RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
रश्मि की बात सुनकर जय ज़ोर से हँसने लगा। उसको लगा रश्मि मजाक कर रही है.. मगर रश्मि ने अपना पासा फेंक दिया था।
रश्मि- भाई इसमें इतना हँसने की क्या बात है.. मुझे सच में लेने हैं।
जय- हा हा हा.. अरे तो ले ले.. इसमें सोचना क्या है.. तू भी अपनी फ्रेण्ड की तरह बेवकूफ़ी करेगी क्या.. ड्रेस दिखाना अलग बात है.. ये कोई दिखाता है क्या.. हा हा हा..
रश्मि- अच्छा अच्छा.. अब ज़्यादा मत हँसो और चलो मेरे साथ.. वो सामने की शॉप से लेंगे..
जय- अरे मैं क्या करूँगा जाकर.. तू ले ले ना.. अपने हिसाब से..
रश्मि- अब आप मिडल क्लास वाले मत बनो.. वहाँ शॉप में सब आदमी होते हैं मैं वहाँ पर अकेली नहीं जाऊँगी.. मुझे डर लगता है..
जय- अरे इसमें डर कैसा.. पागल कुछ भी बोल देती है, मैं तो बस ऐसे ही कह रहा था.. चल मैं तेरे साथ चलता हूँ।
रश्मि- ये हुई ना दोस्तों वाली बात.. अब लगा कि आप मुझे दोस्त मानते हो.. चलो अब देखते हैं वहाँ पर कुछ अच्छा है या नहीं..
दोनों शॉप में चले गए.. वहाँ सिर्फ़ नाईटी और अंडरगारमेंट्स ही मिलते थे। हर तरफ़ बस वही नज़र आ रहा था।
जय उस माहौल में थोड़ा सा घबरा रहा था।
रश्मि- अरे क्या हुआ.. आप ऐसे चुप-चुप क्यों हो?
जय- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.. तुमको जो लेना है.. ले लो..
रश्मि ने दुकान वाले को कहा कि कुछ न्यू डिज़ाइन दिखाओ।
दुकानदार- मेमसाब आप साइज़ बता दो.. उस हिसाब से मैं नये डिज़ाइन निकालता हूँ।
रश्मि ने जय की तरफ़ देखा और हल्की सी स्माइल देते हुए कहा- आप 32″ के न्यू डिज़ाइन निकालो और हाँ सैट ही दिखाना।
दुकानदार- अभी लो मेमसाब.. बस 5 मिनट में निकालता हूँ।
जय ने जब रश्मि के मुँह से साइज़ सुना.. तो उसकी नज़र अपने आप उसके मम्मों पर चली गई और एक अजीब सी बेचैनी उसके मन में होने लगी.. उसका लौड़ा थोड़ी हरकत करने लगा।
रश्मि इन सब बातों पर गौर कर रही थी मगर वो जय से नजरें नहीं मिला रही थी.. बस इधर-उधर देख रही थी ताकि जय को पूरा मौका मिले।
तभी उसकी नज़र एक रबड़ के पुतले पर गई.. जिसने काली ब्रा और पैन्टी पहनी हुई थी.. जो पारदर्शी थी और बहुत सेक्सी भी दिख रही थी।
रश्मि ने उसको गौर से देखा और जय को आँखों से इशारा किया कि कैसी है?
जय तो इस अचानक हुए हमले से घबरा गया और अचानक ही उसके मुँह से निकल गया- ये तो बहुत सेक्सी है.. तुम पर बहुत मस्त लगेगी..
इतना कहकर जय झेंप गया कि ये कुछ ज़्यादा हो गया और वो खांसने लगा.. जैसे उसने कोई मिर्ची खा ली हो।
रश्मि- अरे क्या हुआ आपको.. आप ठीक तो है ना?
