Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
08-12-2019, 01:33 PM,
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
जब शाज़िया आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई अपने भाई के कमरे की खिड़की के करीब पहुँची.

तो उस की नज़र अपने भाई ज़ाहिद पर पड़ी. जो इस वक्त चाहिए का कप अपने हाथ में कपड़े हुए हर बात से बे खबर अपनी अम्मी के गरम वजूद को अपनी प्यासी आँखों से सैंक कर गरम हो रहा था.



जिस वजह से नीचे से उस का मोटा बड़ा लंड उस की पॅंट में पूरी शिद्दत से अकड कर खड़ा हो चुका था.

शाज़िया कमरे के बाहर जिस जगह खड़ी थी. वहाँ से वो अपने भाई ज़ाहिद के कमरे और उसके सामने बने स्टोर को देख सकती थी. मगर ज़ाहिद के कमरे या स्टोर में मौजूद उस की अम्मी को शाज़िया की बरामदे में मौजूदगी का इल्म नही हो सकता था.

“ये सुबह सुबह चाय पीते वक्त भाई का लंड क्यों और किस के लिए इतना अकड कर खड़ा है” ज्यों ही कमरे के बाहर से शाज़िया की नज़र अपने भाई के लंड पर पड़ी. तो उसे अपने भाई का लंड यूँ खड़ा देख कर हैरत हुई.

ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया के कमरे के बाहर मौजूदगी का अहसास ना हुआ. और वो यूँ ही खड़े खड़े अपनी अम्मी की भारी गान्ड की पहाड़ियों को आँखे फाड़ फाड़ कर ठहरने में मसरूफ़ रहा.

दूसरी तरफ शाज़िया ने अपने भाई के मोटे और खड़े हुए लंड से अपनी नज़रें हटा कर अपने भाई के चेहरे पर अपनी निगाह डाली. तो उस ने अपने शोहर/भाई को अपने कमरे से बाहर देखते हुए पाया.

“देखूं तो सही मेरे भाई का लंड,मेरे भाई का लंड आज किस फुददी के लिए इतना मचल रहा है भला” शाज़िया के दिल में ख्याल आया.

शाज़िया की नज़रें ज्यों ही अपने भाई की नज़रों का पीछा करती हुई दूसरे कमरे की तरफ गईं.तो ज़ाहिद की तरह शाज़िया की नज़र भी दूसरे कमरे में मौजूद अपनी अम्मी रज़िया बीबी पर पड़ी. जो इस वक्त अपनी अलमारी खोल कर उस में बिखरे हुए कपड़ों को समेटने में मसरूफ़ थी.

अपनी अम्मी को दूसरे कमरे में मौजूद पा कर शाज़िया का मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया.

“उफफफफफफफफ्फ़ ये कैसे हो सकता है, मेरे शोहर का लंड मेरी सास, और अपनी सग़ी अम्मी की गान्ड के लिए भला कैसे मचल सकता है” शाज़िया ने अपनी अम्मी की मोटी गान्ड से अपनी नज़रें वापिस अपने भाई के खड़े हुए लंड की तरफ मोडी.

शाज़िया की नज़रें ज्यों ही दुबारा अपने भाई के खड़े हुए लंड पर पड़ीं. तो अपने भाई ज़ाहिद की पॅंट में खड़े हुए लंड को देख कर शाज़िया को यकीन नही हो रहा था कि वो जो देख रही है. वो कोई ख्वाब नही बल्कि एक हक़ीकत है.

इसी दौरान ज़ाहिद अपना चाय का कप टेबल पर रख कर अपनी अलमारी से अपनी शर्ट निकालने लगा .तो शाज़िया की नज़र दुबारा स्टोर में खड़ी हुई अपनी अम्मी की तरफ गई.

इधर रज़िया बीबी भी अपनी कनखियों से अपने बेटे ज़ाहिद की सब हरकतों का जायज़ा ले रही थी.

अपने बेटे को बाथरूम में नहाते देख रज़िया बीबी की चूत तो पहले की गरम हो चुकी थी. और अब अपने बेटे को यूँ भूकि नज़रों से अपने शरीर का जायज़ा लेते देख कर रज़िया बीबी की फुद्दि अपना पानी पूरी तरह छोड़ रही थी.

इसीलिए ज़ाहिद का ध्यान रज़िया बीबी से हटा. तो स्टोर में मौजूद रज़िया बीबी एक दम से थोड़ा सा वापिस मूडी और उस ने ज़ाहिद के कमरे की तरफ अपनी नज़र दौड़ाई ..

इस के साथ रज़िया बीबी ने अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपनी शलवार के ऊपर से अपनी फुद्दि को छुआ तो रज़िया बीबी के मुँह से एक “सिसकी” सी निकल गई.

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ये तो उसी सिसकी की आवाज़ है जो मेने कुछ दिन पहले ज़ाहिद से अपनी गान्ड मरवाते सुनी थी” अपनी अम्मी को यूँ अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे की तरफ देख कर अपनी चूत से खेलते देख कर शाज़िया ने सोचा और अपनी अम्मी की इस हरकत पर शाज़िया हैरतजदा हो गई.जब शाज़िया आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई अपने भाई के कमरे की खिड़की के करीब पहुँची.

