08-11-2018, 01:57 PM,
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
कुछ देर तो माँ बिस्तर पे पस्से मारती रही, जब सहा नही गया तो उठ के अपने कपड़े उतार डाले.
और बिस्तर पे गिर कर अपने उरोजो को दबाने और निचोड़ने लगी. उसकी आँखों के सामने राम्या और सीमी के जुड़े हुए जिस्म लहराने लगे और उसके जिस्म की प्यास बढ़ती चली गई.
ऊरोजो को सहलाते, दबाते, निचोड़ते उसे राम्या के हाथों की कमी महसूस होने लगी. कल तक जो सिर्फ़ लंड लिया करती थी, आज उसे अपनी ही बेटी के जिस्म की चाहत होने लगी. शायद इसलिए की उसका पति उसे चोदने के लिए माजूद नही था और जिस्म की प्यास जब भड़कती है तो इंसान अच्छा या बुरा भूल जाताहै, बस याद रहती है तो सिर्फ़ एक बात, इस प्यास को भुजाना है कैसे भी.
काफ़ी देर तक वो अपने उरोजो सेखेलती रहती है और फिर आँखें बंद कर अपने ही हाथों से अपनी चूत सहलाने लगती है और मन ही मन कल्पना करने लगती है कि राम्या उसकी चूत सहला रही है.
कल्पना करते करते अपनी ही उंगलियाँ अपनी चूत में घुसा लेती है और तेज़ी से अपनी उंगलियाँ अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगती है.जिस्म का उन्माद बढ़ता ही रहता है और मुँह से सिसकियाँ फूटने लगती है.
आह राम्या कर और कर, और अंदर डाल, हां हां उफ़ उफ़ उफ़ ओह और तेज़ और तेज़
जो मुँह में आया वो निकलता रहा और काफ़ी देर तक उंगलियाँ चलाने के बाद उसका जिस्म अकड़ने लगा. बंद आँखों के आगे एक अंधेरा सा छा गया और चिंगारियाँ से लहराने लगी.
अहह एक चीख के साथ उसने अपना बाँध तोड़ दिया और उसकी उंगलियाँ उसके कम रस से भीग गई, बिस्तर पे एक तालाब सा बनने लगा. जिस्म निढाल सा पड़ गया और वो अपने आनंद में खो गई.
नीचे माँ खुद को अपनी ही उंगलियों से राहत पहुँचती है , उपर दोनो बहने 69 पोज़ मे एक दूसरे की चूत को चूस, काट और चाट रही थी. दोनो पे एक पागलपन सवार था.
सीमी ने राम्या की चूत में अपनी उंगली घुसा दी और उसकी क्लिट को ज़ुबान से कुरेदने लगी. उफफफफफफफफफफफ्फ़ राम्या के जिस्म में झुरजुरी फैल गई, उसे ऐसे महसूस होने लगा जैसे लहरों की तपड़ों के साथ उसका जिस्म उपर नीचे हो रहा है. सीमी की चूत तो काफ़ी खुली हुई थी आसानी से राम्या की तीन उंगलियाँ निगल गई. राम्या ने उसकी चूत के अंदर अपनी उंगलियों की हरकतें शुरू करदी और जीब से उसके क्लिट को ज़ोर ज़ोर से चाटने लगी. एक तेज़ लहर सीमी के जिस्म में उठी और उसने राम्या की चूत पे दाँत गढ़ा दिए.
आधे घंटे तक दोनो के जिस्म उत्तेजना से तड़प्ते हुए एक दूसरे की चूत में जीब और उंगलियों का प्रहार करते रहे. लहरें जिस्म में उठती गिरती रही.
राम्या ने सीमी की चूत को पूरा मुँह में भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लग गयी जैसे पंप चला कर चूत में से कुछ निकलना चाहती हो. सीमी तड़प उठी और उसने राम्या के क्लिट को दांतो से पकड़ लिया . एक करेंट सा लगा राम्या को और उसके चूसने की गति और ताक़त यकायक बढ़ गई जिसका सीधा असर सीमी की चूत की दीवारों पे हुआ और वो अंदर इकट्ठा होते हुए सैलाब को बहने रोकने में पूरी ताक़त लगा बैठी.
भूखी प्यासी बिल्लियों की तरहा दोनो एक दूसरे की चूत को चूस रही थी और दोनो के जिस्म इस आनंद को सह पाने की अपनी क्षमता पार कर चुके थे.
