Incest Porn Kahani माँ बनी सास
10-23-2018, 12:19 PM,
#42
RE: Incest Porn Kahani माँ बनी सास
ज़ाहिद शुरू शुरू में वाकई ही नीलोफर की सहेली साजिदा (शाज़िया) से सिर्फ़ नीलोफर की तरह सिर्फ़ चुदाई के नाजायज़ ताल्लुक़ात कायम करना चाहता था. 

मगर फिर आहिस्ता आहिस्ता उस को शाज़िया इतनी पसंद आने लगी.कि वो उस को हमेशा हमेशा के लिए अपने बिस्तर की ज़ीनत बनाने का फ़ैसला कर बैठा. 

इस की वजह शायद ये थी. कि साजिदा का बदन ज़ाहिद को बिल्कुल अपनी बहन शाज़िया की तरह भरा भरा नज़र आया था. इसी लिए ज़ाहिद को साजिदा (शाज़िया) पहली ही नज़र में बहुत भा गई थी.

क्यों कि वो जानता था. वो अगर चाहता भी तो उन दोनो बहन भाई के दरमियाँ कभी भी जमशेद और उस की बहन नीलोफर की तरह के ताल्लुक़ात कायम नही हो सकते थे.

इसीलिए इस सुरते हाल में अगर वो अपनी बहन शाज़िया को नही चोद सकता. तो क्यों ना एक ऐसी लड़की को अपनी महबूबा बना कर चोद ले. जो उस की बहन ना सही उस की बहन जैसा जिस्म तो रखती ही है.

दूसरे दिन शाज़िया ने जब स्कूल के फ्री पीरियड में अपनी सहेली से मुलाकात की. तो उस ने नीलोफर को आहिस्ता से कहा “ यार में रिज़वान से मिलने को तैयार हूँ,तुम मुलाकात का वक्त और जगह अरेंज कर कर रिज़वान और मुझे बता दो”

“तो क्यू मिलवाऊं तुम दोनो “लैला मजनू” को एक दूसरे के साथ” नीलोफर ने मुस्कुराते हुए शाज़िया से पूछा.

“जितना जल्द अज जल्द हो सके यार” शाज़िया ने नीलोफर को जवाब दिया.

“जल्द अज जल्द भी अगले हफ्ते से पहले मुलाकात नामुमकिन है जानू” नीलोफर ने शाज़िया को तंग करने के लिए जान बूझ कर थोड़ा लंबा टाइम बताया.

शाज़िया ने स्टाफ रूम में इधर उधर देख कर ये स्योर किया. कि उन के अलावा तो कोई और कमरे में मौजूद नही है. और फिर ये बात कहते हुए उस ने नीलोफर के सामने ही अपनी शलवार के ऊपर से अपनी फुद्दि पर अपना हाथ तेज़ी से रगड़ा और बोली “उफफफफफफफफ्फ़ ,नही यार एक हफ़्ता तो बहुत ज़्यादा है,इस से पहले कुछ करो ना”

“अच्छा तो मेरी बन्नो की झिझक ख़तम होते ही अब मेरी सहेली की फुद्दि को अपने यार के लंड की इतनी शिद्दत से तलब हो गई कि अब उस के लिए इंतिज़ार मुहाल हो रहा है, इसे कहते हैं कि, या तो मुर्दा बोले ना, अगर बोले तो फिर कफ़न ही फाड़ आए” नीलोफर ने शाज़िया की हालत को देख कर शरारती मुस्कान में उसे कहा.

“बकवास ना करो,एक तो खुद मुझे इस किस्म की ग़लत राह पर डाला है और ऊपर से मुझ पर तंज़ करती हो” शाज़िया नीलोफर के मज़ाक पर झुंझला उठी.

“अच्छा कुछ करती हूँ में” कहते हुए नीलोफर ने शाज़िया हो अपनी बाहों में भरा और दोनो सहेलियाँ खिल खिला कर हंस पड़ी.

एक तरफ शाज़िया उस वक्त इसीलिए खुश थी. कि जल्द ही उस की मुलाकात उस के ख्वाबो के शहज़ादे से होने वाली थी. 

