RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
जय उसको रश्मि के कमरे में ले गया और एसी दिखा दिया। वो अपने काम में लग गया और जय वहीं खड़ा होकर उसको देखता रहा।
एसी मिस्त्री- सर इस एसी की सर्विस करनी पड़ेगी और गैस पाइप भी बदलना होगा।
जय- तो कर दो किसने रोका है।
एसी मिस्त्री- वो बात नहीं है सर.. इसको दुकान पर लेके जाना होगा।
जय- ओह्ह.. अच्छा मगर शाम तक वापस लगाना होगा ओके..
जय की बात वो मान गया और उसने बाहर खड़े अपने आदमी को अन्दर बुला लिया.. जिसकी मदद से एसी निकाल कर वो ले गया। इन सब कामों में कोई आधा घंटा लग गया तो जय ने सोचा रश्मि अब तक फ्रेश हो गई होगी। वो अपने कमरे की तरफ़ चल पड़ा।
रश्मि बाथरूम में अपने आपसे बात कर रही थी।
रश्मि- ये क्या हो रहा है मुझे.. क्यों मैं ऐसे वासना के भंवर में फँसती जा रही हूँ क्यों अपने ही भाई के बारे में गंदे ख्याल मेरे दिमाग़ में आ रहे हैं?
वो ये सब सोच ही रही थी कि उसे याद आया कि वो अपने कपड़े और अंडर गारमेंट लिए बिना आ गई और उसने तौलिया भी नहीं लिया है.. तभी जय कमरे में आ गया।
जय- रश्मि कहाँ हो तुम.. अभी तक बाथरूम से नहीं निकली क्या?
रश्मि- ओह्ह.. थैंक गॉड भाई.. आप आ गए.. मैं जल्दी में अपना तौलिया और कपड़े लाना भूल गई हूँ.. प्लीज़ आप मेरे जल्दी से कमरे से मेरा तौलिया और कपड़े ला दो ना..!
जय- अरे मुझे क्या पता.. तुमको क्या चाहिए.. जो कपड़े पहने थे वही पहन कर बाहर आ जाओ.. उसके बाद चेंज कर लेना।
रश्मि- ओहो.. आप तो कुछ समझते ही नहीं.. मेरे अंडर गारमेंट्स भीग गए हैं कम से कम यहाँ जो बैग्स रखे हैं.. उनमें से ही दे दो और हाँ एक नाईटी भी दे दो.. अब वापस ये कपड़े नहीं पहनना मुझे..
जय- ओके.. वेट.. देता हूँ।
जय बैग्स में से ब्रा और पैन्टी देखने लगा.. उसके मन में शैतान ने दस्तक दी कि ये लाल ब्रा और पैन्टी में रश्मि क्या मस्त लगेगी.. साथ ही उसने एक ब्लैक नाईटी निकाली.. जो घुटनों तक आने वाली थी.. वो उसने हाथ में ली और बाथरूम के पास जाकर आवाज़ दी- ये लो..
उधर रश्मि के मन में एक शरारत ने जन्म लिया.. उसने दरवाजा खोला और कुछ इस तरह अपना हाथ बाहर निकाला कि उसके मम्मों की हल्की सी झलक जय को दिख गई.. उसका मन विचलित हो गया.. मगर फ़ौरन ही उसने ये ख्याल दिल से निकाल दिया कि नहीं यह ग़लत है.. यह मेरी बहन है।
रश्मि ने जब ब्रा और पैन्टी देखी.. तो उसके चेहरे पर एक अलग सी मुस्कान आ गई, फिर उसने नाईटी पर गौर किया।
रश्मि- ओह्ह.. भाई आपने सब अपनी पसन्द के आइटम मुझे दिए हैं इसका मतलब आपके दिल में भी मेरे लिए कुछ कुछ है।
रश्मि रेडी हुई और बाहर आई.. भीगे हुए बाल.. उनसे गिरता पानी.. उसकी नाईटी को भिगो रहा था। वो बहुत सेक्सी लग रही थी। उसके कंधे से उसकी ब्रा की स्ट्रिप साफ नज़र आ रही थीं।
अब जय कोई शरीफजादा होता तो शायद नजरें घुमा लेता.. मगर वो ठहरा पक्का चोदू.. वैसे भी सुबह से इसने बहुत कंट्रोल कर लिया था।
अब रश्मि को इस रूप में देखकर उसके होश उड़ गए, लौड़ा पैन्ट में तंबू बनाने लगा, उसकी आँखों में वासना साफ नज़र आ रही थी।
रश्मि- क्या हुआ भाई.. ऐसे घूर के क्या देख रहे हो?
