RE: Kamukta Kahani जुआरी
तभी कामिनी उनके लिए चाय लेकर आ गयी
इंद्राणी : "क्या यार कामिनी, इतना बढ़िया मूड बनाकर आई हूँ और तुम चाय पीला रही हो...''
वो समझ गयी और कामिनी को चाय वापिस ले जाने के लिए कहा..
और कुणाल को कहा की फ्रिज में से ठंडी बियर्स निकाल कर ऊपर ले आए...
और वो दोनो उठकर उपर चल दी, कामिनी के बेडरूम की तरफ.
कुणाल भी बियर निकाल कर, उनकी मटक रही गांडो को देखता हुआ उपर आ गया...
दोनो को ठंडी बियर के ग्लास देता हुआ कुणाल जब जाने लगा तो कामिनी ने उसे भी बियर लेने को कहा और ताश भी लाने के लिए बोला.
और फिर अगले 15 मिनट तक कुणाल वहां बैठकर इंद्राणी को अलग-2 ट्रिक्स बताने लगा...
कामिनी ने तो कल रात वाली वो ट्रिक भी इंद्राणी को बताई जिसमे कुणाल ने ट्रेल बनाकर अपनी आस्तीन में छुपा ली थी...पर ये नही बताया की उस खेल की आड़ में वहां क्या-2 चल रहा था.
इसी बीच 2-3 बियर भी ख़त्म हो गयी...
हल्का-2 सरूर भी चड़ने लगा..
कामिनी की ज़बान और इंद्राणी की नज़रें भी बहकने लगी थी..
इसलिए कामिनी को मुद्दे की बात पर आते ज़्यादा देर नही लगी...
वो इंद्राणी को देखते हुए बोली : "और तुम्हे पता है इंद्राणी, ये मसाज भी काफ़ी अच्छी करता है...ही इस सो स्ट्रॉंग...''
इंद्राणी ने अपनी नशीली आँखो से कुणाल की बाजुओ को नापते हुए कहा : "ओ या, आई केन सी इट... तुम कितनी लक्की हो, जो कुणाल के हाथो की मसाज तुम्हे मिलती है...''
कामिनी : "अरे , इसमे क्या प्राब्लम है, ये तुम्हे भी मसाज दे सकता है... क्यो कुणाल...दोगे ना..मसाज..''
कुणाल हंस दिया, उसका लंड उनकी बकचोदी सुनकर पहले ही खड़ा हो चुका था...
वो बड़ी बेशर्मी से अपने लंड को अड्जस्ट करता हुआ बोला : "क्यू नही मेडम जी...आप जैसा कहेंगे, वैसी सेवा कर देंगे इंद्राणी मेडम की ...हम तो आपके हुक्म के गुलाम है...''
कामिनी इस वक़्त अपने आप को महारानी जैसा समझ रही थी जिसके पास कुणाल जैसा गुलाम था जो उसके एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार था.
और कामिनी के कहने मात्र से ही वो मसाज टेबल को तैयार करने लगा...
कामिनी एक कोने में रानी बनकर बैठ गयी और इंद्राणी ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए..
इस तरह से किसी अजनबी के सामने अपने कपड़े उतारने में , और वो भी एक नौकर टाइप के इंसान के सामने, उस हाई सोसायटी की औरत को थोड़ी बहुत झिझक तो हो रही थी, पर बियर का सरूर और कामिनी ने जो बाते उसे बताई थी, उन्हे सोचकर इंद्राणी ने अपने कपड़े उतार दिए...
और कुछ ही देर में वो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में उनके सामने खड़ी थी..
कुणाल ने देखा की उसका बदन तो कामिनी मेडम से भी ज़्यादा रसीला और गदराया हुआ था..
पता नही ये मंत्रियो की बीबियाँ किस चक्की का आता खाती है जो ऐसा जिस्म मेन्टेन करके रखती है.
जब वो मसाज टेबल पर लेटी तो कुणाल ने कामिनी की तरफ देखा, जैसे आगे बढ़ने के लिए उसकी परमिशन माँग रहा हो...
कामिनी ने मुस्कुराते हुए अपनी पेरमिशन दे दी...
वो अपनी सहेली को आज पूरी तरह से खुश करके भेजना चाहती थी.
कुणाल ने उन्हे लेटने को कहा, वो टेबल पर उल्टी होकर लेट गयी...
कुणाल जैसे ही स्पेशल तेल इंद्राणी के बदन पर लगाने के लिए आगे बड़ा, कामिनी बोल उठी
"कुणाल, पहले इनके अंडरगार्मेंट्स तो निकाल दे, कही ऐसा ना हो की खराब हो जाए...''
कुणाल तो कब से यही बोलना चाह रहा था...
उसने आगे बढ़कर उसकी ब्रा के हुक्स खोल दिए...
उसके स्ट्रेप्स छिटककर अलग हो गये...
और शरमाती हुई इंद्राणी ने अपनी ब्रा निकाल कर साइड में रख दी..
और जब कुणाल उसकी पेंटी को उतारने लगा तो कामिनी फिर बोली : "इतने सिंपल तरीके से क्यो कर रहे हो कुणाल...बिना हाथ लगाए करो ना...''
कुणाल उसका मतलब समझ गया और इंद्राणी भी...
और उसका तो शरीर काम्प सा गया कामिनी की बात सुनकर...
साली दूर बैठकर मज़े ले रही थी...
कुणाल थोड़ा झुका और उसने अपने दांतो से उसकी कछी का कामिनीस्टिक अपने दांतो में दबा लिया..
और उसे धीरे-2 नीचे खींचना शुरू कर दिया...
कुणाल ने आज से पहले इतना एरॉटिक काम नहीं किया था और ना ही ऐसा दृश्य उसने अपनी आँखो के इतने करीब देखा था...
जैसे-2 वो उसके नितंबो से पेंटी को खींच कर उतार रहा था, उसका दरार वाला दूधिया चाँद उसकी आँखो के बिल्कुल करीब नंगा होकर प्रकट हो रहा था...
लोगो ने दूर आकाश में चाँद को निकलते हुए अक्सर देखा है पर कुणाल ने आज 2 इंच की दूरी से वो कारनामा देख लिया...
और इस चाँद को देखने का तो कोई मुकाबला ही नही था..बेदाग़ था ये वाला चाँद
और साथ ही साथ उसके नथुनों से एक चिर-परिचित सी गंध भी आ टकराई..
वो थी इंद्राणी की चूत से रिस रहे रस की...
वैसे तो हर चूत के रस की गंध अलग ही होती है पर कुणाल को इनकी अच्छे से पहचान थी...
वो तो गंध सूँघकर ही समझ गया की इसके रस का स्वाद खट्टा-मीठा होगा..
इतने सालो का एक्सपीरियेन्स जो था उसे चूत चाटने का..
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