RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
जय आराम से लेटा हुआ था तभी उसके दिमाग़ में कोई बात आई और वो उठकर सीधा बाथरूम की तरफ़ भागा और दरवाजे को हाथ लगाया तो वो खुल गया। रश्मि बस कमोड पर बैठी ही थी कि जय को देख कर खड़ी हो गई और चौंकती हुई बोली- ओह्ह.. गॉड.. ये क्या है भाई मैं तो डर गई.. आपने ऐसे अचानक कितनी ज़ोर से दरवाजा खोला?
जय- अच्छा हुआ तूने सूसू नहीं किया.. मेरा भी सूसू आया है चल दोनों साथ में करेंगे.. मज़ा आएगा..
रश्मि- हा हा हा भाई.. कुछ भी सूसू साथ में करने में क्या मज़ा?
जय- तू देख तो सही.. मैं क्या करता हूँ.. मज़ा ना आए तो कहना..
रश्मि- जो करना है जल्दी करो.. अब मुझसे रुका नहीं जा रहा.. बड़े ज़ोर का सूसू आया है।
जय कमोड पर बैठ गया और रश्मि को करीब खींच कर अपनी जाँघों पर बिठा कर उसके मम्मों को चूसने लगा। उसका लौड़ा एकदम कड़क हो गया.. तो उसने रश्मि की चूत पर लौड़ा टिका दिया और हल्का सा अन्दर घुसा दिया।
रश्मि- आह्ह.. भाई क्या कर रहे हो.. पहले सूसू तो करने दो.. आप बाद में आराम से चोद लेना।
जय- मेरी जान.. मैं चोद नहीं रहा हूँ.. अब तू ज़ोर लगा के सूसू कर.. देख कितना मज़ा आता है..
रश्मि को बात समझ आ गई.. तो वो मुस्कुराने लगी और जय के गले में हाथ डालकर एक किस कर दिया।
जय- अब सूसू करो.. मैं धीरे-धीरे तुम्हारी चूत में लौड़ा डालूँगा.. बहुत मज़ा आएगा।
रश्मि ने सूसू करना शुरू कर दिया उसकी चूत से सीटी की आवाज़ निकलने लगी.. उसकी गर्म-गर्म सूसू जय की जाँघों पर लगी.. तो उसको बहुत मज़ा आया और उसी पल जय ने भी सूसू की धार रश्मि की चूत में मार दी। रश्मि एकदम से चिहुँक सी गई.. उसको चूत में अजीब सा अहसास होने लगा।
जब दोनों सूसू कर चुके तो एक-दूसरे को देख कर हँसने लगे।
रश्मि- हा हा हा भाई आपकी सूसू कितना गर्म थी.. मेरी चूत की सिकाई हो गई.. थोड़ा सा गाण्ड में भी कर देते तो मज़ा आ जाता।
जय- तेरी चूत से कौन सी कोल्ड ड्रिंक बाहर आई है.. वो भी गर्म ही थी और तेरी गाण्ड वाली इच्छा भी दोबारा में पूरी कर दूँगा।
रश्मि- भाई आपकी पूरी जाँघें और पेट सूसू से सन गया है.. पहले नहा लें.. उसके बाद कमरे में जाएँगे.. नहीं तो पूरा बिस्तर खराब हो जाएगा और बदबू भी आएगी..
जय- ठीक है मेरी जान.. लेकिन ऐसा मत कहो कि बदबू आएगी.. ये तो अमृत है.. मेरा तो दिल करता है तेरी चूत से निकला इसका एक-एक कतरा पी जाऊँ।
रश्मि- छी: छी: कितने गंदे हो आप.. सूसू पीने की बात कर रहे हो..
जय- अरे मजाक कर रहा हूँ मेरी जान.. वैसे भी सूसू पीकर मुझे बीमार नहीं होना.. इसमें एसिड होता है।
रश्मि- अच्छा अब बातें बंद.. नहाना शुरू.. ठीक है ना भाई।
इतना कहकर रश्मि खड़ी हो गई और शावर चालू कर दिया, दोनों मस्ती में नहाने लगे।
आधा घंटा मस्ती करने के बाद दोनों की उत्तेजना बढ़ गई और वहीं शावर के नीचे जय ने रश्मि को दीवार के सहारे घोड़ी बनाया और उसकी चूत में लौड़ा घुसा दिया और स्पीड से चोदने लगा।
रश्मि- आ आह्ह.. फक मी ब्रो.. आह्ह.. फक मी हार्ड.. आह्ह.. फास्ट ऐइ.. आइ.. आह्ह.. फास्ट ब्रो.. आह्ह.. उई.. मजा आ रहा है..
