RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
दोस्तो, उम्मीद है.. आपको कहानी में मज़ा आ रहा है। अब रानी तो गई चलो साजन के पास चलते हैं। वहाँ क्या हो रहा है.. अभी ये भी जान लो।
सुंदर- बॉस अपने तो कमाल कर दिया.. एक बार तो मैं डर ही गया था कि सारा प्लान चौपट हो गया।
आनंद- अरे ऐसे-कैसे चौपट हो जाता.. बॉस पर मुझे पूरा भरोसा था.. मगर एक बात अभी भी समझ के बाहर है बॉस?
साजन- कौन सी बात.. तेरी समझ के बाहर है रे.. चल बता?
आनंद- बॉस हमने तो उसकी बहन को देखा भी नहीं है.. कहीं वो भी हमारी तरह नकली बहन ले आया तो?
साजन- हा हा हा तुम दोनों मुझे क्या समझते हो.. मैंने कच्ची गोली नहीं खेली हैं। तुम दोनों ने क्या मैंने भी अब तक उसकी बहन को नहीं देखा है.. मगर ये खेल का असली विलेन तो उसकी बहन को जानता है ना..
आनंद और सुंदर दोनों एक साथ चौंक उठे और एक ही सुर में बोले- ये असली विलेन कौन है बॉस?
साजन- अरे चौंको मत.. मेरे दोस्तो.. ये काम में उसके लिए ही कर रहा हूँ। अब वो क्या चाहता है.. ये तो पता नहीं मगर गेम कुछ बड़ा है.. इतना मैं समझ गया हूँ।
सुंदर- बॉस हम तो समझ रहे थे.. कि ये आपकी दुश्मनी का खेल है.. मगर ये तो पहेली उलझती ही जा रही है.. एक चूत के लिए इतना पंगा?
साजन- अरे दोस्तो, तुम नहीं समझोगे दुनिया में छोटी सी चूत बड़ी-बड़ी तबाही मचा देती है.. भाई को भाई से लड़वा देती है.. ये चूत सिर्फ़ चूत नहीं.. बल्कि ये चूत एक पहेली होती है.. समझे.. जिसने इसको सुलझा दिया.. वो दुनिया का सबसे अकलमंद आदमी होता है।
आनंद- बॉस जो भी हो.. हमें तो पैसे से मतलब है.. अब देखो ना हम जैसे कंगलों को आपने इतनी बड़ी पार्टी में घुसाया.. गेम खेला और जीत कर चूत के गेम के दावेदार बने। अब तो बस मज़ा ही मज़ा है। आज तक रण्डियों को ही चोदा है.. अब किसी शरीफजादी को चोदने का मौका मिलेगा।
सुंदर- बॉस आपने बताया नहीं कि कोमल को कहाँ छोड़ा आपने?
साजन- इसमें क्या बड़ी बात है.. टैक्सी को दूर खड़ा करके आया था। बस जय को उसकी क़ातिल जवानी दिखा कर वापस टैक्सी में छोड़ आया और खुद गाड़ी को इधर-उधर घुमा कर समय पास किया और वापस आ गया समझे..
सुंदर- आपका दिमाग़ बहुत चलता है.. इसलिए आप हमारे बॉस हो.. अब आगे क्या करना है?
साजन कुछ बोलता उसके पहले उसका फ़ोन बजने लगा।
साजन- हैलो भाई कैसे याद किया.. काम हो गया.. मैंने उसको बातों में फँसा लिया। अब उसकी बहन गेम में आएगी और हम उसको नंगा कर देंगे। आप बस नजारा देखो अब..
भाई- ओह्ह.. रियली.. ये हुई ना बात.. अब आगे क्या करना है.. पता है ना?
साजन- नहीं भाई.. आपने कहा था.. पहले जय और विजय को जाल में फँसाओ.. उसके बाद आगे का प्लान बताऊँगा।
भाई- हाँ याद है.. तू पहले ये बता वहाँ क्या हुआ था?
साजन ने सारी बात भाई को बताई.. जिसे सुनकर वो खुश हो गया।
भाई- अब सुन तेरे फ़ोन में मैसेज भेज रहा हूँ.. ये एक जगह का पता है.. तू कल वहाँ चला जा..
