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RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
जैसे ही वो घर पर आती हैं उसके भैया अभी भी घर पर नही आए थे. वो झट से नहा धोकर कृष्णा की लाई हुई साड़ी पहन लेती हैं. वो वाकई में किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह प्यारी सी लग रही थी.
थोड़ी देर में कृष्णा भी आ जाता हैं.
कृष्णा आज नशे में फुल था. वो लड़खड़ाते हुए घर के अंदर आता हैं और सीधा सोफा पर आकर बैठ जाता हैं.
राधिका- ये क्या भैया आज आपने फिर से शराब पी रखी हैं.
कृष्णा- क्या करू राधिका ये शराब मुझे जीने नही देती, बहुत कोशिश करता हूँ मगर ये साली छूटती नहीं. अब तो लगता हैं कि मेरे मरने के बाद ही छूटेगी.
राधिका- प्लीज़ भैया, ये सब मत बोलिए, मैं आपकी शराब छुडवाउन्गि.
कृष्णा- नही राधिका ये शराब इतना आसानी से पीछा नही छोड़ती. तुम्हारे बस में नही हैं ये सब.
राधिका- पर भैया कोशिश तो आप कर ही सकते हो ना.
कृष्णा एक टक राधिका को सर से पाँव तक घूर कर देखता हैं और फिर मुस्कुरा कर कहता हैं.
कृष्णा- अरे मेरी बेहन, सच में तू तो किसी परी जैसी लग रही हैं.इन सारी में तो तू बहुत सुन्दर लग रही हैं.
राधिका- इसलिए भैया आज मेरे जनम पर शराब पी कर आए हो, अपनी बेहन के लिए शराब तक आप नही छोड़ सकते. है ना..
कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका, मुझे तेरा दिल तोड़ने का इरादा बिल्कुल भी नही था. चल कोई बात नही मैं अभी तेरा बर्तडे विश करूँगा.
राधिका- भैया आप प्लीज़ पहले नहा लीजिए, नहाने के बाद आपका नशा कुछ कम हो जाएगा.
कृष्णा- तू सच कह रही हैं. मैं अभी नहा कर आता हूँ. फिर हम दोनो मिलकर बर्तडे विश करेंगे.
कृष्णा झट से अपना शर्ट और पेंट वही राधिका के सामने उतार देता हैं. और फिर उसके तुरंत बाद वो अपनी बनियान और अंडरवेर भी निकाल कर वही फेंक देता हैं. राधिका जब उसको ऐसी अवस्था में देखती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं.
राधिका- भैया.........ये... आप.....क्या कर .............रहे हैं.......आपके कपड़े.
कृष्णा- तेरे से क्या शरमाना तू तो मेरी अपनी हैं. चल ना बाथरूम में ज़रा नल खोल दे.
राधिका का दिमाग़ कुछ काम नही करता हैं. वो एक टक अपने भैया को बिल्कुल नंगा अपने सामने देखकर उसकी हालत खराब हो जाती हैं. आज पहली बार उसने अपने भैया को ऐसी अवस्था में देखा था. उसके भैया का लंड करीब 10 इंच का था और करीब 3 इंच मोटा. इस वक़्त कृष्णा का लंड सोई हुई अवस्था में भी करीब 4 इंच का लग रहा था.
राधिका का गला सूखने लगता हैं और वो थूक को निगलते हुए कहती हैं.
राधिका- भैया प्लीज़ कम से कम अंडरवेर तो पहन लीजिए. आप को तो सच में शरम नही आती.
कृष्णा राधिका का हाथ को पकड़ता हुआ उसे बाथरूम में ले जाता हैं और शवर ऑन कर देता हैं . जैसे ही शवर का पानी नीचे गिरने लगता हैं राधिका का भी बदन भीगना शुरू हो जाता हैं .
राधिका- मैं भीग जाउन्गि भैया, आप नहा लीजिए मैं बाहर ही हूँ. और राधिका जैसे ही बाहर जाने के लिए मुड़ती हैं कृष्णा उसका हाथ पकड़ लेता हैं.
कृष्णा- मेरी बेहन, आज मैं तेरे साथ नहाना चाहता हूँ, क्या तू अपने भैया की ये इच्छा पूरा नही करेगी.
