जयसिंह वापस अपने कमरे में न आ हॉटेल गेस्ट-एक्टिविटीज एरिया में गए. दोपहर का वक्त होने की वजह से वहाँ ज्यादा जने नहीं थे. जयसिंह मनिका को ले पूल टेबल के पास पहुँचे, वहाँ दो कपल मस्ती करते हुए पूल खेल रहे थे. जयसिंह ने जा कर एक क्यू-स्टिक (जिससे पूल-स्नूकर खेलते हैं) उठा ली थी पर दूसरों को खेलते देख थोड़े अचकचाकर खड़े हो गए थे. लेकिन वे लोग काफी फ्रेंडली थे और उन्हें देख उनसे भी ज्वाइन करने को कहा और बताया कि वे तो बस लेडीज को खुश करने के लिए वहाँ मसखरी कर रहे थे और अगर वे चाहें तो सीरियसली गेम लगा लेते हैं. इस पर जयसिंह ने भी हाँ कह दिया.

उन्होंने अपने-आप को इंट्रोड्यूस किया था तो जयसिंह ने भी अपना परिचय दिया 'आई एम जयसिंह एंड दिस इस मनिका..’ और हाथ मिलाया था. उन्होंने यह नहीं बताया था कि मनिका उनकी बेटी है.

वे लोग वेजर (शर्त) लगा कर खेलने लगे. तीनों को उनके साथ आईं लडकियाँ सपोर्ट कर रही थी और वहाँ हँसी और मस्ती का माहौल बन गया था.

सामने वाले लौंडे खेलने में माहिर थे और जल्द ही जयसिंह ने अपने-आप को हारते हुए पाया, लेकिन जयसिंह ने भी हार नहीं मानी थी और शर्त की बाजी बढ़ाते चले जा रहे थे, आखिर एक वक्त आया जब जयसिंह ने ५०००० रूपए का दाँव लगाने का चैलेंज कर डाला. सामने वाले कपल्स के चेहरे पर हैरानी का भाव आ गया था. पर आपस में सलाह कर वे उनकी बात मान गए और खेलने लगे. इस बार गेम की इंटेंसिटी बढ़ी हुई थी और हर स्ट्राइक (चाल) के बाद चिल्लम-चिल्ली मची हुई थी. देखनेवाले कुछ और लोग भी पूल-टेबल के आस-पास आ जमे थे. पर अंत में जयसिंह वह बाजी भी हार गए, माहौल थोड़ा शांत हुआ, जयसिंह ने भी हँस कर अपनी हार स्वीकार कर ली थी.

अब दूसरों ने उन्हें ड्रिंक्स का ऑफर किया जिसे उन्होंने मान लिया. तीनों लड़कियों को वहीँ छोड़ वे लोग बार से ड्रिंक्स लेने चले गए थे, लड़कियों ने अपने लिए मोक्टेल्स (बिना शराब की ड्रिंक्स) मंगवाई थी.

मर्दों के चले जाने के बाद तीनों लडकियाँ बतियाने लगीं, बातों-बातों में सामनेवाली लड़कियों ने मनिका से कहा था,
'ऑब्वियस्ली यू गायस हैव अ लॉट ऑफ़ मनी...'
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