Kamukta Kahani मेरी बहन कविता
07-15-2017, 12:50 PM,
#19
RE: Kamukta Kahani मेरी बहन कविता
अपनी जीभ को करा कर के उनकी गांड की भूरी छेद में डाल कर नचाते हुए चाटने लगा. गांड को छेद को अपने अंगूठे से पकर फैलाते हुए मस्ती में चाटने लगा. दीदी अपनी गांड को पूरा हवा में उठा कर मेरे जीभ पर नचा रही थी और मैं गांड को अपनी जीभ डाल कर चोदते हुए पूरी खाई में ऊपर से निचे तक जीभ चला रहा था. दीदी की गांड का स्वाद भी एक दम नशीला लग रहा था. कसी हुई गांड के अन्दर तक जीभ डालने के लिए पूरा जीभ सीधा खड़ा कर के गांड को पूरा फैला कर पेल कर जीभ नचा रहा था. सक सक गांड के अन्दर जीभ आ जा रही थी. थूक से गांड की छेद पूरी गीली हो गई थी और आसानी से मेरी जीभ को अपने अन्दर खींच रही थी. गांड चटवाते हुए दीदी एक दम गर्म हो गई थी और सिसकते हुए बोली “हाय राजा…अब गांड चाटना छोड़ो….हाय राजा….मैं बहुत गरम हो चुकी हूँ…..हाय मुझे तुने….मस्त कर दिया है…हाय अब अपनी रसवंती दीदी का रस चूसना छोड़ और…….उसकी चुत में अपना मुस्लंड लौड़ा डाल कर चोद और उसका रस निकाल दे…..हाय सनम….मेरे राजा….चोद दे अपनी दीदी को अब मत तड़पा….” दीदी की तड़प देख मैंने अपना मुंह उनकी गांड पर से हटाया और बोला ” हाय दीदी जब आपने मस्तराम की किताब पढ़ी थी तो…आपने पढ़ा तो होगा ही की….कैसे गांड….में…हाय मेरा मतलब है की एक बार दीदी….अपनी गांड….” दीदी इस एक दम से तड़प कर पलटी और मेरे गालो पर चिकोटी काटती हुई बोली “हाय हरामी….साला…..तू जितना दीखता है उतना सीधा है नहीं….सीईईईइ….माधरचोद….मैं सब समझती हूँ….तू साला गांड के पीछे पड़ा हुआ है…..कुत्ते मेरी गांड मारने के चक्कर में तू….साले…यहाँ मेरी चुत में आग लगी हुई है और तू….हाय….नहीं भाई मेरी गांड एक दम कुंवारी है और आज तक मैंने इसमें ऊँगली भी नहीं डाली है….हाय राजू तेरा लौड़ा बहुत मोटा है….गांड छोड़ कर चुत मार ले…मैंने तुझे गांड चाटने दिया….गांड का पूरा मजा ले लिया अब रहने दे….” मैं दीदी की चिरौरी करने लगा. “हाय दीदी प्लीज़….बस एक बार…किताब में लिखा है कितना भी मोटा…..हो चला जाता है…हाय प्लीज़ बस एक बार…बहुत मजा…आता है…मैंने सुना है….प्लीज़….” मैं दीदी के पैर को चूम रहा था, चुत्तर को चूम रहा था, कभी हाथ को चूम रहा था. दीदी से मैं भीख मांगने के अंदाज में चिरौरी करने लगा. कुछ देर तक सोचने के बाद दीदी ” बोली ठीक है भाई तू कर ले….मगर मेरी एक शर्त है….पहले अपने थूक से मेरी गांड को पूरा चिकना कर दे….या फिर थोड़ा सा मख्खन का टुकड़ा ले आ मेरी गांड में डाल कर एक दम चिकना कर दे फिर….अपना लण्ड डालना…डालने के पहले…. लण्ड को भी चिकना कर लेना….हाँ एक और बात तेरा पानी मैं अपनी चुत में ही लुंगी खबरदार जो…. तुने अपना पानी कही और गिराया….