RE: Incest Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
होंठ से होंठ सटते ही जेसे दोनों बरसों के प्यासे एक दूसरे पर टूट पड़े, जयसिंह अपनी बेटी के होंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा ,उसकी बेटी भी अपने पापा के होंठों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगी, दोनों बारी बारी से एक दूसरे के मुंह में जीभ डाल कर एक दूसरे के थुक तक को चाट जा रहे थे, दोनों पागल हो चुके थे, वासना के नशे में अंधे हो चुके थे ,अपने बदन की प्यास के आगे उन दोनों को अब रिश्ते नाते कुछ दिखाई नहीं दे रहे थे ,
जयसिंह तो अपनी बेटी की बुर को अपनी हथेली से रगड़ते हुए मस्त हुआ जा रहा था , जयसिंह के करीब आने की वजह से जयसिंह का तना हुआ लंड मनिका के पेट पर रगड़ खाने लगा, जिससे मनिका की उत्तेजना में और ज्यादा बढ़ोतरी हो रही थी, उसने तुरन्त पेट पर रगड़ खा रहे अपने पापा के लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया और धीरे-धीरे मुठीयाने लगी,
अपनी बेटी की इस हरकत पर जयसिंह से रहा नहीं गया और उसने चुत को मसलते मसलते अपनी एक उंगली को धीरे से चुत में प्रवेश करा दिया, महीनों से प्यासी मनिका की बुर में जैसे ही उसके पापा की उंगली घुसी, मनिका तो एकदम से मचल उठी, उत्तेजना और मदहोशी के कारण उसके पैर कांपने लगे
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जयसिंह अपनी बेटी के होठों को चूसते हुए धीरे-धीरे अपनी ऊंगली को बुर के अंदर बाहर करने लगा, इससे मनिका का चुदासपन पल पल बढ़ता जा रहा था, वो अपने पापा के बदन से और ज्यादा चिपक गई, जयसिंह लगातार अपनी उंगली से अपनी बेटी की बुर चोद रहा था, मनिका की गरम सिसकारियों से पूरा कमरा गुंजने लगा था,
मनिका सिसकारी लेते हुए बोली,
"आहहहहहहहहह......स्सहहहहहहहहहहहह.... पापा मुझे कुछ हो रहा है, ऊफ्पफ्फ....... मुझ से रहा नहीं जा रहा है पापा"
जयसिंह अपनी बेटी की गर्दन को चूमते हुए एक हाथ से उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को दबाते हुए बोला,
"क्या हो रहा है बेटी?"
मनिका अपने पापा के लंड को हिलाते हुए बोली "पता नहीं पापा मुझे क्या हो रहा हैैं ,मुझसे रहा नही जा रहा है, ऐसा लग रहा है कि मेरी बुर में सैंकड़ो चींटिया रेंग रहीे हैं , मुझे बुर में खुजली हो रही है पापाआआआ"
जयसिंह का लंड मनिका के बुर के इर्द-गिर्द ही रगड़ खा रहा था, जिससे मनिका की बुर की खुजली और ज्यादा बढ़ने लगी थी, जयसिंह ने अब अपना मुंह मनिका की मदमस्त चुचियों पर सटा दिया, वो इतनी जोर जोर से उसकी चुचियाँ चूस रहा था मानो आज वो अपनी बेटी की दोनों चूचियों को खा ही जाएगा,
अपने पापा को इस तरह से अपनी चूचियों पर टूटता हुआ देखकर मनिका एक दम मस्त हो गई, उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी, मनिका सिसकारी भरते हुए एक हाथ से अपनी बुर को मसल रही थी और दूसरे हाथ से अपने पापा के लंड को मुट्ठीयाये जा रही थी,
दोनों गर्म हो चुके थे, जयसिंह अपने लंड को हिलाते हुए अपनी बेटी की बुर पर रगड़ने लगा, बुर पर लंड का सुपाड़ा रगड़ खाते ही मनिका कामोत्तेजना में मदहोश होने लगी, वो लगातार सिसकारी लिए जा रही थी, उससे लंड के सुपाड़े की रगड़ अपनी बुर पर बर्दाश्त नहीं हो रही थी
