Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:22 PM,
#46
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
अब आगे
*************

अगले दिन लाला ने अपनी दुकान नही खोली...
उसके दिमाग़ में जो कैलकुलेशन चल रही थी वो उसके हिसाब से अपने आज के दिन को मौज मस्ती में बदल देना चाहता था.

लाला तो पूरी रात ढंग से सो भी नही पाया था...
3 कसी हुई चुतों में से एक को फाड़ने के बाद उसका हौसला और भी बुलंद हो चुका था...
अब वो बची हुई 2 चुतों को अपने हिसाब से मज़े लेकर मारना चाहता था..

पर उससे पहले उसे वो काम करना था, जिसके बारे में सोचकर उसे रात भर नींद नही आई थी.

इसलिए करीब 10 बजे वो अपने घर से निकला और राशन का कुछ सामान लेकर सीधा शबाना के घर पहुँच गया.

दरवाजा खोलते ही शबाना अपने सामने लाला को खड़े देखकर हैरान रह गयी

शबाना : "अर्रे, लालजी आप...और इतनी सुबह-2 ...''

लाला : "क्यों ...मेरा आना अच्छा नही लगा क्या तुझे....''



लाला ने सारा समान उसके सामने रख दिया, जिसे देखकर उसकी आँखो में चमक आ गयी....
ढेर सारे चावल और दालों के साथ उसमें रिफ़ाइंड का पेकेट भी था, जो कल रात ही ख़त्म हुआ था उसकी किचन में..

शबाना (झेंपते हुए ) : "अर्रे. नही लालाजी...आप भी भला कैसी बाते करते है.... मेरा घर और मेरा शरीर तो हमेशा से ही आपकी राह देखता रहता है...''

लाला ने करीब आकर उसे अपनी बाहो मे जकड़ लिया और उसके होंठो को अपनी जीभ से चाटकर बोला : "तभी तो इतनी सुबह तेरे पास आया हूँ ....कसम से...कल रात से मेरा रामलाल तेरी याद में तड़प रहा है....आज तो तेरी अच्छे से बजाकर रहूँगा...''

शबाना के चेहरे के भाव बदल से गये...
आज तक लाला कभी भी खुद से उसके घर नही आया था...
वही उसे बुला-बुलाकर थक जाती थी की वो आए और उसकी चूत के साथ-2 उसके पापी पेट का भी जुगाड़ कर जाए..
आज तो बिना बोले आ भी गये और समान भी खुद ही ले आए...

उसे लाला का ये रोमॅंटिकपन अच्छा तो लग रहा था पर वो खुलकर लाला के प्यार का जवाब नही दे पा रही थी..

लाला : "अरी क्या हुआ तुझे ? ....आज घर आए मेहमान की सेवा पानी नही करेगी क्या....''

इतना कहकर लाला ने बड़ी बेशर्मी से अपने रामलाल को उसके हाथ में पकड़ा दिया...
शबाना तो एक नंबर की चुदक़्कड़ औरत थी...
लाला को देखकर पहले से ही उसकी चूत में खुजली होनी शुरू हो चुकी थी और लाला ने जब अपना लंड पकड़ाया तो वो बहने ही लगी...

वो सिसकारी मारकर बोली : "उफ़फ्फ़....लाला......तेरे लंड को लेने के तो मैं भी दिन रात सपने देखा करती हूँ ...पर ...''

लाला : "पर ..पर क्या ?''

शबाना : "लाला...वो ...वो आज ...नाज़िया घर पर ही है....वो स्कूल नही गयी....उसकी तबीयत ठीक नही थी...कल शाम से उसका बदन और टांगे दर्द कर रहे है...और इसलिए वो अभी अंदर वाले कमरे में सो रही है बदन दर्द की गोली लेकर.....''

लाला की आँखे ये सुनकर चमक उठी...
क्योंकि लाला ये बात अच्छे से जानता था की आज नाज़िया घर पर ही होगी..

आख़िर लाला के लंड से चुदने के बाद इतनी हिम्मत कहाँ रहती उसमें की वो स्कूल जा पाती आज..

इसलिए बदन दर्द की गोली लेकर लेती हुई है साली अपने बिस्तर पर...

पर लाला ने ऐसा जताया जैसे उसने शबाना की बात सुनी ही नही...
और उसे चूमना और सहलाना शुरू कर दिया...
बेचारी शबाना ने बड़ी मुश्किल से बाहर का दरवाजा बंद किया...
पर दरवाजा बंद करते हुए भी लाला ने उसे पीछे से जकड़ रखा था...
अपना लंड उसकी गद्देदार गांड में धँसा कर उसके मोटे मुम्मो को निचोड़ रहा था...
उनका रस निकाल रहा था...
उसकी गर्दन पर होंठ अगाकर उसे ड्रॅक्यूला की तरह चूस रहा था..
लाला ने उसका गाउन उठाकर उसके कुल्हो पर एक जोरदार तमाचा जड़ दिया, ये बहुत था उसके अंदर की आग को भड़काने के लिए.



और लाला अच्छे से जानता था की इस रंडी का अपने बदन पर काबू नही रहता जब एक बार उसपर चुदासी चढ़ जाती है तो...

और वो हो भी रहा था...

वो सिसकारते हुए बोली : "ओह लालाजी......आज हो क्या गया है आपको.....उम्म्म्मममममम..... मैं बोल रही हू ना...बच्ची घर पर ही है ....... अहह...... ऐसा मत करो लालाजी....... अपने गोदाम पर चलो.... वहां जैसा कहोगे.... वैसे मज़े दूँगी..... अहह.... ओह लालाजी.....''

लाला ने मन में सोचा 'तेरी बच्ची को अपने इसी लंड से कल शाम को चोदा है मैने...अब वो कली से फूल बन चुकी है...बच्ची नही रही अब...'

और एक बार फिर से लाला ने उसकी बात अनसुनी करते हुए उसे चूमना और निचोड़ना चालू रखा..

वो भी कसमसाते हुए बोलती रही
और लाला ने जब देखा की वो ज्यादा ही गिटर पीटर कर रही है तो उसे घुमाकर उन्होने अपनी तरफ किया और धक्का देकर नीचे बिठा दिया और अपनी धोती में से अपना विशालकाय लंड निकालकर उसके मुँह में ठूस दिया

बेचारी घों-घों करती हुई लाला के लंड को धकेलने लगी..
पर लाला ने उसकी एक ना सुनी और अपना लंड ठूसकर ही माना उसके मुँह में : "चूस साली.....बढ़ बढ़ करने में लगी है हरामजादी ......तुझ जैसी रांड़ को चुप करवाना मुझे अच्छे से आता है...''

लाला के लंड की महक ही ऐसी नशीली थी की बेचारी कुछ बोल ही नही पाई फिर....
और चुपचाप, मज़े ले-लेकर उनके रामलाल को अपनी थूक से नहलाते हुए चूसने लगी...
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