दुकानदार- ये लो सर.. पानी पी लो।
जय एक सांस में पूरा गिलास गटक गया और संयत हो गया।
दुकानदार- ये लीजिए.. सब नये डिज़ाइन आपके सामने हैं जो अच्छा लगे.. लेलो अगर नहीं पसन्द आए हों.. तो और कुछ दिखा दूँगा..
रश्मि सब सैट को आराम से हाथ में लेकर देखने लगी और चोर नज़र से जय की और भी देखती रही।
रश्मि- सब बहुत अच्छे हैं मगर कलर कौन सा लूँ.. ये समझ नहीं आ रहा.. आप कुछ मदद करो ना मेरी..
जय- अरे कोई भी लेले.. सब अच्छे ही हैं इसमें इतना सोचना क्या?
रश्मि- आप प्लीज़ बताओ ना.. कलर के बारे में आप ज़्यादा अच्छा जानते हो.. मैंने आपकी टीशर्ट्स देखी हैं बहुत मस्त हैं सब.. प्लीज़ प्लीज़ बताओ ना..
जय- देखो रश्मि.. ये पिंक वाली अच्छी है और वो ब्लू भी मस्त लग रही है। एक ये क्रीम ले लो और वो ब्लैक तो मैंने पहले ही बता दिया कि अच्छी है.. हाँ इनमे. रेड कलर होता तो और भी मस्त रहता।
दुकानदार- लाल भी मिल जाएगा.. आप कहो तो ले आऊँ?
रश्मि- अरे पूछना क्या है.. जल्दी ले आओ और ये सब भी पैक कर दो और हाँ वो सामने वाला सैट भी पैक कर देना.. ठीक है..
दुकानदार- जी मेम.. अभी करवा देता हूँ और कुछ भी देख लो.. आज नया माल आया है। कुछ अच्छी डिज़ाइन की नाईटी भी हैं वो वहाँ सामने देखो उनमें से भी कुछ पसन्द कर लो।
रश्मि- अरे नहीं नहीं.. पहले ही बहुत कुछ ले लिया.. अब नाईटी लूँगी तो ये साब हम दोनों को मार देंगे हा हा हा हा हा..
जय- अरे ये क्या बोल रही हो.. मैं क्यों मारूँगा और जितना खर्चा तुमने किया है.. वो सब मैं वसूल भी कर लूँगा.. समझी.. चल देख ले जो भी तुम्हें पसन्द आए।
रश्मि- अच्छा.. कैसे वसूल करोगे आप.. ज़रा बताओ तो?
जय- अरे पागल मजाक कर रहा हूँ.. तू कौन सा रोज-रोज खर्चा करवाती है.. चल अब देख ले.. कुछ पसन्द आए तो?
दुकानदार- हा हा हा, कुछ भी कहो मेम ये साब जी आपको प्यार बहुत करते हैं देखो कैसे सब चीजों के लिए फ़ौरन मान जाते हैं।
जय- अरे प्यार कैसे नहीं करूँगा ये तो मेरी जान है.. मेरी प्यारी…
जय आगे कुछ बोलता इसके पहले रश्मि ने बोल दिया।
रश्मि- बस बस.. अब सारी कहानी मत बताओ.. आओ मेरे साथ कुछ नाईटी पसन्द करते हैं।
जय को कुछ समझ नहीं आया कि ये रश्मि को क्या हो गया है.. उसने ऐसे बीच में क्यों रोका..
रश्मि ने 2 सेक्सी नाईटी भी पसन्द की.. उसके बाद वो जब जाने लगे.. तो दुकानदार ने कहा- सच्ची इतने लोग यहाँ आते हैं मगर ऐसी खूबसूरत जोड़ी आज तक मैंने नहीं देखी..
रश्मि- ओह्ह.. थैंक्स.. वैसे हम बस दोस्त हैं ओके बाई..
