kaamvasna साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ
03-22-2020, 01:39 PM,
#29
RE: kaamvasna साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ
कुमुद ने रानी के होठोँ पर उंगली रखते हुए कहा, "चलो ठीक है। तुम मेरी दोषी हो ना? मैं जो कहूँगी वह सजा तुम स्वीकार करोगी? मुझे वचन दो।"

रानी पलंग पर धीरे से बैठ गयी। रानी ने कुमुद के हाथ अपने हाथमें लिये और उसे दबाकर बोली, "मैं मेरी बहन कुमुद को वचन देती हूँ की जो सजा तुम मुझे दोगी वह बिना सोचे समझे स्वीकार करुँगी। तुम मुझे आत्महत्या करने को कहोगी तो वह भी मैं करुँगी। तुम मुझे अपनी, राज की और कमल की जिंदगी से हमेशा के लिए दूर चले जानेको कहोगी तो मैं वह भी करुँगी। मुझे तुम्हारी कोई भी सजा मंजूर है।"

कुमुद ने रानी के हाथों को संवारते हुए रानी को बिस्तर से धीरे से उठाया और अपनी बाँहों में लिया। कुमुद ने रानी से कहा, "देखो बहन, तुम मेरी छोटी बहन और अब मेरी अत्यंत घनिष्ठ और निजी मित्र हो। जैसे हमारे पति एक दूसरे पर जान छिड़कते हैं वैसे ही हम दोनों भी एक दूसरे के घनिष्ठ हैं। मेरी नजर में सिर्फ तुम ही नहीं, हम चारों एक दूसरे के गुनेहगार हैं। वह ऐसे की यह हमारे दो पति एक दूर से पुरे खुले हुए और एकात्म हैं। ये कोई भी चीज एक दूसरे छुपाते नहीं हैं और करीब करीब सारी खुशियां मिलजुल कर बाँटते हैं। वह एक दूसरे के साथ लगभग पूरी तरह से पारदर्शी हैं। पर जहां तक पत्नियों का सवाल है वहाँ गड़बड़ हो गयी। अब हम दोनों उनके साथ जुड़ गयीं और हमारी मर्जी भी जरुरी हो गयी। इसलिए हमें भी एकात्म होना होगा और अब हम एकात्म हो भी गए हैं। तो फिर मैं तुम्हें, अपने आपको और बाकी हमारे दोनों पतियों को भी यह सजा सुनाती हूँ की हम चारों एकदूसरे से कोई भी बात नहीं छुपायेंगे और एक दूसरे से कोई पर्दा नहीं करेंगे। हम किसी के कोई भी कार्य का बुरा नहीं मानेंगे और एक दूसरे के साथ मस्ती में रहेंगे। क्या यह बात तुम्हें और हम सब को मंजूर है?"

राज और कमल एक दूसरे की और बड़े अचम्भे से देखने लगे। रानी ने तब कुमुद से शर्माते हुए दबी आवाज में पूछा, "बहन तुम्हारी सजा मंजूर है पर मेरे साथ ऐसा कुछ हुआ तो मैं तो शर्म के मारे मर ही जाउंगी। मुझे कमलजी के सामने बड़ी शर्म और लज्जा आती है। मैं क्या करूँ?"


राज यह सुन कर आगे आया और बोला, "मेरी प्यारी रानी! शर्म और लज्जा स्त्री के आभूषण हैं। लज्जा तो आएगी ही। डार्लिंग, तुम्हें कुछ नहीं करना है। यह सब ऊँची ऊँची गंभीर बातें छोडो। बस हम दोनों पति और दोनों पत्नियां मिलकर यह शपथ लें की अब हम एकदूसरे से कुछ नहीं छुपायेंगे। इसकी शुरुआत हम ऐसे करें की आज रात हम हमारे बिस्तर एक साथ एक ही रूम में लगाएंगे और खूब प्रेम से एक दूसरे से खुली बात करेंगे और एक दूसरे की बातें सुनेंगे। हम चारों के बीचमें कोई भेद हम नहीं रखेंगे। हम पति और पत्नी खूब प्रेम करेंगे और एक दूसरे के सामने ही करेंगे। अब हम एक दूसरे से पर्दा नहीं करेंगे। अब हमें पूरी आजादी रहेगी। हम जो चाहे कर सकते हैं। बोलो मंजूर है?"

