RE: Indian Porn Kahani मेरे गाँव की नदी
जब मै मूत कर वापस आया तो चाची जल्दी से वापस बहार आ चुकी थी मेरे मुतने के बाद चाची ने कहा मै भी पेशाब करके आती हु कल्लु और फिर चाची अपनी घाघरे में से मटकती गाण्ड को हिलाती हुई जाने लगी और मैंने देखा चाची अपनी गाण्ड मेरे
सामने ही खुजलाती हुई जा रही थी, चाची जैसे ही पीछे गई मै झोपडी में घुस गया और जब मैंने बाहर झाँका तो चाची अपने दोनों हांथो से अपने घाघरे को ऊपर चढा चुकी थी रंडी अंदर से पूरी नंगी बड़ी मस्त लग रही थी उसकी चुत का उभार मुझे पागल कर रहा था।
चाची खड़ी खड़ी अपनी बुर सहलाती जा रही थी और फिर सामने बैठ कर अपनी मस्त भोस में दो उंगलिया पेलने के बाद अंदर बाहर करने लगी, उसके मुह को देख कर लग रहा था की वह मेरे मस्त लंड को सोच सोच कर अपनी बुर सहला रही है।
उसकी भोस बहुत मस्त लग रही थी, ऐसी रसीली चुत देख कर मै भी पागल हुआ जा रहा था, अब तो मेरा मन कर रहा था की चाची को खूब कस कस कर चोदुं। लेकिन मै अभी जल्दीबाज़ी करना नहीं चाहता था।
कुछ देर बाद चाची वापस आ गई और फिर अपने घाघरे से मुझे मुसकुराकर देखते हुए अपनी चुत पोछते हुए कहने लगी, कल तू पक्का मुझे अपनी साईकल पर बेठा कर बाजार ले चलेगा ना।
कालू : हाँ पक्का चाची।
मै वहाँ से खेत में आ गया गीतिका खाट पर लेटी कोई किताब पढ़ रही थी, खेत में माँ और बाबा काम में लगे हुए थे, गीतिका ने एक फ्राक पहनी हुई थी जो उसकी गोरी जांघो को भी दिखा रही थी, गुड़िया ने मुझे देखा नहीं और मै धीरे से उसके पास पहुच गया।
गडिया को बिलकुल भी ध्यान नहीं था और वह एक नंगे फोटो की किताब थी जिस्मे एक औरत एक आदमी के लंड के ऊपर चढ़ कर बेठी थी, गीतिका बड़े गौर से उसके काले लंड और उसकी खुली हुई गुलाबी चुत देख रही थी, गीतिका का एक हाथ उसकी पेंटी के अंदर था और वह अपनी चुत को खूब दबा दबा कर उस रंगीन फोटो को देख रही थी, लेकिन जैसे ही गीतिका की नजर मुझ पर पड़ी वह एक दम से हडबडा
कर उठ बेठी उसे यह समझ नहीं आया की किताब सम्भाले या अपनी चुत से अपने हाथ को बाहर निकाले।
फिर भी मैंने अन्जान बनते हुए न किताब की ओर ध्यान दिया और न ही उसकी चुत की ओर और कहने लगा गुड़िया माँ और बाबा काम में लगे है चल तुझे तैरना सीखना था न, चल इस समय नदी में कोई नहीं होगा बढ़िया मस्त तरीके से तुझे तैरना सीखा दुँगा।
गुडिया खुश होते हुए मानो उसे मन की मुराद मिल गई हो वह मेरे पीछे पीछे चल दी और किसी को फ़ोन लगाने लगी, मै थोड़ा आगे आगे चल रहा था और गुड़िया अपनी सहेली से दबी आवाज में बात कर रही थी।
गुडिया : हाय रंडी खुद चुद रही है या अपनी मम्मी को चुदवा रही है।
मोनिका : अरे मै तो अपनी माँ की चुत में बड़े बड़े लंड खुद पकड़ पकड़ कर पेल रही हु और पिलवा रही ह, पर तू क्यों आज गरम नजर आ रही है।
गुडिया : हाँ गुड न्यूज़ है।
मोनिका : क्या।
गुडिया : नदी में नहाने जा रही ह, आज भैया मुझे तैरना सिखाएगे।
मोनिका : हाय रंडी परी तेरे तो खूब मजे है अपने भैया के मोटे लंङे पर चढ़ चढ़ कर तैरना, और सुन बार बार डुबने का बहाना करके अपने भैया के नंगे बदन से पूरी तरह चिपक जाना, देखना तेरे भैया का मोटा लंड जब तेरी मस्त पाव रोटी की तरह फुली चुत में जब घुसेगा
तो तुझे बड़ा मजा मिलेगा, अपने भैया के मोटे लँड को खूब अपनी चुत से दबा दबा कर चुदवाना, वैसे भी तेरे भैया तेरे जैसी रसीली बहन की चुत तो पहले से ही मारने के बारे में सोचते होगे।
गुडिया : पता नहीं पर उनका कसरती बदन देखते ही मुझे उनके मोटे लंड की कल्पना होने लगती है मेरी भोस खूब मराने के लिए तडपने लगती है।
मोनिका : मेरी रंडी परी आज मोका अच्छा है खूब मरा ले अपने भैया से अपनी चूत, एक बार तबियत से चुद गई तो फिर तेरे मजे हो जाएगे फिर तो दिन भर खेतो में अपने भैया के सामने नंगी ही घुमना बड़ा मजा आएगा, जब तू झुक कर अपने भैया को अपनी मोटी गाण्ड और मस्त उभरी हुई पाव रोटी जैसी चुत दिखाएगी तो तेरे भैया खड़े खड़े ही तेरी चुत में लंड पेल देंगे।
गुडिया : चल अब रख नदी आ गई है।
मोनिका : बेस्ट ऑफ़ लक।
गुडिया : थैंक्स बिच।
नदी में कोई नहीं था और मेरे बदन पर सिर्फ धोती थी, मैंने गुड़िया की तरफ देखा बहुत मस्त लग रही थी एक छोटी सी फ्राक मे।
गुडिया : भैया मुझे तो डर लग रहा है।
कालू : मुस्कुराते हुये, अरे डरती क्यों है तेरा भैया है न तेरे पास।
गुडिया : पर भैया मैंने तो फ्राक पहना है मुझसे तैरते बन जाएगा।
कालू : बन तो जाएगा, वेसे तुझे दिक्कत हो रही है तो अपनी फ्राक उतार दे, निचे तूने चड्ढी तो पहनी होगी ना.
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