RE: Kamukta Kahani जुआरी
दूसरी तरफ कुणाल ने जब मंत्री जी को नंगा होते देखा तो वो भी समझ गया की कैसा खेल चलेगा वहां पर...
इसलिए उसने भी अपने हाथो की सफाई दिखाते हुए एक ही झटके में कामिनी मेडम की ब्रा के हुक्स को खोल दिया और वो ब्रा किसी समान से लदे जाल की तरह नीचे आ गिरी...
और फिर उभरकर आए कामिनी मेडम के मदमस्त यौवन...
जिन्हे देखने के लिए वो कब से मरा जा रहा था..
और जैसे ही वो गोरे-2 खरबूजे उसकी आँखो के सामने आए वो उनपर टूट पड़ा...
अपने दैत्याकार दांतो के साथ जब उसने उन रसीले फलों को काटना शुरू किया तो कामिनी की दर्दीली मस्ती से भरी सिसकारियाँ पूरी कोठी में गूँज उठी..
''आआआआआआआययययययीीईईईईईईईईईईईईई........... अहह........ फककककककककककककककक............ ढीईरए काट कुणाल......आआआआआआहह''
पर कुणाल अब कहां मानने वाला था, उसने तो उसके गोरे जिस्म पर दांतो से लाल-2 निशान इतने गहरे बना दिए की महीने से पहले वो उसके बदन से जाने ही नही वाले थे..
और उसके अंगूरी दानो को तो उसने छोड़ा ही नही
उसके निप्पल्स को चूसते हुए कुणाल को ऐसा लग रहा था जैसे उनमें से साक्षात शराब निकल कर उसके मुँह में जा रही है...
वो मन में सोचने लगा की काश वो उसकी बीबी होती तो रोज शराब के ठेकों पर लाइन लगाने के बदले वो उसी के मोम्मे चूस्कर मज़ा लेता रहता..
लेकिन आज के बाद तो शायद ऐसा ही होने वाला था, क्योंकि कुणाल को अपने लंड पर इतना भरोसा तो था की मेमसाब एक बार जब उसे अपनी फुददी में ले लेंगी तो रोज लेने के लिए मचला करेंगी..
इधर कुणाल अपने लंड का अभिमान कर रहा था और दूसरी तरफ़ विजय ने अपने खूँटे जैसे लंड को पायल के मुँह में ठूस दिया...
कुछ देर पहले जो पायल अपने मालिक की नीचे वाली टांगे दबा रही थी अब वो उनकी तीसरी टाँग की सेवा कर रही थी...
वो उनके लंड को बुरी तरह से चूस रही थी...
उसे अपने हाथों में लेकर नीचे तक जाकर उनकी गोटियों को भी मुँह में भरकर उनका नारियल पानी पी रही थी..
और फिर विजय ने वो किया जिसका शायद पायल को भी अंदाज़ा नही था...
विजय ने अपने हाथ मे पकड़े शराब के ग्लास से दारु को धार बनाकर अपने लंड पर गिराना शुरू कर दिया...
और वो शराब धार बनकर नीचे अपना मुँह लगाए पायल के मुँह तक जाने लगी...
पायल ने पीछे होना चाहा तो विजय ने उसे ज़बरदस्ती पकड़कर कहीं जाने ही नही दिया..
और बेचारी को ज़बरदस्ती, ना चाहते हुए भी, अपने मलिक के लंड से लिपटकर आती हुई शराब पीनी पड़ी...
और उसका असर भी जल्द दिख गया उसके उपर..
आँखे नशीली हो गयी
ज़बान फिसलने लगी
अदाओं में मस्ती आ गयी और झिझक तो पूरी मिट सी गयी...
अब उसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की उसका पति भी वहां है, मालिक की बीबी भी वही है...
उसे तो बस अब सिर्फ़ अपनी मस्ती से मतलब रह गया था
जो इस वक़्त उसके मालिक के लंड को चूसने से मिल रही थी.
उसने अपनी नागिन जैसी जीभ से उपर से नीचे तक अपने मालिक के लंड को चूस डाला और फिर खड़ी होकर उसने अपने ब्लाउस के हुक्स को तोड़ते हुए उसे भी निकाल दिया...
पेटीकोट का नाडा नही खुला तो उसकी भी भेंट चड़ा दी उसने...
और जब वो पेटीकोट गिरा तो सुंदरता की मूरत खड़ी थी विजय के सामने...
एकदम कसा हुआ शरीर, मस्त स्तन, मोटी जांगे, सपाट पेट और पूरी मस्ती से भरी जवानी...
वो उछलकर विजय के पास आई और उसकी गोद में बैठ गयी...
|