RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
धीरे-धीरे उसके लौड़े में जान आने लगी.. जिसे देख कर एनी मुस्कुरा दी और अपने होंठ उस पर टिका दिए।
वो बड़े प्यार से सुपारे को किस करने लग गई.. एक ही मिनट में जेम्स का लौड़ा फनफना उठा।
एनी- ओह्ह.. वाउ.. ये तो बहुत जल्दी खड़ा हो गया है।
जेम्स- जानेजाना.. तूने जबाव नहीं दिया.. कौन से छेद में लौड़ा लेगी बोल?
एनी सोच में पड़ गई.. एक तरफ़ रंगीला का 8″ का लौड़ा था तो दूसरी तरफ़ जेम्स का 9″ का.. आख़िर उसने तय किया कि जेम्स गाण्ड का आशिक है.. तो गाण्ड में डालेगा.. और रंगीला उसकी चूत में मजा देगा।
फिर क्या था.. एनी ने पहले दोनों के लौड़े बड़े प्यार से चूस कर गीले किए उसके बाद रंगीला सीधा लेट गया और एनी उसके लौड़े पर बैठ कर चुदने लगी।
जब लौड़ा चूत में सैट हो गया तो वो रंगीला पर लेट गई, पीछे से जेम्स ने अपना मूसल उसकी गाण्ड में घुसा दिया।
एनी- आऐईइ.. स्लोली.. माय डार्लिंग.. स्लोली.. योर पेनिस इज सो बिग.. आह्ह..
जेम्स- अरे अभी तो तेरी गाण्ड को खोला है.. अब कैसा दर्द.. चल रंगीला शुरू हो जा नीचे से.. मैं ऊपर से इसकी ठुकाई करता हूँ।
रंगीला नीचे से ‘दे..दनादन..’ झटके देने लगा और ऊपर से जेम्स उसकी गाण्ड का बैंड बजा रहा था।
एनी- आह्ह.. फक मी.. आह्ह.. फक मी हार्ड आह्ह आह्ह.. आह्ह.. आउच आह्ह..
जेम्स तो एक ही स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर कर रहा था और बस रश्मि का नाम लेकर गंदी-गंदी गालियां दे रहा था।
इधर रंगीला को झटके देने की जरूरत ही नहीं पड़ रही थी.. एनी अपने आप ही उसके लौड़े पर हिल रही थी।
करीब 20 मिनट तक यह ठुकाई चलती रही। एनी को डबल लण्ड का मज़ा आ रहा था। उसकी चूत अब किसी भी पल पिघल सकती थी।
एनी- आह्ह.. आह्ह.. फास्ट रंगीला.. आई एम कमिंग.. आह्ह.. फास्ट आह्ह..।
एनी की बातों ने दोनों को जोश में ला दिया। अब रंगीला नीचे से स्पीड से धक्के देने लगा और जेम्स एनी की कमर पकड़ कर गाण्ड की रेल बनाने में लग गया।
एनी की चूत का रस बहने लगा.. वो लंबी साँसें लेने लगी और झड़ने का मज़ा लेने लग गई। कुछ देर बाद रंगीला का रस भी निकलने को तैयार था। उसने एनी को बताया तो एनी ने कहा- चूत में मत निकालना.. उसको लौड़े का रस पीना है।
जेम्स ने जब ये सुना.. एनी को झटके से ऊपर उठा लिया और उसी स्पीड से रंगीला बैठ गया.. और उसने एनी के मुँह में लौड़ा घुसा दिया। एक सेकंड में उसका लावा फूट पड़ा और रस की धारा एनी के हलक में उतर गई।
जेम्स तो अपना लौड़ा गाण्ड में ठोके जा रहा था.. उसका पानी कहाँ इतनी जल्दी निकलने वाला था।
एनी ने झटके खाते हुए ही रंगीला का लण्ड चाट कर साफ किया और घुटनों के बल घोड़ी बन गई।
जेम्स- आह्ह.. ले मेरी फिरंगिन.. आह्ह.. उहह.. उहह.. ले पूरा ले.. आह्ह.. आह्ह..।