काफ़ी देर तक भाई बोलता रहा और साजन बस चुपचाप सुनता रहा।
साजन- वाह भाई मान गया.. आप तो मेरे दिमाग़ को पढ़ लेते हो.. मुझे भी यही शक था कि साला कोई नकली बहन ना ले आए.. अब देखता हूँ साला कैसे बचाता है.. अपनी बहन को.. मैं ठीक समय पर वहाँ पहुँच जाऊँगा।
आज के दिन से कुछ दिन पहले की बात है.. जब इस साजिश का जन्म हुआ था।
साजन एक ऐय्याश किस्म का लड़का है.. बड़े घर के लड़कों के साथ इसकी दोस्ती है.. तो शराब-कबाब सब इसको आराम से मिल जाता है.. क्लब में जाना.. वहाँ गेम खेलना.. सब काम में आगे है और वहीं विजय और जय से इसकी दोस्ती हो गई। रंगीला भी इनका साथी है और भी कुछ लड़के हैं ये सब दोस्त हैं।
मगर साजन और जय की ज़्यादा नहीं बनती.. हर बार किसी ना किसी बात पर लड़ते ही रहते हैं। अब जय और विजय का दुश्मन.. जिसे भाई के नाम से आप जानते हो.. उसने मौके का फायदा उठा कर साजन को फ़ोन किया। उसको पैसों का लालच देकर इन दोनों भाइयों के खिलाफ खड़ा कर लिया.. बाकी सुंदर और आनंद के बारे में तो आप जानते ही हो। ये दोनों आवारा लड़के हैं और छोटी-मोटी चोरियां भी करते हैं और साजन के चमचे हैं। तो बस साजन ने इनका सहारा ले लिया। आगे जो चल रहा है.. आप सबको पता ही है.. तो चलो अब उलझन दूर हुई ना.. अब आप लोग आगे की कहानी पर ध्यान दीजिएगा।
फ़ोन रखने के बाद साजन ने उन दोनों को मुस्कुरा कर देखा.. उनके चेहरे भी चमक गए।
आनंद- क्या हुआ.. भाई ने क्या कहा?
साजन- अरे ये देख.. कल इस जगह हमें जाना है.. वो चिड़िया कल यहीं मिलेगी और वो दोनों हरामी भी वहीं अपनी बहन के साथ होंगे.. तब हम आराम से उसको पहचान लेंगे।
आनंद- मगर बॉस वो वहाँ आएँगे कैसे.. वो दोनों तो फार्म पर हैं ना.. और उनको वहाँ भेजेगा कौन?
साजन- अरे कुत्तों.. ये भाई ऐसी-वैसी चीज नहीं है.. वो कल के लिए कोई ना कोई जुगाड़ लगा ही लेगा..
सुंदर- वाह.. बॉस ये भाई तो बड़ा माइंडेड है.. कैसे सब प्लान बना लेता है..? अब उसकी बहन नहीं बचने वाली है.. बस कल सब काम ठीक से हो जाए।
साजन- अरे सब ठीक ही होगा.. चलो अब कुछ खाने का बंदोबस्त करो.. बहुत जोरों की भूख लगी है।
लो यहाँ तो खाना शुरू हो गया.. अब यहाँ रहकर क्या फायदा.. तो आगे ही चलते हैं.. शायद कुछ मिल जाए।
उधर विजय अपने कमरे में बैठा हुआ था तभी जय वहाँ आ गया।
विजय- आओ भाई.. कहाँ रह गए थे.. अब क्या सोचा आपने.. हम तो एक हफ्ते के लिए यहाँ आए थे.. मगर आपके गेम के चक्कर में अपन को कल ही जाना पड़ेगा।
जय- अरे अब करें भी तो क्या करें.. बात ज़ुबान की आ गई है.. कल जाकर किसी लड़की को तलाश करते हैं जिसे साजन ना जानता हो।
विजय- हाँ ये बात तो है.. रंगीला को पूछें शायद वो कुछ जुगाड़ जमा दे।
जय- हाँ ये सही रहेगा.. उसका दिमाग़ हमसे ज़्यादा चलता है.. वो कोई ना कोई जुगाड़ लगा ही देगा।
विजय ने रंगीला को फ़ोन लगाया और ये बात बताई।
रंगीला- ऐसी लड़की जिसको साजन ना जानता हो.. बहुत हैं मगर वो ऐसा गेम खेलने के लिए राज़ी होगी.. ये थोड़ा मुश्किल है यार..