पर जयसिंह दोबारा अपनी बेटी के होठों का रसपान करने लगा,और उसे कसकर अपनी बाहों में दबोच लिया, जयसिंह के दोनों हाथ उसकी बेटी की नंगी पीठ से होते हुए कमर और कमर से नीचे उभरे हुए नितंब पर फिरने लगे , जयसिंह अपनी बेटी के चिकने बदन से और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था, वो अपनी बेटी की गांड को दोनों हथेलियों में भर भर कर दबा रहा था, अपनी बेटी की गांड को दबाते हुए वो इतना ज्यादा उत्तेजित हो रहा था कि मनिका को प्रतीत होने लगा कि आज उसके पापा उसकी गांड को खा ही ना जाए
जयसिंह और मनिका दोनों बाप बेटी एक दूसरे को बेतहासा चुमे चाटे जा रहे थे, जयसिंह रह रह कर अपनी बेटी की गुदाज गांड को दोनों हथेलियों से दबाता, जिससे उसे तो मजा आ ही रहा था पर साथ ही साथ मनिका भी एक दम मस्त हो जा रही थी, एक हाथ से मनिका अपने पापा का लंड पकड़ कर धीरे धीरे मुठीयाये जा रही थी,
मनिका के बदन में चुदवाने की ललक बढ़ती जा रही थी, मनिका भी एक हाथ अपने पापा के पीठ पर ले जाकर उसे अपनी बाहों में भरने लगी ,जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचियां जयसिंह के सीने पर धंसने लगी, उत्तेजना के मारे उसके चुचियों की निप्पल इतनी ज्यादा कड़क हो चुकी थी की जयसिंह के सीने में वो सुइयों की तरह चुभ रही थी,
दोनों की सांसे इतनी तीव्र गति से चल रही थी कि कमरे में उन दोनों की सांसों की आवाज तक साफ साफ सुनाई दे रही थी, अब बेड पर मनिका नीचे और जयसिंह उसके उपर था, जयसिंह ने तुरन्त अपनी बेटी के दोनों पके हुए आमों को अपनी हथेलियों में भर लिया और उसकी नजर अपनी बेटी की नजरों से टकराई ,अपनी बेटी की आंखों में शुरुर से झांकते हुए उसने
अपने होठों पर अपनी जीभ फीराई और फिर कसकर मनिका की चुचियों को दबाने लगा,
जैसे ही जयसिंह ने अपनी बेटी की चुचियों को दबाया उसकी बेटी के मुंह से हल्की सी सिसकारी भरी चीख निकल गई,
"स्ससहहहहहहहह....पापाआआआ.... ये आप क्या कर रहे है , मुझे ना जाने क्या हो रहा है उफ्फफ्फ..... मुझसे रहा नहीं जा रहा है"
उत्तेजना के मारे मनिका के मुंह से आवाज अटक अटक के निकल रही थी, जयसिंह को तो खेलने के लिए जैसे खिलौना मिल गया था वो जोर-जोर से मनिका की गोलाईयों को दबा दबा कर मजा ले रहा था, इस चूची मर्दन में मनिका को भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी, ऐसा आनंद कि जिसके बारे में शायद बयान कर पाना बड़ा मुश्किल था
थोड़ी ही देर में चूची मर्दन की वजह से उसकी चूचीयो का रंग कश्मीरी सेब की तरह लाल हो गया, मनिका अपने पापा के इस चुची मर्दन से बेहद प्रसन्न नजर आ रही थी
शर्म और मर्यादा की दीवार टूट चुकी थी इस समय जयसिंह अपनी बेटी के ऊपर लेटा हुआ था और उसकी बड़ी बड़ी तनी हुई गोल चूचियों को दबाने का सुख प्राप्त कर रहा था, जयसिंह का तना हुआ लंड मनिका की जांघो के बीच रगड़ खाते हुए उसकी चुत के अंदर गदर मचाए हुए था, मनिका की चुत अंदर से पसीज पसीज कर पानी पानी हो रही थी,मनिका सिसक रही थी, उसके मुंह से लगातार सिसकारी फूट रही थी ,वो उत्तेजना के मारे अपने सिर को इधर उधर पटक रही थी,
"स्स्स्स्स्हहहहहहहह......आहहहहहहहहह...... पापा गजब कर रहे है आप .....,मेरे बदन मे चीटिया रेंग रही है पापाआआआ......"
अपनी बेटी की गरम सिस्कारियों को सुनकर जयसिंह अच्छी तरह से जानता था कि वो एकदम गरम हो चुकी है ,
वो इन गरम सिसकारीयों से वाकिफ था, वो अच्छी तरह से जानता था कि ऐसी सिस्कारियों के बाद चुदवाने की इच्छा प्रबल हो जाती है, जयसिंह ये समझ गया था कि उसकी बेटी भी अब उसके लंड को अपनी चुत में डलवाने के लिए तड़प रही है, लेकिन जयसिंह अभी अपने लंड को अपनी बेटी की चुत में डालकर चोदने वाला नहीं था,
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