तो उस की नज़र अपने भाई ज़ाहिद पर पड़ी. जो इस वक्त चाहिए का कप अपने हाथ में कपड़े हुए हर बात से बे खबर अपनी अम्मी के गरम वजूद को अपनी प्यासी आँखों से सैंक कर गरम हो रहा था.



जिस वजह से नीचे से उस का मोटा बड़ा लंड उस की पॅंट में पूरी शिद्दत से अकड कर खड़ा हो चुका था.

शाज़िया कमरे के बाहर जिस जगह खड़ी थी. वहाँ से वो अपने भाई ज़ाहिद के कमरे और उसके सामने बने स्टोर को देख सकती थी. मगर ज़ाहिद के कमरे या स्टोर में मौजूद उस की अम्मी को शाज़िया की बरामदे में मौजूदगी का इल्म नही हो सकता था.

“ये सुबह सुबह चाय पीते वक्त भाई का लंड क्यों और किस के लिए इतना अकड कर खड़ा है” ज्यों ही कमरे के बाहर से शाज़िया की नज़र अपने भाई के लंड पर पड़ी. तो उसे अपने भाई का लंड यूँ खड़ा देख कर हैरत हुई.

ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया के कमरे के बाहर मौजूदगी का अहसास ना हुआ. और वो यूँ ही खड़े खड़े अपनी अम्मी की भारी गान्ड की पहाड़ियों को आँखे फाड़ फाड़ कर ठहरने में मसरूफ़ रहा.

दूसरी तरफ शाज़िया ने अपने भाई के मोटे और खड़े हुए लंड से अपनी नज़रें हटा कर अपने भाई के चेहरे पर अपनी निगाह डाली. तो उस ने अपने शोहर/भाई को अपने कमरे से बाहर देखते हुए पाया.

“देखूं तो सही मेरे भाई का लंड,मेरे भाई का लंड आज किस फुददी के लिए इतना मचल रहा है भला” शाज़िया के दिल में ख्याल आया.

शाज़िया की नज़रें ज्यों ही अपने भाई की नज़रों का पीछा करती हुई दूसरे कमरे की तरफ गईं.तो ज़ाहिद की तरह शाज़िया की नज़र भी दूसरे कमरे में मौजूद अपनी अम्मी रज़िया बीबी पर पड़ी. जो इस वक्त अपनी अलमारी खोल कर उस में बिखरे हुए कपड़ों को समेटने में मसरूफ़ थी.

अपनी अम्मी को दूसरे कमरे में मौजूद पा कर शाज़िया का मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया.

“उफफफफफफफफ्फ़ ये कैसे हो सकता है, मेरे शोहर का लंड मेरी सास, और अपनी सग़ी अम्मी की गान्ड के लिए भला कैसे मचल सकता है” शाज़िया ने अपनी अम्मी की मोटी गान्ड से अपनी नज़रें वापिस अपने भाई के खड़े हुए लंड की तरफ मोडी.

शाज़िया की नज़रें ज्यों ही दुबारा अपने भाई के खड़े हुए लंड पर पड़ीं. तो अपने भाई ज़ाहिद की पॅंट में खड़े हुए लंड को देख कर शाज़िया को यकीन नही हो रहा था कि वो जो देख रही है. वो कोई ख्वाब नही बल्कि एक हक़ीकत है.

इसी दौरान ज़ाहिद अपना चाय का कप टेबल पर रख कर अपनी अलमारी से अपनी शर्ट निकालने लगा .तो शाज़िया की नज़र दुबारा स्टोर में खड़ी हुई अपनी अम्मी की तरफ गई.

इधर रज़िया बीबी भी अपनी कनखियों से अपने बेटे ज़ाहिद की सब हरकतों का जायज़ा ले रही थी.

अपने बेटे को बाथरूम में नहाते देख रज़िया बीबी की चूत तो पहले की गरम हो चुकी थी. और अब अपने बेटे को यूँ भूकि नज़रों से अपने शरीर का जायज़ा लेते देख कर रज़िया बीबी की फुद्दि अपना पानी पूरी तरह छोड़ रही थी.

इसीलिए ज़ाहिद का ध्यान रज़िया बीबी से हटा. तो स्टोर में मौजूद रज़िया बीबी एक दम से थोड़ा सा वापिस मूडी और उस ने ज़ाहिद के कमरे की तरफ अपनी नज़र दौड़ाई ..

इस के साथ रज़िया बीबी ने अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपनी शलवार के ऊपर से अपनी फुद्दि को छुआ तो रज़िया बीबी के मुँह से एक “सिसकी” सी निकल गई.

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ये तो उसी सिसकी की आवाज़ है जो मेने कुछ दिन पहले ज़ाहिद से अपनी गान्ड मरवाते सुनी थी” अपनी अम्मी को यूँ अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे की तरफ देख कर अपनी चूत से खेलते देख कर शाज़िया ने सोचा और अपनी अम्मी की इस हरकत पर शाज़िया हैरतजदा हो गई.
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