RE: Incest Sex Kahani घर के रसीले आम
कमला- यह तू क्या कह रही है चंदा,
चंदा- मे तो कहती हू मालकिन, घर मे मोटा लंड है उससे अपनी इस मस्तानी चूत को खूब कस कर ठुकवा लो तुम्हारी आग भी शांत हो जाएगी और तुम्हारे बेटे को भी अपनी मम्मी की नंगी जवानी का लुफ्त मिल जाएगा,
कमला- यह क्या कह रही है तू चंदा
चंदा- मे सच कहती हू मालकिन, अगर तुमने एक बार अपने बेटे का मोटा लंड अपनी इस मक्खन जैसी चिकनी चूत मे ले लोगि तो फिर तुम्हे किसी की ज़रूरत नही रहेगी और फिर तुम जब चाहोगी तुम्हारा बेटा तुम्हे तबीयत से चोद देगा
कमला- अरे तू पागल हो गई है, नही-नही मे ऐसा नही कर सकती
चंदा- अरे मालकिन आप तो बेकार मे डर रही है, मेरे बेटे का ऐसा मोटा लंड होता तो मे तो दिन भर उससे अपनी चूत मरवाती,
कमला- पर यह सब कैसे होगा
चंदा- अरे यह सब करने की ज़रूरत ही कहाँ है बस आज रात को उसे प्यार से अपनी गोद मे सुला कर सहलाते हुए अपने बारे मे बात शुरू कर देना वह खूब ही धीरे-धीरे तुम्हे दबोचने लगेगा,
चंदा- अच्छा मालकिन अब मे जा रही हू बहुत देर हो रही है
चंदा के जाने के बाद कमला सोचती है चंदा ठीक ही कह रही है और फिर यह तो मे भी जानती हू कि हरिया की नज़रे मेरे उपर कैसी है, चंदा क्या जाने हरिया मेरे साथ क्या-क्या कर चुका है, और हरिया भी सोचता है जैसे उसकी मा कुछ जानती नही है,
कमला बैठी-बैठी हरिया की पुरानी हर्कतो को सोचने लगती है और अपने मन मे चंदा से बाते करने लगती है आज कमला बहुत गरम हो चुकी थी उसके बदन की आग ठंडी होने का नाम ही नही ले रही थी और उसकी आँखो के सामने उसके बेटे का तगड़ा लंड नज़र आ रहा था,
कमला अपने मन मे चंदा से बात करती हुई, अरे चंदा तू क्या जाने इस पूरे गाँव मे मेरी चूत और गान्ड का सबसे बड़ा दीवाना और कोई नही बल्कि मेरा बेटा है, रात को जब मे सो जाती हू तो वह टार्च लेकर मेरे पैरो की ओर बैठ कर मेरी सदी उठा देता था और रात-रात भर मेरी चूत को झाँक-झाँक कर देखता था,
वह सोचता था मे नींद मे हू लेकिन मे जागती रहती थी और उसकी इस हरकत से मेरी चूत पूरी गीली हो जाती थी और मे जानबूझ कर अपनी दोनो जाँघो को और भी ज़्यादा फैला लेती थी ताकि मेरा बेटा अपनी मम्मी की मस्त चूत पूरी तरह देख सके,
मे जानती थी कि वह मेरी चूत और गान्ड का दीवाना है इसलिए कई बार जब वह तक लगाए अपने अंधेरे कमरे से आँगन की ओर देखता रहता था तब मे जानबूझ कर आँगन मे बैठी-बैठी अपनी चूत को साडी के उपर से खुजलने लगती थी,
तब हरिया का मुँह देखने लायक होता था, कई बार तो मे आँगन मे पूरी नंगी होकर ही घूमती थी और अपने बेटे को अपनी चूत और गान्ड खूब उठा-उठा कर दिखती हुई कपड़े पहनती थी, और मे यह भी जानती थी कि जब चंदा मेरे पैरो मे तेल लगा कर मालिश करती है तब हरिया मेरी नंगी जाँघो और चूत को देखने के लिए कितना मरता था और मे चंदा को बातो मे लगा कर जानबूझ कर अपनी पूरी चूत खोल कर दिखती थी, मैने भी कई बार हरिया को मूठ मारते हुए देखा था,
कमला अपने ख्यालो मे खोई हुई थी और जब कुछ देर बाद
हरिया वापस आता है तब उसकी मम्मी आँगन मे चटाई बिछा कर बैठ जाती है, हरिया सीधे आकर अपनी मम्मी की जाँघो मे सर रख कर लेट जाता है
कमला-आ गया बेटे
हरिया- मम्मी आज मे तुम्हारी गोद मे ही सो जाता हू और हरिया अपना मुँह अपनी मम्मी के नंगे पेट और नाभि से जैसे ही लगता है उसका लंड तन कर खड़ा हो जाता है, हरिया अपने हाथो को अपनी मम्मी के मोटे-मोटे चुतडो पर फेरता हुआ अपने मुँह से उसके नंगे पेट को हल्के-हल्के दबाता रहता है और हरिया को ऐसा लगता है जैसे वह अपनी मम्मी की चूत को अपने मुँह से दबा रहा है.