रश्मि बाहर निकल गई तो दुकानदार ने धीरे से कहा.. – हाँ पता है.. आजकल दोस्ती में ही सारे कांड हो जाते हैं इतने महंगे सैट तुझे दिलवाए हैं तो लड़का मज़ा भी पूरा लेगा हाँ…
बाहर आकर जय ने सवालिया नज़रों से रश्मि की ओर देखा..
अब आगे..
रश्मि- क्या हुआ आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो?
जय- मुझे उस वक्त बोलने नहीं दिया और अभी उसने जो बकवास की.. उसका जवाब भी तुमने अजीब सा दिया.. ऐसा क्यों.. मेरी समझ के बाहर है।
रश्मि- अरे भाई.. उस वक्त आप मेरी प्यारी बहन बोलने वाले थे.. इसलिए मैंने रोका और अभी उसने कहा कि अच्छी जोड़ी है तो मैंने कहा ना.. कि हम बस दोस्त हैं अब ये नॉर्मल बात है..
जय- अरे उसको पता होता कि तुम मेरी बहन हो तो वो ऐसी बात बोलता ही नहीं.. मगर तुमने मुझे रोका क्यों ये बताओ..
रश्मि- ओह्ह.. भाई आप कैसी बातें कर रहे हो.. हम बिंदास हैं ये हमें पता है.. मगर उसको नहीं.. उस वक्त उसको पता लगता मैं आपकी बहन हूँ तो वो सोचता कैसी बहन है.. जो अपने भाई के साथ ब्रा लेने आई है.. ये मिडल क्लास लोग गलत ही सोचते हैं इसलिए मैंने दोस्त कहा.. समझे..
जय- रश्मि तू सच में बहुत बड़ी हो गई है.. ऐसी बातें तेरे दिमाग़ में आई कहाँ से?
रश्मि- बस ऐसे ही आ गईं.. चलो भाई कुछ ठंडा पीते हैं गला सूख रहा है और बेचैनी सी हो रही है।
जय- अरे क्या हो गया तेरी तबीयत तो ठीक है ना?
रश्मि- सच बताऊँ भाई… मुझे खुद नहीं पता.. रात को भी एक अजीब सी बेचैनी दिमाग़ में थी। सुबह नाश्ता किया उसके बाद दोबारा वेसी ही बेचैनी महसूस कर रही हूँ।
जय- अरे कुछ नहीं.. ऐसे ही कल तेरे कमरे का एसी काम नहीं कर रहा था ना.. इसलिए ऐसा हुआ होगा.. चल वहाँ सामने कॉर्नर पे आइसक्रीम खाते हैं।
दोनों आइसक्रीम खाने लगे.. उस दौरान नॉर्मली इधर-उधर की बातें करने लगे।
हाँ एक बात कुछ अजीब हुई कि रश्मि के जिस्म में एक सनसनाहट सी होने लगी थी।
उसको बहुत गर्मी लग रही थी उसने जय से कहा- बस अब कहीं और नहीं जाएँगे.. सीधे घर चलो.. मुझे बहुत गर्मी लग रही है।
जय ने ज़्यादा कुछ नहीं कहा और मान गया।
दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि ये सीधी साधी रश्मि को क्या हो गया। ऐसे अचानक इसके मन में ऐसे विचार क्यों आने लगे। ये बात कुछ हजम नहीं हो रही तो चलो आपको हाजमोला दे देती हूँ।
अरे जस्ट जोकिंग यार.. इसका कारण नहीं जानना क्या.. तो चलो..
रंगीला और साजन बैठे हुए आगे का प्लान बना रहे थे।
साजन- यह तो समझ आ गया कि तुमने दोनों भाइयों को मेरे बारे में ये सब कहकर मना लिया कि मैं रश्मि को गेम के लिए रेडी करने में हेल्प करूँगा.. मगर वो सीधी साधी लड़की मानेगी कैसे?