राधिका- भैया,प्लीज़ आप इस वक़्त नशे में हैं इस लिए आप को नही मालूम कि आप क्या बोल रहे हैं.
कृष्णा भी आप पूरा भीग चुका था और राधिका की साड़ी भी उसके जिस्म से एक दम चिपक गयी थी. और वो और भी खूबसूरत लग रही थी.और उसका जिस्म इस वक्त कयामत का रूप ले चुका था. जिसकी वजह से कृष्णा के लंड में धीरे धीरे हलचल होने लगी थी.
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RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका- प्लीज़ भैया, ये सब ठीक नही हो रहा हैं. प्लीज़ आप मुझे जाने दीजिए नही तो ...........
कृष्णा- तू चिंता मत कर राधिका मैं तेरा रेप नही करूँगा. बस तू मेरा लंड को ठंडा कर दे बस. मुझे और कुछ नही चाहिए.
राधिका- भैया ये आप क्या बोल रहे हैं. भला मैं कैसे ये सब कर सकती हूँ.
कृष्णा- तू बस इसे अपने मूँह में लेकर चूस कर मेरा माल निकाल दे बस. विश्वास कर राधिका मैं इससे आगे तेरे साथ कुछ नही करूँगा. और वैसे भी तू तो मुझे पूरी छूट दे ही चुकी हैं तो तू क्यों बेकार में बहस कर रही हैं.
राधिका भी एक नज़र कृष्णा की आँखों में देखती हैं और कृष्णा को बोलती हैं.
राधिका- सोच लो भैया एक बार फिर से, बाद में कहीं ऐसा ना हो कि पछताना पड़े.
कृष्णा- राधिका विश्वास कर मेरा मैं तेरे बदन को हाथ भी नही लगाउन्गा, बस तो एक बार मेरा लंड पूरा चूस कर मेरा माल निकाल दे.
राधिका- वैसे भैया एक बेहन को इससे बढ़िया बर्तडे गिफ्ट और क्या मिल सकता है, चूसने को अपने ही भाई का लंड................
राधिका- ठीक हैं भैया अगर आपकी यही इच्छा हैं तो मैं आपको रोकूंगी नहीं .
राधिका कुछ देर इसी उधेरबुन में फँसी रहती हैं कि क्या ये सब सही हैं. क्या मुझे ये सब करना चाहिए. दुनिया वाले क्या कहेंगे, अगर मैने दुनिया की परवाह की तो मेरे भैया का क्या होगा. जो अब मेरे लिए इंसान बनना चाहते हैं ,क्या वो मेरे लिए आपने आप को बदल देंगे. जो भी हो मेरे परिवार की लगाम अब मेरे हाथों में हैं. और मैं किसी भी सूरत में अपने भैया को फिर नरक में नही धकेल सकती. मैं इनकी शराब छुडवाउन्गि, अगर नही छोड़ सके तो मैं शराब को आपना लूँगी. चाहे जैसे भी हो मुझे हर हाल में अपने भैया का ख्याल रखना हैं.
लेकिन एक तरफ़ तो राहुल हैं. अगर वो मेरे और भैया के नाजायज़ संबंध को अगर जान गया तो क्या होगा. क्या वो मुझे अपना लेगा.या मुझे वो अपनी जिंदगी से निकाल देगा, मैं आज ऐसे मज़धार में फँसी हुई हूँ कि एक तरफ़ तो पहाड़ तो दूसरी तरफ खाई.
एक तरफ़ राहुल हैं तो दूसरी तरफ कृष्णा. अगर मैं कृष्णा को अपना बदन सौपुंगी तो राहुल की नजरो में बेवफा कहलाउन्गा. अगर मैं अपने भैया की इच्छा नही पूरी करती तो वो फिर से उस हरामी बिहारी की गुलामी करेगा, और दिन ब दिन शराब सिगरेट, सब नशा फिर से शुरू कर देगा. आज मुझे फ़ैसला लेना ही होगा कि एक तरफ कृष्णा और दूसरी तरफ राहुल.
नही नही मैं दोनो को नही छोड़ सकती.दोनो मेरी ज़िंदगी हैं. मुझे किसी भी हाल में अपना परिवार और अपना प्यार दोनो बचाना हैं इसके लिए अगर मुझे ही अपनी कुर्बानी देनी पड़े तो मैं आपने आप को भी कुर्बान कर दूँगी. मगर दोनो पर आँच तक नही आने दूँगी.
