Kamukta Stories ससुराल सिमर का
11-28-2017, 01:19 PM,
#1
Smile  Kamukta Stories ससुराल सिमर का
चेतावनी ...........दोस्तो ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन और बाप बेटी के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक पारवारिक सेक्स की कहानी है 



"बेटा, सिमर की याद आ रही है, वो भी रहती थी तो बड़ा मज़ा आता था चुदाई में" माँ ने चूतड. उछालते हुए कहा.

मैं माँ पर चढ कर चोद रहा था. माँ की चूची मुँह से निकाल कर मैंने कहा "अम्मा, तू क्यों परेशान हो रही है, दीदी मस्त चुदवा रही होगी जीजाजी से"

"अरे शादी को तीन महने हो गये घर नहीं आई, पास के शहर में घर है फिर भी फ़ोन तक नहीं करती, मैं करती हूँ तो दो मिनिट बात करके रख देती है. आह & हॅ & बेटे, मस्त चोद रहा है तू, ज़रा गहरा पेल अब, मेरी बच्चेदानी तक, हाँ & ऐसे ही मेरे लाल" माँ कराहते हुए बोली.

मैं झड़ने को आ गया था पर माँ को झडाने के पहले झडता तो वो नाराज़ हो जाती. उसकी आदत ही थी घंटों चुदाने की. और ख़ास कर गहरा चुदवाने की, जिससे लंड उसकी बच्चेदानी पर चोट करे! मैं और कस कर धक्के लगाने लगा. "ले मेरी प्यारी अम्मा, ऐसे लगाऊ? कि और ज़ोर से? और ज़ोर से चुदवाना हो तो घोड़ी बन जा और. पीछे से चोद देता हू"

"अरे ऐसे ही ठीक है, अब अच्छा चोद रहा है तू, कल तो चोदा था तूने पीछे से और फिर गांद मार ली थी, मैं मना कर रही थी फिर भी, ज़बरदस्ती! अब तक दुख रही है" माँ मुझे बाँहों में भींच कर और ज़ोर से कमर हिलाते हुए बोली. "हाँ तो मैं सिमर के बारे में ..."

मुझे तैश आ गया. सिमर दीदी के बारे में मैं अभी नहीं सुनना चाहता था. अपने मुँह से मैंने माँ का मुँह बंद किया और चूसते हुए ऐसे चोदा कि दो मिनिट में झड. कर मचलने लगी. यहाँ उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गढ़ाये, जैसा वह झडते समय करती थी, वहाँ मैं भी आखरी का धक्का लगाकर झड. गया. फिर उसके उपर पड़ा पड़ा आराम करने लगा.

सुस्ताने के बाद उठ कर बोला "अब बोलो अम्मा, क्या बात है? चोदते समय दीदी की याद ना दिलाया कर. झड्ने को आ जाता हू, ख़ास कर जब याद आता है कि कैसे वो तेरी चूत चूसती थी और मैं उसकी गांद मारता था"

"हाँ, मेरी बच्ची को गांद मरवाने का बहुत शौक है. याद है कैसे तू उसकी गांद में लंड डाल कर सोफे पर बैठ कर नीचे से उसकी मारता था और मैं सामने बैठ कर उसकी बुर चाटती थी. हाय बेटे, ना जाने वो दिन कब आएगा जब मेरी बेटी फिर मैके आएगी अपनी अम्मा और छोटे भाई की प्यास बुझाने. तू जाकर क्यों नहीं देख आता बात क्या है? जा तू ले ही आ एक हफ्ते को" अम्मा टाँगें फैलाकर अपनी चूत तौलिए से पोंछते हुए बोली.

"ठीक है अम्मा, कल चला जाता हू. बिन बताए जाऊन्गा, पता तो चले कि माजरा क्या है" माँ की चूचि दबाते हुए मैं बोला.

मेरी अम्मा चालीस साल की है. घर में बस मैं, माँ और मेरी बड़ी बहन सिमर हैं. मेरी उमर सोलहा साल की है. दीदी मुझसे पाँच साल बड़ी है. अम्मा और दीदी का लेस्बियन इश्क चलता है ये मुझे दो साल पहले मालूम हुआ. उसके पहले से मैं दोनों को अलग अलग चोदता था. बल्कि वी मुझे चोदती थीं ये कहना बेहतर होगा. उसके बाद हम साथ चोदने लगे. यह अलग कहानी है, बाद में कभी बताऊन्गा.

दीदी की शादी तीन माह पहले हुई. हमें छोड़. कर जाने को वो तैयार नहीं थी. पर हमने मनाया, ऐसा अच्छा घर फिर नहीं मिलेगा. अच्छा धनवान परिवार, घर में सिर्फ़ जीजाजी याने दीपक, उनके बड़े भाई रजत और सास. दीपक था भी हैम्डसम नौजवान. और शादी तो करनी ही थी, सब रिश्तेदार बार बार पूछते थे, उन्हें क्या जवाब दें! अम्मा ने भी समझाया की पास ही ससुराल है, हर महने आ जाया कर चोदने को.

दीदी ने आख़िर मान लिया पर बोली कि वो तो हर महने आएगी, अगर माँ और छोटे भैया से नहीं चुदाया तो पागल हो जाएगी, हमारे बिना वहाँ रह नहीं सकती थी. इसीलिए जब तीन महने दीदी नहीं आई तो माँ का माथा ठनका कि उसकी प्यारी बच्ची सकुशल है या नहीं.

दूसरे दिन मैं दोपहर को निकला. जाने के पहले माँ की गांद मारने का मूड था. वो तैयार नहीं हो रही थी. मुझसे सैकडों बार मरा चुकी है फिर भी हर बार नखरा करती है. कहती है कि दुखता है. सब झूठ है, उसकी अब इतनी मुलायामा हो गयी है की लंड आराम से जाता है, तेल बिना लगाए भी. पर नखरे में उसे मज़ा आता है. गांद मराने में भी उसे आनंद आता है पर कभी मेरे सामने स्वीकार नहीं करती. दीदी ने मुझे अकेले में बताया था. इसलिए अब मैं उसकी किरकिरा की परवाह नहीं करता.

जाने की पूरी तैयारी करके कपड़े पहनने के बाद मैंने माँ की मारी. सोचा - कम से कम आज का तो सामान हो जाए, फिर तो मुठ्ठ ही मारना है दो तीन दिन. दीदी के ससुराल में तो भीगी बिल्ली जैसे रहना पड़ेगा. बेडरूम से माँ को आवाज़ दी "माँ मैं चला"

माँ आई तो उसे पकड़कर मैंने दीवाल से सटा कर उसकी साड़ी उठाई और लंड ज़िप से निकाला और उसके गोरे चूतडो के बीच गाढ. दिया. फिर कस के दस मिनिट उसे दीवाल पर दबा कर हचक हचक कर उसकी मारी.

वो भी नखरा करके "हाय बेटे, मत मार, बहुत दुखता है, मारना ही है तो धीरे मार मेरे बच्चे" कहती रही. पर मेरे झड्ने के बाद पलट कर साड़ी उठाकर बोली "जाने से पहले चूस दे मेरे लाल, अब दो दिन उपवास है मेरा"

माँ भी क्या चुदैल है, दो मिनिट पहले दर्द से बिलख रही थी, पर चूत ऐसे बहा रही थी जैसे नई नवेली दुल्हन हो. शायद जानबूझ कर दर्द का बहाना करती है, जानती है कि इससे मैं और मचल जाता हू और ज़ोर से गांद मारता हू.

माँ की बुर का पानी चाट कर मैंने मुँह पोंच्छा और फिर कपड़े ठीक करके निकल पड़ा. माँ को वादा किया कि फ़ोन करुँगा और हो सके तो सिमर दीदी को साथ ले आऊन्गा.

