kamukta Sex kahaaniya किरण की कहानी
07-12-2017, 12:30 PM,
#19
RE: kamukta Sex kahaaniya किरण की कहानी
अब फिर से वो ऐसे बैठ गई जैसे हम दोनो की चूते टच हो रही थी और आगे पीछे होने लगी और बताया के मेरी मम्मी जब पापा के ऊपेर बैठ ती है तो ऐसे ही हिलती रहती है. हमारी चूते एक दूसरे से रगड़ खा रही थी और हमे बोहोत ही मज़ा आ रहा था दोनो की चिकनी चिकनी बिना बालो वाली मसके जैसे चूते आपस मे रगड़ रही थी. फिर वो थोड़ा सा नीचे को हो गई और मेरी चूत पे किस कर दिया तो मानो मैं पागल जैसी हो गई और मैं ने उसका सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसा दिया और वो किस करते करते अब मेरी चूत के अंदर जीभ डालके चूसने लगी तो मेरे बदन मे ब्लड तेज़ी से सर्क्युलेट होने लगा और दिमाग़ मे सायँ सायँ होने लगी. मुझे लगा जैसे कोई चीज़ मेरी चूत के अंदर से बहेर आने को बे-ताब है पर नही आ रही है और मुझे लगा जैसे सारा कमरा गोल गोल घूम रहा हो इतना मज़ा आ गया मैं अपनी चूत उसके मूह मे रगार्डती रही थोड़ी देर मे यह कंडीशन ख़तम हो गई तो वो बाज़ू मे आ के लेट गई और मुझे अपनी टाँगों के बीच मे लिटा लिया और मेरा सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसा दिया. उसकी मक्खन जैसे चिकनी चूत को किस करना बोहोत अछा लग रहा था और अब उस ने मेरे सर को पकड़ के अपनी चूत मे घुसाना शुरू कर दिया और मेरे मूह पे अपनी चूत को रगड़ने लगी उसकी चूत का टेस्ट मुझे कुछ सॉल्टी लगा पर वो टाइम ऐसा था के हम दोनो मज़े ले रहे थे और फिर उसने मेरे मूह मे अपनी चूत को तेज़ी से रगड़ना शुरू कर दिया और मूह से अजीब आवाज़ें निकालने लगी और फिर वो शांत हो गई. मेरा ख़याल है के स्कूल के दीनो मे ऐसे फ्रेंड्स जो एक दूसरे के घर रात बिता ती है यह चुचिओ को दबाना या चूत की मसाज करना या किस करना सब नॉर्मल सी बात हो गी क्योंकि

श्रुति ने मुझे और अपनी 2 फ्रेंड्स के बारे मे बताया के वो भी ऐसे ही करते हैं शाएद यह उमर ही ऐसी होती है.

खैर तो मैं कह रही थी के आंटी का हाथ मेरी चूत पे लगने से मेरे तन बदन मे एक आग जैसे लग रही थी मेरा दिल ओ दिमाग़ अब श्रुति और मेरी गुज़री हुई पुरानी हर्कतो से हट कर आंटी के तरफ आ गया था. पता नही आंटी ने अब तक क्या बोला मैं तो अपनी और श्रुति की गुज़री हुई बातें ही याद कर रही थी उस दिन के बाद आज किसी फीमेल का स्पर्श मेरी चूत मे महसूस हो रहा था. आक्च्युयली मुझे यह फीमेल वर्सस फीमेल यानी लेज़्बियेनिज़्म पसंद नही है पर वो टाइम ऐसा ही था के मैं फिर से बहेक गई और आंटी के हाथ मे अपनी चूत दे बैठी. अंधेरा बढ़ता जा रहा था सामने की रोड पूरी तरह से खाली हो चुकी थी अब कोई भी नही चल फिर रहे थे रोड पे और हम दोनो बाल्कनी मे बैठे थे. अब आंटी की फिंगर मेरी चूत के लिप्स को खोल के ऊपेर नीचे हो रही थी कभी चूत के सुराख मे उंगली डाल देती तो कभी क्लाइटॉरिस को मसल देती तो मेरा मस्ती के मारे बुरा हाल हो जाता चूत मे से कंटिन्यू जूस निकल रहा थे पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और मुझे पता भी नही चला के कब आंटी ने मेरा हाथ ले के अपनी चूत पे रख दिया और जब मेरा हाथ उनकी चूत पर लगा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा हाथ किसी जलती हुई भट्टी या गरम चूल्‍हे (ओवेन) मैं लगा दिया हो इतनी गरम थी आंटी की चूत. मैं ने भी आंटी की चूत का मसाज शुरू कर दिया और अपनी उंगली अंदर डाल के कभी सुराख मे घुसेड देती तो कभी क्लाइटॉरिस को मसल देती तो आंटी के मूह से आआआआआआहह ऊऊऊऊऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई जैसी आवाज़ें निकल जाती. दोनो ज़ोर ज़ोर से एक दूसरे की चूतो की मसाज कर रहे थे मज़े से दोनो की आँखें बंद हो चुकी थी.

उषा आंटी ने मुझे लिटा दिया और मेरे पैरो के बीचे मे बैठ गई और झुक के मेरी चूत पे किस किया और अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल के चाटना शुरू किया तो मेरी मूह से आआआआआआआआआहह की आवाज़ निकल गयी और मैं ने आंटी का सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसेड दिया और उसी समय मेरी अंगारे जैसे गरम चूत झड़ने लगी मेरी आँखें बंद हो चुकी थी मस्ती मे गहरी गहरी साँसें ले रही थी और फिर आंटी मेरे ऊपेर 69 की पोज़िशन मे आ गई और मेरे मूह पे अपनी चूत को रगड़ने लगी तो मेरा मूह खुल गया और उषा आंटी की चूत को वेलकम किया. उनकी गरम चूत मे से नमकीन गाढ़ा जूस निकलने लगा. मैं ने आंटी की पूरी चूत को अपने मूह मे लेके दांतो से काट डाला तो उनके मूह से चीख निकल गई आआआआआआअहह

और आआआआआआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊऊओह और उनकी चूत मे से जूस निकलने लगा और वो झंडणे लगी. . बहुत देर तक हम बिना कोई बात किए ऐसे ही 69 की पोज़िशन मे लेटे रहे फिर थोड़ी देर के बाद आंटी ने कहा के आज मैं बोहोत दीनो बाद इतना झड़ी हू और बोहोत मज़ा आया. मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था अशोक तो मेरी चूत मे आग लगा के खुद झाड़ के सो जाते और मैं रातों मे तड़प ती रहती ऐसे मैं आंटी के चूत को चूसने से बोहोत सुकून मिला. जब कभी आंटी को झड़ना होता तो वो अपनी चूत को अछी तरह से शेव कर के मेरे पास आती और फिर हम दोनो एक दूसरे को चाट के खल्लास कर ते. आक्च्युयली मेरी चुदाई होने लगी थी अपने बॉस के साथ लैकिन मैं आंटी को इस बात का पता नही चलने देना चाहती थी मैं अपना हर सीक्रेट दूसरे से नही बता ना चाहती इसी लिए आंटी से नही कहा और उनके सामने ऐसी बनी रहती जैसे मेरी चूत बरसों की प्यासी हो और उनके साथ मुझे बोहोत ही मज़ा आता है.

क्रमशः......................
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