दोनो का जिस्म अकड़ने लगा और और दोनो की चूत एक साथ कुलबुलाती हुई अपने कमरस को रोकने मे असमर्थ एक तेज़ भाव के साथ बहने लगी, जिससे दोनो ही लपलप चाटते हुए चूसने लगी और अपने होंठ एक दूसरी की चूत से चिपका कर निकलते हुए कमरस को अंदर गटाकने लगी.
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08-11-2018, 01:58 PM,
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
जब दोनो का सैलाब रुक गया तो असीम आनंद को महसूस करते हुए दोनो एक दूसरे की बगल में गिर कर हाँफने लगी और अपनी साँसे दुरुस्त करने लगी.
जब दोनो की साँसे सम्भल गई तो दोनो एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे के चेहरे पे फैले हुए अपने रस को चाटने लगी और दोनो ने एक दूसरे का चेहरा चाट चाट कर सॉफ कर दिया.
राम्या सीमी के पीछे पड़ गई आगे की दास्तान जानने के लिए.
राम्या : अब आगे बता क्या क्या. चुदने के बाद तूने क्या किया.
सीमी : तू मेरा पीछा छोड़ेगी नही, बड़ा मज़ा ले रही है मेरी चुदाई के बारे मे जान कर . जब खुद चुदेगि तब पता चलेगा कितना मज़ा आता है.
राम्या : उसी केलिए तो विमल को पटा रही हूँ.अब तू मेरी बात छ्चोड़ और अपनी बता.
सीमी : अच्छा बाबा ले सुन.
चुदने के बाद थोड़ी देर तो मैं अपनी साँसे संभालती रही. जब साँस ठीक हुई तो मुझे ज़ोर से पिशाब आया और में बाथरूम जाने के लिए उठने लगी. ज़रा सा ही उठी थी कि कमर में ज़ोर का दर्द हुआ और में वापस बिस्तर पे गिर पड़ी. विक्की मेरी हालत समझ गया और मुझे उठा कर बाथरूम ले गया और Wc पे बिठा दिया. बेशार्मो की तरहा मेरे सामने ही खड़ा रहा. मुझे इतनी शर्म आ रही थी कि मुतना भी मुश्किल हो रहा था. मेरे पास आ कर मेरे उरोज़ सहलाता हुआ बोला 'शरमा किसलिए रही है, अब भी कुछ बचा है छुपाने के लिए'
मैं शर्म से दोहरी होती जा रही थी वो मेरे मम्मों से खेल रहा था, बड़ी मुस्किल से मैने मुता और फिर उसने मुझे शवर के नीचे खड़ा कर दिया. ठंडा ठंडा पानी मेरे जिस्म को राहत देने लगा.
उसने मुझे बड़े प्यार से नहलाया. उसके हाथ मेरे जिस्म पे जब घूम रहे थे मेरी साँसे तेज़ होने लगी एक सैलाब मेरे अंदर फिर से उठने लगा.
वो नीचे बैठ गया और अपना मुँह मेरी चूत से लगा दिया उफफफफफफफफफफफफ्फ़ एक तेज़ सरसराहट मेरी चूत मे होने लगी . उसने अपनी जीब मेरी चूत में घुसा दी. उूुुुुुुुुुउउइईईईईईईईईईईईईई माआआआआआ मैं चीख पड़ी . मेरी चूत में हज़ारों चीटी एक साथ रेंगने लगी मेरा बुरा हाल होने लगा और वो मज़े से मेरी चूत को अपनी जीब से रोन्दने में लगा रहा. उफ़फ्फ़ क्या बताऊ क्या हाल हो रहा था मेरा. खड़ा होना भी भारी लग रहा था. बस दिल कर रहा थे वो अपना लंड मेरी चूत में घुसा दे. मैं ज़्यादा देर तक उसकी जीब के करतब अपनी चूत में सह ना सकी मेरा जिस्म अकड़ता गया और मैं उसके मुँह में ही झाड़ पड़ी. वो चटकारे लेकर मेरा कामरस पीने लगा और तब तक पीता रहा जब तक आखरी बूँद भी उसके गले के नीचे उत्तर ना गई.
इतना मज़ा आया कि क्या बताऊ . मैं और खड़ी ना रह सकी और फर्श पे ढेर हो गई. वो मेरे साथ लिपट गया और मुझे चूमने और सहलाने लगा.
जब थोड़ी जान में जान आई तो वो खड़ा हो गया. अब मेरी बारी थी उसे मज़ा देने की. मैं घुटनो के बल बैठ गई और उसके लंड को पकड़ कर चाटने लगी. वो आँहें भरने लगा.