दीदी के घर पहुँचा तो शाम हो गयी थी. दीदी की सास शन्नो जी ने दरवाजा खोला. मेरा स्वागत करते हुए बोलीं. "आओ अमित बेटे, आख़िर याद आ गयी दीदी की. मैं सोच ही रही थी कि कैसे अब तक कोई सिमर बिटिया के घर से देखने नहीं आया. वैसे तुम्हारी दीदी बहुत खुश है. मैंने कई बार कहा फ़ोन कर ले पर अनसुना कर देती है"

मैंने उनके पाँव छुए, एकदम गोरे पाँव थे उनके. "मांजी, आपके यहाँ दीदी खुश नहीं होगी तो कहाँ होगी. मैं तो बस इस तरफ आ रहा था इसलिए मिलने चला आया"

मांजी ने मुझे चाय पिलाई. बातें करने लगी. माँ के बारे में पूछा कि सकुशल हैं ना. मैंने कहा कि दीदी नहीं दिख रही है, बाहर गयी होगी शायद तो शन्नो जी बोलीं कि दीदी अभी आ जाएगी, उपर सो रही है. रजत आफ़िस से अभी आया नहीं है. आगे मुझे बोलीं कि आए हो तो अब दो दिन रहो. मैंने हाँ कर दी.

मैं उन्हें गौर से देख रहा था. शन्नो जी माँ से सात आठ साल बड़ी थीं, सैंतालीस अडतालीस के आसपास की होंगी. गोरी चिकनी थीं, खाया पिया भारी भरकम मांसल बदन था, यहा मोटापा भी उन्हें एकदमा जच रहा था. पर साड़ी और घूँघट में और कुछ दिख नहीं रहा था. चेहरा हसमुख और सुंदर था. जब से मैं माँ को चोदने लगा हू, उसकी उमर की हर औरत को ऐसे ही देखता हू. सोचने लगा कि दीदी की सास भी माल हैं, इतनी उमर में भी पूरा जोबन सजाए हुए हैं. पर चांस मिलना कठिन ही है, कुछ करना भी ठीक नहीं है, आख़िर दीदी की ससुराल है, लेने के देने ना पड. जाएँ.

क्रमशः………………..
Reply
11-28-2017, 01:20 PM,
#2
RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
गतान्क से आगे……………

थोडि देर से दीदी के जेठ, जीजाजी के बड़े भाई रजत नीचे आए अठ्ठाईस उनतीस के आसपास उमर होगी अच्छा कसा हुआ शरीर था उन्होंने शादी नहीं की थी, खुद का बिज़ीनेस करते थे अभी थोड़ा पसीना पसीना थे, हांफ रहे थे मुझसे हाथ मिलाया और बोले कि उपर वर्ज़िश कर रहा था शाम को ही समय मिलता है, एक्सरसाइज़ करने का शन्नो जी उनकी ओर देखकर मुस्करा रही थीं

कुछ देर बाद दीदी नीचे आई मैं देखता रह गया क्या सुंदर लग रही थी थोड़ी मोटी हो गयी थी, नहीं तो हमारी दीदी एकदम छरहरी है, माँ जैसी बस मम्मे मोटे हैं, माँ से थोड़े बड़े मेरी तो अच्छी पहचान के हैं उसके मम्मे, कितनी बार चूसा और दबाया है उनको

दीदी भी थकी लग रही थी लगता नहीं था कि सो कर आई है, पर एकदम खुश थी मैंने सोचा कि घर का पूरा काम करना पड़ता होगा अब क्या करें, ससुराल में सब औरतें करती हैं पर खुश तो है, कम से कम कोई तकलीफ़ नहीं देता यहाँ सॉफ है मैंने शिकायत की कि इतनी भी क्या रम गयी ससुराल में कि भाई और माँ को भूल गयी थोड़ी देर की नोक झोक और हँसी मज़ाक के बाद शन्नो जी ने कहा "सिमर बेटी, अमित को उपर ले जा, वो पास वाला कमरा दे दे"

मैं सामान उठा कर दीदी के साथ उपर गया आलीशान घर था चार पाँच बड़े बड़े कमरे थे दीदी ने मेरा कमरा दिखाया और जाने लगी तो मैंने हाथ पकडकर बिठा लिया "क्या दीदी, बैठो, ज़रा हाल चाल सुनाओ" उसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था लगता था सिमर दीदी की अभी मार लूँ, उसका अधिकतर वजन जो बढ़ा था वहाँ छाती पर और कूल्हो पर बढ़ा था इसलिए उसकी गान्ड साड़ी में भी मतवाली लग रही थी

दीदी बैठ गयी बातें करने लगी मैंने उलाहना दिया कि घर क्यों नहीं आई, कम से कम फ़ोन तो किया होता तो बोली "अरे अमित, यहाँ इतनी उलझी हू कि घर आने का समय ही नहीं मिला पर चिंता ना कर, बहुत खुश हू"

मेरा लंड खड़ा हो गया था, पैंट में तम्बू बना रहा था दीदी को दिखाकर धीरे से बोला "देख दीदी क्या हालत है तुझे देख कर माँ की भी बुर पसीज जाती है तुझे याद करके तेरी चुदाई कैसे चल रही है?"

वह आँख मार कर इशारे से बोली बहुत मस्त मैंने हाथ बढ़ाकर उसकी चूचि दबा दी "दीदी मेरे साथ चलो हफ्ते के लिए, नहीं तो यहाँ कुछ चांस दो, तुम्हारी बुर का स्वाद याद आता है तो मुँह में पानी भर आता है"

वो हँसकर बात टालकर बाहर चली गयी "देखूँगी, अभी जाने दो, नीचे मांजी इंतजार कर रही होंगी, खाना बनाना है"

रात को खाना खाते समय सब गप्पें मार रहे थे जीजाजी भी आ गये थे अच्छे हैम्डसम पचीस साल के नौजवान हैं, काफ़ी छरहरा नाज़ुक किस्मा का बदन है, लगता नहीं कि रजत, उनके बड़े भाई होंगे, उनका शरीर तो एकदमा कसा हुआ गठा हुआ है

सब गप्पें मारते हुए एक दूसरे की ओर देखकर बीच बीच में मुस्करा रहे थे ख़ास कर शन्नो जी तो एकदम प्रसन्न लग रही थीं मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था माना कि उनकी बहू का भाई आया है पर इसमें इतना खुश होने की क्या बात है! मेरे चेहरे के भाव देखकर वे बोलीं "बेटे, आज सब खुश हैं क्योंकि तेरी दीदी इतनी खुश है, आख़िर उसका छोटा भाई आया है मैके से" दीदी को देखा तो वह आँखें नीचे करके शरारत से मुस्करा रही थी

रात को दस बजे ही सब सोने चले गये मैं भी अपने कमरे में आ गया जिस तरह से जीजाजी दीदी को देख रहे थे, ज़रूर चुदाई के लिए आतुर थे मेरा खड़ा था माँ की याद आ रही थी यहा भी कल्पना कर रहा था कि जीजाजी कैसे दीदी पर चढे होंगे सिर्फ़ चोदते हैं कि गान्ड भी मारते हैं?

तरह तरह की कल्पना करते हुए मैं बीस पचीस मिनिट लंड से खेला और मज़ा लिया, फिर सहन ना होने पर मुठ्ठ मारने वाला था तभी पास के दीदी के कमरे से हँसने खिलखिलाने की आवाज़ आई तो मन ना माना चुपचाप बाहर आ गया दीदी के कमरे के अंदर बत्ती जल रही थी मैं झुक कर कीहोल से देखने लगा धक्के से दरवाजा ज़रा सा खुल गया, दीदी ने अंदर से ठीक से बंद भी नहीं किया था इसीलिए आवाज़ बाहर आ रही थी मैं अंधेरे में खड़ा होकर अंदर देखने लगा जो देखा तो हक्का बक्का हो गया

अंदर जीजाजी और उनके भाई रजत दीदी पर एक साथ चढे थे रजत दीदी को चोद रहे थे उनका लंड सपासप दीदी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था जीजाजी दीदी की चुचियाँ मसलते हुए उसे चूम रहे थे और गुदगुदी कर रहे थे दीदी हँस रही थी, बीच में जीजाजी ज़ोर से उसकी चूम्ची मसल देते तो दीदी सीत्कार उठती "अरे कैसे बेदर्दी हो जी, जेठजी देखो मुझे कैसे प्यार से चोद रहे हैं, तुम भी ज़रा प्यार से नहीं दबा सकते मेरी चुची?"