जय- अरे बाल तो पोंछ लेती.. कैसे पानी टपक रहा है।
रश्मि- आपने तौलिया दिया ही कहाँ.. जो मैं बाल पोंछती.. वैसे आप ऐसे घूर क्यों रहे हो मुझे?
जय- ओह्ह.. कुछ नहीं.. इस लुक में तू बहुत सस्स..स्मार्ट लग रही है।
रश्मि- हा हा हा हा भाई क्यों झूठ बोल रहे हो.. स्मार्ट लड़कों के लिए कहते हैं। सीधे-सीधे कहो ना.. सेक्सी लग रही हूँ हा हा हा हा..
जय- ये तुझे क्या हो गया है रश्मि.. पहले तो तू ऐसी नहीं थी.. सुबह से देख रहा हूँ.. तू बहुत ओपन होकर बात कर रही है।
रश्मि- अरे नहीं भाई.. मैं तो शुरू से ही ऐसी हूँ.. बस मुझ पर आपकी नज़र नहीं गई।
जय- अच्छा ये बात है.. तो तू भी पहले कहाँ ऐसे कपड़ों में मेरे सामने आई है।
रश्मि- अब आपने अपनी पसन्द के कपड़े आज ही दिलाए हैं. ऐसे पहले दिला देते.. तो पहले पहन लेती..
जय- अरे मेरी पसन्द का क्या मतलब है.. तुम्हें लेने थे.. मैंने तो बस कलर बताए तुम्हें..
जय उसकी ब्रा की स्ट्रिप को देखते हुए अपने होंठों पर जीभ फेरता हुआ बोला।
रश्मि- ओह्ह.. अच्छा बस कलर बताए यानि आपकी पसन्द का कोई खास कलर नहीं था.. बस ऐसे ही सब कलर बता दिए थे आपने.. क्यूँ?
जय- और नहीं तो क्या..
रश्मि- ओहो.. तो तब शॉप में ऐसा क्यों कहा था कि रेड कलर होता तो अच्छा रहता.. और अभी मैंने कपड़े माँगे.. तब भी अपने लाल रंग के कपड़े ही दिए.. इसका क्या मतलब समझूँ मैं..? सच बताना.. आपको मेरी कसम है..
जय- अरे यार.. इसमें कसम देने की क्या जरूरत है.. ऐसे ही पूछ ले।
रश्मि- कसम इसलिए दी.. ताकि आप मुझसे झूठ ना बोलो.. समझे..
जय- ओके सुन.. रेड और ब्लैक मेरा पसंदीदा कलर है.. और खास कर तुम्हारे गोरे जिस्म पर ये बहुत जंचेगा.. बस मैंने यही सोचा था।
रश्मि की नज़र उसकी पैन्ट में बने तंबू पर गई.. तो वो मुस्कुराने लगी।
रश्मि- अच्छा तो ये बात है भाई.. इसका मतलब आपके दिल में ये भी होगा कि लाल रंग के सैट में आप मुझे देखना चाहते हो।
जय- क्क्क..क्या पागल हो गई है क्या.. कुछ भी बोल रही है।
रश्मि- जस्ट चिल भाई.. मजाक कर रही हूँ.. वैसे इसमें बुराई भी क्या है.. स्विम सूट में भी तो अपने एक बार मुझे देखा है।
जय- वो बहुत पहले की बात है.. अब तू बड़ी हो गई है।
रश्मि- ओह्ह.. अच्छा.. मैं ‘बड़ी’ हो गई हूँ.. इसलिए नहीं देखना चाहते.. वैसे दिल में तो है कि काश एक बार देखने को मिल जाए.. क्यों सच कहा ना?
