kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
06-27-2018, 11:53 AM,
#19
RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
रश्मि ने बीच में टोकते हुए कहा- यार तू पागल है क्या.. ऐसे कैसे हाँ.. कह दी तूने?
काजल- अरे यार उस समय पता नहीं मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने हाँ..कह दी बस..
रश्मि- अच्छा फिर क्या हुआ?
काजल- होना क्या था.. भाई ने मूवी चालू कर दी और बस हम दोनों देखने लगे और धीरे-धीरे मेरा जिस्म गर्म होने लगा। मेरी चूत गीली होने लगी.. मगर मैं बड़ी मुश्किल से अपने आपको रोके बैठी रही ताकि भाई को कुछ शक ना हो.. जब हालत काबू से बाहर हो गए.. तो मैंने चिल्ला कर कहा ‘बस बहुत हो गया.. अब बन्द करो देखो मैं नहीं बहकी ना..’
रेशू- झूट मत बोलो.. तेरी हालत मुझसे छुपी नहीं है.. अपनी चूत खोल कर दिखा.. कैसे गीली हो रही है?
काजल- भाई आपको शर्म नहीं आती.. ऐसा बोलते हुए?
भाई ने मेरी टाँगें पकड़ी और पैन्टी के साथ बरमूडा खींच कर निकाल दिया। मैं कुछ समझ पाती.. इसके पहले उनका हाथ मेरी चूत पर था..
रेशू- उफ़फ्फ़.. तेरी चूत है या जलता तवा.. देख कितनी गर्म है और पानी-पानी हो रही है..
काजल- भाई का हाथ चूत पर लगते ही मेरी सोईवासना जाग गई.. मैं पागल हो गई। एक तो उस मूवी का असर और अब भाई की ये हरकत.. मेरी आँखें मज़े में बन्द हो गईं.. मैं बहुत कुछ बोलना चाहती थी.. मगर भाई ने अपने गर्म होंठ मेरी चूत पर रख दिए और चूत को चाटने लगे।

रश्मि- छी: छी: बन्द करो यह बात, मेरा दिल बेचैन हो गया.. कैसे तुम राज़ी हो गईं.. तेरा भाई तो पक्का हरामी निकाला.. अपनी ही बहन के साथ छी:..
काजल- अरे क्या हुआ.. मज़ा नहीं आया क्या अरे चुदाई का सीन बताती हूँ न.. ज़्यादा मज़ा आएगा कि कैसे मेरे भाई ने मेरी चूत की सील तोड़ी!
रश्मि- नो.. अब कुछ मत बोलना.. मुझे ऐसी घटिया बात नहीं सुननी.. जिसमें भाई और बहन सेक्स करें.. ओके बाय मैं जा रही हूँ।
काजल- अरे साफ-साफ क्यों नहीं कहती.. कि तेरी चूत गीली हो गई है और तुझसे सहन नहीं हो रही.. ज़्यादा सीधी बन कर रहेगी तो लौड़े के लिए तरसती रहेगी। समझी किसी ना किसी को पटा ले.. वो तेरी चूत की आग मिटा देगा।
रश्मि- नो वे.. मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं होगा.. समझी.. मुझे नफ़रत है सेक्स से ओके..
काजल- मेरी जान तू झूट बोल रही है.. अगर तू पूरी बात सुन लेगी तो तेरा मन भी चुदने का करेगा.. इसी डर से तू भाग रही है ना..
रश्मि- नहीं ऐसा कुछ नहीं है.. बस मुझे ये सब गंदा लग रहा है..
काजल- अरे बहाना मत बना.. भाई मेरा.. चूत मेरी.. तुझे क्या दिक्कत है सुनने में बोल?
रश्मि- तू नहीं समझेगी.. चल अब बता दे पूरी बात.. वैसे मुझे कुछ फ़र्क नहीं पड़ने वाला.. ओके।
काजल- अच्छा अच्छा.. तुझे फ़र्क पड़े या ना पड़े.. मगर तू सुन लेगी तो मैं समझूँगी.. तू डरी नहीं.. ओके.. अब आगे का हाल सुन..
भाई लगातार अपनी जीभ की नोक से मेरी चूत के दाने को छेड़ रहे थे और मैं हवा में उड़ रही थी।
रश्मि- छी: तू भी शरीफ़ होने का नाटक कर रही थी.. भाई से चटवाते हुए शर्म नहीं आई तुझे?