जीजाजी बोले "ठहर हरामन, अभी मज़ा ले रही है, अब थोड़ी देर में जब रजत गान्ड मारेगा तो रो पडेगी साली, भैया आज इसकी गान्ड फाड़ ही देना"

रजत बोले "सिमर रानी, बोल, निकाल लूँ लौडा और डाल दूँ गान्ड में?"

दीदी बोली "अरे नहीं मेरे भडवे जेठजी, पूरा चोद कर निकालना साले, नहीं तो कल से चोदने नहीं दूँगी और आप क्या मेरी गान्ड फाडोगे, आप को तो पूरा मैं गान्ड में घुसेड लूँ, किसी को नज़र नहीं आओगे और तुम मेरे चोदू राजा, क्या सूखे सूखे चूचि दबा रहे हो, ज़रा लंड चुसवाओ तो मज़ा आए!"

जीजाजीने लंड दीदी के मुँह में पेल दिया और उसका सिर पकडकर मुँह में ही चोदने लगे उधर जेठजी ने चोदने की स्पीड बढ़ा दी जीजाजी की झांतें शेव की हुई थीं, एकदम बच्चे जैसा चिकना पेट था जेठजी की अच्छी घनी थीं, मेरी तरह

मेरा बुरा हाल था लंड ऐसा फनफना रहा था कि लगता था कि मुठ्ठ मार लूँ उन तीन नंगे बदनों की चुदाई देखकर मन आपे से बाहर हो रहा था दो जवान हैम्डसम मर्द और मेरी चुदैल खूबसूरत बहन और क्या गाली गलौज कर रहे थे! उनकी बातों का मज़ा ही और था माँ और मैं चोदते समय कभी गाली नहीं देते थे!

अब दीदी मस्ती में मछली जैसी छटपटा रही थी रजत ने अचानक लंड चूत से बाहर खींच लिया "छोटे, तेरी ये चुदैल रंडी आज बहुत कीकिया रही है, शायद भाई के आने से खुश है चल साली का कचूमर बना दें आज, मैं गान्ड मारता हु, तू चोद, देखना कैसे मस्ती उतरती है इस भोसडीवाली की, कल भाई के सामने लंगड़ा लंगड़ा कर चलेगी तो समझ में आएगा"

जीजाजी ने लंड दीदी के मुँह से निकाला और उसकी चूत में पेल दिया दीदी झल्ला उठी "साले मादरचोद, चूसने भी नहीं दिया, ओ जेठ जी, आप ही लंड चुसवा लो कि अब भी मेरी गान्ड में घुसाना चाहते हो माल की तलाश में? और भोसडीवाली होगी तेरी अम्मा, मेरी तो जवान टाइट चूत है!"

जीजाजी पलट कर नीचे हो गये और दीदी को उपर कर लिया दीदी की चूत में उनका लंड घुसा हुआ था दीदी की भारी भरकम गान्ड भी अब मुझे सॉफ दिखी पहले जैसी ही गोरी थी पर और मोटी हो गयी थी रजत ने तुरंत लंड अंदर डाल दिया, एक धक्के में आधा गाढ दिया "अरे मार डाला आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह रे , फाड़ दोगे क्या साले हरामी? तेल भी नहीं लगाया" दीदी ने गाली दी

बिना उसकी बात की परवाहा किए रजत ने लंड पूरा अंदर पेल दिया, फिर दीदी के उपर चढ कर उसकी गान्ड मारने लगे "भैया, इसकी चुचियाँ पकड़ कर गान्ड मारो, साली के मम्मे मसल दो, पिलपिले कर दो, बहुत नाटक करती है ये आजकल" जीजाजी ने कहा और रजत ने दीदी की चुचियाँ ऐसे मसालीं कि वो चीख उठी "अरे मर गयी हाईईइ रे आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , ये दोनों मादरचोद की औलाद आज मुझे मार डालेंगे, कोई बचाओ मर गैिईईईईईईईईईईईईईईईईई रीईईईई"

जीजाजी ने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया और फिर दोनों भाई उछल उछल कर मेरी बहन को आगे पीछे से चोदने लगे उसके शरीर को वो ऐसे मसल रहे थे जैसे कोई खेल की गुडिया हो पलंग पर लोट पोट होते हुए वे दीदी को चोद रहे थे कभी जीजाजी उपर होते कभी जेठजी

दीदी की दबी दबी चीखें सुनकर मुझे बीच में लगा कि बेचारी दीदी की सच में हालत खराब है, बचाया जाए क्या अंदर जा कर, पर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्या चुद रही थी दीदी, किसी रंडी जैसी आगे पीछे से! एक बार जब जीजाजी का मुँह दीदी के मुँह से हटा तो वह मस्ती में चिल्लाने लगी "चोदो सालो, गान्डुओ चोद डालो, मेरी गान्ड का भूरता बना दो, माँ कसम क्या मज़ा आ रहा है"

क्रमशः………………
Reply
11-28-2017, 01:20 PM,
#3
RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
गतान्क से आगे……………

याने मेरी दीदी भी उतनी ही चुदैल थी जितने ये दोनों चोदू! मैं जोश में ना जाने क्या करता, मुठ्ठ तो ज़रूर मार लेता पर पीछे से किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया चौंक कर मैंने मुड कर देखा तो मांजी थीं अंधेरे में ना जाने मेरे पीछे कब आकर खडी हो गयी थीं मैं सकते में आ गया समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहू, क्या सफाई दूँ, पर उन्होंने मुझे चुप रहने का इशारा किया और हाथ पकडकर एक कमरे में ले गयीं दरवाजा बंद किया वो उन्हीं का बेडरूम था

"तो अमित बेटा, पसंद आया मेरे बेटों का खेल?" उन्होंने पूछा वे एक गाउन पहने थीं गाउन में से उनकी मोटी मोटी लटकती चूचियो का आकार दिख रहा था पेट भी कुछ निकला हुआ था आख़िर इस उमर में औरतों का होता ही है, माँ का भी थोड़ा बहुत है हाँ माँ का बाकी बदन वैसे काफ़ी छरहरा है, शन्नो जी की तुलना में तो वह बच्ची लगेगी

मेरा कस कर खड़ा था कुछ कुछ समझ में आ रहा था दीदी के घर ना आने का राज़ शन्नो जी ने मेरा हाथ पकडकर पलंग पर बिठा दिया, आगे बोलीं "अरे शामा को तू जब आया था तो असल में रजत तेरी दीदी को चोद रहा था क्या छिनाल लड़की है, दिन रात चुदवाती है फिर भी मन नहीं भरता उसका सुबह दीपक चोद कर जाता है, दिन में उसका बड़ा भाई रजत चोदता है, रात को दोनों से चुदवाती है तब सो पाती है, वैसे मायके में भी वो खुश थी, मुझे बता रही थी कि उसके माँ और भाई उसे कितना प्यार करते हैं"

मैं थोड़ा शरमा गया कि घर की बात यहाँ पता चल गयी! "अरे शरमाता क्यों है, तू भी तो अच्छा ख़ासा चोदू है, सोलह साल का है फिर भी माहिर है, तेरी दीदी तो तेरी बहुत तारीफ़ करती है"

मैं चुप रहा शन्नो जी ने अपना गाउन उतार दिया "अब तू मेहमान है, तेरी खातिर करना मेरा फ़र्ज़ है तेरी दीदी तो वहाँ व्यस्त है, मुझे ही कुछ करना पड़ेगा वैसे पता नहीं मैं तुझे अच्छी लगती हू या नहीं, तेरी माँ तो अच्छी खूबसूरत है, फिगर भी मस्त है, मैं उनके सामने क्या हू"

शन्नो जी अब नंगी मेरे सामने खडी थीं पुरी सेठानि थीं, एकदम गोरा पके पपीते जैसा गोल मटोल बदन, पके पिलपिले पपीते सी बड़ी बड़ी लटकी चुचियाँ, मुलायम तोंद, नीचे शेव की हुई गोरी पाव रोटी जैसी बुर और झाड के तने जैसे मोटे पैर जब मुडी तो उनकी पहाड सी गोरी गान्ड देखकर मुँह में पानी आ गया कुछ कुछ समझ में भी आ गया वहाँ दीदी के साथ जो हो रहा था, वहाँ शन्नो जी की सहमति से ही हो रहा था

"आप तो बहुत खूबसूरत हैं अम्माजी, अब मैं क्या कहू!" मैंने जवाब दिया शन्नो जी ने आकर मेरे कपड़े उतार दिए "तो चलो शुरू हो जाओ, छप्पन भोग तेरे सामने हैं, जो भोग लगाना हो लगा लो"

मेरा लंड देख कर उनका चेहरा खिल उठा "अरे अमित बेटे, क्या लंड है तेरा? सिमर बेटी ने बताया था पर विश्वास नहीं होता था, कितना लंबा है? दस इंच?"