जय- रश्मि प्लीज़ चुप रहो.. ऐसा कुछ नहीं है.. तुम अपने कमरे में जाओ.. मुझे बाथरूम जाना है।
रश्मि- भाई आप भी मिडल क्लास लोगों की तरह बात करने लग गए हो.. जस्ट चिल.. ये सब नॉर्मल है। हम हाइ क्लास फैमिली से हैं, ये सब चलता है यार..
रश्मि की सेक्सी बातें और उसकी क़ातिल अदाएं जय को पागल बना रही थीं.. अफ़सोस इस बात का है कि जय जैसा ठरकी लड़का इतना कंट्रोल कैसे कर रहा था।
इसकी दो वजह हो सकती हैं. या तो उनके बीच भाई और बहन का रिश्ता है.. वो उसे रोक रहा था.. या फिर मौके की नजाकत उसे रोक रही थी। क्योंकि यह दिन का समय था.. कोई भी किसी भी पल आ सकता था।
अब वजह चाहे कुछ भी हो.. जय तो काबू में था.. मगर रश्मि पर तो ड्रग्स का नशा छाया हुआ था। वो कहाँ मानने वाली थी।
जय- अरे इसमें लो और हाई की बात कहाँ से बीच में आ गई। अब मुझे बाथरूम जाना है.. तो जा ना..इ
रश्मि- भाई आप टॉपिक चेंज कर रहे हो.. सच बताओ मुझे 2 पीस में देखने का आपका मन है या नहीं?
रश्मि तो ड्रग्स के नशे में ये सब बोल रही थी.. मगर अब जय पर रश्मि की सेक्सी बातों का.. उसकी क़ातिल अदाओं का नशा चढ़ गया था.. जिसे उतारना किसी के बस में नहीं है.. ये आप अच्छी तरह जानते हो।
जय अब उस नशे के वश में हो गया था.. कामवासना का नशा कुछ होता ही ऐसा है।
जय नशीले अंदाज में बोला- हाँ देखना चाहता हूँ.. मगर तुम मेरी बहन हो ये सब ठीक नहीं होगा।
रश्मि- अरे भाई.. देखने में कोई बुराई नहीं है.. जो लड़कियाँ मॉडलिंग करती हैं उनके भी तो घर वाले उनको देखते हैं ना.. ये सब चलता है। आप अपने मन को क्यों दुखी करते हो.. मैं अभी आपको दिखा देती हूँ।
जय कुछ बोल पाता.. उसके पहले रश्मि ने नाईटी निकाल कर एक तरफ़ फेंक दी। उसका कसा हुआ जिस्म.. लाल ब्रा-पैन्टी में कयामत लग रहा था।
जय की आँखें फट गईं.. ऐसा लाजबाव हुस्न देख कर उसके मुँह से लार टपकने लगी।
रश्मि- भाई देखो.. आपकी बहन किसी एक्ट्रेस से कम है क्या..
जय- वाउ रश्मि.. रियली यू आर ए हॉट गर्ल.. बम्ब हो यार.. बिल्कुल.. अगर तुम मेरी बहन ना होती ना.. तो..
यकायक जय चुप हो गया।
रश्मि- हा हा हा… क्या हुआ.. बोलो.. बोलो.. अगर बहन ना होती तो.. तो क्या करते..? बोलो ना भाई?
जय- कुछ नहीं अब नाईटी पहन लो कोई आ रहा है। जल्दी करो.. मैं बाथरूम जाता हूँ ओके..
जय की हालत रश्मि से छुपी नहीं थी वो नाईटी उठाने गई तो गाण्ड को मटका कर चलने लगी.. जिसे देख कर जय का लौड़ा बेकाबू हो गया। वो जल्दी से बाथरूम की तरफ़ जाने लगा।
रश्मि- भाई.. होता है.. होता है.. जाओ आराम से करना.. ओके हा हा हा हा..
जय- ओह्ह.. क्या होता है.. और क्या करना.. हाँ त..त.. तू कहना क्या चाहती है.. मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा।
रश्मि- अब इतने भी भोले मत बनो भाई.. आपकी पैन्ट आपके दिल का हाल सुना रही है.. हा हा हा हा..