रश्मि की बातों से जय को और जोश आ गया, वो उसकी कमर पकड़ कर ज़ोर से चोदने लगा।
दस मिनट में रश्मि की रसधार बह गई.. मगर जय तो अभी बाकी था.. वो कहाँ रुकने वाला था। वो ‘दे दना दन’ चोदता रहा।
रश्मि- आ आह्ह.. भाई.. आह्ह.. चूत ही आ आह्ह.. मारते रहोगे क्या.. आ आह्ह.. दर्द होने लगा है.. अब तो गाण्ड भी खुल गई है.. तो उसमें पेल दो न..
जय- हाँ मेरी रानी.. मन तो मेरा भी तेरी गाण्ड मारने का ही है.. मगर मैं तुम्हारे कहने का वेट कर रहा था।
इतना कहकर जय ने लौड़ा चूत से निकाला और ‘ठप’ से पूरा एक साथ गाण्ड में घुसा दिया।
रश्मि- ऐइ.. मर गई रे.. आह्ह.. भाई आराम से डालो ना.. आह्ह.. आज ही तो गाण्ड की ओपनिंग हुई है.. आह्ह..
जय- क्या करूँ जान.. तुम्हारी टाइट गाण्ड को जल्दी से खोलना चाहता हूँ मैं ताकि फिर तुम्हें तकलीफ़ ना हो।
जय स्पीड से रश्मि की गाण्ड मारने लगा।
करीब 20 मिनट बाद रश्मि दोबारा गर्म हो गई.. उसकी चूत फिर से रिसने लगी और जय का लौड़ा भी अब आग उगलने को बेताब था.. तो उसने लौड़ा गाण्ड से निकाल कर चूत में घुसा दिया। जल्दी ही उसका लावा फूट गया.. उसके साथ साथ रश्मि भी झड़ गई।
रश्मि- आह्ह.. उफ़फ्फ़.. मज़ा आ गया भाई.. आपके रस से चूत को सुकून मिलता है.. आह्ह.. आज तो मज़ा आ गया।
जय- उफ्फ.. मज़ा तो मुझे आ रहा है तेरी चूत और गाण्ड इतनी टाइट है कि क्या बताऊँ.. आज की पूरी रात तेरी इतनी चुदाई करूँगा कि बस तू याद करेगी।
रश्मि- हाँ भाई.. जितना चोदना हो.. चोद लो.. कल तो पार्टी है ना.. रात को लेट आएँगे.. तो क्या पता चुदाई कर पाए या नहीं.. सही है ना..
जय- हाँ सही कहा.. चल अब तेरी एक इच्छा और पूरी कर देता हूँ.. बड़े ज़ोर का सूसू आई है.. तेरी गाण्ड में गर्म सूसू करके तुझे मज़ा देता हूँ.. तू भी क्या याद करेगी अपने भाई को.. चल घोड़ी बन जा जल्दी से..
रश्मि घोड़ी बन गई.. जय का लौड़ा पूरा तो कड़क नहीं था.. मगर उसने दोनों हाथों से रश्मि की गाण्ड को फैला कर लौड़े का सुपारा गाण्ड में फँसा दिया और ज़ोर लगा कर सूसू करने लगा।
रश्मि- आह्ह.. भाई.. कितना गर्म है.. मज़ा आ गया आह्ह..
उसके बाद दोनों ने बाथ ली.. और कमरे में चले गए। वहाँ जाकर रश्मि ने कहा कि उसको भूख लगी है तो जय कुछ फ्रूटस ले आया और दोनों मज़े से बैठ कर खाने लगे।
जय- रश्मि अब तो तुम पूरी खुल गई हो.. अब तुम्हें चुदाई से कोई डर नहीं है ना..
रश्मि- हाँ भाई सही कहा आपने.. अब आप जैसे चाहो जब चाहो.. मुझे चोद कर मज़ा ले सकते हो।
जय- रश्मि फार्म पर जो गेम होगा उसमें अगर मैं हार गया तो?
रश्मि- नहीं भाई ऐसी बात मत करो.. नहीं मुझे सबके सामने नंगा होना पड़ जाएगा।
जय- रश्मि मैंने तुमसे एक बात छुपाई है।
रश्मि- क्या भाई बताओ ना प्लीज़?
जय ने गेम के बारे में सब कुछ रश्मि को बता दिया.. जिसे सुनकर उसके होश उड़ गए.. वो गुस्से से लाल हो गई।
रश्मि- आपका दिमाग़ तो खराब नहीं हो गया भाई.. ऐसे कैसे आप ऐसी गेम के लिए मान गए.. नो नो.. मैं आपके साथ वहाँ नहीं जाने वाली ओके..