एनी- आह्ह.. मारो.. आह्ह.. हमारा गाण्ड फाड़ दो.. आज आह्ह.. तुम असली मर्द हो.. आह्ह.. आह्ह.. चोदो मेरी गाण्ड को आह्ह..।
थोड़ी देर तो जेम्स झटके देता रहा। उसके बाद उसने लौड़ा निकाल कर एनी की चूत में घुसा दिया और उसकी कमर को पकड़ कर तेज़ी से धक्के देने लग गया.. जैसे आज चूत को फाड़ कर ही उसको सुकून मिलेगा।
एनी- आह्ह.. आह्ह.. जल्दी आह्ह.. निकाल दो उइ मेरी जान.. निकालने का इरादा है क्या.. आह्ह.. फास्ट आह्ह.. यईह.. यईह..आह्ह..।
जेम्स तो ठहरा देसी बॉय.. वो तो बस ठुकाई करता रहा.. जल्दी करके भी उसने 20 मिनट और एनी की चूत को ठोका.. उसके बाद कहीं जाकर उसने लौड़ा चूत से बाहर निकाला.. तब तक एनी दोबारा झड़ चुकी थी।
जेम्स- ले मेरी फिरंगिन रानी.. अब चूस कर इसका रस निकाल दे और पी जा सारा का सारा रस आज के बाद तू देसी बॉय को याद ही करेगी बस..।
एनी किसी भूखी बिल्ली की तरह लौड़े पर टूट पड़ी.. और पूरा मुँह में घुसा कर होंठों को दबा लिया।
जेम्स को एनी का इशारा समझ आ गया तो उसने लौड़े को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में जेम्स के लौड़े से रस की धारा बह गई.. जिसे एनी ने गटक लिया और बड़े प्यार से लौड़े को चाट कर आख़िरी बूँद तक साफ कर दी।
जेम्स- वाह.. जान.. मज़ा आ गया.. उस रश्मि का नाम लेकर चुदाई में इतना मज़ा आया.. तो खुद उसको चोदने में कितना मज़ा आएगा।
रंगीला- आएगा जेम्स.. बहुत मज़ा आएगा.. मगर उसकी चीखें ऐसी होनी चाहिए कि जय थरथरा जाए.. तब मुझे मज़ा आएगा..।
जेम्स- तू बस देखना रंगीला.. उस रंडी को ऐसे चोदूँगा कि साली जिंदगी भर चुदाई के नाम से काँपती रहेगी।
थोड़ी देर तक तीनों बातें करते रहे। एनी ने कहा- तकलीफ़ तो हुई.. मगर ऐसे दमदार आदमी से चुदाई से मुझको मज़ा आ गया।
उसने दोबारा भी जेम्स को आने की दावत दे दी। उसके बाद वो दोनों वहाँ से निकल गए।
उधर रश्मि और जय ने भी शॉपिंग कर ली और घर चले गए। वैसे रश्मि ने रात के लिए क्या ड्रेस लिया.. ये जय भी नहीं जानता था.. जब जय ने जानना चाहा.. तो उसने कहा- रात को ही देख लेना.. जब मैं पहनूँगी।
दोस्तों अब सुबह से दोपहर हो गई और कुछ ऐसी बात भी नहीं हुई.. जो आपको बताऊँ.. तो ऐसा करते हैं सीधे शाम का सीन ही आपको बता देती हूँ।
रंगीला ने साजन को फ़ोन किया- तुम उन दोनों को पहले भेज देना और रश्मि के आने के बाद ही तू आना.. तब तक मैं उस कुत्ते को जलील करने वाला प्रोग्राम जमाता हूँ.. ठीक है ना..
उधर विजय और जय रेडी होकर हॉल में बैठे रश्मि का इन्तज़ार कर रहे थे.. वो अपने कमरे में तैयार होने गई थी.. मगर आधा घंटा हो गया.. तब भी उसके आने का कोई ठिकाना नहीं था।
विजय- यार ये लड़कियाँ भी ना.. पता नहीं ड्रेस चेंज करने में क्या-क्या करती हैं इतना टाइम लगता है क्या?