विजय- अरे यार लड़की को मनाना हमारा काम है.. तुम बस किसी लड़की का जुगाड़ करो।
रंगीला- ठीक है.. करता हूँ.. तुम आओ तो सही.. यहाँ आकर बात करेंगे मगर एक बात का ख्याल रहे.. साजन बहुत हरामी है.. उसको ज़रा भी भनक ना लगने पाए.. इसलिए तुम दोनों अपनी बहन को अपने साथ कहीं मत ले जाना। अगर साजन या उसके किसी चमचे ने गुड्डी को देख लिया तो सब प्लान चौपट हो जाएगा।
विजय- अरे इसकी फिकर मत करो.. वैसे भी गुड्डी को बहुत कम लोग जानते हैं। वो कहीं आती-जाती तो है नहीं.. बस अपनी पढ़ाई से मतलब रखती है।
रंगीला- तब ठीक है.. अब उस साजन का काम तमाम हो गया समझो.. तुम दोनों आ जाओ.. लड़की हम ढूंढ लेंगे.. मगर फिर भी सावधानी के लिए मुझे साजन पर नज़र रखनी होगी।
विजय- हाँ ये ठीक रहेगा.. तुम उस पर नज़र रखो.. हम कल आ रहे हैं बाकी बातें वहीं आकर करेंगे।
जय- गुड्डी को साजन ने कभी नहीं देखा और ना कभी देख पाएगा क्योंकि पापा कितने सख़्त मिज़ाज हैं गुड्डी को लेकर उस बेचारी को किसी फ्रेण्ड तक के साथ अकेली बाहर जाने की इजाज़त नहीं है। हमारे पड़ोसी तक गुड्डी को नहीं पहचानते.. तो वो कुत्ता क्या खाक जान पाएगा।
विजय- अरे यार वो सख़्त इसलिए हैं कि गुड्डी को बहुत प्यार करते हैं। याद है एक बार गुड्डी के पैर में हल्की सी मोच आ गई थी। कैसे पूरे घर में हंगामा मचा दिया था।
जय- हाँ सब याद है.. चल यार भूख लगी है.. खाना खा ही लेते हैं। उसके बाद दोनों मिलकर रानी का गेम बजाएँगे।
विजय- अरे खाना ऐसे ही खाओगे क्या.. पहले कुछ पीना हो जाए?
जय- सुबह से पी ही रहे हैं चल आ जा.. अब खाना ही खाएँगे.. बड़ी भूख लगी है।
दोस्तों इनको खाने दो.. हम थोड़ा घूम कर आते हैं।
हॉस्टल में रात को सभी लड़कियाँ खाना खाने के बाद अपने कमरों में बैठी बातें कर रही थीं।
काजल- अरे यार तू दिखने में तो बड़ी स्टाइलिश है.. मगर सेक्स से इतनी दूर क्यों रहती है?
रश्मि- अरे में कोई गाँव की थोड़ी हूँ.. जो स्टायल में नहीं रहूँगी.. बस ये सेक्स मुझे पसन्द नहीं..
काजल- अरे आजकल तो ये फैशन बन गया है.. लड़की जब तक एक आध ब्वॉय-फ्रेण्ड ना बनाए.. उसको शक की निगाह से देखा जाता है कि कहीं ये लेसबो तो नहीं.. मगर तू तो वो भी नहीं है..
रश्मि- अरे ये सब बकवास बात है.. लड़के बस मज़े लेकर लड़की को छोड़ देते हैं उनको तो बस तड़पाओ.. मगर घास ना डालो..
काजल- अरे तू तो हर बात को उल्टा ही बोलेगी.. कभी किसी को देखा है सेक्स करते हुए.. कितना मज़ा आता है उसमें.. तू क्या जाने?
रश्मि- बस बस.. तू क्या समझती है.. मुझे कुछ पता नहीं.. अरे मैं इन सब से दूर रहती हूँ… तो क्या हुआ.. जानकारी सब है मुझे..