रश्मि के गुस्से को देख कर जय थोड़ा डर गया.. मगर उसने बहुत प्यार से रश्मि को समझाया कि वो किसी हाल में नहीं हारेगा और अगर हर भी गया तो रश्मि को कुछ होने नहीं देगा.. उसकी बातों से रश्मि थोड़ी शान्त हुई और उसने ‘हाँ’ कह दी।
रश्मि- अच्छा भाई आप हार गए तो कैसे मुझे सब से बचाओगे?
जय- पैसे का लालच दूँगा.. अगर नहीं माना तो उसके पैर पकड़ कर गिड़गिड़ाऊँगा.. मगर मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा।
रश्मि- दिमाग़ खराब है क्या.. आप उस साजन के सामने गिड़गिड़ाओ… इससे अच्छा तो मैं चुद ही जाऊँगी.. नहीं भाई अब आप डरो मत.. जो होगा देखा जाएगा.. अगर आप हार गए.. तो मैं उन सबको ठंडा कर दूँगी.. बस आप कोई सेक्स पावर की गोली मुझे लाकर दे देना ताकि सबको ठंडा आराम से कर सकूँ.. और मेरा कम से कम पानी निकले।
जय- ये हुई ना बात.. मुझे पता था मेरी बहन इतनी कमजोर नहीं है और वैसे भी तेरी चूत और गाण्ड को मैंने अच्छे से खोल दिया है.. अब उन टुच्चे लोगों से क्या डरना।
रश्मि- हाँ सही है.. मगर एक प्राब्लम है.. विजय भी तो वहीं होगा.. उसके सामने मैं कैसे ये सब कर पाऊँगी भाई?
जय- अरे अब उसको कहाँ बीच में ले आई.. गेम के बारे में उसको सब पता है.. बस हमने जो चुदाई की.. ये बात उसको पता ना लगे.. बाकी तो सब वो जानता ही है।
रश्मि- अच्छा तो सबके साथ कहीं वो भी मुझे चोद ले.. तो?
जय- पागल जैसी बात मत करो.. तुम उसकी बहन हो.. वो कैसे करेगा?
रश्मि- बहन तो आपकी भी हूँ.. वो भी सग़ी.. तो आपने कैसे चोद लिया?
जय- मुझे तुमने जलवे दिखाए थे समझी.. उसको कौन से जलवे दिखा रही हो.. जो वो बहनचोद बनेगा।
रश्मि- वहाँ गेम में कपड़े उतारूँगी तो जलवे दिखेंगे ना?
जय- अगर तुम चुदना चाहो तो चुद लेना.. मुझे कोई एतराज नहीं है.. वैसे भी वो तुम्हारी कुछ ज़्यादा ही केयर करता है.. उसको भी बता दो तुम अब बच्ची नहीं.. एकदम मस्त जवान माल हो गई हो.. हा हा हा हा..
जय पागलों की तरह हँसने लगा.. जिसे देख कर रश्मि थोड़ी खिसिया गई।
रश्मि- बस भी करो.. घर में मुझे परेशान करने के लिए एक आप ही बहुत हो.. मुझे दो को फंसाकर अपनी हालत नहीं खराब करवानी।
जय- हा हा हा हा चलो.. वैसे भी विजय ऐसा नहीं करेगा.. चलो अब थोड़ी मस्ती करते हैं.. उसके बाद तुम्हारी चुदाई भी तो करनी है..
रश्मि- भाई लगता है.. बहुत पॉवरफुल गोली ली है आपने.. थक ही नहीं रहे.. कितना चोदोगे आज?
जय- मेरी जान पूरी रात आज तेरे मस्त यौवन का मज़ा लूँगा.. तेरी आज मैं जमकर चुदाई करूँगा।
रश्मि- अच्छा कर लो.. मगर याद रखना मेरे लिए भी ऐसी दवा ले आना.. क्या पता फार्म पर कितनों से चुदना पड़ जाए.. वैसे ट्रिपल एक्स मूवी में मैंने देखा था.. एक साथ बहुत आदमी एक लड़की को चोदते हैं.. तो उसको बड़ा मज़ा आता है। ऐसा फन मुझे भी मिलेगा.. ये सोचकर मैंने आपको ‘हाँ’ कह दी है।
जय- ये कैसी रण्डियों जैसी बातें कर रही हो.. मैं ऐसा कुछ नहीं होने दूँगा। मैं जीतूँगा देख लेना..