काजल- देख तू ऐसे बीच में बोलेगी.. तो कहाँ मज़ा आएगा। अब उस रात जो हुआ सब विस्तार से बता रही हूँ.. बीच में कुछ ना बोलना ओके..
रश्मि ने ‘हाँ’ कहा और काजल शुरू हो गई जैसे उस रात हुआ वैसे ही उसने पूरा किस्सा कह सुनाया।
रेशू- उफ़फ्फ़ काजल तेरी चूत कितनी टेस्टी है.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. चाटने में आह्ह.. उफ्फ…
काजल- भाई मेरी चूत में लगे थे और.. आह्ह.. ईसस्स नहीं.. भाई आह्ह.. ये गलत है आ ऐसा मत करो ना प्लीज़ आह्ह..
रेशू- अब ये झूट मूट का नाटक मत कर.. तुझे पूरा मज़ा आ रहा है फिर भी ‘ना’ कह रही है। चल पूरी नंगी हो जा.. आज तुझे ऐसा मज़ा देता हूँ कि पूरी जिदगी याद करोगी मुझे..
भाई ने मेरे पूरे कपड़े निकाल दिए और खुद भी नंगा हो गया.. उसका लौड़ा एकदम तना हुआ था.. जिसे देख कर मेरी चूत पानी-पानी हो रही थी।
रेशू- अरे वाह तेरे मम्मे तो बड़े मस्त हैं एकदम छोटे शान्तरे जैसे.. ला ज़रा इनका भी रस पिला दे मुझको आह्ह.. क्या कड़क हैं तेरे मम्मे.. आज तो मज़ा आ गया।
काजल- नहीं भाई.. ये तो छोटे अमरूद हैं इन्हें सेब बना दो.. सब यही कहते हैं।
रेशू- अरे मेरी जान.. तू बस देखती जा.. मैं क्या-क्या बनाता हूँ।
रेशू मेरे जिस्म के साथ खेलने लगा.. वो बहुत मज़े से कभी मेरे मम्मों को दबाता कभी चूसता.. मेरी चूत में झनझनाहट होने लगी थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे जिस्म का सारा खून वहाँ जमा होकर बाहर निकलना चाहता हो।
काजल- एयेए आह.. इसस्स.. भाई आह्ह.. नीचे करो ना.. आह्ह.. मुझे कुछ हो रहा है आह्ह.. उइ.. आह्ह..
मेरी सिसकारियों को समझते हुए रेशू ने जल्दी से मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया.. उसी पल मैं झड़ गई।
रेशू ने रस मलाई की तरह मेरा सारा पानी चाट-चाट कर चूत को साफ कर दिया, अब मैं निढाल सी बिस्तर पर लेटी हुई थी।
रेशू- क्यों मेरी प्यारी बहना.. मज़ा आया ना.. इसे कहते है प्यार का खेल.. अब आगे-आगे देख तुझे कैसे मज़ा देता हूँ।
काजल- भाई ये सब सही है क्या?
रेशू- मेरी जान.. यह देख, लौड़ा कैसे तना हुआ तुम्हें निहार रहा है। इसको किसी रिश्ते की परवाह नहीं है.. चल इसको प्यार कर.. मज़ा आएगा..
भाई ने अपना 7″ का नाग मेरे सामने कर दिया। मैं बस उसको देख रही थी कि भाई ने मेरे बाल पकड़ कर लौड़े को मेरे होंठों पर रख दिया।
काजल- उउउ नहीं भाई.. मुझे नहीं करना ये गंदा है ना ना..
रेशू- अरे जान एक बार चूस कर देख.. दुनिया के सारे मज़े भूल जाएगी तू..
मुझे बड़ा अजीब लग रहा था.. मगर भाई ने ज़ोर दिया तो मैं लौड़े के टोपे को चूसने लगी और सच बताऊँ वो बहुत अच्छा था.. मुझे मज़ा आने लगा और मैंने पूरा लौड़ा मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, उसका रस बड़ा अजीब सा था।
रेशू- आह्ह.. चूस बहना.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है आह्ह.. अब मेरे मज़े हो गए.. आह्ह.. अब बस रोज तू मेरे साथ ही सोना.. रोज आह्ह.. आह..
