kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
06-27-2018, 11:52 AM,
#13
RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
दोपहर तक सब नॉर्मल हो चुका था। हाँ रानी के पैर ठीक से काम नहीं कर रहे थे.. उसको चूत में दर्द था और उसको बुखार भी हो गया था.. तो विजय ने उसे कुछ दवा और ट्यूब देकर कहा कि वो कमरे से बाहर ना आए.. बस आराम करे, शाम तक ठीक हो जाएगी।
दोनों भाइयों ने लंच किया और टीवी देखने लगे.. तभी वहाँ सुंदर और आनंद आ गए।
आनंद- हाय विजय हाय जय.. कैसे हो?
जय- अरे आओ आओ.. तुम्हारा ही इंतजार था और साजन कहाँ है.. वो नहीं आया क्या?
सुंदर- वो बस आता ही होगा.. हम जरा पहले आ गए।
विजय- वो साला कहाँ रह गया.. ऐसे तो बड़ा बोलता था एक बार मैं गेम में आ जाऊँ.. तो ऐसा कर दूँगा.. वैसा कर दूँगा.. अब गाण्ड फट गई क्या उसकी?
आनंद- अरे ऐसी बात नहीं है भाई वो यहाँ से कुछ दूर कॉलेज का कैंप लगा है वहाँ उसकी बहन भी है। मुझे फ़ोन किया था.. उसको वहाँ छोड़ कर आते वक़्त यहाँ आएगा वो..
विजय- अच्छा उस साले हरामी की बहन भी है क्या?
सुंदर- हाँ यार बहन तो सबकी होती हैं.. उसमें नया क्या है.. बस बीवी नहीं है किसी के पास हा हा हा हा..
जय- अबे कुत्ते गेम जीत और बना ले अबकी बार नई-नई बीवी.. पूरा मौका मिलेगा हा हा हा..
रंगीला- हैलो कमीनो.. क्या हाल हैं?
दोस्तो, यह है रंगीला इसकी उम्र 22 साल है.. अच्छी कद काठी का बांका जवान है.. लड़कियाँ इसको देख कर अपना बना लेने की तमन्ना रखती हैं.. मगर यह बिंदास है, हर महीने गर्लफ्रेण्ड बदलता है और मज़ा करता है।
जय- अरे आओ आओ मेरे बब्बर शेर.. तुम्हारी ही कमी खल रही थी।
रंगीला- सब आ गए क्या?
आनंद ने बताया कि साजन नहीं आया.. वो अपनी बहन को छोड़ कर आएगा।
तभी वहाँ साजन भी आ गया.. उसके साथ कोमल भी थी। आज कोमल ने लाल रंग की स्कर्ट और काली टीशर्ट पहनी हुई थी, बहुत हल्का सा मेकअप किया हुआ था.. उसके होंठों पर लाल लिपस्टिक उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थी।
जब वो अदा के साथ चलकर आ रही थी उसके चूचे थिरक रहे थे और कमर नागिन की तरह बल खा रही थी। वो ऐसे चल रही थी जैसे कोई मॉडलिंग कर रही हो, उसको देखकर जय की लार टपकने लगी।
साजन- हैलो दोस्तो.. हाउ आर यू.. क्या मीटिंग चल रही है यहाँ पर?
आनंद- अरे आओ आओ बॉस.. आपका ही इंतजार हो रहा था.. लेकिन यह कोमल को यहाँ क्यों ले आए.. इसे तो आप कैंप छोड़ने गए थे ना..
रंगीला- अरे जाना तो वहीं था.. बाइक ने धोखा दे दिया.. आधे रास्ते में ही दम तोड़ दिया.. साली पंचर हो गई यहाँ तक ऑटो में आया हूँ।
सुंदर- यहाँ ऑटो में आए.. सीधे वहीं चले जाते..
साजन- अरे साला ऑटो वाला नहीं माना वहाँ जाने को.. तो मैंने कहा अच्छा फार्म पर छोड़ दे.. आगे मैं चला जाऊँगा..
ये सब बातें कर रहे थे और कोमल बड़ी शराफत के साथ एक तरफ खड़ी बस जय के सामने नजरें झुका कर खड़ी थी और जय भी बस उसको निहार रहा था।
बीच-बीच में कोमल जय की ओर देखती और हल्का सा मुस्कुरा देती।
विजय- अब तू चाहता क्या है.. ये बोल?