"नहीं मांजी, आठ इंच है पर काफ़ी मोटा है, आप को देख कर और खड़ा हो गया है इसलिए आपको दस इंच का लगता है" मैंने जवाब दिया वैसे मेरा लंड है एकदम जानदार, तभी तो माँ और दीदी मेरी दीवानी हैं दीदी की चुदाई के समय देखा था, जीजाजी का बहुत प्यारा लंड था पर मुझसे दो इंच छोटा था जेठजी का अच्छा ख़ासा था, मुझसे बस ज़रा सा छोटा

"अब आजा मेरे बेटे, तंग मत कर मैं तो चूसून्गि पहले, इतना मस्त लंड है तो मलाई भी गाढी होगी" कहकर मांजी ने मुझे पलंग पर लिटा दिया फिर मेरा लंड चूसने लगीं लगता है बहुत तजुर्बा था, एक बार में पूरा निगल लिया

मुझे मज़ा आ गया पर अब मुझसे नहीं रहा जा रहा था "मांजी, ज़रा ऐसे घूमिएे, मैं भी तो आपकी बुर का मज़ा लूँ"

बिना लंड मुँह से निकाले शन्नो जी घूम कर उलटी मेरे उपर लेट गयीं उनका भारीभरकम अस्सी किलो का वजन मेरे उपर था पर मुझे फूल जैसा लग रहा था मैंने उनकी टाँगें अलग कीं और उंगली से वो गोरी चिकनी बुर खोली फिर उसमें मुँह डाल दिया बुर से सफेद चिपचिपा पानी बह रहा था मैं उसपर ताव मारने लगा

माँ की बुर का पानी अब थोडा पतला हो गया है, कम भी आता है, दीदी का बड़ा गाढा है और खूब निकलता है पर शन्नो जी का इस उमर में भी शहद था और जम के बह रहा था जाने क्या खाती हैं जो इस उमर में भी ऐसी रसीली चूत है- मैं सोचने लगा लंड चूसते हुए मांजी ने मेरी कमर को बाँहों में जकड लिया था और मेरे चूतड प्यार से सहला रही थी बीच बीच में उनकी उंगली मेरे गान्ड के छेद को रगडने लगती थी

दो बार शन्नो जी झडी और मुझे ढेर सा शहद चखाया मैंने झड कर उन्हें पाव कटोरी मलाई पिला दी, हिसाब बराबर हो गया

उठकर शन्नो ज़ीने मुझे गोद में ले लिया एक मोटी चुची मेरे मुँह में दे दी मुझे चुसाते हुए बोलीं "बड़ा प्यारा है तू बेटे, मलाई तो जानदार है ही, बुर भी अच्छी चूसता है अब हफ्ते भर यहीं रह मज़ा करेंगे"

मैंने चुची मुँह से निकाल कर कहा "मांजी, आप इतनी गरम हैं, कैसे आपका काम चलता है? मैं तो आज ही आया हू, जब मैं नहीं था तो आप क्या करती थीं?"

"अरे सब जान जाएगा, रुक तो सही यहाँ रहेगा तो बहुत सीखेगा और मज़ा भी लेगा ये बता, माँ को तू कब से चोदता है? पहले दीदी को चोदा या माँ को?"

मैंने सब बता दिया कि दीदी ने मुझे पहले चोदना शुरू किया, बचपन में हम एक कमरे में सोते थे इसलिए चुदाई शुरू करने में कोई तकलीफ़ नहीं हुई जब दीदी को पता चला कि मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया है, तब से वह मुझसे चुदवाने लगी उसके पहले भी वह मुझसे चूत चुसवाती थी और अपनी चुचियाँ मसलवाती थी पहले पहले तो उसने ज़बरदस्ती की थी, बड़ी बहन का हक जता कर बाद में किशोरावस्था शुरू होने पर मुझे भी मज़ा आने लगा जब मेरा लंड खड़ा होने लगा तो उसके बाद तो मज़ा ही मज़ा था

ना जाने माँ को कैसे पता चला गया कि मेरा लंड खड़ा होने लगा है तब उसने तुरंत मुझे अपने पास सुलाना शुरू कर दिया और पहली ही रात मुझसे चुदवा लिया बाद में पता चला कि दीदी ने उसे बताया था कि उसका बेटा जवान हो गया है दीदी और माँ का चक्कर बहुत पहले से ही था, जब मैं छोटा था तब दोपहर को और रात को मेरे सोने के बाद दोनों लिपट जाती थीं

जब एक दिन मुझे पता चल गया तो दोनों मिल कर मुझसे सेवा कराने लगीं हम साथ साथ माँ के कमरे में सोने लगे सेक्स की ये भूख हमारे खून में ही है ऐसा माँ ने बाद में मुझे बताया था

मेरी कहानी सुन कर शन्नो जी बोलीं "अरे ये ही हाल हमारे यहाँ है, चलो अच्छा हुआ हमारे खानदान मिल गये मैं तो मना रही थी कि किसी ऐसे ही चुदैल खानदान की चुदैल बहू मुझे मिले"

फिर मेरा कान पकडकर बोलीं "तो मादरचोद कैसा लगा मेरी बुर का रस, मज़ा आया? अरे साले, ऐसे आँखें फाड़ कर क्या देखता है हरामी?"

उनकी गाली सुनी तो पहले मैं सुन्न हो गया फिर उनको हँसते देखा तो तसल्ली हुई मज़ा भी आया वी बोलीं "अरे चोदते समय खुल कर गाली गलौज करना चाहिए, मज़ा आता है तेरी दीदी कैसे अपने पति और जेठ को गाली दे रही थी, सुना नहीं?" मेरे लंड को पकडकर बोलीं "देख, इसे तो मज़ा आया, फिर खड़ा हो गया है"

मैं भी इस मीठी नोक झोंक में शामिल हो गया "और क्या, आप जैसी चुदैल औरत का ये पका पका रूप दिखेगा तो साला लंड उठेगा ही, मेरे जैसे जवान लौंदों पर डोरे डालती हैं आप छिनाल कहीं की, अब ये बताइए कि आप को चोदू या गान्ड मारूं, माँ की चूत की कसम, आप की फाड़ दूँगा आज रंडी मांजी"

"बहुत अच्छे आमित, बस ऐसे ही बोला कर और गान्ड तो मैं नहीं मराऊन्गि, फडवानी है क्या! पर आ जा मेरी चूत में आ जा, हाय तेरे जैसे हसीन छोकरे को तो मैं पूरा अंदर घुसेड लूँ" और पलंग पर चूत खोल कर पाँव फैला कर लेट गयीं मैं चढ गया और लंड पेल दिया पुक्क से पूरा अंदर समा गया जैसे चूत नहीं, कुआँ हो "साली चूत है या भोसडा?" मैंने कहा "और इतनी चिकनी, बच्ची जैसी! आप शेव करती हो ना रोज?"