करीब 5 मिनट तक मैं लौड़े को मज़े से चूसती रही.. अचानक भाई ने मेरे सर को पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से झटके देने शुरू कर दिए।
कुछ ही देर में उनके लंड से तेज वीर्य की पिचकारी मेरे गले में उतरने लगी।
ना चाहते हुए भी मैं उनका सारा माल पी गई।
रेशू- आह्ह.. आह उफ़फ्फ़.. पीले आह्ह.. सारा माल पीले.. अपने भाई का.. आह्ह.. आज तूने मुझे बहुत मज़ा दिया आह्ह..
जब भाई का लंड शान्त हुआ.. वो पीछे हटा और मेरी जान में जान आई, मेरे मुँह से अभी भी उनके सफेद वीर्य की कुछ बूंदें बाहर आ रही थीं और उनके लंड पर भी कुछ माल लगा हुआ था।
रेशू- काजल ऐसे नहीं करते.. चल पूरा माल चाट कर साफ कर और पी जा सब.. तभी ज़्यादा मज़ा आएगा..
काजल- नहीं भाई, यह बहुत अजीब सा है मुझे उल्टी आने जैसा फ़ील हो रहा है।
रेशू- अरे कुछ नहीं होगा.. ये तो बड़ा फायदेमंद रस है.. चल आ जा चाट कर साफ कर.. उसके बाद मैं तुझे और मज़ा दूँगा.. चल आ जा..
काजल- भाई की बातों में एक जादू था। मैं बस उनकी हर बात मानती जा रही थी। मैंने लौड़े को जीभ से चाट कर साफ करना शुरू कर दिया और कुछ देर ऐसा करने के बाद लौड़ा साफ हो गया। मगर भाई की नजरों में वासना का तूफान नज़र आने लगा।
काजल- भाई आप ऐसे क्या देख रहे हो मुझे?
रेशू- मेरी जान.. तेरी जैसी हसीन बहन सामने नंगी हो.. तो और क्या देखूँ मैं.. आज तो मेरा बहनचोद बन जाने का दिन है..
काजल- नहीं भाई.. यह गलत होगा.. हमारी बहुत बदनामी हो जाएगी..
रेशू- अरे डार्लिंग, किसी को पता लगेगा तब बदनामी होगी ना.. इस रात के अंधेरे के मैं हम दोनों.. एक-दूसरे की जरूरत पूरी करेंगे.. दिन में वहीं रिश्ता रहेगा हमारा..
काजल- ओह.. भाई आपने क्या जादू कर दिया मुझ पर.. कुछ समझ नहीं आ रहा.. अब तो जो होगा.. देखा जाएगा आ जाओ.. बना लो मुझे अपना..
हम दोनों बिस्तर पर एक-दूसरे की बाँहों में चूमने में बिज़ी हो गए।
भाई मेरे छोटे-छोटे मम्मों को दबा रहा था, कभी मेरे निप्पल को चूस रहा था और मैं भी उनकी कमर पर हाथ घुमा रही थी, कभी उनके लंड को सहला रही थी..
लगभग 15 मिनट तक यह खेल चलता रहा.. हम दोनों बहुत गर्म हो गए थे, मेरी चूत रिसने लगी थी..
रेशू- उफ्फ़ काजल.. अब वक़्त आ गया है कि तेरी कुँवारी चूत को खोलकर मैं तुझे पूरी कच्ची कली से खिला हुआ फ़ूल बना दूँ।
काजल- आह्ह.. भाई उफ्फ.. अब मेरे से बर्दाश्त नहीं हो रहा.. आह्ह.. जो करना है जल्दी से कर दो इसस्स आह..
भाई ने मुझे लिटा दिया और मेरे पैर मोड़ कर एक बार अच्छे से मेरी चूत को चाट कर अपने थूक से तर कर दिया.. उसके बाद अपने लौड़े पर अच्छे से थूक लगा कर अपना लौड़ा चूत पर रखा।
मेरी जो हालत हुई.. क्या बताऊँ मैं.. भाई के लौड़े का स्पर्श बहुत ही मजेदार था, वो पल शब्दों में नहीं बताया जा सकता है.. बस महसूस किया जा सकता है।
काजल- ससस्स.. आह.. भाई.. आराम से करना.. मुझे डर लग रहा है कहीं इस खेल में कुछ गड़बड़ ना हो जाए..