काजल- हा हा हा.. आजकल नेट के जमाने में जानकारी तो बच्चे को भी हो जाती है.. तूने कौन सा तीर मार लिया।
रश्मि- अरे तूने जब सोचा भी नहीं होगा.. तब मैंने लाइव सेक्स देख लिया था और तब से मुझे सेक्स से नफ़रत हो गई।
रश्मि जोश में बोल तो गई.. मगर जब उसको ख्याल आया कि वो यह क्या बोल गई.. तब उसके चेहरे पर परेशानी के भाव आ गए और वो चुप हो गई।
काजल- ओये होये.. मेरी भोली रश्मि.. तूने कब और क्या देख लिया.. बता ना यार.. इतने साल पहले किसे देखा.. बता ना यार.. मुझे जानना है..
रश्मि- नहीं किसी को नहीं देखा.. बस ऐसे ही मुँह से निकल गया.. सच्ची..
काजल- बस यार ये नाटक मत कर.. मुझे पता है तूने अपने मॉम-डैड को ही देखा होगा.. इतने साल पहले.. तो वही देख सकती है। मैंने भी बहुत देखा है अपनी मॉम को डैड से चुदवाते हुए.. उनकी फिल्म देख कर ही तो मैं सब सीखी हूँ।
रश्मि- चल हट.. कुछ भी बकवास करती है.. मैंने ऐसा कुछ नहीं देखा। अब दूसरी बात कर..
काजल- अरे यार.. अब बता भी दे.. इसमें शरमाना कैसा और तुझे सेक्स से नफ़रत क्यों हो गई.. बता ना यार?
रश्मि- ठीक है बताती हूँ.. मगर किसी को कहना मत तू.. प्लीज़ यह मेरे घर की बात है।
काजल- अरे पागल है क्या.. मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी.. चल अब बता..
रश्मि- ये बहुत साल पहले की बात है जब मैं छोटी थी.. तो एक रात मेरे सर में बड़ा दर्द हो रहा था। मैं अपने कमरे से निकल कर मॉम के कमरे के पास गई.. गेट को नॉक करने ही वाली थी कि दूसरे कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दीं। वो कमरा मेरी आंटी का था.. मैं धीरे से उस कमरे के पास गई और खिड़की से झाँक कर अन्दर देखा तो मेरे होश उड़ गए।
काजल- ऐसा क्या देखा तूने आंटी के कमरे में.. बता ना यार?
रश्मि- मेरी आंटी एकदम नंगी लेटी हुई थीं और मेरे पापा उनके मम्मों को चूस रहे थे, उनके नीचे हाथ से रगड़ रहे थे।
काजल- ओह वाउ.. तेरे पापा अगर आंटी के साथ थे तो तेरी मॉम अकेली क्या कर रही थीं।
रश्मि- मॉम अपने कमरे में सोई हुई थीं। उनको ऐसी हालत में देख कर मुझे कुछ समझ नहीं आया। उस समय सेक्स का पता भी नहीं था.. मैं डर गई और जल्दी से मॉम के कमरे की तरफ़ भागी और नॉक किया।
काजल- अरे तेरी की.. कर दी ना गड़बड़.. पहले चुदाई का खेल तो देखती.. उसके बाद क्या हुआ.. तेरी मॉम उठ गई होगी और झगड़ा शुरू हो गया होगा?
रश्मि- नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ.. तू आगे तो सुन.. नॉक के साथ ही दरवाजा अपने आप खुल गया। मैं धीरे से अन्दर गई तो मॉम बैठी रो रही थीं मुझे देख कर अपने आँसू पोंछे।
मॉम- अरे बेटा क्या हो गया.. इतनी रात को तू यहाँ क्यों आई है?
रश्मि- मॉम मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है.. इसलिए आई हूँ।
मॉम- अरे आ.. मैं दवा दे देती हूँ.. सब ठीक हो जाएगा।
मैं मॉम के पास जाकर बैठ गई.. वो बड़े प्यार से मेरा सर दबाने लगी।
रश्मि- मॉम सब ठीक तो है ना..