"हाँ बेटे, चिकनी चूत ज़्यादा अच्छे से चुसती है, मैं तो चूत चुसवाने की शौकीन हू, अब बातें ना कर और चोद साले मादरचोद मुझे, देखू कुछ दम है या ऐसे ही बोलता है? देखू तेरी माँ बहन ने कितना सिखाया है तुझे, भोसडीवाले!" और मुझे पकडकर वे चूतड उछालने लगीं

मैं शुरू हो गया उनके भोसडे में लंड आराम से सटक रहा था दो मिनिट बाद अम्माजीने चूत सिकोड ली और मुझे लगा जैसे किसी कुँवारी चूत को चोद रहा हू मेरे चेहरे को देख वे हँसने लगीं "अरे तूने देखे नहीं है मेरी चूत के कारनामे, चल चल अपना काम कर हरामी की औलाद, तेरी दीदी की सास को खुश कर"

क्रमशः………………
Reply
11-28-2017, 01:20 PM,
#4
RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—4

गतान्क से आगे……………

मैंने उन्हें मन भर के चोदा कभी उनका मुँह चूसता तो कभी चुची मुँह में ले लेता माँ को भी खूब देर चुदाने का शौक था इसलिए मुझे बिना झडे घंटों चोदने की आदत थी जब पहली बार शन्नो जी झडी तो सिहरकर मुझे चिपटा लिया "हाय राजा, मार डाला रे, तू तो बड़ा जुल्मी है बेटे"

मैंने और कस के धक्के लगाते हुए कहा "ठहर जाओ रंडी सासूजी, अभी क्या हुआ है, आज आपके भोसडे को इतना चौड़ा कर दूँगा कि आपके दोनों बेटे फिर उसमें घुस जाएँगे"

आधे घंटे चोदने के बाद मैं झडा तब तक चोद चोद कर शन्नो जी की हवा टाइट कर दी थी बाद बाद में तो वे रीरियाने लगी थीं "अब छोड़ दे रे बेटे, रुक जा ओ गान्डू, अब नहीं रहा जाता, कितना चोदेगा? आदमी है या घोडा?" पर मैंने उनका मुँह दबोच कर चोदना चालू रखा

बाद में सुसताने के बाद वे बोलीं "तू तो हीरा है रे हीरा, अब यहीं रह मेरी चूत में घर ना जा, तेरी अम्मा ने बहुत चुदा लिया, अब हमारी सेवा कर इतनी भयानक चुदाई बहुत दिनों में नसीब हुई है"

मैं भी उनकी चुची मुँह में लिए पड़ा था, उनके खजूर जैसे निपल को चूस रहा था क्या औरत थी! एकदम माल था! तभी पीछे से आवाज़ आई "लो अम्मा, तुम शुरू हो गयीं? मुझे मालूम था, ऐसे चिकने छोकरे को तुम क्या छोडोगी" पीछे देखा तो जेठजी खड़े थे मुझे अटपटा लगा और मैं उठने लगा तो बोले "अरे लेटा रहा यार, मज़ा कर, हमारी अम्मा भी चीज़ है, सब को नसीब नहीं होती"

शन्नो जी ने उनसे पूछा "हो गया तुम लोगों का? बहू सोई या नहीं? तुम लोग आ रहे हो यहाँ?"

"अरे वो रांड़ क्या सोएगी इतनी जल्दी! अभी अभी लंड चुसवा कर आ रहा हू अब रजत चुसवा रहा है इसके बाद एक बार और चोदेम्गे तब सोएगी साली आज अम्मा तुम आमित को निचोड़ लो रात भर, नया नया लौंडा है, तुम मज़ा कर लो अकेले में, मैं चलता हू, वहाँ वो साली रंडी फिर तडप रही होगी" रजत चले गये

मैंने अंमाजी की ओर देखा "तो अंमाजी, यहाँ भी "

मेरी बात काटकर वी बोलीं "तो क्या, तुझे लगता है कि तू ही एक मादरचोद है? अरे मेरे बेटों को तो मैं बचपन से साथ सुलाती हू रजत तो शादी नहीं कर रहा था, बोलता था क्या फ़ायदा, अम्मा से बढ़िया चुदैल कहाँ मिलेगी पर तेरी बहन का रिश्ता आया तो मैंने मना लिया सिमर को देखकर ही मैं समझ गयी थी कि हरामी छोकरी है, बहुत चुदवायेगी अब देख सब कैसे खुश हैं"

मैंने फिर पूछा "तो अब आप लोग क्या करते हो साथ साथ दीदी के आने के बाद?"

वी बोलीं "सब समझ जाएगा अब इधर आ, मैं लंड चूस कर खड़ा कर देती हू, आज तो रात भर चुदवाऊन्गि तुझसे"

उस रात मैंने मांजी को दो बार और चोदा सोने में रात के तीन बाज गये एक बार शन्नो जी ने मुझपर चढ कर चोदा और एक बार मैंने पीछे से कुतिया स्टाइल में उनकी ली जब वे मुझपर चढ कर उचक रही थीं तो उनकी उछलती चूचिया देखते ही बनती थीं कुतिया स्टाइल में भी उनके मम्मे लटक कर ऐसे डोल रहे थे जैसे हवा में पपीते पीछे से उनकी चौडी मुलायम गान्ड को देखकर मेरा मन हुआ था कि गान्ड मार लूँ पर उन्होंने मना कर दिया

सुबह सब देर से उठे रविवार था इसलिए छुट्टी थी नाश्ते के टेबल पर सब ऐसे बोल रहे थे जैसे कुछ हुआ ही ना हो मैं ही कुछ शरमा रहा था सोच रहा था कि रात की बातें सपना तो नहीं थे वे मेरी परेशानी देख कर हँस रहे थे जीजाजी ने प्यार से समझाया "अमित, अब दोपहर को देखना, कल का तो कुछ भी नहीं था"

दीदी हँस रही थी "सम्हल कर रहना आमित भैया, यहाँ तो सब एक से एक हैं अम्माजी को ही देखो, जब से तेरे बारे में बताया, यहीं बोलती थीं कि अरे बुला लो उस छोरे को अच्छा हुआ तू कल आ गया नहीं तो कोई तुझे लेने आ जाता"

नाश्ते के बाद सब फिर दो घंटे को सो लिए रात भर की थकान जो थी दोपहर के खाने के बाद जब घर के नौकर चले गये तो सब दीदी के बेडरूम में जमा हुए मैंने देखा कि वहाँ का पलंग दो डबल बेड के बराबर का था सात आठ लोग सो जाएँ इतना बड़ा

कमरे में आकर सब ने कपड़े उतारना शुरू कर दिए सब से पहले अम्माजी और दीदी नंगी हो गयीं दीदी की जवान मादक जवानी और शन्नो जी का मोटा गोरा पके फल सा बदन देख कर मेरा तन्ना गया था पर मैं कपड़े निकालने में सकुचा रहा था उधर जीजाजी और जेठजी भी नंगे हो गये अच्छा ख़ासे हैम्डसम थे दोनों, रजत का कसरत किया हुआ शरीर था और दीपक जीजाजी का शरीर अच्छा चिकना छरहरा नाज़ुक सा था! दोनों के लंड खड़े थे, जीजाजी का करीब छह इंच का होगा रजत का करीब मेरे जितना, याने साढ़े सात आठ इंच का होगा पहली बार पास से मैं नंगे जवान लंडों को देख रहा था, एक अजीब सा रोमांच मुझे होने लगा

कपड़े निकालने की मेरी हिचकिचाहट देखकर शन्नो जी बोलीं "अरे बहू, शरमा रहा है तेरा भाई, तू ही निकाल दे इसके कपड़े"

दीदी लचकते हुए मेरे पास आई "क्या शरमाते हो भैया लड़कियों जैसे, चलो निकालो" उसने मुझे नंगा कर दिया

जीजाजी ने सीटी बजाई "साले, तेरा लंड तो एकदमा जोरदार है, तभी अम्मा कल हमारे कमरे में नहीं आईं, मज़ा ले रही थी अकेले अकेले"

शन्नो जी ने मुझे पकडकर एक कुर्सी पर बिठा दिया "रस्सी लाओ बहू या रूको, रस्सी नहीं, दो तीन ब्रा ले आ, तेरी और मेरी" दीदी जाकर अलमारी से ब्रा निकाल लाई घर में तो वे दोनों शायद पहनती ही नहीं थीं