राधिका बहुत देर तक इसी उधेरबुन में फँसी रहती हैं उसे लाख सोचने पर भी कुछ समझ नही आता कि वो क्या करे. अब तो वो सब अपने नसीब पर छोड़ने का फ़ैसला कर लेती है चाहे जो भी हो, जैसे भी हो मेरी किस्मत उपर वाले के हाथ में हैं.
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RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--15
राधिका को ऐसे सोच में डूबा देखकर कृष्णा एक टक उसको बड़े प्यार से देखता रहता हैं. राधिका इस समय पूरा भीग चुकी थी. उसकी साड़ी पूरे उसके जिस्म से चिपक गयी थी. उसे गान्ड और दूध पूरी तरह से गोल गोल शेप में दिख रहे थे जो किसी का खून गरम करने के लिए काफ़ी थे. और कुछ देर में कृष्णा का लंड भी अपना आकार ले चुका था.
कृष्णा- किस सोच में डूब गयी हो राधिका?? कोई बात हैं क्या??
राधिका को कृष्णा की आवाज़ सुन कर जैसे वो किसी नींद से जागती हैं और एक दम से हड़बड़ा जाती हैं.
राधिका- वो.........नही भैया क.....कोई बात नहीं.
कृष्णा- देख राधिका अगर तेरा मन ये सब करने का नहीं हैं तो मैं तुझे कभी मज़बूर नही करूँगा. मैं तो बस यही चाहता हूँ कि तू खुद अपनी मर्ज़ी से ये सब करे. मैं तुझे सिड्यूस करके पाना चाहता हूँ.
राधिका- ऐसी कोई बात नहीं हैं भैया . पर क्या ये सब ठीक रहेगा आपको क्या लगता हैं. क्या दुनिया इसे सही मानेगी. क्या कोई बेहन अपने ही भाई का बिस्तेर गरम कर सकती हैं.कभी नही भैया दुनिया कभी हमारे रिश्ते को नही मानेगी. आप पर तो कोई भी उंगली नही उठाएगा मगर मैं किस किस का मूह बूँद करूँगी. ये दुनिया ये समाज मुझे जीने नहीं देगा. बोलो हैं आपके पास इसका कोई जवाब.???
कृष्णा- क्या राधिका तुम भी ना फिर से वही बात लेकर बैठ गयी. ये दुनिया और ये समाज़ का काम ही हैं बस बोलना. बोलने दो. मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता.
राधिका- लेकिन मुझे फ़र्क पड़ता हैं भैया. आपको क्या मालूम कि, औरत की ज़िंदगी इतनी आसान नही होती. अगर कल को कोई लड़की शादी होकर अपने ससुराल जाती हैं और उसके पति की किसी आक्सिडेंट में मौत हो जाती हैं तो दुनिया लड़के को नही दोष देती. उल्टे लड़की पर हज़ारों उंगली उठाती हैं. कि लड़की अप्शगुनि हैं तो डायन , आते ही अपने पति को खा गयी, और पता नहीं क्या क्या...............
कृष्णा- लेकिन तुझपर जो उंगली उठाएगा उसका मैं हाथ तोड़ दूँगा. जिसने भी तेरे बारे में कुछ बोला साले की ज़ुबान काट दूँगा.
राधिका- भैया ये सब इतना आसान नही हैं. मैं इस वक़्त ये सब नही कर सकती भैया मुझे अभी और वक़्त चाहिए. प्लीज़ मेरी बात का बुरा मत मानना. मैं अभी इसके लिए तैयार नहीं हूँ.
कृष्णा भी राधिका के करीब जाता हैं वो उसे अपने सीने से लगा लेता हैं. उपर से शवर का पानी में वो दोनो पूरी तरह से भीग जाते हैं . कृष्णा उसके माथे को चूम लेता हैं .
कृष्णा- ठीक हैं राधिका, मैं तुम्हें पाने के लिए कुछ पल तो क्या ज़िंदगी भर इंतेज़ार करने को भी तैयार हूँ. मुझे उस पल का बहुत बेसब्री से इंतेज़ार रहेगा.
राधिका की आँखो से आँसू छलक पड़ते हैं और वो कस कर कृष्णा को अपने सीने से लगा लेती हैं.
