RE: Incest Kahani माँ बेटी की मज़बूरी
मैं आगे चल रहा था और वो दोनों मेरे पीछे पीछे … हम तीनों एक होटल के पास आ पहुंचे. मैंने जानबूझकर एक ही कमरा लिया. वेटर चाभी लेकर रूम खोल गया.
सुशीला- क्या एक ही कमरा?
मैं- हाँ …
सुशीला गुस्से से- एक ही कमरे में हम तीनों कैसे रहेंगे … पराये मरद के साथ तो मैं नहीं रह सकती.
मैंने मन ही मन सोचा … साली देख कैसे रुला रुला कर चोदता हूँ। पराया मरद कहाँ … उस पुजारी को छोड़कर मेरा आठ इंच का लंड एक बार ले ले, फिर इसका गुलाम बन जाएगी।
मैं- वो कमरे का किराया बहुत ही ज्यादा है. तुम तो बोल रही थी कि पैसा कम लाये हो। इसीलिए एक ही कमरा लिया। तुम अगर मेरे साथ सोना नहीं चाहती हो तब नीचे सो जाना … मानसी मेरे साथ सो जाएगी … क्यूं बेटी?
मानसी उछल कर- हाँ क्यों नहीं … मैं अंकल के साथ सो जाऊंगी।
सुशीला गुस्से से- नहीं तुम नीचे सोना!
उसके मुँह से निकल गया।
मैं- मुझे क्या एतराज हो सकता है।
वो थोड़ी देर सोचने लगी … फिर भी कुछ नहीं बोल पाई.
मैं- अब सामान इस कमरे में रख कर निकलो … डॉक्टर के पास जाना है।
सुशीला का मन थोड़ा शांत हुआ।
मेरा एक दोस्त जो मेरे कॉलेज में था, डाक्टरी की पढ़ाई करके अब उसी शहर में सिटी हॉस्पिटल में स्त्री रोग विशेषज्ञ था। हम उसके पास पहुँच गये।
उसका नाम दीपक था।
दीपक- क्या तकलीफ है आपकी बेटी को?
सुशीला ने इधर उधर देखा।
दीपक- घबराओ नहीं, रोग तो सभी को होती है। इसमेँ शरमाने की बात क्या है.
सुशीला- इसका मासिक दो महीने से बंद है।
दीपक- ठीक है, इसकी मैं कुछ जांच करता हूँ. आओ बेटी उधर लेटो बेड पर!
दीपक ने उसे एक कोने में बेड पर लेटाया और जांच शुरु कर दी.
कुछ देर के बाद वो आया और बोला- मैं कुछ टेस्ट लिख देता हूँ, करा देना और रिपोर्ट कल लाकर मुझे दिखाना।
मैं- ठीक है दीपक।
दीपक- तुम जरा रुकना … कुछ बात करनी है तुमसे … आप दोनों बाहर जाओ।
मैं कुछ समझ नहीं पाया और रुक गया। सुशीला और उसकी बेटी मानसी बाहर चले गई।
मैं अंदर रहा …
दीपक- तुम इन्हें जानते हो?
मैं- ऐसे ही गाँव के पुजारी की बीवी और लड़की है.
दीपक- ओह …
मैं- क्या हुआ?
दीपक- मुझे शक है कि उसके पेट में बच्चा है।
मैं- क्या!?
दीपक- टेस्ट के बाद मैं यकीन के साथ कह सकूंगा.
मैं- अच्छा … इसीलिये ये लड़की मुझे इतनी लाइन दे रही थी।
दीपक- लाइन देने का क्या मतलब?
मैं- सुन एक राज की बात बताने जा रहा हूँ … हमारे बीच रहनी चाहिए!
दीपक- हाँ बोल?
मैं- मैं सोच रहा था कि माँ बेटी को चोद दूंगा … और तुझे भी शामिल कर लूंगा इसमें!
दीपक- क्या ये हो सकता है?
मैं- हो सकता है क्या … तुमने तो मेरे काम को आसान कर दिया … उसकी पेट में बच्चा है। वो तो लाइन दे रही थी … पर उसकी माँ नहीं … जब उसके पेट में बच्चा होने की बात किसी को पता चलेगा तो पुजारी तो बदनाम हो जायेगा … और उसको गाँव में पूजा करने भी कोई नहीं देगा. इस बात लेकर अगर उसकी माँ को ब्लैकमेल किया जाये तो आसानी से हम दोनों को चोद लेंगे।
दीपक- उसकी माँ तो बेटी से भी सुन्दर दिखती है।
मैं- और बेटी कितने से चुदी है मालूम नहीं!
दीपक- तू कुछ इन्तजाम कर!
मैं- चिंता मत कर, अगर रिपोर्ट में उसकी गर्भवती की बात दिखे तो रेपोर्ट लेकर कल सुबह अप्सरा होटल में 69 रूम में आ जाना!
दीपक- ठीक है.
दीपक ने कम्पाउण्डर से बोल के उसका कुछ ब्लड और यूरीन टेस्ट करवाया … पर मैंने असली बात सुशीला और मानसी को नहीं बताई.
और हम सब वहाँ से निकल पड़े।
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