साजन- यार.. तू अपनी गाड़ी की चाभी देना जरा.. बस अभी इसको कैम्प तक छोड़ कर अभी आता हूँ.. उसके बाद अपनी मीटिंग शुरू..
जय- अरे साजन.. तेरी बहन बोल नहीं सकती क्या.. गूंगी है?
साजन कुछ बोलता.. उसके पहले कोमल बड़ी सेक्सी अदा के साथ बोली- जी नहीं.. मैं बोल सकती हूँ.. मगर आप दोस्तों के बीच.. मैं क्या बोलूँ.. इसलिए चुप खड़ी हूँ।
जय- अरे, कम से कम ही हैलो ही कर लेती..
साजन- बस बस.. जय ज़्यादा स्मार्ट मत बन.. ला चाभी दे.. इसको छोड़ कर आता हूँ.. अपन बाद में बात करेंगे।
कोई कुछ नहीं बोला और बस सब कोमल को ही निहारते रहे। विजय ने गाड़ी की चाभी साजन को दी.. वो कोमल के साथ जाने लगा.. तो जय की नज़र बस कोमल की मटकती गाण्ड को घूरती रही, उसका लौड़ा पैन्ट में टेंट बनाने लगा।
रंगीला- अरे बस भी कर.. चली गई वो.. अब क्या कैम्प तक अपनी नजरें ले जाएगा.. हा हा हा हा हा..
सभी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे।
जय- अबे चुप रहो कमीनों.. मैं तो बस यूँ ही देख रहा था.. कि लड़की बहुत ही खूबसूरत है।
आनंद- ये गलत बात है भाई.. साजन अपना फ्रेण्ड है.. और उसकी बहन अपनी बहन जैसी ही है.. उसको ऐसे देखना ठीक नहीं है यार..
जय- अबे चुप साले कुत्ते.. बहन होगी तेरी.. मैं तो उसको गर्लफ्रेण्ड बनाने की सोच रहा हूँ।
सुंदर- ठीक कहा यार.. मेरी भी काफ़ी समय से उस पर नज़र थी.. साली एकदम से पटाखा लगती है।
रंगीला- अरे कमीनों.. अच्छा हुआ वो चली गई.. वरना तुम यहीं उसकी चूत का चीर-फाड़ कर देते।
आनंद- नहीं भाई.. कुछ भी कहो ये सब गलत है.. अगर साजन को पता लगेगा तो वो लफड़ा करेगा।
विजय- क्या लफड़ा करेगा.. हमको मारेगा क्या..? अबे सालों हमारे फेंके हुए टुकड़े उठाते हो.. हमको आँख दिखाओगे क्या?
आनंद- विजय.. ये कुछ ज़्यादा हो रहा है समझे.. हम यहाँ बेइज़्ज़ती करवाने नहीं आए हैं..
रंगीला- अरे कूल यार.. दोस्तों में ये सब चलता रहता है..
जय- अरे किसी को कोई प्राब्लम नहीं है.. तो तू क्यों भड़क रहा है?
रंगीला- हाँ सही है.. दोस्तों में ये सब चलता रहता है और जय चाहे तो कुछ भी मुमकिन हो सकता है.. कहीं ऐसा ना हो कि साजन खुद अपनी बहन को इसके हवाले कर दे..
सुंदर- नहीं नहीं यार.. ऐसा नहीं हो सकता.. कोई भाई ऐसा नहीं कर सकता..
विजय- पैसे में बहुत ताक़त होती है साले.. हम जिसे चाहे खरीद लें..
आनंद- अच्छा अगर ये बात है.. तो कोमल को हासिल करके दिखाओ.. तब मानूँगा कि तुम कितने बड़े रईस हो..
जय- तू मुझे चैलेन्ज करता है.. अब देख.. मैं कैसे साजन को मनाता हूँ।
काफ़ी देर तक ये बहस चलती रही.. तब तक साजन भी वापस आ गया..
साजन- अरे क्या बात है.. किस बात पर इतना हंगामा हो रहा है।
रंगीला ने आनंद को चुप रहने का इशारा कर दिया.. ताकि बात बिगड़े ना..
