Kamukta Kahani जुआरी
10-06-2018, 01:07 PM,
#8
RE: Kamukta Kahani जुआरी
कुछ देर तक बाते करते हुए, स्नेक्स खाते हुए 1 घंटा ऐसे ही बीत गया...और फिर शुरू हुआ टेबल पर ताश के पत्तो का खेल... जो हर बार खेला जाता था.

कुणाल ने जब दूर बैठकर देखा की ताश की गड्डी निकल आई है तो उसकी आँखो की चमक बड़ गयी...
वो तो रोज का खेलने वाला था और ऐसे मे ताश की गड्डी का खेल चले तो अपने आप इंटेरेस्ट बड़ ही जाता है.

सभी लेडीज़ 4 - 4 के ग्रुप में ताश खेलने लगी....पर कुणाल का ध्यान तो कामिनी मेडम वाले ग्रुप पर था
शुरू में कामिनी ने रम्मी खेली....
फिर सीप का खेल खेला....जो अक्सर औरतें खेलती रहती है....
और हर गेम में पैसे भी लग रहे थे..यानी प्रॉपर जुआ चल रहा था टेबल पर...
कुणाल ने आजतक औरतों को जुआ खेलते हुए नही देखा था...
और वो भी इतनी हाइ सोसायटी की...इसलिए वो टकटकी लगाए उनका खेल देखता रहा...

कुछ देर में कामिनी और उसके ग्रुप वाले 3 पत्ती खेलने लगे..

ये देखकर कुणाल और भी खुश हुआ... क्योंकि इस खेल में तो वो उस्ताद था.

वो आराम बैठकर अपनी मेडम का खेल देखने लगा..
और पहली गेम में ही उसे पता चल गया की उनमे से कोई भी मंझा हुआ खिलाड़ी नही है.

हालाँकि वो बड़ी-2 ब्लाइंड और चालें चल रहे थे, पर दिमाग़ लगाकर कोई भी नही खेल रहा था...
एक बार में ही 10 हज़ार की टेबल हो रही थी...
जो कुणाल के लिए काफ़ी ज़्यादा थी...
पर उन अमीर औरतों के लिए शायद ये नॉर्मल था.

कामिनी इस वक़्त अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी आरती चोपड़ा के साथ खेल रही थी, और सभी को पता था की दोनो में से कोई भी झुकने को तैयार नही होता..
आरती के पति पहले CM रह चुके थे और आज की डेट में कामिनी के पति मंत्री थे....
इसलिए दोनो में से कोई भी अपने आप को कम नही समझता था.

पर कामिनी के खेलने का तरीका ही ऐसा था की वो 10 मिनट में करीब 30 हज़ार रुपय हार गयी...
हालाँकि 2-3 गेम्स जीती भी थी उसने पर ज़्यादातर हार रही थी वो.

आरती अपनी सहेलियों से घिरी, अपने पत्तो के दम से हर बार जीत के बाद खुल कर हँसती...उसकी सहेलियाँ तालियाँ बजाती जो कामिनी के दिल पर करारे थप्पड़ की तरह पड़ती.

कामिनी के चेहरे से उसका गुस्सा सॉफ दिख रहा था...
उसे पैसे हारने का गम नही था, उसे गम था तो सिर्फ़ ये की वो गेम हार रही थी और वो भी अपनी सबसे बड़ी दुश्मन मिसेज चोपड़ा से...जो वो हरगिज़ नही चाहती थी.

अगली गेम जब शुरू हुई तो दोनो ने 1-1 हज़ार की ब्लाइंड चलने के बाद आरती ने अपने पत्ते उठाए और देखते के साथ ही चाल चल दी...उसके चेहरे पर फिर से एक मुस्कान आ गयी , यानी उसके पास अच्छे पत्ते आये थे

सामने से चाल आती देखकर जैसे ही कामिनी ने पत्ते उठाने चाहे, पीछे से कुणाल की आवाज़ आई : "मेडम...आप पत्ते मत देखो...ब्लाइंड चलो...''

आवाज़ सुनते ही कामिनी चोंक गयी...
पीछे मुड़कर देखा तो कुणाल उसके ठीक पीछे खड़ा था...
एक पल के लिए तो वो डर सी गयी...
पर फिर सामान्य होकर उसने आरती की तरफ देखा... वो बोली : "इट्स ओके .. तुम अपने ड्राइवर की हेल्प ले सकती हो.... क्या पता तुम कुछ पैसे जीत जाओ...''

ये उसने कामिनी को चोट पहुँचाने के इरादे से कही थी...और वो चोट लगी भी..पर कामिनी ने उसे उजागर नही होने दिया..

और कुणाल के कहे अनुसार उसने 1 हज़ार की ब्लाइंड चल दी. वो अच्छी तरह से जानती थी की कुणाल बहुत जुआ खेलता है, ऐसे में शायद उसकी मदद से कुछ करिश्मा हो जाए.

आरती अपने पत्ते देख चुकी थी, इसलिए उसने 2 हज़ार की चाल चली....
कुणाल के कहने पर एक बार फिर से उसने ब्लाइंड चल दी.. पर शायद मिसेस चोपड़ा ज़्यादा ही कॉन्फिडेंट थी, उन्होने चाल डबल करते हुए 4 हज़ार की कर दी...
सामने से कामिनी ने 2 हज़ार फेंके...
फिर से चाल डबल हुई और 8 हज़ार आए....
ऐसे करते-2 कुणाल ने कामिनी को ब्लाइंड में ही खिलाते हुए 20 हज़ार की ब्लाइंड तक पहुँचा दिया..
जबकि सामने से आ रही चाल 40 की हो चुकी थी...
आलम ये था की मिसेस चोपड़ा जो पैसे अभी तक जीती थी, उसके अलावा भी उनके सारे पैसे ख़त्म हो चुके थे...
ऐसे में शायद उसे डर सा लग रहा था की वो हार गयी तो सारा पैसा कामिनी ले जाएगी...उसकी इज्जत जाएगी वो अलग.

उसने अपने पैसे चेक किए और अगली बार जब कामिनी की ब्लाइंड आई तो बीच में 40 हज़ार डालते हुए उसने कामिनी से शो माँग लिया.

सभी के दिल की धड़कन बड़ी हुई थी..
कुणाल साथ वाली चेयर पर आकर बैठ चुका था...
कामिनी ने उसकी तरफ डरी हुई नज़रों से देखा....
और अपने पत्ते उसकी तरफ खिसका दिए...
वो नही चाहती थी की अपने पत्ते खुद देखे.

कुणाल ने पत्ते उठाए और सभी से बचा कर उन्हे देखा...
और फिर सभी के चेहरों की तरफ...
उसने पहला पत्ता नीचे फेंका.

वो हुक्म का 7 नंबर था.

आरती के चेहरे पर स्माइल सी आ गयी....
जैसे वो जीत गयी हो...
शायद अपने पास आए पत्तो पर उसे ज़्यादा यकीन था.
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