राधिका- अब ऐसे ही पूरा नंगे रहोगे क्या. आपको तो शरम हैं नही , ये भी नही मालूम कि घर पर एक जवान बेहन भी हैं.
कृष्णा- मुस्कुराते हुए , हां पता हैं अरे तू तो मेरी ही खून हैं ना. जब मैं तुझे अपना समझता हूँ तो तुझसे किस बात का शरमाना .
राधिका- बस बस बहुत हो गया आप इस वक़्त बाथरूम से बाहर चले जाइए और चुप चाप जाकर अपने कपड़े पहेन लीजिए.
कृष्णा झट से बाहर निकल जाता हैं और जाकर दूसरे कपड़े पेहेनने लगता हैं तभी उसके घर का बेल बजता हैं. बेल सुनकर राधिका और कृष्णा के होश उड़ जाते हैं. वो जल्दी से अपने कपड़े पहनता हैं और जाकर दरवाजा खोलता हैं. सामने निशा खड़ी थी.
निशा- भैया, राधिका घर पर हैं क्या???
कृष्णा-हां , आओ ना अंदर अभी वो नहा रही हैं.
निशा घर के अंदर आती हैं और वही सोफे पर बैठ जाती हैं.
थोड़ी देर के बाद राधिका भी अपने कपड़े बदल कर एक नया सूट पहनकर निशा के पास आती हैं.
निशा- कहाँ थी अब तक मेडम??? फोन भी लगाने पर तुम रिसीव नहीं करती और आज कॉलेज क्यों नही आई. मैं आज सुबह से ही तेरा वेट कर रही थी.
कृष्णा-क्या??? राधिका तुम आज कॉलेज नही गयी, पर क्यों???
राधिका- हां वो भैया मेरी तबीयत आज कुछ ठीक नही लग रही ही. तो दिन भर मैं आज घर पर सोई थी.
निशा उसको घूर कर देखती हैं वो अच्छे से जानती थी कि राधिका कभी कॉलेज गोल नहीं करती हैं. चाहे उसका तबीयात ही क्यों ना खराब हो??
कृष्णा भी थोड़े देर वहाँ रुक कर बाहर निकल जाता हैं.
राधिका- यार तू थोड़ी देर अपना मूह नही बूँद रख सकती थी क्या???
निशा- यार आज तेरा बर्तडे हैं. तुझे अच्छे से पता हैं कि मैं तेरा बर्तडे हमेशा से विश करती चली आ रही हूँ. फिर भी तू आज कॉलेज नहीं आई. बात कुछ और हैं राधिका तू मुझसे कुछ छुपा रही हैं.
राधिका- नही निशा सच में.............कोई बात नही हैं..
निशा- एक बात और बता तू आज कुछ परेशान लग रही हैं बात क्या हैं??? मैने तुझे इतने टेन्स में कभी नही देखा.
राधिका- नही निशा, बिलिव मी यार ऐसी कोई बात नहीं हैं..
निशा- एक बात कहूँ मैने अभी देखा हैं कि कृष्णा भैया भी अभी अभी नहा कर बाहर निकले हैं और तू भी इस वक़्त नहा कर आ रही हैं. और मैं जानती हूँ कि तेरे घर में सिर्फ़ एक ही बाथरूम हैं. क्या जो मैं समझ रही हूँ कहीं वो बात तो नहीं हैं ना.
इतना सुनते ही राधिका के चेहरे का रंग एक दम उड़ जाता हैं और वो झट से अपना सिर नीचे झुका लेती हैं. बस निशा को सब समझ में आ जाता हैं.
निशा- राधिका तेरा दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया ना. क्यों तू अपने ही जिंदगी से खिलवाड़ कर रही हैं. पता भी हैं आगे जाकर इसका क्या अंजाम होगा.
राधिका-प्लीज़ निशा मुझे बस मेरे हाल पर छोड़ दे. मैं जैसे भी हूँ ठीक हूँ.
निशा- मेरी आँखों में देखकर बता राधिका कि जो तू ये सब कर रही हैं क्या ये सब तुझे ठीक लगता हैं. भला तू अपने ही भैया से वो सब कैसे कर सकती हैं. क्या तेरी आत्मा इस बात की गवाही नही देती कि.............