दीदी और उसकी सास ने मिलकर ब्रा से मेरे हाथ और पाँव कुर्सी के पैरों से बाँध दिए बड़ा मज़ा आ रहा था, उन रेशमी मुलायम ब्रा का स्पर्श ही मुझे मदहोश कर रहा था शन्नो जी मुझे छूआ कर बोलीं "घबरा मत बेटे, ज़रा तरसाना चाहते हैं तुझे अब बैठ और हमारा खेल देख देख कैसे हमारा परिवार आपस में प्यार करता है ज़रा मज़ा ले, फिर तुझे भी परिवार में शामिल कर लेंगे" दीदी ने मुझे देखा और मुँह बना कर चिढाने लगी कि ले भुगत

अम्माजी ने उसे पकडकर पलंग पर खींचते हुए कहा "आजा बहू, यहाँ लेट जा रजत, दीपक, आओ, साले राजा को दिखाओ कि हम उसकी बहन को कितना प्यार करते हैं, ससुराल में उसका कितना ख़याल रखते हैं"

दीदी को पलंग पर लिटा के शन्नो जी ने उसे बाँहों में भर लिया और चूमने लगीं "मेरी बेटी, मेरी दुलारी, तेरे कारण इस घर में रौनक आ गयी है, आ मुझे अपना चूमा दे एक मीठा सा"

सिमर दीदी ने अपनी सास के गले में बाँहें डाल दीं और उनका मुँह चूमने लगीं जीजाजी और जेठजी उनके पास में बैठ कर दीदी के शरीर को सहलाने लगे दोनों ने एक एक मम्मा मुँह में लिया और दबाते हुए चूसने लगे रजत ने दो उंगलियाँ दीदी की चूत में डाल दीं दीदी अब अपना मुँह खोल कर शन्नो जी की जीभ चूस रही थी

मन भर के दीदी को अपनी जीभ चुसवाकर अम्माजी उठीं मुझे बोलीं "देख, कैसे तेरी बहन कैसी प्यासी है मेरे चूबनों की, अब इसे अपनी बुर का प्रसाद देती हू तेरे सामने, बड़ी भाग्यवान है तेरी बहन जो अपनी सास की बुर से प्रसाद पाती है रोज दीपक तू बहू की बुर चूस, गरम कर, देख झडाना नहीं, उसका पानी बाद के लिए रख, तू लेटी रह बेटी, मैं आती हू तुझे तेरा मन पसंद रस चखाने को"

दीदी के सिर को तकिये पर रख कर शन्नो जी उसके दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गयीं और अपनी चूत को दीदी के मुँह में दे दिया दीदी उसे ऐसे चूसने लगी जैसे जनम जनम की प्यासी हो मुझे अब शन्नो जी के महाकाय गोरे चूतड दिख रहे थे जो धीरे धीर उपर नीचे हो रहे थे वे दीदी के मुँह को चोद रही थीं "अरी ओ रांड़, भूल गयी मैंने जो सिखाया था, जीभ डाल मेरी चूत में और चोद, ज़रा मुझे भी तो तेरी जीभ को चोदने का मौका मिले"

रजत जीजाजी सिमर दीदी के मम्मों को दबाते और चूसते रहे रजत खिसककर दीदी की टाँगों के बीच आ गये और उसकी बुर पर जीभ चलाने लगे शन्नो जी ने दीदी की जीभ को पाँच मिनिट चोदा और फिर सिसककर उठ बैठीं "हट रजत, अब तू बहू के मम्मे दबा, दीपक, अपनी पत्नी को अपना लंड दे चूसने को" और खुद रजत की जगह लेकर दीदी की बुर को चाटने लगीं "आमित बेटे, बड़ी मीठी है रे तेरी बहन, तुझे तो मालूम है, अरे हम तीनों को इसकी बुर का ऐसा चसका लगा है कि स्वाद लिए बिना मज़ा ही नहीं आता"

क्रमशः………………
Reply
11-28-2017, 01:20 PM,
#5
RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—5



गतान्क से आगे……………



दीदी की यहाँ मीठी हालत देखकर मैं पागल सा हो गया था लंड लोहे जैसा हो गया था उधर वे चारों भी अब फनफना रहे थे अम्माजी ने जेठजी का लंड मुँह में ले लिया और दीदी की बुर में अपनी उंगलियाँ अंदर बाहर करने लगीं जीजाजी अब दीदी को लंड चुसाते हुए अपनी माँ की बुर चूस रहे थे चारों शरीर ऐसे आपस में उलझे थे कि पता ही नहीं चल रहा था कि कौन क्या कर रहा है



शन्नो जी बोलीं "अब नहीं रहा जाता चलो शुरू करो ठीक से तुम दोनों नालायको, चलो आओ और ठीक से हम दोनों औरतों की सेवा शुरू करो" जीजाजी ने लंड दीदी के मुँह से निकाला और अपनी माँ से चिपट कर उनकी चुचियाँ चूसने लगे और रजत दीदी पर चढ कर उसके मम्मे दबाते हुए उसे चूमने लगे



जल्द ही फिर लंड और बुर चूसाई शुरू हो गयी रजत अपनी माँ की बुर चूस रहे थे दीदी उनका लंड चूस रही थी और जीजाजी दीदी की बुर में मुँह डाले पड़े थे बार बार वे जगह बदल लेते, बस चुदाई नहीं कर रहे थे



शन्नो जी ने दीदी की कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी ओर खींचा "बहू, अब अपनी बुर का पानी पिला दे तरीके से, परसों चुसी थी, तरस गयी तेरे जवान रस को, और रजत, तू आजा, मेरी चूत चूस ले, आज बहुत पानी पिलाऊन्गि तुझे और दीपक बेटे, आ अपना लंड दे दे मेरे मुँह में"



आधे घंटे यही कार्यक्रमा चलता रहा मांजी ने मन भर कर दीदी की बुर चुसी दीदी उनके सिर को जांघों में जकड कर धक्के मार रही थी "चूसो सासूमा, अरे तेरी यह बहू तेरे को इतना अमृत पिलाएगी कि तीरथ जाने की ज़रूरत नहीं पडेगी चल छिनाल, जीभ डाल अंदर, जीभ से चोद मुझे रांड़"



रजत जीजाजी अपनी माँ के सिर को अपने पेट से चिपटाकर चोद रहे थे "तेरा मुँह चोदू मेरी छिनाल माँ, क्या साली का गला है नरम नरम, अभी तेरे को मलाई खिलाता हू अपने लौडे की"



रजत जीजाजी जल्द ही झड गये उनका लंड खाली करके शन्नो जी बोलीं "इतने से क्या होगा बेटे, दीपक तू उपर आ जा, काफ़ी बुर का शरबत पी लिया मेरा, अब मुझे मलाई खिला बहू तू अब अपनी सासूमा का और प्रसाद ले ले, जल्द कर छिनाल, मेरे सिर को कैसे अपनी टाँगों में दबा रही थी, अब तेरा मैं क्या हाल करती हू देख रंडी की औलाद रजत, तूने मज़ा ले लिया ना, अब अपनी बीबी की चूत चूसकर ज़रा विटामिन पा ले"



रजत का लंड उन्होंने मुँह में लिया और अपनी टाँगें फैलाकर दीदी का मुँह अपनी बुर से सटा दिया फिर कस के उसे अपनी मोटी मोटी जांघों में भींचकर पैर चलाने लगीं दीदी के मुँह से गों गों की आवाज़ निकलने लगी वह अम्माजी के पैरों को अलग करके अपना सिर छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर शन्नो जी की मोटी मोटी जांघों की ताक़त का उसे अंदाज़ा नहीं था आख़िर उसने हार मान ली और चुपचाप शन्नो जी की बुर में मुँह दिए पडी रही रजत को अपनी बुर चुसवाते हुए उसने अम्माजी के चूतडो को बाँहों में भर लिया



आख़िर शन्नो जी ने सब को रुकने को कहा जब वे चारों अलग हुए तो मैं पागल होने को था शन्नो जी को पुकार कर मैंने मिन्नत की "अम्माजी, मैं मर जाऊन्गा, मुझे छोडो, अब चोदने दो, किसी को भी चोदने दो"