जय- अरे कुछ नहीं.. इस बार क्या करें.. बस इस बात पर बहस हो रही है.. ये रंगीला कहता है कि हर बार गर्लफ्रेण्ड को साथ लाते हैं और गेम खेलते हैं अबकी बार कुछ अलग ट्राइ करते हैं।
जय ने ये बात रंगीला की तरफ़ आँख मारते हुए कही थी।
साजन- अरे यार ऐसे सूखे-सूखे प्लान बनाओगे क्या.. मज़ा नहीं आ रहा है.. पहले कुछ खुराक-वुराक पिलाओ.. ताकि दिमाग़ ठीक से काम कर सके।
विजय ने नौकर को आवाज़ दी तो वो ठंडी बियर लेकर आ गया। अब सब बियर का मज़ा लेने लगे और बातों का दौर फिर शुरू हुआ।
जय- अब बताओ साजन क्या सोचा.. मेरी बात समझ में आई कि नहीं?
साजन- हाँ तो सही है ना.. मैं बहुत पहले एक बार आ चुका हूँ और ये दोनों पहली बार आए हैं.. तो अबकी बार कुछ धमाल होना चाहिए।
आनंद और सुंदर बस उनकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिला रहे थे।
रंगीला- तूने कुछ तो सोचा ही होगा साजन.. इस बार के लिए वैसे भी तेरा शैतानी दिमाग़ कुछ ना कुछ सोचता रहता है।
साजन- नहीं अभी कुछ सोचा तो नहीं है.. पर सोच लेते हैं और मेरा दिमाग़ कहाँ इतना फास्ट चलता है बड़े भाई.. आप भी कहाँ की बोल रहे हो..
विजय- साले ज़्यादा भोला मत बन.. तेरी सब हरकत हम जानते हैं। अब जो सोच कर आया है.. बता दे..
विजय की बात सुनकर एक बार तो साजन को झटका लगा कि इनको प्लान के बारे में कैसे पता लगा.. मगर उसने बात को संभाल लिया।
साजन- अच्छा बाबा माफ़ करो.. तुम ऐसे मानोगे तो है नहीं.. तो सुनो.. मेरा प्लान क्या है.. इस बार भी गर्लफ्रेण्ड ही लाएँगे.. मगर अबकी बार वर्जिन होंगीं.. समझे…
रंगीला- तू कहना क्या चाहता है?
साजन- देखो बड़े भाई हर बार चुदी-चुदाई गर्लफ्रेण्ड को लाते हैं इस बार फ्रेश माल पटाओ.. उसको गेम के लिए राज़ी करो.. और यहाँ लेकर आओ.. तो मज़ा दुगुना हो जाएगा।
आनंद- हाँ.. ये आइडिया अच्छा है.. सील पैक लड़की होगी तो गेम खेलने में मज़ा ज़्यादा आएगा..
विजय- हम तो फ्रेश माल को पटा भी लेंगे.. तुम तीनों ला पाओगे?
साजन- बस क्या गुरु.. हमको क्या समझा है.. साजन नाम है मेरा.. जिस लड़की पर हाथ रख दूँ ना.. वो अपनी हो जाती है समझे..
जय- अच्छा इतना भरोसा है खुद पर.. तो चल अब मेरा प्लान सुन..
साजन- हाँ बताओ भाई.. सब अपना आइडिया दो.. जिसका आइडिया सबसे अच्छा होगा.. वही हम करेंगे..
जय- मैं तुम्हें एक लड़की का नाम बताऊँगा.. अगर तुम उसको ले आओ तो इस बार इनाम की रकम 5 लाख होगी और गेम के रूल भी चेंज करेंगे।
साजन- क्या बात है भाई.. 5 लाख.. अरे आप बोलो बस कौन है वो लड़की.. साली को चुटकियों में ले आऊँगा।
साजन के अलावा बाकी सब समझ गए कि जय किसका नाम लेगा.. सबकी दिल की धड़कन तेज़ हो गईं कि अब क्या होगा?
जय- तेरी बहन कोमल को ला पाएगा तू?
जय के इतना बोलते ही साजन गुस्से में आग-बबूला हो गया और झटके से खड़ा हो गया- जय ज़बान को लगाम दे अपनी.. साले तू पैसे वाला होगा.. तेरे घर का.. तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन का नाम लेने की?
रंगीला- साजन चुप रहो.. रूको एक मिनट मैं बात करता हूँ.. यार जय ये क्या है.. तू कुछ भी बोल देता है। हम सब दोस्त हैं अगर ये मजाक था तो बहुत बुरा था.. चल सॉरी बोल..