रंगीला- तू शायद मुझे नहीं जानता.. मैं कौन हूँ उसको ऐसा बना दूँगा कि तुम खुद समझ नहीं पाओगे।
साजन- अच्छा जरा कुछ मुझे भी यार बताओ तो.. प्लीज़ प्लीज़?
रंगीला- सुन.. मेरे दिमाग़ का खेल.. मैंने कल रात उसको वी****उ दी थी.. अब उसके दिमाग़ में सिर्फ़ सेक्सी बातें आएँगी.. उसका जिस्म तपने लगेगा, वो समझ ही नहीं पाएगी कि उसको क्या हो रहा है।
साजन- अरे बाप रे.. ये तो एक किस्म का मसाला होता है.. मगर अपने उसको दी कैसे.. ये पहेली भी तो सुलझाओ भाई..
रंगीला- बेटा हर घर में नौकर तो होते ही हैं अब उनकी सही कीमत लगाने वाला मिल जाए तो बस बेचारे बिक जाते हैं। आज सुबह नाश्ते में भी उसको वो गोली दे दी गई है। अब बस उसका तमाशा शाम को देखना..
साजन- वाह.. भाई मान गया क्या दिमाग़ लगाया आपने.. मगर इससे हमारा क्या फायदा.. वो साली सेक्स की प्यासी होकर पहले कहीं किसी और से ना चुदवा ले?
रंगीला- मैंने कहा ना.. मेरे दिमाग़ को तू नहीं समझ पाएगा.. कल रात वो दवा रश्मि को दी.. और साथ में मैंने जय को भी नींद की दवा दिलवा दी थी।
साजन- भाई मुझे अब चक्कर आने लगा है आप क्या बोल रहे हो.. मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा? ये जय को नींद की दवा का क्या मामला बीच में आ गया?
रंगीला- सुन तेरे चक्कर ख़त्म करता हूँ। मैंने नौकर को कहा कि ये दो तरह की गोली हैं ध्यान से सुन आज रात किसी तरह ये सफ़ेद गोली जय को और लाल रश्मि को दे देना।
साजन- वो नौकर को काम देने का तो मैं समझ गया कि वो उसने किसी तरह दे दी होगी.. मगर क्यों..? सवाल ये है मेरा..
रंगीला- बस अब सारा मामला अभी जान लेगा.. तो आगे गेम का मज़ा नहीं आएगा। अब चुप कर.. सामने देख विजय आ रहा है।
रंगीला और साजन बैठे हुए विजय का वेट कर रहे थे। उसको आता देख वो खड़े हो गए।
विजय- अरे क्या बात है साजन.. तू भी यहाँ है.. कुछ खास बात है क्या?
साजन- बहुत जल्दी में लगता है.. थोड़ा सब्र कर.. बैठ यहाँ।
रंगीला- मैंने बताया था ना.. साजन ने बुलबुल में पार्टी रखी है.. वहाँ जाना है या नहीं.?
विजय- अरे जाना क्यों नहीं है.. बड़े दिनों बाद तो ऐसी पार्टी हो रही है।
रंगीला- गुड.. आज शाम को एंट्री करवा लेना.. वैसे कौन-कौन आ रहा है.. रश्मि भी आएगी क्या साथ?
विजय- अरे कौन से क्या मतलब है? मैं और जय आयेंगे.. रश्मि किस लिए आएगी.. तुझे पता है ना वहाँ क्या होता है?
रंगीला- पता है.. शायद जय ले आए.. वो गेम के लिए कुछ भी कर सकता है।
विजय- हाँ शायद.. मगर मुझे ये सब अच्छा नहीं लग रहा यार.. साजन तुम दोनों पागल हो गए हो.. बहन के साथ ये सब ठीक नहीं.. एक बार और सोच लो, यह बहुत गलत बात है।
साजन- देखो विजय शुरू से ही जय और मेरे बीच ‘तू तू.. मैं मैं..’ होती रही है। तुम हमेशा बीच-बचाव करते हो.. मगर इस बार मैंने कुछ नहीं किया। ये सब शुरूआत जय ने की.. पर अब इसको ख़त्म मैं करूँगा।
विजय- ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.. वैसे इस गेम के लिए तुम्हारी बहन मान जाएगी क्या?