जय- अरे आज उसने नई ड्रेस ली है न.. मुझे भी नहीं दिखाई.. बोली शाम को देख लेना। अब इतना टाइम लगा रही है तो जरूर कोई लहँगा वगैरह लिया होगा.. फिर उस पर.. मेकअप.. लाली.. पता नहीं क्या क्या.. लगा के आएगी।
विजय- यार हम किसी शादी में नहीं जा रहे हैं.. पार्टी है वहाँ.. लहँगा चुनरी देख कर लोग रश्मि का मज़ाक और बना लेंगे।
जय- हाँ यार.. ये तो मैंने सोचा ही नहीं.. मगर रश्मि ऐसी बेवकूफ़ी नहीं कर सकती.. शायद उसने कुछ और ही लिया होगा। अब वो आए तो पता लगे ना.. हम क्यों सोच कर अपना दिमाग़ खराब कर रहे हैं।
वो दोनों बातें कर ही रहे थे.. तभी सीढ़ियों से रश्मि आती हुई दिखाई दी.. जिसे देख कर दोनों के होश उड़ गए। जय का लौड़ा तो झट से पैन्ट में खड़ा हो गया था।
रश्मि ने बहुत टाइट ब्लैक कलर का शॉर्ट गाउन पहना हुआ था.. जिसमें से उसके कंधे खुले हुए थे और गोरा बदन झाँक रहा था। वो गाउन ट्रांसपेरेन्ट भी था.. जिसमें से रश्मि का पेट भी दिखाई दे रहा था। उसके बाल खुले हुए थे और गाउन बदन से ऐसे चिपका हुआ था.. जैसे वो गाउन नहीं.. उसकी चमड़ी ही हो.. उसके जिस्म का एक-एक कट्स.. एक-एक अंग की बनावट साफ-साफ देखी जा सकती थी।
रश्मि हल्की सी मुस्कान के साथ धीरे-धीरे नीचे आई और दोनों की आँखों के सामने आकर ज़ोर से ‘हैलो’ कहा, तब कहीं जाकर उनको होश आया।
जय- वाउ रश्मि.. यू लुकिंग सो गॉर्जियस..
रश्मि- थैंक्स भाई.. एंड विजय भाई.. आपने कुछ नहीं कहा.. मेरी ड्रेस अच्छी नहीं लगी क्या?
विजय- नहीं नहीं.. रश्मि.. बहुत अच्छी है.. मैं तो बस देखता ही रह गया.. इसी लिए कुछ नहीं कहा.. कसम से आज पार्टी में तुम ही सब से खूबसूरत दिखाई दोगी।
रश्मि- ओह्ह भाई थैंक्स.. बस मुझे आपका ही डर था.. कहीं आप मेरी ड्रेस देख कर नाराज़ ना हो जाओ।
विजय- अरे नहीं.. मेरी स्वीटी.. मैं क्यों नाराज़ होने लगा.. चल अब देर हो रही है.. नहीं सब के आने के बाद हम वहाँ गए.. तो मज़ा नहीं आएगा..
रश्मि- वैसे भाई आप भी कुछ कम नहीं लग रहे हो.. दोनों के सामने सारे लड़के फीके पड़ जाएँगे।
जय- अरे बस बस.. हमारी तारीफ बाद में कर लेना.. पहले यहाँ से निकलो तो सही..
वो तीनों गाड़ी में घर से निकल गए और सीधे बुलबुल गेस्ट हाउस पहुँच गए। वहाँ का माहौल काफ़ी रंगीन था.. तेज म्यूज़िक चल रहा था और लाइट्स भी बहुत ज़्यादा थी। बहुत सारे लड़के और लड़कियाँ वहाँ मौजूद थे.. कोई सामने डिस्को में अपने साथी के साथ डान्स कर रहा था.. तो कोई कोने में बैठ कर बियर और सिगरेट का मज़ा ले रहा था।
ये तीनों जब अन्दर गए.. तो रश्मि को देख कर बहुत से लड़कों ने ‘आह..’ भरी.. उनका हाथ ना चाहते हुए भी अपने लण्ड पर चला गया।
विजय- ओके रश्मि.. अब यहाँ कोई रोक-टोक नहीं है.. जो करना हो करो.. चाहे नाचो.. या ड्रिंक करो.. मगर एंजाय करो।
रश्मि- पता है भाई.. आप भी अब मेरी फिकर ना करें.. मैं आज खूब मस्ती करूँगी।
विजय के जाते ही.. रंगीला और साजन भी उनके पास आ गए और दोनों ने रश्मि की बहुत तारीफ की।
साजन की निगाह तो बस रश्मि के मम्मों पर टिकी हुई थी। उसका लौड़ा तो बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
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