सब ने मिलकर कहा, " मंजूर है।"

तब कुमुद थोड़ा मुस्कुरायी और रानी के पास आयी और उसे अपनी बाँहों में लेती हुई बोली, "तू मुझे अपनी बहिन कहती है न? और मुझसे ही चोरी छुप्पी? मेरा पति तो पहले से ही लम्पट है। मुझे पता है की वह तुम्हें छेड़े बगैर रहेगा नहीं। तुम्हें छेड़ रहा था न वह? सच सच बोलना। और अगर तू उसे पसंद है ना तो वह तुझे छोड़ेगा भी नहीं।" इतना बोल कर कुमुद चुप हो गयी और सब की और देखने लगी।

फिर कुमुद ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा, "पर आखिर तू भी तो एक स्त्री है और तेरी भी तो अपनी कामनाएं हैं और मजबूरियां भी हैं। मेरे लम्पट और आकर्षक पति को दूर रखना कोई भी स्त्री के लिए बड़ा ही मुश्किल है। उसके ऊपर तुम्हें लपेटने में कमल के सहायक और हितैषी तुम्हारे पति? तुम कहाँ बच पाती? तुम्हारा क्या दोष?" कह कर कुमुद ने रानी को गले लगा लिया।

रानी: "कुमुद तुम मेरी सच्ची बड़ी बहन हो। मैं तुम्हें कभी आहत नहीं करुँगी। यह मेरा वादा है।"

कुमुद अपने पति कमल के पास गयी और बोली, "डार्लिंग, तुम तो सुधरोगे नहीं। तुम अपने आपको क्या समझते हो? कोई लड़की ने ज़रा सी छूट दे दी तो तुम जो चाहो करोगे? अब चलो मेरे साथ मैं तुम्हें इसकी सजा देती हूँ।"

यह कह कर कमल का हाथ पकड़ कर कुमुद अपने पति को खिंच कर दूर बैडरूम में ले गयी। कमरे में पहुंच कर पलंग पर पति को बिठाकर कुमुद स्वयं उसकी गोद में बैठ गयी। अपने पति कमल को कुमुद ने गले लगा लिया, अपनी बाहों में ले लिया और कमल के कानों में फुसफुसाती हुई बोली, "मेरे चालु लम्पट पतिदेव। बेचारी भोली भाली चिड़िया को फँसा रहे थे? यार निर्लज्जता की भी कोई हद होती है। अपने भाई की बीबी को ही चोदना चाहते हो?"

कमल बड़े ही असमंजस में अपनी बीबी कुमुद को देखता रहा। उसे समझ नहीं आ रहा था की वह क्या बोले। उसने कुमुद का यह रूप कभी पहले नहीं देखा था। कुमुद बोली, "तुम तो सुधरने से रहे। अब मुझे ही सुधरना पडेगा। मैं कोई गुस्से में नहीं हूँ। तुम्हारे और रानी के बारे में मेरी राज से खुल्लमखुल्ला बात हुई है। अब मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं है। अब तक के मेरे रूखे बर्ताव के लिए मुझे माफ़ करना। पर हाँ याद रहे मैं तुम्हारी बीबी हूँ और हमेशा रहूंगी। तुम पर मेरा ही अधिकार है। रानियां तो आएंगी और जाएंगी। और दूसरी बात तुम्हारी खैर नहीं जो मेरे पीछे, मुझसे पूछे बगैर कुछ भी गड़बड़ की। राज से मेरी साफ़ साफ़ बात हुई है। अब हम जो भी करेंगे, साथ में मिलकर करेंगे। बोलो मंजूर?"
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