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RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका-बस कर निशा , मैं ये सब बिल्कुल सुनना नहीं चाहती, प्लीज़ चुप हो जा.
निशा- मुझे विश्वास नही होता कि तू वही राधिका हैं जो कल तक तुझे जो भी आँख उठा कर देख लेता था तू उसका बॅंड बजा देती थी तो आज क्या हो गया हैं तुझे. क्यों आज अपने ही बदन को अपने ही भाई के हवाले करना चाहती हैं. क्यों तू अपने आप को बर्बाद करना चाहती हैं.
राधिका- बोल ले निशा जितना जी में आए मुझे बोल ले, मैं तुझे आज एक शब्द भी नही बोलूँगी.
निशा- ठीक हैं राधिका ये ले मेरा गिफ्ट अब मैं चलती हूँ हो सके तो तू मुझे माफ़ कर देना. आज के बाद मैं तुझसे कभी नही मिलूंगी.
राधिका की आँखो से आँसू निकल पड़ते हैं और वो झट से निशा का हाथ पकड़ लेती हैं.
राधिका- मुझे माफ़ कर दे निशा मेरा ये इरादा नहीं था कि तुझे दुख पहुँचे. राधिका अपने आँखों से आँसू पोछते हुए बोली.
निशा- प्लीज़ राधिका मुझे जाने दे. मैं अब तेरे साथ कोई भी रिश्ता नही रखना चाहती प्लीज़ लीव मी..............
राधिका- अगर तू इस वक़्त यहाँ से चली गयी तो मेरा मरा हुआ मूह देखेगी. और तू जानती हैं कि मैं बोलती नही करती भी हूँ.
निशा के बढ़ते कदम इतना सुनकर रुक जाते हैं और फिर वो राधिका के करीब आती हैं.
निशा- तू क्यों ऐसा कर रहीं हैं. क्यों तू अपने ज़िंदगी बर्बाद करने पर तुली हुई हैं.आख़िर क्या जताना चाहती हैं तू.... ....मेरी बात मान राधिका अब भी कुछ नहीं बिगाड़ा हैं वक़्त रहते सम्भल जा. वरना कल को तेरी शादी हो गयी और तेरे ससुराल वालों को इस बात की भनक भी लग गयी तो तेरा ज़ीना मुश्किल हो जाएगा.
राधिका- जाने दे ना निशा मैं सब कुछ अपने नसीब पर छोड़ चुकी हूँ. अगर मेरे नसीब में गिरना ही लिखा हैं तो मुझे गिरने से कोई नहीं बचा सकता.
निशा- नसीब वासीब कुछ नही होता राधिका. यहाँ पर इंसान खुद अपनी तकदीर बनाता हैं और बिगाड़ता हैं. आज भी सब कुछ तेरे हाथों में हैं. आगे तेरी मर्ज़ी ....................
फिर कुछ देर के बाद दोनो नॉर्मल होते हैं और कृष्णा भी घर पर आ जाता हैं और फिर दोनो मिलकर राधिका का बर्तडे सेलेब्रेट करते हैं. राधिका भी उसे अपने घर पर खाना खिलाती हैं और फिर निशा करीब 7 बजे अपने घर चली जाती हैं.
निशा के जाने के बाद वो उसका गिफ्ट पॅक खोलती हैं उसमें एक लाल डायरी था.जिसे देखकर राधिका का चेहरा ख़ुसी से खिल उठता हैं. .....
राधिका कुछ देर में घर का सारा काम ख़तम करके, बिस्तर पर लेट जाती हैं. उसकी आँखों में नींद कोसो दूर थी. जैसे ही वो बिस्तेर पर लेट ती हैं उसके आँखों के सामने सुबह से अब तक की पूरी घटनायें याद आने लगती हैं. जो भी हो आज उसका दिन वाकई में यादगार बन गया था. सुबह उठाते ही भैया का सर्प्राइज़ प्रेज़ेंट, फिर दिन भर राहुल के साथ वो हसीन पल और शाम को भैया के साथ वो घटनायें सब कुछ उसकी नज़र के सामने घूमने लगता हैं.काफ़ी देर तक ये सब सोचते सोचते उसको नीद आ जाती हैं.