मॉम- हाँ बेटा सब ठीक है.. क्या हुआ.. तूने यह सवाल क्यों पूछा?
रश्मि- सब ठीक है तो आप रो क्यों रही थीं?
मॉम- नहीं बेटा.. मैं कहाँ रो रही हूँ.. वो वो बस ऐसे ही आँख में कुछ चला गया था।
मॉम ने बहुत कोशिश की.. मुझे टालने की.. मगर उनकी आँखों से 2 बूँद आँसू और आ गए।
रश्मि- नहीं मॉम.. कुछ तो बात है.. देखो आपकी आँख फिर से भर आईं और पापा कहाँ हैं?
मॉम- मैंने कहा ना.. कुछ नहीं हुआ और तेरे पापा को कुछ काम था.. वो बाहर गए हैं।
रश्मि- मॉम आप झूठ बोल रही हो.. मैंने पास के कमरे में सब देखा है.. पापा और आंटी..
मैं आगे कुछ बोलती.. मॉम ने मुझे एक चांटा मार दिया और मुझे सीने से चिपका कर रोने लगीं।
मॉम- आई एम सॉरी बेटा.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. मैंने तुम्हें मारा.. तेरे पापा को ये बात मत कहना.. वो नाराज़ होकर कहीं चले जाएँगे.. बेटा मेरी तो लाइफ बर्बाद हो गई। अब अगर तेरे पापा चले गए तो हम सब की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। तू अभी बच्ची है.. भूल जा सब.. किसी को कुछ मत कहना।
रश्मि- लेकिन मॉम ये सब क्या है.. वो इतने गंदे काम कर रहे हैं.. आप कुछ बोलती क्यों नहीं?
मॉम- चुप रह तू.. मैंने कहा ना.. तेरी आंटी का घर में आना मेरी जिंदगी में तूफान से कम नहीं.. तेरे पापा अब बदल गए हैं। बस अब तू ये बात किसी को मत बताना.. ले दवा ले.. चुपचाप अपने कमरे में चली जा..
मॉम ने मुझे दवा देकर वहाँ से भेज दिया। जब तक मैं अपने कमरे में नहीं चली गई.. वो दरवाजे पर खड़ी मुझे देखती रहीं।
बस उस दिन से मुझे मेरी आंटी से नफ़रत हो गई। मेरे पापा बहुत अच्छे थे.. मगर उनके आने के बाद वो काफ़ी बदल से गए, अक्सर मेरी मॉम को मैंने रोते देखा है।
मुझे पता लग गया कि ये सब सेक्स के कारण हुआ और बस मुझे सेक्स से नफ़रत हो गई।
काजल- अरे यार तेरी मॉम के साथ तो बुरा हुआ.. वैसे तू गलत है यार तेरे पापा के कांड के कारण तू सेक्स से क्यों नफ़रत करती है। तुझे उनसे नफ़रत करनी चाहिए थी। अपनी लाइफ क्यों बर्बाद कर रही हो?
रश्मि- नो वे.. मेरे पापा मुझे अभी भी उतना ही प्यार करते हैं। ये सब तो मेरी आंटी का किया-धरा है.. मैंने बहुत बार उनको जलील भी किया.. मगर वो पक्की रंडी हैं उनके कानों पर जूँ तक नहीं रेंगती.. बस इसी सब के चलते मुझे हॉस्टल में आना पड़ा.. घर में घुटन सी होने लगी थी मुझे, मैंने पापा को राज़ी किया कि मुझे पढ़ाई में दिक्कत है.. हॉस्टल में रह कर ठीक से पढ़ाई कर सकूँगी।
काजल- तेरे पापा को पता है कि तू उनके राज़ जान गई है?
रश्मि- ये मैं नहीं जानती.. शायद उस रंडी ने उनको बताया होगा.. मगर मैंने कभी पापा को यह बात नहीं कही और ना ही कभी उनको मेरे आगे शरमिंदा होना पड़ा.. वो मेरी हर बात मानते हैं। मुझे बहुत प्यार करते हैं। मैं चाहती तो उनको उस रंडी से दूर कर सकती थी.. अपनी कसम देकर मगर मैं अपने पापा को अपनी नज़रों में गिरने नहीं दे सकती.. इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा।
|