मैं उसके लंड को अपने मुँह के अंदर घुसाती चली गई और वो मेरे गले तक पहुँच गया. मुझे साँस लेने में तकलीफ़ होने लगी, फिर भी मैं उसके लंड को थोड़ा बाहर निकालती फिर गले तक ले जाती, उसे तो ऐसा लग रहा था जैसे चूत में ही उसका लंड घुसा हुआ हो. मैं ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को चूसने लगी. दिल कर रहा था कि वह मेरे मुँह में ही झाड़ जाए और में उसके रस से अपनी प्यास भुजा सकूँ. पर उसके मन में कुछ और ही था.
उसने मेरे मुँह से अपना लंड निकाल लिया और मुझे झुका कर मेरे पीछे आ गया. मैं समझ गई अब ये मुझे चोदेगा. मेरे पीछे आ कर अपना लंड मेरी चूत पे घिसने लगा. मेरा हाल तो बुरा हो ही चुका था मेरी चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी. उसने मेरी कमर को पकड़ा और अपना लंड मेरी चूत मे एक झटके में ही पेल दिया. मैं सिर्फ़ एक बार ही तो चुदि थी,मेरी चूत काफ़ी टाइट थी इसलिए मुझे बहुत दर्द हुआ पर इतना नही जितना पहली बार हुआ था.
वो सतसट मुझे पेलने लगा . मैं दर्द से कराहती रही, थोड़ी देर में मेरा दर्द गायब हो गया और मज़ा आने लगा. मैने भी अपनी गान्ड उसके लंड पे मारनी शुरू कर दी. जैसे ही वो अपना लंड बाहर निकालता मैं अपनी गान्ड पीछे कर फिर उसका लंड अंदर लेलेति.
10 मिनट तक वो मुझे बिना रुके चोदता रहा और फिर मेरी चूत में झाड़ गया. हम दोनो की साँसे फूल चुकी थी. उसके झाड़ते ही मेरी चूत भी उसके साथ झाड़ पड़ी और मैं फर्श पे ही ढेर हो गई.
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08-11-2018, 01:59 PM,
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
विमल और सोनी तो खुद के साथ खेलने में मस्त थे पर रमेश तो बेसब्री से अपनी बीवी का इंतेज़ार कर रहा था.
सोनी की माँ किचन संभाल कर जैसे ही अपने कमरे में घुसती है तो रमेश पहले से ही अपने कपड़े उतार के बैठ हुआ था और अपने लंड को सहला रहा था. वो फट से दरवाजा बंद करती है ताकि कोई बच्चा ग़लती से ना आजाए और बाप को इस अवस्था में देखले. चूत तो उसकी भी कुलबुला रही थी पर नारी लज्जा उसे रोक लेती है और वो दरवाजे की तरफ ही मुँह करे खड़ी रहती है. रमेश से और बर्दाश्त नही होता वो लपक कर अपनी बीवी के पास जाता है और अपनी तरफ मोदता है और अनन्फनन उसके कपड़े उतार फेंकता है.
वो छुई मुई की तरहा खड़ी रहती है और अपने पति को अपने वस्त्र उतारने में सहयोग देती रहती है.
रमेश उसे बिस्तर पे गिरा देता है और उसके उरोज़ पर टूट पड़ता है.
कामया सोनी की माँ, सिसक पड़ती है. अहह रमेश चूस लो खा जाओ, कितने दिन हो गये हैं उफफफफफफफ्फ़ आह आह उम्म्म्म चूसो और चूसो.
रमेश को चुदाई के वक़्त रंडीपना अच्छा लगता है इसीलिए कामया ज़ोर ज़ोर से सिसकती है ताकि रमेश को मज़ा आए और वो पागलों की तरहा उसकी चुदाई करे.
रमेश कामया के एक उरोज़ को चूस्ता और दूसरे को दबाता और निचोड़ता. रमेश किसी भूके बच्चे की तरहा कामया के उरोज़ चूस्ता रहता है और बीच बीच में उसके निपल्स को अपने दाँतों से हल्के हल्के चबाने लगता है .
जैसे ही उसके दाँत कामया के निपल्स को छूते कामया की सिसकियाँ और तेज हो जाती. आज बहुत दिनो बाद कामया की चुदाई लंड से होने वाली थी इस लिए उसमे उत्तेजना बहुत बढ़ी हुई थी. उसकी सिसकियाँ इतनी ज़ोर से निकल ती थी कि उपर अपने कमरों में करवटें बदलते उसके बच्चे तक सुन लेते हैं. विमल से रहा नही जाता और वो सिर्फ़ शॉर्ट पहने नीचे आ जाता है. दरवाजा बंद था पर खिड़की का परदा थोड़ा हटा हुआ था.