सुबह जब उसकी आँख खुलती हैं तो वो झट से फ्रेश होती हैं और नाश्ता बनाकर अपने कॉलेज के लिए निकल पड़ती हैं. थोड़ी देर में उसके बाप और भैया दोनो बाहर निकल जाते हैं.
पोलीस स्टेशन में.................
इधेर राहुल भी सुबह 9 बजे अपने पोलीस हेडकार्टर पहुँच जाता हैं. उसके थोड़ी देर के बाद ही ख़ान भी जीप से उतरकर उसके सामने आता हैं.
ख़ान- गुड मॉर्निंग सर!!!!
राहुल- वेरी गुड मॉर्निंग ख़ान भाई , कहिए क्या हाल समाचार हैं.
ख़ान- सर एक बहुत ज़रूरी बात करनी थी आपसे. मामला बहुत गंभीर हैं.
राहुल- बोलो ख़ान क्या बात हैं??
ख़ान- सर कल रात में करीब 10 बजे एम.जी चौक पर पोलीस मुठभेड़ में दो बदमाश मारे गये हैं . और सर हमारे कॉन्स्टेबल रघु के हाथ में भी गोली लगी हैं. अभी वो हॉस्पिटल में अड्मिट हैं. और ख़तरे से बाहर हैं.
राहुल- क्या???? इतना सब कुछ हो जाने पर तुम अभी मुझे ये रिपोर्ट दे रहे हो. कल नही बता सकते थे क्या???
ख़ान- सॉरी सर आपने कल छुट्टी ली थी तो मैने आपको डिस्टर्ब करना सही नही समझा.
राहुल- चलो कोई बात नही लेकिन आगे से मुझे तुरंत रिपोर्ट मिलनी चाहिए. और हां उन बदमाशों का कुछ पता चला क्या,, कौन थे वो?? और उनका मकसद क्या था.
ख़ान- सर कल रात मे हमने एम.जी रोड पर नाकाबंदी कर रखी थी. इतने में ये दोनो बदमाश अपनी मोटरसाइकल से आए और आते ही हम पर फाइरिंग कर दी. जवाब में हमे भी गोली चलानी पड़ी. और ये दोनो मारे गये.
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RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--16
आज राधिका के मंन में हज़ारो सवाल उठ रहे थे. उपर से निशा के ऐसे तेवर देखकर उसे खुद विश्वास नही हो रहा था. वो कॉलेज अटेंड कर के घर आती हैं और फ्रेश होकर खाना बनाती हैं.
दूसरे दिन सुबह ही राहुल का फोन आता हैं और वो राधिका से मिलने के लिए बेचैन रहता हैं. आज सनडे होने के कारण वो राधिका को लेने उसके घर आता हैं और कुछ देर में वो उसे अपने घर ले जाता हैं.
राहुल- जान अब तो मैं यही सोचता हूँ कि जल्दी से जल्दी हम शादी कर ले.
राधिका- हां तो जनाब कब मुझे मन्गल्सुत्र पहना रहे हैं.
राहुल- बहुल जल्दी. देख लेना ऐसा बारात लेकर आउन्गा की सारा सहर देखता रह जाएँगा. और मैं अपनी दुल्हन को अपनी बाहों में उठाकर इस घर में ले आउन्गा.
राधिका- लेकिन आप तो हम से सुहाग रात पहले ही मना चुके हैं. अब उसका क्या.
राहुल- अरे तो क्या हुआ ये सब चीज़ों से भला कभी मन भरता हैं क्या. और राहुल मुस्कुरा देता हैं और राधिका भी शरम से अपनी नज़रें नीचे झुका लेती हैं.
राहुल- अरे वाह हमारी दुल्हन तो हम से शरमा रही हैं. लगता हैं आभी भी पूरी शरम गयी नही हैं. आज पूरी बची हुई भी उतार दूँगा.
राधिका का चेहरा शरम से लाल हो जाता हैं.और वो भी धीरे से मुस्कुरा देती हैं.
कुछ देर इधेर उधेर की बातें होती हैं फिर दोनो नाश्ता करते हैं और फिर राहुल उसे अपने कमरे में ले जाता हैं.
अंदर आकर वो झट से राधिका को कस कर अपनी बाहों में ले लेता हैं और अपने लब से राधिका के लब को चूम लेता हैं. और फिर धीरे धीरे उसे अपने दाँतों से काटने लगता हैं और जवाब में राधिका भी अपना बदन को उसके हवाले कर देती हैं और अपनी आँखें बंद कर के अपना हाथ उसके सर पर फिराती हैं.
