RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
वो दोनों फ्लैट में ऊपर चले गए.. भाभी तो थकी हुई थीं.. तो निधि ने ही दरवाजा खोला.. जिसे देख कर रंगीला के मुँह में पानी आ गया।
निधि बिहारी को देख कर एक तरफ़ हट गई.. वो दोनों अन्दर चले आए।
भाभी आराम से लेटी हुई थीं.. उनको देख कर जल्दी से बैठ गईं।
बिहारी- अरे लेटो.. लेटो.. कोई बात नहीं है.. ये हमारा दोस्त है.. जो सामान हम इहाँ रखा हूँ ना.. ये बस उको देखने आए हैं आप काहे तकलीफ़ करती हो.. आ बछिया.. तोहार कमरे में जो हम सामान रखवाया हूँ ना.. वो साहेब को दिखा लाओ.. जाओ..।
बिहारी ने ये बात रंगीला की तरफ़ आँख मारते हुए कही थी। रंगीला भी समझ गया कि बिहारी उसको निधि के साथ अकेला क्यों भेज रहा है.. ताकि वो चैक कर सके कि लोहा अभी भी गर्म है या नहीं.. अगर है तो हथौड़ा मार देना चाहिए।
निधि- आइए बाबूजी.. मैं दिखा देती हूँ आपको.. वो अन्दर कोने में पड़ा है आपका सब सामान..
निधि आगे-आगे और रंगीला उसके पीछे उसकी गाण्ड को घूरता हुआ कमरे में चला गया।
बिहारी- का हाल है आपका.. मज़ा आया कि नहीं चुदाई में?
भाभी- क्या बात करते हो आप.. ऐसा मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकती..
बिहारी इधर-उधर की बातों में भाभी को उलझाए हुए था.. उधर कमरे में जाकर रंगीला ने निधि को फंसाने के लिए अपना जाल फेंका।
निधि- ये रहा आपका सब सामान।
रंगीला- हाँ वो तो ठीक है.. मुझे तुमसे कुछ पूछना है.. सही-सही जवाब दोगी ना?
निधि- हाँ बाबूजी.. पूछो क्या पूछना है.. मैं सब सही ही बताऊँगी।
रंगीला- ये जो बाहर मेरा दोस्त बैठा है ना.. ये थोड़ा रंगीन मिज़ाज का है। ये आज कब से यहाँ है और क्या-क्या किया इसने यहाँ?
निधि ने रंगीला को शाम की बात बताई कि कैसे ये आया और जेम्स को अपने आदमी के साथ भेजा.. उसके बाद से ये यहीं है.. भाभी से बातें कर रहा था।
रंगीला- ये जेम्स नाम कहीं सुना हुआ सा लगता है.. चल जाने दो। ये जब भाभी के पास था.. तुम यहाँ क्या कर रही थी?
निधि- मैं तो यहाँ सो रही थी।
रंगीला- देखो सच-सच बताओ ये मेरा दोस्त ठीक आदमी नहीं है.. अकेली औरत देख कर इसके मन में गंदे विचार आते हैं। इसने जरूर कुछ ना कुछ तो किया ही होगा।
रंगीला ये बात बोलते वक्त निधि को घूर रहा था और उसकी हालत देखकर वो समझ गया कि इससे बात उगलवाना आसान है.. क्योंकि निधि थोड़ी घबरा गई थी।
निधि- न..नहीं.. तो.. ऐसा तो उसने कुछ नहीं किया.. वो बस बैठ कर भाभी से बातें कर रहा था।
रंगीला- तुम झूठ मत बोलो.. तुम सोई नहीं थी.. मुझे पता है तुमने जरूर कुछ देखा है.. सच बता दो.. नहीं कल से यहाँ रहने नहीं दूँगा।
निधि घबरा गई कि इसको जरूर पता लग गया है.. कि यहाँ क्या हुआ था। अब बात छुपा कर कोई फायदा नहीं है।
निधि- आ..आप उनको मेरा नाम ना बताना.. मैं आपको सब बता देती हूँ।
रंगीला तो यही चाहता था.. चिड़िया जाल में फँस गई थी। उसने बड़े प्यार से निधि को विश्वास दिलाया कि वो बस पूछ रहा है.. किसी को कुछ नहीं बताएगा।
निधि- व्व..वो आपके दोस्त मेरी भाभी के साथ कर रहे थे.. मैंने चाबी के छेद से सब देख लिया था। मैं डर गई थी तो चुपचाप सो गई।
रंगीला- अच्छा क्या कर रहे थे दोनों.. मुझे खुलकर बता.?