अंदर से उसकी माँ की आवाज़ें आ रही थी
आह आह उम उम उफ़ उफ़ और चूसो और चूसो आआईयईईईईई
विमल खिड़की से अंदर झाँकने लगा और अंदर उसका बाप उसकी माँ के उरोज़ चूस रहा था. अपनी माँ को इस रूप में देख रमेश के जिस्म में उत्तेजना का संचार होने लगा उसका लंड भी अपनी नंगी माँ को देख खड़ा होने लगा. एक पल को उसके दिमाग़ में आया की चला जाए पर उसके पैर वहीं जमे रहे और आँखें खिड़की के अंदर का नज़ारा देख रही थी. उसके बाप का खड़ा लंड करीब 7" का होगा जो उसके लंड 9" के लंड से काफ़ी छोटा था. विमल के दिल में अपनी मा को चोदते का ख़याल आने लगा.
जब रमेश ने कामया के उरोज़ अच्छी तरहा चूस चूस कर लाल कर दिए तो वो हट गया और बिस्तर पे लेट गया. अब कामया की बारी थी. वो उठ कर रमेश के लंड पे झुक गई और उसे चाटने लगी. विमल को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी माँ उसका ही लंड चाट रही हो. उसके लंड की अकड़न बढ़ती जा रही थी और उसकी शॉर्ट में एक तंबू बन चुका था.
विमल आँखें फाडे अंदर झाँक रहा था, उसकी माँ ने उसके बाप के लंड को पहले अच्छी तरहा चाटा और फिर मुँह में ले कर चूसने लगी और धीरे धीरे लंड को पूरा अंदर ले लिया जो उसके गले तक जा रहा होगा. उसका बाप भी मस्ती में आँहें भरने लगा. क्या जबरदस्त चूस रही थी उसकी माँ.
अचानक उप्पर से किसी के उत्तरने की आवाज़ आती है , विमल फटाफट खिड़की से हट कर अंदर हाल में चला जाता है और फ्रिड्ज खोल कर पानी की बॉटल निकालता है. सोनी भी शायद अपनी माँ की चुदाई देखने आई थी. अभी उसने खिड़की में झाँका ही था कि उसे हाल में कुछ हलचल सी लगी और वो फट से हट गई वो बस इतना ही देख पायी कि उसकी माँ ने उसके बाप के लंड को मुँह में भर रखा है.
वो भी हाल में चली गई जहाँ विमल अपना गला तर कर रहा था. सोनी की नज़र उसकी शॉर्ट में बने तंबू पे चली गई और उसका जिस्म कांप उठा. सोनी ने एक झीनी नाइटी पहन रखी थी जिसमे से उसका गोरा जिस्म छलक रहा था. विमल की नज़रें उसपे गढ़ गई, वो भूल गया कि उसका खड़ा लंड सोनी देख रही है.
सोनी : क्या कर रहा है भाई, नींद नही आ रही क्या.
विमल : वो वो कमरे में पानी रखना भूल गया था इसीलिए नीचे आया बड़ी प्यास लग रही थी.
सोनी : कुटिलता से मुस्काती हुई बोली ' हां प्यास तो लगेगी ही, भुज गई या और तेज़ हो गई.'
विमल : क क क्याअ
सोनी : कुछ नही पानी पी ले और सो जा, बहुत रात हो चुकी है.
विमल पानी की बॉटल ले कर अपने कमरे की तरफ भागता है.
सोनी का दिल तो कर रहा था अपने माँ बाप की चुदाई देखने का पर कहीं विमल फिर ना आजाए इस डर से वो पानी की एक बॉटल निकालती है और उपर अपने कमरे की तरफ बढ़ जाती है.
विमल बाहर ही खड़ा हुआ था वो सोनी को उसके कमरे में जाता हुआ देखता है और एक लंबी साँस ले कर अपने कमरे में चला जाता है.
बिस्तर पे लेट कर आँखें बंद करता है तो माँ का नंगा जिस्म उसकी आँखों के आगे तैरने लगता है.
नीचे से फिर उसकी माँ की सिसकियों की आवाज़ आने लगी. विमल और सोनी दोनो ही अपने जिस्मों के अंदर बढ़ती हुई प्यास से तड़पने लगे
आह आह आह उफफफफफ्फ़ उम्म्म्मममम आाआऐययईईईईईईईईईईई
कामया की सिसकियाँ ज़ोर पकड़ती जा रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे पूरा घर वासना के रंग में रंग गया हो. आज तो दोनो मिया बीवी ये भी भूल गये थे कि आवाज़ें उपर उनके जवान बच्चे भी सुन रहे होंगे.