कुछ देर तक ऐसे ही वो दोनो आपस में एक दूसरे के होंठ चूस्ते और चाट ते हैं.
राहुल जब से राधिका से मिला था वो कुछ परेशान सा दिख रहा था, और राधिका भी उसके चेहरे पर परेशानी सॉफ सॉफ पढ़ लेती हैं.
राधिका- अपने से राहुल को दूर करते हुए. बात क्या हैं राहुल मैं जब से तुमसे मिली हूँ तुम कुछ परेशान से दिख रहे हो.
राहुल- हां जान , क्या करू बात ही ऐसी हैं.
राधिका- मुझे नही बताओगे क्या.
राहुल- राहुल कुछ देर तक सोचता हैं फिर बोलना शुरू करता हैं.
राहुल- दर-असल परसों रात में दो बदमाश मारे गये थे पोलीस मुठभेड़ में. जानती हो वो दोनो कौन थे.
राधिका- चौुक्ते हुए, कौन???
राहुल- याद हैं जब मैं पहली बार तुमसे मिलने तुम्हारे घर आया था तब किसी ने मुझपर हमला किया था, वो दोनो हमलावर यही थे. ये तो बस मोहरे थे मगर इनका लीडर अभी पकड़ा नही गया हैं.
राधिका- चलो राहुल ये तो और भी अच्छा हुआ, मगर आगे से तुम सावधान रहना.
राहुल- मुझे तो ये चिंता सता रही हैं कि मेरी हर पल पल की खबर इनके पास कैसे पहुचती हैं. कोई तो ऐसा आदमी हैं जो हमारी पोलीस फोर्स में इनको पल पल की खबर दे रहा हैं. वरना मैं उस दिन तुम्हारे यहाँ पहली बार आया था और ये सब इनको कैसे मालूम हुआ कि मैं इस वक़्त तुम्हारे घर पर हूँ. जबकि मैं उस दिन किसी को ये बात नही बताई थी.
राधिका- एक दम से उसे कुछ याद आता हैं. मैं यकीन से तो नही कह सकती राहुल मगर हो ना हो इन हमलावरो के पीछे ज़रूर तुम्हारे दोस्त विजय का हाथ हो सकता हैं.
राहुल- चौुक्ते हुए. तुम कैसे इतना यकीन से कह सकती हो. क्या तुम्हारे पास कोई सुबूत हैं.
राधिका- याद हैं राहुल जब तुम पर हमला हुआ था उसके करीब 20 मिनिट पहले तुम्हारे दोस्त विजय का फोन आया था.और तुमने ही तो उसे बताया था कि तुम इस वक़्त मेरे घर पर हो.
राहुल- हां मानता हूँ की विजय का 20 मिनिट पहले फोन आया था, लेकिन वो तो हर रोज़ मुझसे ऐसी ही बातें करता हैं. और रोज़ मुझसे मिलकर अपना हाल चाल जानकार अपने क्लिनिक चला जाता हैं. नही वो ऐसा नहीं कर सकता.
राधिका- लेकिन ये बात तो उस वक़्त बस विजय ही जानता था की तुम कहाँ पर हो. और हो सकता हैं वो ही तुम पर हमला करवाया हो.
राहुल- नही राधिका, विजय को मैं अच्छे से जानता हूँ, वो मेरे दोस्त ही नही बल्कि मैं उसे अपना छोटे भाई की तरह मानता हूँ. वो ऐसा कभी नही कर सकता. और ये भी तो हो सकता हैं कि उन हमलावरो ने मेरी गाड़ी का पीछा किया हो और मौका देखकर मुझपर हमला कर दिया हो.
राधिका- जो भी हो राहुल मुझे ये तुम्हारा दोस्त कुछ ठीक नही लगता. मैं तो बस यही कहूँगी कि तुम बस सावधान रहना.
राहुल- मुझे कुछ नही होगा राधिका. तुम जो मेरे साथ हो. देख लेना एक दिन साले सब पकड़े जाएगे. और तुम बे-वजह मेरे दोस्त पर शक कर रही हो. वो ऐसा नहीं हैं.
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