जो उस की रूखी ज़िंदगी और प्यासी चूत में फिर से रोनक और स्वाद लेने वाला था.

जब कि दूसरी तरफ नीलोफर उस वक्त इसीलिए हंस रही थी.कि आख़िर उस ने दोनो बहन भाई को अंजाने में एक दूसरे के नंगे जिस्म दिखा कर और एसएमएस के ज़रिए आधी मुलाकात करवा कर. उन में एक दूसरे के लिए गरमी और प्यास इतनी बढ़ा दी थी. कि अब जज़्बात के हाथों मजबूर हो कर वो दोनो ज़ना करने पर तूल गये थे.

फिर स्कूल से घर वापिस आ कर नीलोफर ने ज़ाहिद को फोन मिलाया.

नीलोफर: किधर हो यार.

ज़ाहिद: पोलीस स्टेशन में.

नीलोफर: अच्छा कल मेरे घर आ सकते हो

ज़ाहिद: क्यों.

प्लास्टिक के लंड से खुद भी तुम्हारी गान्ड मारनी है और अपने भाई के लंड से भी चुदवाना है तुम्हे” नीलोफर ने ज़ाहिद के “क्यों” के सवाल पर चिड़ते हुए कहा.

“इतना गुस्सा ,आज लगता है अंगरों पर ही बैठी हो जान” ज़ाहिद ने नीलोफर को तपते लहजे में बोलते सुना तो हंसते हुए बोला.

“फुद्दि के, गुस्सा ना आए तो और क्या आए,एक तो मेरी चूत को लूट का माल समझ कर मुफ़्त में ही मज़े लेते हो, और दूसरा जब नई फुद्दि से मिलाप करवाने जा रही हूँ तो पूछते हो “क्यों” गान्डु कहीं का” ज़ाहिद के हँसने पर नीलोफर को और गुस्सा आया और तो तड़प कर बोली.

ज़ाहिद समझ गया कि नीलोफर को उस का तोहफा ना मिलने का गुस्सा है.

“अच्छा बाबा ग़लती हो गई.अब की बार तुम्हारा गिफ्ट भी साथ ही दूँगा,अब गुस्सा थूक दो जानू” ज़ाहिद ने फोन पर मिन्नत के अंदाज़ में नीलोफर से माफी माँगते हुए कहा.

“अच्छा कल मेरे सास और सुसर झेलम से बाहर जा रहे हैं,इसीलिए तुम कल दोपहर को ठीक 3 बजे मेरे घर आ जाना” नीलोफर ने ज़ाहिद से कहा.

“अच्छा जान में तो कल उड़ कर पहुँचुँगा तुम्हारे घर, यकीन करो में और मेरा लंड तुम्हारी सहेली की चूत के लिए बे करार हो रहे हैं” ज़ाहिद ने अपने लंड को पॅंट के ऊपर से रगड़ते हुए कहा.

“ठीक है फिर कल ही मुलाकात हो गी,वैसे मेरी सहेली की चूत भी तुम्हारे लंड के लिए इसी तरह तड़प रही है” नीलोफर ने ज़ाहिद को जवाब दिया.

उस के बाद नीलोफर ने शाज़िया को फोन किया और बताया कि वो कल स्कूल से छुट्टी मारे गी.

फिर साथ ही साथ नीलोफर ने शाज़िया को अगली दोपहर फ़ोन पर पोने तीन (2.45 पीएम) उसे अपने घर आ कर रिज़वान (ज़ाहिद) से मिलने का टाइम दे दिया.

“ठीक है में कल स्कूल से छुट्टी के बाद सीधे तुम्हारे घर आ जाउन्गी” शाज़िया ने जब सुना कि कल उस की मुलाकात आख़िर कार उस के यार और चोदु से होने की घड़ी आयी है. तो वो खुश से उछल पड़ी.

वो रात अपने बिस्तर पर करवटें बदल बदल कर शाज़िया ने किस तरह रात गुज़ारी.
ये वो ही जानती थी. या उस के बिस्तर की चादर पर पड़ी सलवटें जानती थी.
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