अब निधि एक अनजान आदमी के सामने कैसे सब साफ-साफ बता देती कि उसकी भाभी को वो चोद रहा था और वो देखकर मज़ा ले रही थी।
निधि- व्व..वो मुझे शर्म आती है.. सब बताने में.. बस वो बिना कपड़ों के एक-दूसरे से चिपके हुए थे। मैंने इतना ही देखा और सो गई..
रंगीला- अच्छा शर्म आती है.. और तुमने कुछ नहीं देखा.. ये बातें किसी और को बताना.. तुमने दोनों की चुदाई बड़े आराम से देखी है और शायद मज़ा भी लिया है।
निधि- नहीं नहीं.. बाबूजी ये गलत है.. मैंने कुछ नहीं देखा और ये चुदाई क्या होती है.. मुझे इसके बारे में कुछ पता नहीं है।
निधि एकदम अनजान बनने की नाकाम कोशिश कर रही थी.. मगर रंगीला जैसे चालाक आदमी से वो जीत थोड़े ही सकती थी। वो ठहरा एक नंबर का कमीना आदमी.. उसकी आँखों में वासना साफ दिखाई दे रही थी।
निधि की बात सुनकर उसने निधि का हाथ पकड़ा सीधे उसके मम्मों पर हाथ रख दिया।
रंगीला- अच्छा अगर तुम कुछ नहीं जानती.. तो तुम्हारी धड़कन इतनी तेज कैसे चल रही है।
निधि- बाबूजी आप ये क्या कर रहे हो.. अपना हाथ हटाओ यहाँ से.. मुझे अजीब सा लग रहा है।
रंगीला- ओ लड़की.. अब ज़्यादा नाटक मत कर.. सही-सही बता दे.. नहीं अभी का अभी धक्के मार कर यहाँ से निकाल दूँगा सबको..
रंगीला का गुस्सा देख कर निधि डर गई और तोते की तरह एक ही बार में सारी दास्तान उसको सुना दी।
रंगीला- वाह.. ये हुई ना बात.. अच्छा तुझे वो सब देख कर मज़ा आया ना..
निधि ने शर्माते हुए ‘हाँ’ में सर हिला दिया.. तो रंगीला का हौसला और ज़्यादा बढ़ गया।
रंगीला- अच्छा.. मेरे पास बैठ सिर्फ़ देखकर ही मज़ा लेगी क्या.. कभी खुद भी करके देख.. दुगुना मज़ा मिलेगा तुझे..
निधि ने शर्माते हुए कहा- मुझे ये मज़ा बहुत अच्छा लगता है.. मैंने बहुत बार मज़ा लिया है..
रंगीला- अरे तेरी की.. साली दिखने में तो तू छोटी सी बच्ची लगती है.. और लण्ड खा चुकी है.. तब तो ठीक है.. मैं तो सोच रहा था मेरा लौड़ा तू कैसे ले पाएगी। चल आज नए लौड़े का सवाद चख कर देख.. कितना मज़ा मिलेगा तुझे..
निधि- कैसी बात करते हो बाबूजी.. भाभी बाहर हैं और कुछ देर में जेम्स भी आता ही होगा।
रंगीला- अरे भाभी तो चुदवा कर मज़ा ले चुकी है.. उसकी परवाह तू मत कर.. और जेम्स का बंदोबस्त भी मैं कर दूँगा। वो इतनी जल्दी आने वाला नहीं है।
इतना कहने के साथ ही रंगीला ने निधि को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके नर्म होंठों को चूसने लगा।
निधि तो पहले से ही फुल गर्म थी.. वो रंगीला का विरोध कैसे करती। उसने अपने आपको ढीला छोड़ दिया और रंगीला का साथ देने लगी।
उधर बाहर भाभी को अहसास हुआ कि निधि सामान दिखाने गई थी.. कितनी देर हो गई.. अब तक आई क्यों नहीं.. तो उसने बिहारी से कहा- आपके दोस्त को गए बहुत देर हो गई है।
बिहारी- आप काहे चिंता करती हैं हमार दोस्त अच्छे से सब सामान देख रहा होगा.. हम बैठा हूँ ना यहाँ आपके पास.. हमसे बतियाय लो।
भाभी को शक हुआ कि कहीं वो निधि के साथ कुछ कर ना ले.. मगर फिर उसने सोचा वो कौन सी कुँवारी है.. अगर करता है तो करे.. उसको तो बिहारी ने सुकून दे ही दिया है।
दो मिनट के लंबे किस के बाद रंगीला अलग हुआ और निधि को बिस्तर पर उठा कर पटक दिया।
निधि- बाबूजी आप तो बहुत बेसबरे हो.. पहले भाभी और जेम्स को तो देख लो..