जय- रंगीला तुम होश में तो हो.. मैं जय खन्ना हूँ.. मैं सॉरी बोलूँ? अरे इसकी बहन पर दिल आ गया मेरा.. इसको बोल 10 लाख दूँगा.. अब तो उसको अपना बना के ही रहूँगा..
इतना सुनते ही साजन और ज़्यादा भड़क गया.. लड़ने की नौबत आ गई, बड़ी मुश्किल से आनंद और सुंदर उसको बाहर लेकर गए।
इधर विजय ने जय को काबू में किया- भाई आप को क्या हो गया है.. ऐसे लड़ना ठीक नहीं और उसके सामने बोलने की क्या जरूरत थी आपको.. वो लड़की चाहिए ना.. उसको तो कैसे भी आप पटा सकते हो.. 
जय- नहीं विजय.. मैं इसका गुस्सा देखना चाहता था। अब तू देख ये खुद उसको यहाँ लाएगा.. खरीद लूँगा मैं इस कुत्ते को.. रंगीला जा उसको कीमत पूछ.. उसकी बहन की? मैं हर कीमत पर उसको यहाँ लाना चाहता हूँ। इसको किस बात पर इतना घमण्ड है.. बहुत बार ये मुझसे उलझ चुका है। मैं इसका घमण्ड तोड़ कर रहूँगा..
रंगीला- होश में आओ जय.. ऐसा नहीं होता.. वो उसकी बहन है.. कोई रंडी नहीं.. जो तुम उसकी कीमत लगा रहे हो.. संभालो अपने आपको.. अब मैं उसको लेकर आता हूँ। ये बात दोबारा मुँह से मत निकालना.. वरना उनके साथ मैं भी चला जाऊँगा।
जय कैसा भी हो.. रंगीला की बात मानता था, उसने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया और रंगीला बाहर गया और साजन को समझाने लगा।
रंगीला- अरे क्या हो गया तुझे.. तू जय को जानता नहीं क्या.. पीने के बाद ऐसे ही बकवास करता है और रही तुम्हारी बहन की बात.. उसके बोलने से वो आ गई क्या? ऐसे लड़ना ठीक नहीं है यार!
साजन- उसको अपने पैसों पर बहुत घमण्ड है ना.. साले को 2 मिनट में ठंडा कर सकता हूँ।
सुंदर- बॉस आप शान्त हो जाओ और चलो यहाँ से.. अब यहाँ रुकने का कोई फायदा नहीं।
साजन- नहीं अब उस कुत्ते को सबक़ सिखा कर ही जाऊँगा..
रंगीला- देख तू अन्दर चल.. जय को मैं समझा दूँगा.. बस तू चुप रहना ओके..
साजन भी गुस्से को काबू करके अन्दर आ गया। वैसे तो दोनों एक-दूसरे को देख कर आँखें दिखा रहे थे.. मगर कोई कुछ बोल नहीं रहा था।
रंगीला- हाँ तो फ्रेश माल लाने का प्लान सबको मंजूर है या किसी के दिमाग़ में कुछ और है..
विजय- मुझे यही ठीक लगता है.. इससे ज़्यादा क्या होगा?
साजन- इससे भी ज़्यादा हो सकता है.. अब जब बात मुँह से निकल ही गई तो उसे पूरा भी कर ही लो।
रंगीला- मैं कुछ समझा नहीं.. तुम क्या कहना चाहते हो..
साजन- जय ने मेरी बहन पर गंदी नज़र मारी है.. तो इस बार सब अपनी बहनों को ही क्यों ना लेकर आएं..
विजय- साजन कुत्ते.. तेरी ये मजाल तूने ऐसी बात सोची भी कैसे?
साजन- क्यों जब जय मेरी बहन के बारे में सोच सकता है तो बहन इसकी भी है.. उसको लाने में क्या दिक्कत है.. बड़ा घमण्ड है ना इसको अपने खिलाड़ी होने पर.. तो डर किस बात का.. ये तो हारेगा भी नहीं..
रंगीला- ये क्या बकवास है साजन.. तुम ऐसा कैसे बोल सकते हो.. एक खेल के लिए हम अपनी बहन को लाएं.. इतने गिरे हुए नहीं हैं।
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