रश्मि- एक मजाक आपने किया.. एक मैंने कर लिया.. हिसाब बराबर.. वैसे मेरा भी मन नहीं है.. आपके अलावा किसी से चुदवाने का.. समझे मेरे भाई..
उसके बाद दोनों मस्ती करने लगे और गरम हो गए। जय ने दोबारा रश्मि को खूब चोदा उसकी गाण्ड और चूत मार-मार कर हालत बिगाड़ दी उसकी.. बेचारी 4 बजे तक कर सो पाई और जय वहाँ से चला गया।
सुबह विजय जल्दी उठ गया और जय को उठाने गया.. मगर वो नहीं उठा तो विजय तैयार होकर अकेला बाहर निकल गया और रंगीला को फ़ोन करके बुला लिया, दोनों एक कॉफी शॉप पर जाकर बैठ गए।
रंगीला- अरे अपना राजा कहाँ हैं और सुनाओ क्या चल रहा है?
विजय- तुम्हें अच्छी तरह पता है सब.. उसके बाद भी मुझे क्यों पूछ रहे हो.. वो रात को पीकर मस्त हो गया था.. अब तक सो रहा है।
रंगीला हँसने लगा और दोनों बातें करने लगे। अब इनके बीच की बातें बाद में आप समझ जाओगे.. ओके.. तो चलो साजन और उसके साथियों के पास चलते हैं शायद हमें वहाँ कुछ मिलेगा।
सुंदर- बॉस क्या बात है.. आज बड़े चिकने हुए हो.. कोई खास बात है क्या?
साजन- अबे साले.. आज पार्टी में जाना है और उस कमसिन कली के जिस्म के एक-एक अंग को छूकर मज़ा लेना है। उफ्फ.. सोच कर ही मेरा लौड़ा ‘टन टना टन टन टन तारा’ करने लगा है।
सुंदर- बॉस हमें भी मौका मिलेगा क्या.. उस कच्ची कली को भोगने का.. तब तो हम भी कुछ खुश हों..
साजन- अबे सालों आज बस छूकर मज़ा लूँगा.. भोगने का अभी सोचो भी मत और तुम कोई ऐसी हरकत ना करना जिससे काम बिगड़ जाए। वहाँ और भी लड़कियाँ होगीं.. उनसे चिपक कर मज़ा लेते रहना.. मगर रश्मि के पास भी नहीं फटकना समझे..
सुंदर- ठीक है बॉस.. वैसे भी वहाँ तो बहुत आइटम आएंगी.. किसी को भी फँसा लेंगे.. इसमें क्या बड़ी बात है..
साजन- अबे सालों.. वो बड़े लोगों की पार्टी है.. ऐसी कोई हरकत मत करना कि धक्के लग जाए.. फँसाने का ख्याल दिल से निकाल दो। बस जब लड़कियाँ नशे में हों.. तब छू कर मज़ा ले लेना।
सुंदर- ठीक है भाई.. जैसा आप कहें.. वैसे उस कुत्ते को जलील करने का याद है ना.. बड़े बॉस ने जो बताया था।
साजन- ज़्यादा स्मार्ट मत बन.. मुझे मत सिखा.. क्या करना है.. चल जा.. मैंने जो बताया.. पहले वो काम करके आ समझे।
सुंदर वहाँ से निकल गया और साजन अपने दूसरे काम में लग गया।
उधर जेम्स और निधि देर तक सोते रहे भाभी ने उनको नहीं उठाया.. वो जानती थी रात को बहुत देर तक दोनों मज़े कर रहे थे। वो नहाकार अस्पताल चली गई.
करीब 9 बजे दोनों की आँख खुली.. तो जेम्स ने मुस्कुरा कर निधि को देखा।
निधि- क्या हुआ ऐसे क्यों देख रहे हो.. बताओ मुझे?
जेम्स- साली.. तुझे देख कर लगता ही नहीं कि तू कच्ची कली नहीं पक्की चुदक्कड़ बन गई है।
निधि- अच्छा तो मुझे ऐसा बनाया किसने.. तुमने ही ना.. याद है पहली बार कैसे बुद्धू बना कर मेरी चूत फाड़ दी थी आपने।
जेम्स- साली तुझे जन्नत की मल्लिका बना दिया.. आज देख कैसे मज़े से चुद जाती है तू..
निधि- अच्छा सुबह-सुबह लड़ाई करोगे क्या.. चलो उठो.. भाभी क्या सोचेगी कि हम अब तक सोए हैं।
जेम्स- अरे क्या भाभी.. वो क्या सोचेगी.. साली रात को खुद उस बिहारी से कैसे चुदवा रही थी।
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