कमला- क्या बात है आज अपनी मम्मी पर बड़ा प्यार आ रहा है
हरिया- प्यार क्यो नही आएगा, आख़िर मेरी मम्मी है जो इतनी अच्छी, लेकिन मुझे तुम्हारी एक बात अच्छी नही लगती,
कमला- उसके सर पर हाथ फेरती हुई, वह भला क्या
हरिया- यही कि तुम यह जो अपनी साडी घर के बाहर जब जाती हो तब भी इतनी नीचे तक बाँधती हो, घर मे तो फिर भी ठीक है पर बाहर जब जाती हो तो मुझे अच्छा नही लगता है,
कमला- मुस्कुराते हुए, इसमे बुराई क्या है बेटे, मे तो शुरू से ही साडी को अपनी नाभि से बहुत नीचे तक बाँधती हू,
हरिया- मम्मी घर पर जब रहती हो तो इस तरह से कोई दिक्कत नही होती है लेकिन जब तुम बाहर जाती हो तो लोग तुम्हे गंदी नज़रो से देखते है,
कमला- लगता है तुझसे किसी ने मेरे बारे मे कुछ कहा है क्या,
हरिया-नही मम्मी ऐसा नही है
कमला- तो फिर मे सब को तो अच्छी लगती हू इस तरह साडी बाँधने पर तो क्या तुझे अच्छी नही लगती हू,
हरिया- नही मम्मी मुझे तो आप बहुत अच्छी लगती हो पर सिर्फ़ घर मे ही ऐसे रहा करो ना,
कमला- क्यो घर मे भी क्यो रहू, जब मे दूसरे लोगो को नही दिखाउन्गि तो अपने बेटे को क्यो दिखाऊ
हरिया- मम्मी मे तो तुम्हारा बेटा हू मेरे सामने ऐसे रहने मे क्या दिक्कत है
कमला- मुस्कुरकर उसके गाल खिचती हुई, क्यो मे तेरी मम्मी हू तो क्या तेरे सामने नंगी हो जाउ,
हरिया- अरे मम्मी तुम्हे वही तो समझाना चाहता हू, तुम ऐसी हालत मे आधी नंगी ही नज़र आती हो और फिर लोग तुम्हारे बारे मे ग़लत बाते करते है,
कमला- मुझे मालूम था कि तुझसे किसी ने कुछ कहा है या फिर तूने किसी को मेरे बारे मे बाते करते हुए सुना है
हरिया- उठ कर बैठ जाता है और, अब मम्मी तुम्हे क्या बताऊ बस जाने भी दो,
कमला- उसे अपने सीने से चिपकते हुए, अच्छा बाबा कल से मे तेरे सामने ऐसे ही रहूंगी और बाहर जाउन्गि तो अपनी नाभि छुपा लूँगी, पर अब बता भी दे क्या सुना है तूने,
हरिया- अपनी मम्मी के मोटी-मोटी चुचियाँ पर अपना मुँह दबाते हुए, रहने दो मम्मी तुम्हे अच्छा नही लगेगा,
कमला- उसे अपने पास लिटा लेती है और बगल मे खुद लेट जाती है और फिर उसके गालो को सहलाते हुए उसके चेहरे को पकड़ कर अपने सीने से दबाते हुए, अच्छा तो तू नही बताएगा अपनी मम्मी से भी भला कोई कुछ छुपाता है क्या, चल अब बता भी दे,
हरिया- अच्छा तुम कहती हो तो बता देता हू पर तुम गुस्सा तो नही हो जाओगी
कमला- अरे जब वह बात किसी और ने की है तो मे तुझ पर गुस्सा क्यो हो जाउन्गि
हरिया- अभी जब मे बापू का खाना दे कर लौट रहा था तब दीनू काका और उसके साथ और कोई भी आम के बगीचे के नीचे बैठे थे अंधेरा होने की वजह से मे उन्हे और वह मुझे देख नही पाए बस मैने दीनू काका की आवाज़ सुनी थी ,
क्रमशः......................
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