साजन- वो मेरा काम है.. उसको कैसे मनाना है। तुम शाम को क्लब में रश्मि को ले आना.. रंगीला ने मुझे सब समझा दिया है।
विजय- उसकी फिकर तुम मत करो.. पहले ये बताओ तूने इतनी बड़ी पार्टी रखी कैसे..? जहाँ तक मैं जानता हूँ.. तू साला एकदम लुच्चा है।
साजन- क्या विजय.. अपना तेरे को पता है ना.. बड़ा-बड़ा पैसा वाला फ्रेण्ड है.. बस सब कर लिया किसी तरह।
रंगीला- अब इन बातों का कोई मतलब नहीं है.. तुम रात को बुलबुल जाकर एंट्री ले लेना.. ओके..
विजय- अरे यार तुम ले लेना ना.. हमारा आना जरूरी है क्या?
रंगीला- अरे हाँ यार.. अबकी बार नया रूल है.. जिसको पार्टी में आना हो.. वहाँ जाकर एंट्री करवानी होगी.. तभी सनडे को आ पाएगा।
साजन- अच्छा यार.. मैं चलता हूँ.. मुझे थोड़ा काम है।
रंगीला- ओके तुम जाओ.. मुझे विजय से कुछ बात करनी है।
साजन वहाँ से चला गया तो दोनों हँसने लगे कि साला कैसे शेखी बघार रहा था कि शुरू जय ने किया और एंड में करूँगा।
विजय- वो कुत्ता नहीं जानता.. कि शुरू हमने किया है तो एंड भी हम ही करेंगे हा हा हा हा।
अब आगे..
रंगीला- हाँ सही कहा तुमने.. अच्छा यार रविवार को इस बार पार्टी में कुछ धमाल करते हैं।
विजय- हाँ क्यों नहीं.. धमाल करने का कोई प्लान है क्या.. बता तो?
रंगीला उसको बताने लगा कि कैसे वो सब वहाँ मज़ा करेंगे..
अब यहाँ कुछ खास नहीं हो रहा.. तो चलो रश्मि की हालत देख लो.. अब तो आपको पता भी लग गया कि कैसे उसकी शराफत को कमजोर किया जा रहा है।
दोनों घर की तरफ़ जा रहे थे तो जय को याद आया कि रश्मि के कमरे का एसी भी ठीक करवाना है.. बस उसने फ़ोन पर एसी वाले को बता दिया कि अभी के अभी आना है.. वो उनके घर अक्सर आता रहता है.. तो उसने कहा- बस 10 मिनट में पहुँच जाऊँगा।
दोस्तो, ये घर पहुँचे.. उसके पहले आपको कुछ जरूरी बात बता देती हूँ.. जिसका आपको जानना जरूरी है।
सिंगापुर के एक होटेल के कमरे में प्रीति बैठी हुई थी.. तभी वहाँ रणविजय आ जाता है।
प्रीति- कहाँ रह गए थे.. भाई साहब, मैं कब से आपका वेट कर रही हूँ।
रणविजय- तू अपनी हरकतों से बाज नहीं आएगी.. मैंने कितनी बार मना किया कि मुझे भाई मत कहा कर..