इतना बोलकर रश्मि ने जल्दी से नाईटी पहनी और वहाँ से भाग कर अपने कमरे में चली गई।
जय बड़बड़ाता हुआ बाथरूम की तरफ़ जाने लगा।
जय- ये रश्मि को क्या हो गया है.. ऐसी सेक्सी बातें क्यों कर रही है.. कहीं इसकी जवानी जोश तो नहीं खा रही.. उफ्फ.. अब क्या करूँ साली मेरी बहन ना होती.. तो अब तक कब का इसको ठंडा कर देता.. मगर इसका कुछ सोचना तो पड़ेगा। फिलहाल लौड़े को ठंडा करता हूँ… साला बहुत अकड़ रहा है।
जय बाथरूम में चला गया और लौड़े को सहलाने लगा.. उसके जेहन में बस रश्मि ही घूम रही थी। ना चाहते हुए भी उसने रश्मि के नाम की मुठ्ठ मारी और सुकून की सांस ली। उसके बाद वो नहाने में मस्त हो गया..
उधर रणविजय जब बाहर आया.. तो प्रीति आराम से लेटी हुई थी..
रणविजय- मेरी जानेमन.. क्या बात है नींद आ रही है क्या?
प्रीति- नहीं.. नींद तो नहीं आ रही.. बस पुरानी बातें सोच रही थी।
रणविजय- कौन सी पुरानी बातें.. मेरी जान.. जरा मुझे भी बताओ?
प्रीति- कुछ नहीं.. जाने दो.. अब आपका क्या इरादा है.. वो भी बता दो.. और हाँ मुझे जो सज़ा देने वाले थे.. उसके बारे में कुछ सोचा क्या?
रणविजय- इरादे तो बहुत नेक हैं और सज़ा भी दूँगा..
रणविजय आगे कुछ बोलता.. उसके पहले उसके फ़ोन की घंटी बजने लगी। उसने फ़ोन उठाया दो मिनट बात की और काट दिया और जल्दी से अपने बैग में कुछ ढूँढ़ने लगा।
प्रीति- अरे क्या हुआ.. किसका फ़ोन था..? ऐसे जल्दी में क्या देख रहे हो?
रणविजय ने उसको बताया- जिस काम के लिए हम यहाँ आए हैं वो आदमी आ गया है और मैं उससे मिलने अभी जा रहा हूँ।
प्रीति समझ गई कि उसको क्या चाहिए। उसने जल्दी से एक फाइल रणविजय को दी.. जो उसके बैग में थी। उसके बाद रणविजय रेडी होकर वहाँ से चला गया।
प्रीति वापस अपने ख्यालों में खो गई.. वही पुरानी बातें उसके दिमाग़ में घूमने लगीं..
दोस्तो, इन दोनों की बातों से ये तो पता लग गया कि प्रीति के साथ कुछ गलत हुआ है.. मगर ये सब हुआ कैसे.. ये आपका जानना जरूरी है.. तो जानते हैं।
प्रीति अपने समय की एक बेहद खूबसूरत लड़की थी.. दरअसल ये मॉडल बनना चाहती थी.. इसकी कदकाठी.. इसका फिगर.. सब एकदम दुरुस्त था.. लेकिन इसका ये सपना साकार होता.. इसके पहले घर वालों ने इसकी शादी आकाश से कर दी और ये अपने शादीशुदा जीवन में सब भूल गई।
रणविजय शुरू से इस पर गंदी नियत रखता था, किसी ना किसी बहाने से इसे छूना उसकी आदत बन गई थी। अपने छोटे भाई के घर जाना.. अब उसका रोज का काम हो गया था।
कुछ सालों तक ये चलता रहा। इस दौरान विजय पैदा हो गया और वक़्त धीरे-धीरे गुज़रता रहा।
एक दिन कार दुर्घटना में आकाश की मौत हो गई और प्रीति की दुनिया उजड़ गई।
कुछ दिन बाद रणविजय प्रीति और विजय को अपने साथ घर ले आया। उसने उनसे कहा- अब तुमको यहीं मेरे साथ रहना है।
ऊपर का एक कमरा विजय को मिला.. तो बाकी दो जय और रश्मि के थे।
प्रीति को नीचे का कमरा दिया गया।
कुछ दिन ऐसे ही गुज़रे।
एक रात काम्या जागरण में गई हुई थी। बच्चे सोए हुए थे.. तो रणविजय चुपके से प्रीति के कमरे में गया, उसको सोया हुआ पाकर उसके होंठों पर उंगली फेरने लगा।
प्रीति ने एकदम से जागते हुए कहा- भाई साहब आप.. इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हो?