रेशू- बस थोड़ा सा दर्द होगा मेरी काजल.. उसके बाद तू दुनिया के सबसे मजेदार खेल की पक्की खिलाड़ी बन जाएगी.. आह्ह.. अब मैं घुसा रहा हूँ।
रेशू ने लौड़े पर दबाव बनाया और सुपारा चूत में फँसा कर वो मेरे ऊपर लेट गया, मेरे निप्पल को चूसने लगा, मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा कर ज़ोर लगाने लगा।
मेरी चूत का दरवाजा खुलना शुरू हो गया था और मेरे जिस्म में दर्द की एक लहर दौड़ने लगी थी.. जैसे कि चूत के रास्ते मेरे जिस्म में कोई तूफान जा रहा हो मेरी हालत खराब होने लगी।

रेशू- आह्ह.. उफ्फ.. तेरी चूत बहुत टाइट है साला लंड आगे जा ही नहीं रहा है.. आह..
काजल- उउउ भाई आह्ह.. नहीं.. प्लीज़ मुझे बहुत दर्द हो रहा है.. ससस्स अयाया.. लगता है.. मैं मार जाऊँगी.. आआ.. सस्स आह्ह.. अब और मत डालो ना..
रेशू- उहह अरे बहना.. अभी तो बस टोपा घुसा है.. लौड़ा तो पूरा बाहर है। मैं तुझे तकलीफ़ नहीं देना चाहता था। इसलिए प्यार से चोद रहा था.. मगर एक झटका देना ही होगा। अब तू देख बस एक बार का दर्द.. बाद में कैसे मज़ा देता है!
काजल- आह्ह.. नहीं भाई.. आह्ह.. नहीं.. थोड़े से इतना दर्द हो रहा है तो पूरा कैसे जाएगा आह्ह.. नहीं भाई..
रेशू ने जब यह देखा कि मैं डर रही हूँ और उसका काम बिगड़ रहा है.. तो उसने मेरे होंठ अपने होंठों में दबाए और कमर को पीछे करके ज़ोर से झटका मारा.. आधा लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।
दर्द के मारे मेरी जान निकल गई.. मैं बहुत ज़ोर से चीखी.. मगर मेरी आवाज़ घुट कर रह गई।
मैं कुछ संभल पाती.. उसके पहले भाई ने दूसरा झटका मारा और पूरा का पूरा लौड़ा चूत की गहराई में समा गया।
मेरी आँखों से आँसू बहने लगे और दर्द के मारे पूरा बदन अकड़ने लगा.. मगर भाई लगातार झटके देता रहा.. वो वासना में अँधा हो गया था.. उसको मेरी तकलीफ़ का कोई अंदाज़ा नहीं था, वो बस दनादन चोदे जा रहा था और मैं सिसकती जा रही थी।
कोई 20 मिनट तक भाई मेरी चूत को पागलों की तरह चोदता रहा और मैं दर्द के दौरान भी एक बार झड़ गई थी और दोबारा भी मैं चरम पर थी।
अब दर्द के साथ एक मज़ा भी आने लगा था।
काजल- आह आईईइ.. भाई ससस्स.. आह्ह.. दर्द हो रहा है.. आह्ह.. छोड़ो आह्ह.. ना ना आराम से.. आह उ.. मर गई आह्ह..
रेशू- उहह उहह ले.. काजल.. आह्ह.. देख तेरे भाई का पावर देख.. आह्ह.. आज तूने मुझे बहनचोद बना दिया है.. आह्ह.. ले पूरा ले आह्ह..
काजल- आह छोड़ो.. आह्ह.. भाई आह्ह.. मेरी चूत आह.. में मीठा सा दर्द उठ रहा है.. आह्ह.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह्ह.. मैं गई एयेए गई एयेए..
भाई ने स्पीड बढ़ा दी और कमर को इतनी ज़ोर से हिलाने लगे कि बस पूछो मत.. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं दर्द से चीखूँ या मज़े से आहें भरूँ।
मेरी चूत का लावा फूट गया और मैं ठंडी पड़ गई।
तभी मेरी चूत की दीवारों पर गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी जाकर लगी.. जिसके अहसास से मैं सिहर गई।
उसके बाद लगातार भाई के लंड से वीर्य निकलता गया और मेरी चूत को भरता गया। काफ़ी देर तक भाई मेरे ऊपर पड़ा रहा और हम दोनों लंबी साँसें लेते रहे।
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RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम - by sexstories - 06-27-2018, 11:53 AM

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