Indian Sex Story परिवार हो तो ऐसा
09-20-2018, 02:18 PM,
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
परिवार हो तो ऐसा-35


गतान्क से आगे...............

"ओह प्रीति तुम भी अब किसी कुँवारी लड़की की तरह शर्मा रही

हो..अरे जब तुम्हारे ही भाई के कमरे मे कोई सोया हुआ हो और अपने ही

भाई के साथ चुदाई करते तुम्हे शरम नही आई तो अब अपने नंगे

बदन को दिखाने मे क्यों शर्मा रही हो?"


"तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया और मेरी तो समझ मे नही आ रहा कि

तुम क्या कहना चाहते हो?" प्रीति ने जानबूझ कर अंजान बनते हुए

कहा... और उसे लगने लगा कि रात मे ज़रूर रवि सोया हुआ नही था

और उसने सभी कुछ अपनी आँखों से देखा लिया है..


"तुम सही सोच रही हो प्रीति जब तुम कमरे मे आई तब मे वास्तव

मे सोया हुआ था लेकिन तुम दोनो की बातों ने मेरी नींद खोल दी.. और

फिर में वो सब कुछ देखा जो तुमने और राज ने आपस मे किया.... रात

के अंधेरे मे में तुम्हे अच्छी तरह देख नही पाया इसलिए अब दिन के

उजाले मे तुम्हारे इस जानलेवा बदन को अच्छी तरह देखना चाहता हूँ"

रवि ने बेशर्मी से कहा...


"मैं किसी हालत मे ऐसा नही होने दूँगी" प्रीति ने कहा...


"एक बार फिर से सोच लो प्रीति नही तो आज की रात खाने के टेबल पर

मुझे सभी को ये बात बतानी पड़ेगी.. " रवि ने धमकी देते हुए

कहा...


"तुम ऐसा नही कर सकते "


"अगर तुम चाहती हो कि मैं ऐसा नही करूँ तो एक बार दरवाज़ा खोल

मुझे तुम्हारे नग्न बदन को देखने दो" रवि ने कहा.


प्रीति सोच मे पड़ गयी.. कि क्या सही मे रवि ऐसी बात पूरे परिवार

को बताने की हिम्मत कर सकता है और अगर सही मे उसने बता दिया तो

फिर आगे क्या होगा... वो तो परिवार के सभी मर्दों से चुदवा चुकी

है.. फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि हर मर्द यही समझता है कि वो सिर्फ़

उसी से चुदवाति है.. और अब सभी को उसकी छिनलीयत का पता चल

जाएगा... उससे यही अच्छा लगा कि सभी आपस के रिश्तों से अंजान

रहे तो अच्छा है....


"ठीक है में एक बार तुम्हे अपना जिस्म दीखा दूँगी फिर तुम यहाँ से

चले जाना" प्रीति ने कहा...


"हां चला जाउन्गा अगर तुम्हे मुझे कुछ नही चाहिएगा तो?" रवि ने

जवाब दिया..


"मुझे नही लगता कि मुझे तुमसे कुछ चाहिएगा" प्रीति ने जवाब

दिया. और बाथरूम का दरवाज़ा खोल दिया... और चुप चाप खड़ी अपने

ममेरे भाई को बाथरूम के अंदर आकर अपने नंगे बदन को घूरते

देखती रही...


"ऊऊ प्रीति तुम्हारी चुचियाँ तो बड़ी जानदार है" रवि ने अपनी

नज़रे प्रीति की बड़ी और भारी चुचियों पर गढ़ाते हुए कहा.. और

जैसे ही उसकी नज़रे नीचे की ओर फिसली वो बोल पड़ा, "अरे तुमने तो

अपनी झांते सॉफ कर अपनी चूत को भी एक दम सफ़ा सत कर रखा

है."


प्रीति ने अपनी नज़रे रवि की जांघों के बीच दौड़ाई... वो जानती थी

कि उसका लंड ये मनमोहक नज़ारा देख तन कर खड़ा हो गया होगा...


"अब यहाँ से दफ़ा हो जाओ रवि... " प्रीति ने दरवाज़े को बंद करने

की कोशिश करते हुए कहा.. " अगर तुमने ये बच्चो जैसी हरकत ना

की होती तो और किसी शरीफ लड़के की तरह मुझे बेहकाने की

कोशिश की होती तो शायद में तुम्हे बहुत मज़ा देती लेकिन इस

हरकत के बाद तो में तुम्हारी बेहन के साथ ही सेक्स का खेल खेलूँगी

जिससे तुम्हे जलन होती रहे"


रवि को अपनी ग़लती का एहसास हुआ और ये सोचते हुए वो बाथरूम से

बाहर आ गया कि सही मे उसने जो किया वो अच्छा नही किया.. जो कुछ

उसने देखा उससे उसका लंड तन कर खड़ा हो चुका था और प्रीति की

बात सुनकर तो और तन गया था क्या सच मे प्रीति सोनिया के साथ सेक्स

का मज़ा लेगी... अब वो ये सोचने लगा कि वो कैसे उन दोनो को सेक्स का

खेल खेलते देखे....


उस रात अपने घर पर प्रीति अपने कमरे मे सोनिया से बात कर रही

थी.. दोनो ने सिर्फ़ पॅंटी और टी-शर्ट पहन रखी थी.. प्रीति अपने

बिस्तर पर थी और सोनिया नीचे ज़मीन पर बिछे बिस्तर पर... "क्या

तुम्हारा भाई ऐसे ही लड़कियों के आगे पीछे मंडराता रहता है..

क्या उसकी कोई गर्ल फ्रेंड नही है?" प्रीति ने सोनिया से पूछा.


"तुम कहना क्या चाहती हो?" सोनिया प्रीति के अचानक पूछे जाने से

चौंक पड़ी थी. "उसकी तो कई गर्ल फ़्रेंड रह चुकी है और वो

हमेशा से लड़कियों की इज़्ज़त करता है..तुम क्यों ऐसे पूछ रही हो?"


"वो बस ऐसे ही.. आज उसने कुछ मुझसे पूछा था इसलिए में सोच मे

पड़ गयी थी... " प्रीति ने जवाब दिया.. "लेकिन तुम इसकी चिंता मत

करो..हम कोई दूसरी बात करते है"


"हां यही ठीक रहेगा.. अच्छा तुम बताओ तुम्हारा कोई बॉय फ़्रेंड है

या नही?" "

सोनिया ने प्रीति से पूछा...


"नही कोई ख़ास नही है तुम सूनाओ अगर तुम्हारी चूत मे खुजली हो

रही हो तो में तुम्हारी मदद कर सकती हूँ" प्रीति ने जवाब दिया..


"नही अभी तो ऐसा कुछ नही है.. फिलहाल मेरी गर्मी शांत हो चुकी

है" सोनिया ने कहा.


"अरे वाह ये तो कमाल हो गया... कब और कैसे?" प्रीति ने पूछा..


"असल मे क्या है वो जब हम मोहन अंकल के घर थे तब मेने और

स्वीटी ने एक दूसरे की गर्मी को शांत किया था"


"मुझे नही विश्वास होता कि तुमने स्वीटी के साथ मज़ा किया" प्रीति

बोली.


"बस कब कैसे अचानक हो गया कुछ पता ही नही चला" सोनिया ने

जवाब दिया.


"तब तो तुम्हे स्वीटी के साथ बहुत मज़ा आया होगा."
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