रंगीला- तू बस दो मिनट रुक.. मैं अभी उनका इंतजाम करके आता हूँ।
रंगीला बाहर गया तो भाभी बस उसको देखने लगी और बिहारी जल्दी से उठकर रंगीला के पास गया। रंगीला ने बिहारी को समझा दिया कि उसको क्या करना है।
बिहारी के चेहरे पर चमक आ गई.. उसने कहा- तुम मज़ा करो बाकी मैं संभाल लूँगा।
रंगीला वापस अन्दर चला गया और बिहारी भाभी के पास आकर बैठ गया।
भाभी- क्या हुआ बिहारी जी.. क्या कहा आपके दोस्त ने आपसे?
बिहारी- तनिक सब्र तो करो मेरी जान.. बता दूँगा पहले एक फुनवा तो कर लूँ.. नहीं तो तोहार लाड़ला देवर वहाँ से खाना लेकर निकल जाएगा।
बिहारी ने एक फ़ोन किया और कहा- एक लड़का खाना लेने आएगा.. उसके नाम से उसको आराम से बैठा के रखना.. कम से कम आधा घंटा बाद ही उसको उसकी पसन्द का खाना देना.. समझ गए?
भाभी- यह अपने क्या किया.. जेम्स को क्यों रोक दिया वहाँ?
बिहारी- इतनी भी भोली ना बनो मेरी जान.. हमार दोस्त का दिल तोहार ननदिया पर आ गया है। अब ऊ उसको चुदाई का खेल सिखाएगा।
भाभी- ये क्या बोल रहे हो आप.. वो अभी छोटी है.. भगवान के लिए ऐसा मत करो.. कहीं कुछ हो गया तो?
बिहारी हँसने लगा और भाभी के बाल पकड़ कर ज़ोर से खींच दिए।
बिहारी- अरे मेरी जान.. ऊ कोई नया खिलाड़ी नहीं है.. जो कछु हो जाएगा.. ऊ तो बहुत बड़ा खिलाड़ी है चूतों का.. अब ज़्यादा नाटक मत कर.. वो अन्दर मज़ा ले.. तब तक मेरा लौड़ा चूस कर मज़ा दे हमको.. ले चूस हमार लवड़ा..
भाभी ने थोड़ी देर ज़िद बहस की.. उसके बाद मान गई।
वैसे भी उसके मन में ये बात आई कि जेम्स का लौड़ा जब निधि खा गई.. तो यह शहरी छोकरा उसका क्या बिगाड़ देगा। बस यही सोचकर वो बिहारी के लण्ड को चूसने लगी।
उधर रंगीला वापस अन्दर गया.. तो निधि बिस्तर पर बैठी हुई उसका इन्तजार कर रही थी, वो पहले ही गर्म थी और कुछ उसको रंगीला ने गर्म कर दिया था।
निधि- क्या हुआ बाबूजी.. कहाँ गए थे आप.. और भाभी कहाँ है?
रंगीला- अरे मेरी रानी.. सब ठीक हो गया। तेरा वो जेम्स अब देरी से आएगा और तेरी भाभी तो शुरू हो गई बिहारी के साथ.. अब बस में तेरी चूत का मज़ा लूँगा। उफ़फ्फ़ साली तेरी चूत के बारे में सोच कर ही मेरा लौड़ा फनफ़ना गया।
निधि के गाल शर्म से लाल हो गए थे। वो मुस्कुराने लगी.. तो रंगीला उसके पास गया और उसको चूमने लगा।
कुछ ही देर में उसने निधि को नंगी कर दिया और उसके कच्चे अनारों को चूसने लगा। उसको निधि के मम्मों चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था।
फिर उसने निधि की चूत को देखा.. तो देखता रह गया। बिना बालों की फूली हुई चूत.. उसके सामने थी। वो बस बैठाहाशा उसको चाटने लगा।
निधि- आह्ह.. उफ़फ्फ़.. बाबूजी.. मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. ज़ोर से चाटो.. आह्ह.. आज ये बहुत तड़प रही है.. आह्ह.. इसको ठंडा कर दो आह्ह.. उफ़फ्फ़..
रंगीला- मेरी जान.. तेरे में तो बहुत गर्मी है.. आज कस के शॉट लगाऊँगा.. तो सारी गर्मी निकाल दूँगा तेरी मैं.. बाद में ना कहना दु:खता है.. निकाल लो..
निधि- मैंने जिस लौड़े से शुरुआत की है ना.. उससे बड़ा तो होगा नहीं आपका लौड़ा.. तो मुझे डर किस बात का?
रंगीला- मेरा लौड़ा देखेगी.. तो अपने यार का लौड़ा भूल जाएगी। लड़कियाँ देख कर डर जाती हैं समझी?
निधि- अच्छा ऐसी बात है.. तो दिखाओ..
