RE: Kamukta Kahani जुआरी
कामिनी तो उसकी बात सुनकर ही काँप सी गयी....
रोज उसकी गांड में ये लंड गया तो उसकी गांड का चबूतरा बनते देर नही लगेगी...
पर मज़ा भी तो मिलेगा कितना.....
इसलिए उसके मुँह से सिर्फ़ यही निकला...
''मार लियो मेरे राजा....रोज मार लियो....''
उसकी गांड में अपना लोड निकाल कर वो अपने आप को खाली-2 सा महसूस कर रहा था..
बाद में दोनों सहेलियों ने मिलकर कुणाल के लंड को मुंह में भर लिया और उसे साफ़ करके अच्छे से चमका दिया
कामिनी उठकर बाथरूम में जाकर नहाने लगी...
कुणाल को भी उसने वही बुला लिया...
पीछे-2 इंद्राणी भी पहुँच गयी और तीनो एकदूसरे को रगड़ -2 कर नहाए..
कुछ देर बाद इंद्राणी तैय्यार होकर निकल गयी...
कुणाल भी अपने क्वार्टर में वापिस आकर सो गया...
कामिनी भी बेसूध सी होकर बिस्तर पर नंगी ही सो गयी...
आज उसके बदन का हर अंग दुख रहा था...
अभी तो सिर्फ़ कुणाल ने उसे चोदा था पर ऐसा लग रहा था जैसे उसका गैंग रेप हुआ है...
और पायल बेचारी, किचन में बैठी अपनी चूत मसल रही थी और सोच रही थी की काश वो भी शामिल हो पाती उनके गेंग-बेंग में...
पर उसे विश्वास था की आज की रात जो दीवाली की रात वाला धमाल होने वाला है, उसके बाद उसे अपनी चूत को ऊँगली से रगड़ने की नौबत नही आएगी...
कभी नही आएगी.
शाम होते-2 पूरा बंगला रोशनी से नहा उठा...
विजय भी घर आ चुका था और उसी वजह से अब वहां दीवाली के गिफ्ट देने वालो का ताँता लगा हुआ था..
और लोग इतने ज़्यादा थे की कामिनी मेडम को भी अलग बैठकर मिलने वालो से गिफ्ट लेने का काम करना पड़ा..
कामिनी ने कुणाल को अपने साथ बिठा लिया और विजय ने पायल को, ताकि वो उनकी मदद कर सके..
और पूरा समय दोनो जोड़े एक दूसरे को आँखो से चोदने में लगे रहे..
रात को पूजा के वक़्त कामिनी ने कुणाल और पायल को नये कपड़े और दीवाली का इनाम दिया...
उन दोनो के लिए ख़ास तौर से इनाम दिया गया था इस बार..
और पूजा के बाद थोड़े बहुत बम्ब पटाखे जलाए और फिर विजय पेग लेकर बैठ गया.
आज की रात उसका जम कर दारू पीने का और पायल की बजाने का मन था पर आज की रात जुआ खेलने की प्रथा भी तो निभानी ही थी, और उसी की आड़ में वो चुदाई का डबल मज़ा भी लेना चाहता था.
इसलिए उसने कुणाल और पायल को ड्रॉयिंग रूम में बनी बार में आने को कहा और कामिनी को भी कपड़े चेंज करके वहीं बुला लिया...
कामिनी एक सेक्सी सी नाईटी पहन कर वहां आ गयी, अंदर उसने कुछ भी नही पहना हुआ था, उसे अच्छे से पता था की थोड़ी देर में ये भी उतारना पड़ेगा.
पायल ने कामिनी की दी हुई नयी साड़ी पहनी हुई थी और कुणाल ने कुर्ता पायज़ामा.
विजय ने ताश की गड्डी निकाली और कुणाल के साथ खेलने बैठ गया...
कामिनी ने सबके लिए पेग बनाए और पायल उन्हे सर्व करने लगी.
वैसे तो सभी के मन में इस वक़्त सिर्फ़ सैक्स ही सैक्स घूम रहा था फिर भी मंत्री जी की इजाज़त के बिना वो खेल अभी शुरू नही हो पा रहा था..
और उपर से विजय ने जब ताश की गड्डी निकाली तो सभी समझ गये की एक बार फिर से वही चूतिया राग शुरू होने वाला है... जिसमें बाजी जीतने वाले को मज़े मिलेंगे...
पर किसी की समझ में ये नही आ रहा था की एक दूसरे के सामने नंगे होकर चुदाई करने के बावजूद भी ये जुआ खेलने की क्या ज़रूरत है, सीधा ही चुदाई कर लेनी चाहिए ना..
पर विजय के सामने किसी की सवाल पूछने की हिम्मत नही थी..
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