सब उठकर मेरे पास आए वे सब भी बुरी तरह मस्त थे रजत जेठजी और दीपक जीजाजी अपने अपने लौडे हाथ में लेकर मुठिया रहे थे दीदी की साँस तेज चल रही थी, वह अपने ही मम्मे दबा रही थी मांजी अपनी बुर में उंगली कर रही थीं मेरे पास आईं और बोलीं "चलो सब तैयार हैं मैच खेलने को, अब इस लौम्डे का क्या करें? ये भी पूरा तैयार है, लंड देख, घोड़े जैसा हो गया है"



सब बारी बारी से मेरे लंड को हाथ में लेकर देखने लगे ख़ास कर रजत और दीपक ने तो बड़ी देर तक उसे हाथ में लेकर मुठियाया "क्या जानदार जानवर है सिमर! अम्मा, इसे किसके किस छेद में डालें, जहाँ भी जाएगा, तकलीफ़ भी देगा और मज़ा भी देगा" रजत बोले



शन्नो जी बोलीं "इसी से पूछते हैं, अमित, पहले एक वायदा कर तब छोड़ूँगी तुझे"



मैंने मचल कर कहा "कुछ भी करा लो मुझसे अम्माजी, आपकी गुलामी करूँगा जनम भर, बस रहम करो, ये लंड मार डालेगा अब"



शन्नो जी बोलीं "अपनी माँ को यहाँ ले आना अगले हफ्ते, बेचारी मेरी समधन ही अकेली है उधर फिर जुडेगा पूरा कुनबा, तीन मर्द, तीन औरतें मुझे भी समधन से ठीक से गले मिलना है, शादी में तो कुछ भी बातें नहीं कर पाई"



सिमर दीदी अपनी चूत में उंगली करते हुए बोली "हाँ भैया, ले आओ अम्मा को, तीन महने हो गये उसका प्रसाद पाए इन लोगों को भी माँ का प्रसाद मिल जाए तो मुझे अच्छा लगेगा" फिर आँख मार कर हँसने लगी



दीपक जीजाजी बोले "अरे हाँ भाई, हमें भी तो अपनी सास की सेवा करने दो, दोनों भाई मिलकर उनकी खूब सेवा करेंगे, है ना भैया?"



रजत बोले "बिलकुल, शादी में देखा था, बड़ी सुंदर हैं बहू की माताजी, मैं तो अपनी अम्मा मान लूँगा उनको"



मेरा हाल और बुरा हो गया कल्पना की कि ये सब मिलके माँ के साथ क्या करेंगे, तो ऐसा लगा कि लंड सूज कर फट जाएगा



"तो बोल माँ को ले आएगा?" अंमाजी ने पूछा मैंने मूंडी हिलाकर हाँ कहा दीदी ने सब ब्रा खोल दीं मैं उठा और लंड हाथ में लेकर खड़ा हो गया शन्नो जी की ओर देखने लगा कि कौन मुझे गले लगाएगा?



वे दीदी को बोलीं "इतने दिनों से भाई मिला है, तू भाई के साथ मज़ा कर बहू दीपक को भी साथ ले ले, जीजा साले को भी आपस में मिलने दे मैं रजत बेटे को कहती हू कि ज़रा माँ की सेवा करे आ रजत"



रजत ने शन्नो जी की कमर में हाथ डाल कर उठा लिया और चूमते हुए पलंग पर ले गये मैं देखता ही रह गया, इतनी आसानी से उनका अस्सी किलो का बदन रजत ने उठाया था कि जैसे नई नवेली दुल्हन हो शन्नो जी मेरे इस अचरज पर हँस कर बोलीं "अरे बचपन से ये दोनों उठाते हैं मुझे ऐसे ही पहले मैं दुबली थी अब मोटी हो गयी हू पर रजत अब भी अपनी अम्मा को उठा लेता है हाँ बेचारा दीपक ज़रा नाज़ुक है, अब उठाने में थक जाता है"



रजत ने अपनी माँ को पलंग पर पटका और चढ बैठा सीधे लंड चूत में डाला और शुरू हो गया "अरे मादरचोद, सीधे चोदने लग गया, माँ की बुर नहीं चूसेगा आज?" अम्माजी ने उलाहना दिया



"अम्मा, बाद में दीपक या आमित से चुसवा लेना या फिर तेरी बहू से, वो तो हमेशा तैयार रहती है, आज तो मैं तुझे घंटे भर बस चोदून्गा कल रात अमित तुझे चोद रहा था, वो देखकर मुझे ख़याल आया की मैंने तुझे तीन चार दिन से नहीं चोदा" कहकर रजत ने मुँह में माँ के होंठ लिए और हचक हचक कर चुदाई शुरू कर दी



दीदी मेरा हाथ पकडकर पलंग पर ले गयी "तू चूत चूस ले रे मेरे राजा पहले, बहुत दिन से बुर का पानी नहीं पिलाया तुझे पहले चूस ले, अभी सॉफ माल है मेरी चूत में, बाद में चुद कर स्वाद बदल जागेगा" वो पलंग के छोर पर पैर फैला कर बैठ गयी और मैंने सामने नीचे बैठ कर उसकी बुर में मुँह डाल दिया इतने दिनों बाद दीदी की बुर का रस मिला, मैं निहाल हो गया



जीजाजी मेरे साथ नीचे बैठ गये और एक हाथ मेरी पीठ पर फिराने लगे "आराम से चाट साले, मज़ा ले अपनी बहन की चूत के पानी का लंड तेरा बहुत मस्त है, इतना मस्त लंड नहीं देखा" उनका दूसरा हाथ मेरे लंड को पकडकर मुठिया रहा था इतने प्यार से वे कर रहे थे कि मैं झडने को आ गया "अरे हरामी, साले को झडा मत अभी, मुझे चुदवाना है" दीदी ने उन्हें मीठी गाली दी


क्रमशः………………
Reply
11-28-2017, 01:21 PM,
#6
RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—6

गतान्क से आगे……………

दीदी ने झडकर अपना पानी मेरे मुँह में फेका और उसे फटाफट पी के मैं उठ कर खड़ा हो गया "चल दीदी, अब गान्ड मरा ले आज मैं तुझे चोदून्गा नहीं, गान्ड मारूँगा कल मांजी को बहुत चोदा है, अब गान्ड की भूख है मुझे"

"गांडे तुझे बहुत मिलेंगी साले, हाँ चूते दो ही हैं आज अपनी बहन को चोद ले, तू इधर आ रंडी" कहकर जीजाजी पलंग के सिरहाने से टिक कर बैठ गये सिमर के बाल पकडकर उसका सिर अपनी गोद में खींचा और लंड उसके मुँह मे ठूस दिया "अमित, पीछे से चढ जा साली पर"

मैंने दीदी की कमर में हाथ डाल कर उठाया और उसे घुटनों और हाथों पर कर दिया उसके पीछे घुटने टेक कर एक बार प्यार से उसकी चूत को चूमा, बहुत दिन बाद मेरी प्यारी को पास से देखा था फिर लंड अंदर उतार दिया दीदी की मखमली म्यान ने मेरे लंड को दबोच लिया, जैसे कह रही हो, आजा प्यारे, बहुत दिन में मिले हैं दीदी के कूल्हे पकडकर मैं चोदने लगा

जीजाजी बोले "अरे चढ जा यार उसपर, जवान है, तेरा वजन सह लेगी मैं और रजत अक्सर चढते हैं, बड़ी मस्त घोडी है माँ की बात अलग है, उसकी उमर अब हो गयी है इसलिए वजन नहीं झेल पाती, नहीं तो जवानी में तो मुझे और रजत को खूब सवारी कराती थी

मैंने झुक कर अपना वजन दीदी पर डाल दिया और पैर उठाकर उसकी कमर के इर्द गिर्द जकड लिए दीदी आराम से मेरे वजन को संभालती हुए चुदवाती रही, चू तक नहीं की, वैसे उसका मुँह जीजाजी के लंड से भरा था मैं उसके मम्मे पकडकर दबाते हुए कस के चोदने लगा क्या आनंद आ रहा था जीजाजी की मन ही मन दाद दी क्या आसन सिखाया था मेरी बहन को

