Incest Kahani ससुराल यानि बीवी का मायका
11-05-2018, 02:28 PM,
#28
RE: Incest Kahani ससुराल यानि बीवी का मायका
ब्रा गुलाबी रंग की थी. लगता है कहीं अंदर से ढूंढ कर निकाली थी. और विग वही था पर शोल्डर लेंग्थ बालों को पीछे से एक जरा सी चोटी में क्लिप से बांध दिया था जिससे ललित का रूप ही बदल गया था.

शान्ताबाई लेटे लेटे ललित के सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबाये हुए थीं और मस्ती में गुनगुना रही थीं. "बहुत अच्छे बेटे ... बहुत अच्छे मेरे लाल ... कितना प्यार से चाटता है राजा मेरी चूत को ... तेरी दीदी की याद आ गयी ... लीना बाई भी एक बार शुरू होती हैं तो घंटे घंटे सिर दिये रहती हैं मेरी टांगों में ..."

मुझे देखकर बोलीं "भैयाजी, आपने ये नहीं बताया कि हमारा ललित बेटा चूत का कितना दीवाना है. बाथरूम में मेरी बुर देखी तो सीधे उसके पीछे ही पड़ गया. यहां भी देखो कैसे चूस रहा है. कहता है कि पूरा रस निचोड़ कर ही उठूंगा"

ललित उनकी बुर में से मुंह निकाल कर बोला "तुम्हारा रस तो खतम ही नहीं होता मौसी ... अब चोदने दो ना, जैसा तुमने वायदा किया था."

उसके सिर को कस के वापस अपनी जांघों के बीच खोंसते हुए शान्ताबाई बोलीं "पहले अपना काम तो पूरा कर, फ़िर वायदे की बात कर. तुमने कहा था ना कि एक एक बूंद निचोड़ लूंगा मौसी, तो पहले निचोड़. और आप भैयाजी, ऐसे क्यों खड़े हो? आओ ना यहां" अपने बाजू में बिस्तर को थपथपा कर वे बोलीं.

मैं जाकर उनके पास बैठ गया. उन्होंने मेरा सिर नीचे खींच कर कस के मेरा चुंबन लिया, दो तीन मिनिट शान्ताबाई से चूमा चाटी करने में गये, उनके चूमने के अंदाज से ही लगता था कि कितनी गरमा गयी थीं वे. मैंने उनकी मांसल चूंचियां एक दो मिनिट मसलीं और फ़िर उनके निपल एक एक करने चूसने लगा.

"आह ... हाय ... आज कितने दिनों के बाद दो मर्द मेरे से लगे हैं .... और चूसो भैयाजी ... आह अरे कितने जोर से काटते हो ... दुखता है ना" सिसककर वे बोलीं पर मैंने निपल चबाना चालू रखा. उन्होंने मेरा सिर अपनी छाती पर दबा लिया और बोलीं "वैसे ये लौंडा लाखों में एक है भैयाजी ... इतना चिकना लौंडा नहीं देखा ... ये इसके चूतड़ देखो, लीना बाई की बराबरी के हैं ... और लंड भी कोई कम नहीं है भैयाजी ... एकदम कड़क गाजर जैसा ..."

मैं ललित के नितंबों पर हाथ फेरने लगा. अब मेरा लंड कस के तन्ना गया था. मुंह में पानी आ रहा था तंग काली पैंटी में से आधी दिखती उस गोरी गोरी गांड को देख कर, असल में लीना की गांड मारे भी तीन चार हफ़्ते हो गये थे और मेरा लंड बेचारा गांड को तरस गया था. मैंने ललित के पेट के नीचे हाथ डालकर टटोला तो उसका भी हाल बुरा था, लंड एकदम तना हुआ था. मैं ललित के चूतड़ मसलने लगा.

"शान्ताबाई ... अब नहीं रहा जाता" मैंने उनकी ओर देख कर कहा. वे बोलीं "तो चख लो ना मिठाई, ऐसे दूर से क्या ललचा रहे हो"

मैंने झुक कर ललित के नितंबों को चूम लिया. कब से यह करने की इच्छा थी मेरी. उसके बदन में सिरहन सी दौड़ गयी. मैंने पैंटी के छेद में से उसके नरम नरम छेद को थोड़ा सहलाया और उंगली की टिप उसमें फंसा दी. उसका छेद कस सा गया. शान्ताबाई ने देख लिया और मुस्कराने लगीं "ललित ... याने हमारी ललिता रानी अभी कुआरी है भैयाजी, ऐसे बिचके तो कोई नयी बात नहीं. पर अब चोद ही लो, क्यों ललिता ... ललित बेटा ... चुदवा ही ले अब अपने जीजाजी से"

"दुखेगा मौसी?" ललित थोड़े कपते स्वर में बोला.

"बिलकुल दुखेगा, आखिर तेरे जीजाजी का सोंटा है, कोई जरा सी लुल्ली थोड़े है. पर इतना मर्द का बच्चा तू, ऐसे क्या डरता है? इससे तो लड़कियां बहादुर होती हैं, एक बार दिल आये, तो जैसे कहो, जिस छेद में कहो, चुदवा लेती हैं. और मैं हूं ना बेटा. भैयाजी, आप जरा वो डिब्बा इधर करो"

पलंग के पास के स्टैंड पर एक स्टील का डिब्बा रखा था. मैंने उसे खोला तो देखा अंदर मख्खन है, घर में बना चिकना ठंडा मख्खन. शान्ताबाई मुस्करायीं, मुझे याद आ गया कि कैसे उन्होंने उस दिन मख्खन लगवाकर लीना की गांड मुझसे मरवाई थी.

