Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:23 PM,
#53
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
पिंकी की माँ सीमा एकटक होकर लाला को देख रही थी...
क्योंकि लाला अभी तक मूर्ति बनकर अपनी जगह बैठा हुआ था...
उसके चेहरे के भाव बता रहे थे की अंदर से उसका क्या हाल हो रहा है...
और कोई होता तो उसे भी वो पिछले ग्राहक की तरह डाँटकर भगा देता, पर पिंकी के होते हुए, उसकी माँ से बदतमीज़ी करने का साहस लाला में नही था...कहीं ऐसा ना हो की अपनी माँ की बेइजत्ती होती देखकर वो उसके गोडाउन से बाहर निकल आए और सारा खेल बिगड़ जाए.

सीमा : "अर्रे, लाला..ये पत्थर सा बनकर क्यों बैठे हो...सुना नही..2 किलो चावल दे दो...40 वाले..''

लाला : "वो.....वो...क्या है ना....''

लाला को इस तरह से हकलाता देखकर सीमा का दिल धाड़-2 बजने लगा...
उसे शायद पिछली बातें याद आ रही थी...
पिछली यानी करीब 16 साल पहले की बाते...
जब वो नयी-2 ब्याह कर इस गाँव में आई थी...
और तब उसे गाँव की दूसरी औरतों ने लाला से दूर रहने को कहा था..क्योंकि वो गाँव की जवान और नयी ब्याही औरतों को चोदने के लिए बदनाम था...पर उसका रोब ही ऐसा था गाँव में की कोई भी उसके खिलाफ बोलने से भी घबराता था..

पर एक बात और भी थी, जो भी लाला के लंड से एक बार चुद जाती थी, वो उसकी तारीफ किए बिना नही रह पाती थी...

सीमा का पति यानी पिंकी का बाप रामदीन भी उसे संतुष्ट रखने में ज़्यादा कामयाब नही था...
इसलिए अपनी सहेलियो की बातें और लाला की चुदाई के किस्से सुनकर उसके अंदर भी कुछ-2 होने लगा था...
और एक दिन वो बिना किसी काम के ही लाला की दुकान पर पहुँच गयी.

उस दिन लाला ने उसे उपर से नीचे तक ऐसे देखा था जैसे आइस्क्रीम की तरह चाट ही जाएगा...
और देखता भी क्यो नही, एकदम नयी नवेली दुल्हन जो उसके सामने खड़ी थी...



लाला : "अरी सीमा...आजा री दुल्हनिया....आख़िर तेरे दर्शन मिल ही गये इस ग़रीब को...कई दिनों से गाँव के लोगो से तेरी सुंदरता के चरचे सुन रखे थे...आज देखकर लगता है की वो सब सच ही कह रहे थे...''

लाला के मुँह से इस तरह पहली ही बार में अपनी तारीफ सुनकर वो अंदर से काफ़ी खुश हुई...
लाला एकदम तगड़ा आदमी था...
करीब 7 फुट का...रोबीला चेहरा...दादी मूँछे नही हुआ करती थी उन दिनों लाला की, पर चेहरे पर रोब उतना ही था.....
और आँखो की चमक बता रही थी की उसके अंदर कितनी आग भरी हुई है..
बस उसी आग का ताप महसूस करके सीमा अंदर तक सिहर उठी.



सीमा : "लाला....वो...वो .... मूँग की दाल लेनी थी...''

लाला : "अर्रे बहुरिया ...तो इसमें इतना घबराकर बोलने वाली क्या बात है....बोलने में डरना कैसा...चल अंदर...''

सीमा : "अंदर ... ?''

लाला : "अररी....मेरे गोडाउन में ...दाल चावल चीनी तो अंदर ही है ना...यहाँ तो बच्चो का समान रखा है सारा...देख बिस्कुट और लॉलीपॉप ..ये तेरे किस काम के...चल अंदर..''

उसने गर्दन हिलाई और अंदर चल दी..
इस बात से अंजान की अंदर जाते हुए लाला की नज़रें उसके कुल्हो पर थी...
जिन्हे मटकता हुआ देखकर लाला ने अपनी धोती में क़ैद रंगीन मिज़ाज रामलाल को ज़ोर से मसल दिया...



अंदर जाकर सीमा ने देखा की वहां तो घुपप अंधेरा था...
इसी बीच लाला ने आकर अपने हाथो से उसकी कमर को थाम लिया.

वो हड़बड़ा कर साइड में हो गयी

लाला : "ओह्ह ...ये गोडाउन का बल्ब भी आज ही फ्यूज़ होना था....अंधेरे में कुछ देखना भी मुश्किल है....अररी बहुरिया....देख ज़रा...वो सामने के रैक्क पर जो दालों के पैकेट रखे है....उनमे से मूँग की दाल ढूँढ ला ज़रा....''

बेचारी सीमा को पता नही था की ये लाला की चाल थी..
जो वो अक्सर अपने नये शिकार पर इस्तेमाल करता था...
और हर बार शिकार उसके जाल में फँस भी जाता था...

लाला का लंड तो हमेशा की तरह एक नये शिकार को देखकर पूरा खड़ा हो चुका था...
इसलिए उसने अपने लंड को धोती से बाहर निकाल लिया...
अंधेरा इतना था की हाथ को हाथ सुझाई नही दे रहा था...
ऐसे में लाला का वो काला भूसंड रामलाल कैसे दिखता भला उस बेचारी को...

वो अपने हाथ आगे करके दीवार से सटे लोहे के रैक्क पर लगे दाल के पैकेट्स को खंगालने लगी...
और ऐसा करते-2 वो धीरे-2 आगे बढ़ रही थी...
लाला थोड़ी दूर जाकर उन दालों के आगे खड़ा हो गया...
और जैसे ही सीमा के हाथ लहरा कर अगले रैक्क की तरफ आए, लाला ने अपना शरीर आगे कर दिया...
सीमा के हाथ लाला के नंगे लंड से आ टकराए...
एक पल के लिए तो उसे कुछ समझ नही आया की वो क्या है..
पर जब लाला ने एक झटका मारकर उस लंड नुमा घोड़े को थोड़ा हिनहिनाया,तब उसे एहसास हुआ की वो क्या पकड़ लिया है उसने , वो बेचारी एकदम से घबरा गयी और उसने हल्की चीख मारकर उसे छोड़ दिया..

लाला : "अर्रे...पगली....काहे डर रही है री....ये कोई बुरी चीज़ थोड़े ही है.... ये तो मज़ा देन खातिर भगवान ने हम मर्दो को दिया है ताकि तुम औरतन को सुख बाँट सके...''

इतना कहकर लाला फिर से उसके करीब आया और उसकी कमर में हाथ डालकर उसे जकड़ लिया...
लाला का लंड सीधा सीमा की चूत को छू रहा था..

सीमा के लिए ये एकदम नया और अजीब था...

इसलिए वो डर रही थी...
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:23 PM

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