रणविजय- प्रीति मुझसे तुम्हारा दर्द देखा नहीं जाता.. अरे आकाश नहीं है तो क्या हुआ.. मैं हूँ ना.. तुम बस ‘हाँ’ कह दो.. तुम्हें इतनी खुशियाँ दूँगा कि तुम सब गम भूल जाओगी।
प्रीति- यह आप क्या बोल रहे हो.. मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
रणविजय ने प्रीति के गालों को सहलाते हुए कहा- मैं जानता हूँ.. आकाश के जाने बाद तुम अकेली तड़प रही हो.. मगर अब मैं तुम्हें प्यार दूँगा.. तुम्हारी जरूरत को पूरा करूँगा।
प्रीति एक झटके से खड़ी हो गई- आपको शर्म आनी चाहिए.. ऐसी बातें करते हुए.. मैं आपको भाई कहती हूँ और आप मुझ पर नियत खराब कर रहे हो?
रणविजय- अगर बहन तेरी जैसी हो.. तो अच्छे अच्छों की नियत बिगड़ जाती है। अब ज़िद ना करो.. मान जाओ मेरी बात.. मुझे बहनचोद बनना मंजूर है। बस एक बार मेरी बाँहों में आ जाओ।
प्रीति- छी: कैसी गंदी बातें कर रहे हो आप.. चले जाओ यहाँ से.. नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी.. सब को आपकी ये कुत्सित सच्चाई बता दूँगी।
रणविजय- आ जा साली.. ज़्यादा नखरे मत कर.. अगर मेरी बात ना मानी ना.. तो साली तुझको दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर दूँगा। तेरे बेटे से भीख मंगवाऊँ मैं.. तुझे शायद पता नहीं.. सारा काम.. बैंक मनी.. और जायदाद सब मेरे नाम पर है.. तुम माँ-बेटे को इस घर से दूध में से मकखी की तरह निकाल फेंकूगा।
रणविजय की बात सुनकर प्रीति रोने लगी, उसकी खूब मिन्नतें की.. मगर रणविजय पर वासना का शैतान सवार था.. वो कहाँ मानने वाला था।
प्रीति- प्लीज़ भाई साहब.. मुझ पर रहम करो.. आप एक बेटी के बाप हो.. आपको भगवान से डरना चाहिए। कल को उसके साथ ऐसा हो गया.. तो क्या होगा? मैं भी किसी की बेटी हूँ.. एक बेटे की माँ हूँ.. प्लीज़..
रणविजय- चुप साली.. मुँह बन्द कर अपना.. मेरे बेटे और बेटी के बारे में एक शब्द भी मत कहना.. नहीं तो तेरी ज़ुबान खींच दूँगा.. अब जल्दी सोच ले.. मेरी बात मानेगी.. या घर से धक्के खाकर जाएगी?
प्रीति ने बहुत मना किया.. मगर रणविजय ना माना। आख़िर प्रीति को रणविजय की बात माननी पड़ी.. मगर उसने एक शर्त रखी कि विजय को वो सगे बेटे की तरह रखेंगे.. तभी वो उनकी हर बात मानेगी।
रणविजय पर हवस का भूत सवार था, उसने सब बात मान ली और प्रीति के साथ चुदाई करने लगा।
प्रीति जवान थी… उसके लिए भी ये शुरू में गंदा था.. मगर चुदाई का चस्का उसको भी लग गया। अब अपने ही पति के बड़े भाई की रखैल बनकर वो रहने लगी।
कुछ दिन विधवा बनी रही.. उसके बाद रंगीन साड़ी पहन ली.. पढ़ी-लिखी थी तो काम में भी रणविजय का साथ देने लगी.. या यूँ कहो कि अपने पति की जगह अब वो रणविजय की पार्ट्नर बन गई।
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