विमल के कानों में कामया की सिसकियाँ और आँखों एक आगे उसका सुंदर नंगा बदन उसे सोने नही दे रहा था. उसने खुद को बहुत रोका पर रोक नही पाया और कमरे से बाहर निकल नीचे की तरफ बढ़ता चला गया. जैसे ही वो नीचे उतर रहा था पीछे सोनी उसे उतरते हुए देख रही थी.
विमल के कदम उसे सीधा उसी खिड़की की तरफ ले गये जहाँ से अंदर का नज़ारा दिख रहा था.
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08-11-2018, 01:59 PM,
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
कामया : ‘क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है मम्मी पे?’
विमल : मैं तो आपको बहुत प्यार करता हूँ ( कह कर विमल अपने माँ के बालों को सूंघने लगता है, एक भीनी सी खुश्बू उसके बालों से आ रही थी.)
कामया : ‘कुछ चाहिए क्या जो आज इतना मस्का मार रहा है, पहले तो कभी तूने ऐसा नही किया, आज क्या बात हो गई?’
विमल : नही मम्मी बस आज दिल कर रहा था आपसे बहुत प्यार करूँ, बाहर रहता हूँ, आपकी बहुत याद आती है. आपके प्यारे हाथों से बना बढ़िया खाना खाने को तो मैं तरसता ही रहता हूँ, आपसे तो बात करने के लिए भी छुट्टियों का इंतेज़ार करना पड़ता है.
कामया : ‘ओह हो, मेरा बच्चा, जब तक तेरी छुट्टी है, मैं खूब तुझ से बात करूँगी.चल अब छोड़ तेरे डॅड चाइ की वेट कर रहे हैं. तू भी उनके पास बैठ जा मैं वहीं छा ले के आ रही हूँ.’
भुजे मन से विमल कामया को छोड़ देता है और अपने डॅड के पास चला जाता है.
रमेश : बेटा कैसे चल रही है तेरी पढ़ाई.
विमल : पढ़ाई तो ठीक चल रही है डॅड पर खाने पीने की बहुत प्राब्लम होती है. मेस का खा कर तंग आ चुका हूँ. सोच रहा हूँ यही पे माइग्रेशन करवा लूँ ताकि घर पर रह सकूँ.
रमेश : तेरा दिमाग़ तो ठीक है ना, अब कितना टाइम रह गया है. तेरी ट्रैनिंग मैं यहीं अच्छी कंपनी में करवा दूँगा, मुझे हमेशा की तरहा टॉप ग्रेड चाहिए. बस मैं और कुछ नही सुनना चाहता.
विमल चुप हो कर रह गया, सोचा था घर आ जाएगा तो माँ या सोनी को पटाने के ज़यादा चान्सस मिलेंगे. पर अफ़सोस, डॅड को ये सब कैसे बोलता.
सोनी तयार हो कर नीचे आती है तो दोनो बाप बेटे की आँखें फटी रह जाती हैं. सोनी ने ड्रेस ही ऐसे पहनी थी. उसके उरोज़ ऐसे तने हुए थे जैसे कपड़े फाड़ कर अभी बाहर निकल आएँगे और ड्रेस इतनी छोटी थी की जांघे सॉफ सॉफ नज़र आ रही थी. दोनो बाप बेटे नज़रें चुरा कर सोनी के हुस्न का जाम पी रहे थे. दोनो की ही पॅंट में तंबू बन गये थे. सोनी से अपने जलवों का असर छुपा नही था. विमल को चिडाने के लिए वो अपने बाप से सट के बैठ जाती है.
कामया इतने में चाइ ले कर आ जाती है. सोनी अपनी जांघे रमेश की जाँघो के साथ हल्के हल्के रगड़ रही थी और रमेश की हालत खराब हो रही थी.
कामया को बड़ा अजीब लगता है सोनी का इस तरहा बाप से चिपक के बैठने पर, वो टोक ही देती है. सोनी ज़रा किचन से चीनी ले आना मैं शायद डालना भूल गई. सोनी किचन चली जाती है तो कामया सोनी की जगह बैठ जाती है.
सोनी जब वापस आती है तो उसे विमल के पास बैठ ना पड़ता है और वो कुछ दूरी बना कर बैठ जाती है.
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