रंगीला ने पैन्ट निकाल दी.. साथ में अंडरवियर भी हटा दी। उसका 8″ का लौड़ा फुंफकारता हुआ बाहर आ गया।
निधि- वाह.. बाबूजी.. ये तो बहुत अच्छा है.. मज़ा आ जाएगा.. मगर एक बात कहूँ.. मेरे वाले से छोटा है..
यह बात सुनकर रंगीला हैरान हो गया.. इत्ती सी छोकरी.. उसके लौड़े को छोटा बता रही है.. इसने किसका लौड़ा ले लिया.. जो उससे भी बड़ा होगा..
निधि- क्या सोचने लगे बाबूजी.. अपने लौड़े को मुझे चूसने नहीं दोगे क्या?
रंगीला- साली.. तू दिखती छोटी है.. मगर चुदक्कड़ बहुत बड़ी है.. पता नहीं किसने तेरी चूत को खोला होगा। साला जरूर कोई दमदार बंदा ही होगा.. जिसका मेरे से भी बड़ा है..
निधि बस मुस्कुरा के रह गई और जल्दी से रंगीला के लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी।
रंगीला- आह्ह.. साली.. मज़ा आ गया.. चूस और.. ले अन्दर.. आज तेरी चूत को इसका स्वाद भी चखा दूँगा.. आह्ह.. पहले तू इसका स्वाद ले ले..
निधि मज़े से लौड़े को चूसे जा रही थी और रंगीला उसके मुँह में झटके दे रहा था।
कुछ देर बाद रंगीला ने लौड़ा उसके मुँह से निकाल लिया और उसको नीचे लेटा कर उसके पैर मोड़ दिए।
रंगीला- वाहह.. मेरी जान बहुत मस्त चूसती है तू लौड़ा.. अब मेरी बारी है तेरी चूत को ठंडी करने की.. अब तेरी चूत में लौड़ा जाएगा.. तभी मज़ा डबल होगा।
इतना कहकर रंगीला ने लौड़े को चूत पर रखा और एक ज़ोर का धक्का मार दिया पूरा 8″ का लौड़ा सरसराता हुआ चूत में समा गया।
निधि- आइई.. रे.. मर गई रे.. बाबूजी.. एक साथ ही घुसा दिया.. आह्ह.. आराम से करते ना.. आह्ह..
रंगीला- क्यों साली.. तू तो इससे भी बड़ा लौड़ा खा चुकी है.. तो दर्द कैसा?
निधि- ऐसे एक साथ घुसाओगे तो दर्द होगा ही ना.. अब नहीं हो रहा.. चोदो आह्ह.. जल्दी-जल्दी से मुझे चोदो.. मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है।
रंगीला- अभी ले मेरी जान.. हावड़ा मेल अब तैयार है चलने के लिए..
इतना कहकर रंगीला स्पीड से निधि की ठुकाई करने लग गया, वो 10 मिनट तक उसकी ज़बरदस्त चुदाई करता रहा।
निधि- आ..आह्ह.. बाबूजी.. आह्ह.. मेरा रस निकल रहा है.. उई ज़ोर से करो.. आह्ह.. निकल गया.. आह्ह.. आह..
निधि गाण्ड को उठा कर झड़ने लगी।
रंगीला ने भी स्पीड कम कर दी, वो उसको प्यार से देखने लगा।
जब वो शान्त हो गई.. तो रंगीला ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
रंगीला- तेरी चूत तो कमाल की है.. चल अब जल्दी से घोड़ी बन जा.. थोड़ा सवाद मेरे लण्ड को तेरी गाण्ड का भी चखने दे।
निधि को पता था.. रंगीला ऐसे जल्दबाज़ी क्यों कर रहा है.. ये वक्त और जगह ही ऐसी थी। उसने बिना कुछ कहे रंगीला की बात मान ली और घोड़ी बन गई।
रंगीला- कसम से अगर तू कुँवारी होती तो तेरे दोनों होल खोलने में बड़ा मज़ा आता। साली क्या ज़बरदस्त गाण्ड है तेरी.. एकदम मलाई की तरह।
रंगीला ने लौड़े को गाण्ड के छेद पर रखा और ‘घप’ से अन्दर पेल दिया। निधि तो सुकून में थी.. उसकी चूत की आग जो मिट गई थी। अब गाण्ड में लौड़ा तो उसके लिए बोनस जैसा था, वो मज़े से गाण्ड मरवा रही थी.. साथ-साथ गाण्ड को पीछे-पीछे धकेल कर रंगीला का मज़ा दुगुना कर रही थी।
रंगीला- आह्ह.. साली.. आह्ह.. तू पक्की चुदक्कड़ है.. आ ले आह्ह.. मेरा पूरा लौड़ा खा गई.. ले मेरा भी रस निकलने वाला है.. आह्ह.. भर दूँगा तेरी गाण्ड को मैं.. आह्ह.. आह्ह..
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