गांड मारने के बाद चुत के अन्दर डाल कर गिराना….नहीं तो फिर कभी तुझे चुत नहीं दूंगी… और याद रख मैं इस काम में तेरी कोई मदद नहीं करने वाली मैं कुर्सी पकर कर खड़ी हो जाउंगी…..बस….” मैं राजी हो गया और तुंरत भागता हुआ रसोई से फ्रीज खोल मख्खन के दो तीन टुकड़े ले कर आ गया. दीदी तब तक सोफे वाली चेयर के ऊपर दो तकिया रख कर अपनी आधे धर को उस पर टिका कर गांड को हवा में लहरा रही थी. मैं जल्दी से उनके पीछे पहुँच कर उनके चुत्तरो को फैला कर मख्खन के टुकड़ो को एक-एक कर उनकी गांड में ठेलने लगा. गांड की गर्मी पा कर मख्खन पिघलता जा रहा था और उनकी गांड में घुस कर घुलता जा रहा था. मैंने धीरे धीरे कर के सारे टुकड़े डाल दिए फिर निचे झुक कर गांड को बाहर से चाटने लगा. पूरी गांड को थूक से लथपथ कर देने के बाद मैंने अपने लण्ड पर भी ढेर सारा थूक लगाया और फिर दोनों चुत्तरों को दोनों हाथ से फैला कर लण्ड को गांड की छेद पर लगा कर कमर से हल्का सा जोर लगाया. गांड इतनी चिकनी हो चुकी थी और छेद इतनी टाइट थी की लण्ड फिसल कर चुत्तरों पर लग गया. मैंने दो तीन बार और कोशिश की मगर हर बार ऐसा ही हुआ. दीदी इस पर बोली “देखा भाई मैं कहती थी न की एक दम टाइट है….कुत्ते….मेरी बात नहीं मान रहा था…किताब में लिखी हर बात…..सच नहीं….हाय तू तो….बेकार में….उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ कुछ होने वाला नहीं….दर्द भी होगा…..हाय…..चुत में पेल ले….ऐसा मत कर….” मगर मैं कुछ नहीं बोला और कोशिश करता रहा. थोड़ी देर में दीदी ने खुद से दया करते हुए अपने दोनों हाथो से अपने चुत्तरों को पकड़ कर खींचते हुए गांड के छेद को अंगूठा लगा कर फैला दिया और बोली “ले माधरचोद अपने मन की आरजू पूरी कर ले….साला हाथ धो के पीछे पड़ा है….ले अब घुसा….लण्ड का सुपाड़ा ठीक से छेद पर लगा कर उसके बाद….धक्का मार…धीरे धीरे मारना…हरामी….जोर से मारा तो गांड टेढा कर के लण्ड तोड़ दूंगी…..” मैंने दीदी के फैले हुए गांड के छेद पर लण्ड के सुपाड़े को रखा और गांड तक का जोर लगा कर धक्का मारा. इस बार पक से मेरे लण्ड का सुपाड़ा जा कर दीदी की गांड में घुस गया. गांड की छेद फ़ैल गई. सुपाड़ा जब घुस गया तो फिर बाकी काम आसान था क्योंकि सबसे मोटा तो सुपाड़ा ही था. पर सुपाड़ा घुसते ही दीदी की गांड परपराने लगी. वो एक दम से चिल्ला उठी और गांड खींचने लगी. मैंने दीदी की कमर को जोर से पकड़ लिया और थोड़ा और जोर लगा कर एक और धक्का मार दिया. लण्ड आधा के करीब घुस गया क्योंकि गांड तो एक दम चिकनी हो रखी थी. पर दीदी को शायद दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ चिल्लाते हुए बोली “हरामी….कुत्ते…कहती थी….मत कर…
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