प्रीति- अरे क्या.. आप ऐसे नाराज़ होते हो.. जिस दिन से आपके घर में आई हूँ.. भाई ही कहती आई हूँ.. अब आकाश के सामने आपने ही कहा था कि यह मेरी छोटी बहन जैसी है।
रणविजय- हाँ कहा था.. क्योंकि तुझे देख कर मेरी नियत बिगड़ गई थी और तुझे छूने का बहाना था वो.. मगर अब आकाश तो मर गया.. और तू मेरे साथ कितनी बार चुद चुकी है.. अब तो ये भाई बोलना बन्द कर दे।
प्रीति- अच्छा जब पहली बार मेरे साथ ज़बरदस्ती की थी.. उस दिन मैंने कितना कहा था कि आप मेरे बड़े भाई जैसे हो.. ऐसा मत करो.. तो आपने क्या कहा था.. याद है?
रणविजय- हाँ याद है.. मैंने कहा था अगर बहन तेरी जैसी माल हो.. तो मैं बहनचोद भी बनने को तैयार हूँ.. मगर इन सब बातों का अब कोई मतलब नहीं है.. अब तो हम दोनों खुश हैं तो ये दिल जलाने वाली बात क्यों करती हो?
प्रीति- तो मैं क्या करूँ.. वो रश्मि मुझे क्या-क्या कहती है.. जबकि सारा कसूर तुम्हारा है।
रणविजय- चुप करो तुम.. और उसको क्या बताना चाहती थी तुम.. हाँ.. बोलो?
प्रीति- सब कुछ जो तुमने मेरे साथ किया है और आज तक कर रहे हो.. यही सब मैं उसको कहाँ चाहती थी।
रणविजय- लगता है तुम भूल रही हो कि मेरे पास क्या है.. अगर वो सबके सामने आ गया ना.. तो सारी दुनिया तुझ पे थूकेगी समझी?
प्रीति- अरे मेरे जानू.. को गुस्सा आ गया.. मैं तो मजाक कर रही थी.. आओ तुम्हारा मूड ठीक कर देती हूँ।
रणविजय- आ गई न पटरी पे.. चल अभी नहीं.. पहले मैं फ्रेश होकर आता हूँ उसके बाद तुझे बताऊँगा कि मुझसे ज़ुबान लड़ाने की सज़ा क्या होती है।
प्रीति- कई सालों से सज़ा ही तो भुगत रही हूँ.. अब जो देना है दे देना जाओ.. जल्दी से फ्रेश हो जाओ.. मैं भी थोड़ा रेस्ट कर लेती हूँ।
दोस्तों ये रेस्ट करें, तब तक रश्मि के पास चलो.. देखते हैं कि अभी तक वो घर में पहुँची या नहीं।
जय और रश्मि जब घर पहुँचे तो रश्मि सीधे अपने कमरे में चली गई शॉपिंग का सामान जय के पास था। उसने रश्मि को आवाज़ लगाई कि ये तो लेती जाओ.. मगर तब तक रश्मि कमरे में जा चुकी थी।
जय ने सोचा शायद उसने सुना नहीं होगा.. वो उसके पीछे-पीछे उसके कमरे में चला गया। तब रश्मि अपना कमीज़ निकाल रही थी.. जय को देख कर वो रुक गई।
रश्मि- अरे क्या भाई सीधे ही मेरे कमरे में आ गए।
जय- सॉरी रश्मि वो तुम ये सब नहीं लेके आई थी.. तो देने आ गया था।
रश्मि- अच्छा ठीक है.. कोई बात नहीं आप जाओ.. मुझे चेंज करना है इन कपड़ों में मुझे बहुत गर्मी लग रही है।
जय- तुम नहा लो.. तो फ्रेश हो जाओगी और अच्छा फील करोगी।
रश्मि- हाँ ये सही रहेगा.. ओके आप जाओ.. मैं फ्रेश होकर आती हूँ।
जय- अरे रूको वो एसी वाला आता ही होगा.. तुम ऐसा करो मेरे कमरे में जाकर फ्रेश हो जाओ तब तक मैं एसी ठीक करवा देता हूँ।
रश्मि मान गई और सारे बैग्स लेके वहाँ से चली गई।
जय नीचे चला गया तभी वो आदमी वहाँ आ गया।
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