"अब ऊपर आ जा मेरे राजा बेटा. ऐसा लेट मेरे पर" कहकर उन्होंने ललित को अपने ऊपर लिटा लिया. ललित उन्हें बेतहाशा चूमता हुआ उनकी चूत में लंड घुसेड़ने की कोशिश करने लगा. "अभी रुक राजा ... जरा तेरे जीजाजी को भी तो तैयार होने दे ... आप ऐसे इधर आओ भैयाजी"

शान्ताबाई ने हथेली पर मख्खन का एक लौंदा लिया और मेरे लंड पर चुपड़ने लगी. बोली "आप लोग क्यों वेसलीन के पीछे पड़ते हो मेरे पल्ले नहीं पड़ता. अरे मख्खन इतना चिकना है, वो भी घर का मख्खन, इससे अच्छी क्रीम नहीं मिलेगी दुनिया में चोदने के लिये, और चूमा चाटी के दौरान मुंह में चला जाये तो भी अच्छा लगता है, वो वेसलीन तो कड़वा कड़वा रहता है" अपनी मुठ्ठी ऊपर नीचे करके पूरे लंड को एकदम चिकना कर दिया. इतना मजा आ रहा था कि लगा कि ऐसे ही मुठ्ठ मरवा लूं उनसे. उन्होंने उंगली पर थोड़ा और मख्खन लेकर मेरे सुपाड़े पर लगाया और फ़िर हथेली चाटने लगीं "अब आप खुद ही लगा लो ललिता रानी के छेद में. जरा ठीक से लगाना, चिकना कर लेना"

मैंने उंगली पर मख्खन लिया और ललित के गुदा में चुपड़ने लगा. उसने फ़िर गुदा सिकोड़ लिया, लगता है अनजाने में वो अपने कौमार्य को - वर्जिनिटी को बचाने की कोशिश कर रहा था. मैंने शान्ताबाई की ओर देखा और आंखों आंखों में गुज़ारिश की कि आप मदद करो, ये तो गांड भी नहीं खोल रहा है. वे उंगली में मख्खन लेकर ललित की गांड में लगाने लगीं. बोलीं "अब छेद तो ढीला करो ललिता रानी - मेरी उंगली ही नहीं जा रही है तो जीजाजी का ये मूसल कैसे जायेगा! मरवाना है ना? चुदवाना है?" ललित के मुंडी हिला कर हां कहा. "फ़िर छेद ढीला कर अच्छे बच्चे -- बच्ची जैसे" मुझे उन्होंने आंखों आंखों में इशारा किया और फ़िर हाथ मिला कर अलग किये. मैं समझ गया कि वे मेरे को ललित के चूतड़ पकड़कर चौड़े करने को कह रही हैं.

मैंने वो मुलायम चूतड़ फैलाये और शान्ताबाई उंगली उसके गुदा पर उंगली रखकर दबाने लगीं. अब उनकी उंगली अंदर धंसने लगी. कई बार उन्होंने मख्खन लेकर छेद में लगाया और उंगली अंदर तक आधी घुसाई. जिस तरह से ललित का गुलाबी छेद चौड़ा होकर उंगली को अंदर ले रहा था, मेरा पागलपन पढ़ रहा था. क्या टाइट कुआरा छेद था! मन में बस यही था कि आज पटक पटक कर चोदूंगा भले फट जाये.

उधर गांड में उंगली करवाने से ललित महाराज भी मस्ता रहे थे, बार बार धक्के मारकर शान्ताबाई की चूत छेदने की कोशिश कर रहे थे. शान्ताबाई ने भी उसको कस के पकड़ रखा था "ऐसे उतावले ना हो मेरे राजा ... धक्के मत मार अभी ... तेरे जीजाजी को चढ़ जाने दे एक बार ... फ़िर तू भी मन भरके चोद लेना. मजा आयेगा. तू मेरे को चोदेगा और तेरे जीजाजी तेरे को चोदेंगे. चलिये, आ जाइये भैयाजी"

पर ललित से रुका नहीं जा रहा था, वह शान्ताबाई से चिपटा जा रहा था और उनकी बुर में लंड डालने की भरसक कोशिश कर रहा था. देख कर उसपर तरस खाकर शान्ताबाई ने अपनी चूत खोल ली और अगले ही पल ललितने अपना लंड पेल दिया. फ़िर चहक कर बोला "कितनी टाइट चूत है मौसी ... आह .. ओह"

शान्ताबाई की बुर सच में इतनी टाइट है कि लगता है जैसे किसी एकदम जवान लड़की की हो. प्रकृति का यह चमत्कार ही है कि इतने मांसल खाये पिये बदन के साथ ऐसी सकरी चूत उनको मिली हो.

ललित अब तक सपासप चोदने लगा था. शान्ताबाई ने उसको अपने हाथों पैरों में कसकर उसके धक्के बंद किये और बोलीं "अब जरा रुक मेरे राजा ... इतना उतावला ना हो ... तेरे को अकेले अकेले ये मजा नहीं करने दूंगी मैं ... अपने जीजाजी को भी अंदर डाल लेने दे, फ़िर तुम दोनों चोदना एक साथ. चलिये भैयाजी, अब देरी मत कीजिये"
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