अब जीजाजी का सिर मेरे सामने था, एक फुट दूर उनकी आँखों में अजब खूआरी थी बोले "उधर देख, माँ बेटे की क्या जोरदार चल रही है" देखा तो पलंग के दूसरे छोर पर रजत अपनी माँ को कस कर चोद रहे थे शन्नो जी ने अपनी मोटी टाँगें उनके चूतडो के इर्द गिर्द समेट ली थीं और चूतड उछाल उछाल कर चुदवा रही थीं

तभी जीजाजी ने मेरा गाल चूम लिया फिर मेरे सिर को हथेलियों में ले कर मेरे होंठ चूमने लगे मैं सिहर उठा पहला मौका था कि किसी मर्द ने चूमा था पर अब मैं इतना मस्ती में था कि मुझे ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं हुई आँख बंद करके मैं उनके चूमने का जवाब देने लगा जीजाजी के मुँह और गालों से बड़ी प्यारी खुशबू आ रही थी, लगता है इत्र या आफ्टर शेव की थी अब मैं झडने को था इतना मज़ा आया कि मैंने जीजाजी के होंठ दाँतों में पकड़ लिए फिर कसमसा कर झड गया

मेरे लस्त हुए बदन को सहारा देते हुए जीजाजी ने अपनी जीभ से मेरा मुँह खोला और मेरी जीभ मुँह में लेकर चूसने लगे साथ ही अपने चूतड उछालने लगे वे भी झडने को आ गये थे एक आख़िरी धक्के के साथ वे सिमर दीदी के मुँह में झड गये

कुछ देर बाद मैंने जीजाजी के मुँहसे अपना मुँह हटाया और उठ कर बाजू में बैठ गया दीदी को नीचे लिटा कर जीजाजी ने उसकी बुर में मुँह डाल दिया जीभ निकाल कर उसे चाटने लगे मैं देखने लगा मेरा सफेद वीर्य दीदी की चूत में से बह रहा था जीजाजी ने उसे पहले चाटा और फिर बुर चूसने लगे

उधर दीदी ने मुझे इशारा किया कि पास आऊ और उसे चूम्मा दू उसका मुँह बंद था मैंने जैसे ही उसके मुँह पर अपने होंठ रखे, उसने मुँह खोल कर जीजाजी का थोड़ा वीर्य मेरे मुँह में छोड़ दिया मैं थूक ना दूं इसलिए मेरे मुँह को वो अपने मुँह से जकडे रही आँखों से मुझे इशारा किया कि निगल जाऊ बहुत बदमाश थी, हँस रही थी कि कैसा उल्लू बनाया मैंने मन कड़ा किया और निगल गया चिपचिपा खारा स्वाद था मुझे बुरा नहीं लगा आख़िर ऐसी धुआँधार चुदाई में कुछ भी जायज़ है ऐसा मैंने सोचा

उधर रजत भी अब झड गये थे मांजी टाँगें पसार कर पडी थीं बोलीं "इधर आओ अमित बेटे" मैं उठ कर पास गया रजत ने अचानक झुक कर मेरा झडा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगे सॉफ करने के बाद बोले "अमित, तेरी दीदी का माल लगा था इसपर, कौन छोडेगा इस खजाने को? वैसे थोड़ी मलाई तेरी भी थी, बहू की बुर के शहद में मिलकर बहुत मस्त लग रही थी" फिर उठकर सरककर दीदी के पास पहूच गये "लो रानी, मलाई तो गयी माँ की बुर में, तू लंड चूस कर संतोष कर ले"

उनका झडा लंड मुँह में लेकर दीदी चूसने लगी जीजाजी अब भी उसकी बुर जीभ से टटोल रहे थे रजत बोले "अरे छोटे, अपने साले की मलाई इतनी अच्छा लगी कि अब चूत में गहराई से घुस कर कतरे ढूढ रहा है"

मैं मांजी के पास पहूचा तो उन्होंने मेरी गर्दन पकडकर अपनी टाँगों के बीच मेरा सिर दबा दिया "चल, चाट ले, बहुत पानी बहाया है आज मैंने" उनकी बुर से गाढी सफेद मलाई टपक रही थी रजत का वीर्य था! मैं हिचकिचाया तो मेरा कान पकडकर बोलीं "अरे मेरा गुलाम बनकर रहने वाला था ना तू भोसडीवाले, चल, अपनी मालकिन का हुकुम मान सॉफ कर चुपचाप, और कोई बेकार चीज़ नहीं चखा रही हू, मस्त मर्दाना मलाई चखा रही हू तुझे"

मैंने जीभ निकाली और चाटने लगा बुर का और वीर्य का मिला जुला स्वाद था खराब नहीं था पास से उस बुरी तरह चुदी हुई लाल लाल बुर का नज़ारा भी ऐसा था कि मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और चाटने लगा

पूरी बुर चटवाने पर शन्नो जी ने उंगलियों से चूत चौडी की और बोली "अभी और है, जीभ डाल" लाल लाल भोसडे के अंदर सफेद सफेद कतरे फँसे थे मैं जीभ डाल डाल कर चूसने लगा मांजी अब भी गरम थीं मेरा सिर पकडकर मेरे मुँह को अपनी चूत पर घिसने लगीं एक बार फिर झड कर ही मुझे छोड़ा मुझे अपनी गोद में खींच लिया और चूमते हुए पूछा "मज़ा आया?"

मैंने हामी भरी फिर मन ना माना तो धीमे स्वर में पूछा "अम्माजी, ये जीजाजी ने मेरा चूम्मा लिया फिर दीदी ने उनका वीर्य पूर निगले बिना ही मुझे चूम लिया रजत ने मेरा लंड चूस लिया, दीदी के बुर के पानी के लिए आप ने भी अपनी बुर चुसवाई जब की उसमें रजत का वीर्य था मैंने नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ भी होता है"

मांजी हँसने लगीं "अरे तू भोला है रजत असल में तेरे लंड का स्वाद लेना चाहता था, बहू की चूत के पानी का तो बहाना था तेरी बहन ने भी जान बुझ कर तुझे अपने पति की मलाई चखाई, तुझे बता रही थी कि कितनी जायकेदार है इसीलिए तो रोज पीती है मैं भी तुझे अपने बड़े बेटे की मलाई चखाना चाहती थी, बुर चुसवाने का तो बहाना था और दीपक ने तुझे चूमा, उसमें क्या बात है, तू अच्छा खूबसूरत लौंडा है, उसका मन नहीं माना"

मैं चुप रहा शन्नो जी आगे बोलीं "तुझे भी अच्छा लगा ना? झूट मत बोल, देख तेरा लंड कैसे सिर उठाने लगा है अरे बेटे, जब पाँच पाँच नंगे बदन मिलेंगे तो किसे फरक पड़ता है कि कौन मर्द है कौन औरत और बुर की चासनी और लंड की मलाई का चस्का एक बार लग गया तो और कुछ अच्छा नहीं लगता"

क्रमशः………………
Reply
11-28-2017, 01:21 PM,
#7
RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—7

गतान्क से आगे……………

सब आराम कर चुके तो शन्नो जी ने कहा "चलो, एक पारी और हो जाए तो फिर सब लोग सो लेना आज रात भर जागना है अमित कल जाने वाला है"

सब ने कहा रुक जाओ मैं बोला कि ज़रूर रुक जाता पर घर में काम है और माँ को भी लाना है मांजी बोलीं "हाँ बेटे, जा और तैयारी से आना माँ के साथ, दो तीन महने के लिए तेरी तो गर्मी की छुट्टी है हम सब एक परिवार जैसे रहेंगे"

सब सरक कर पास पास आ गये और` एक दूसरे को चूमने और बदन पर हाथ फेरने लगे तीनों लंड फिर तैयार थे शन्नो जी बोलीं "अब ऐसा करो, सब मिलकर बहू पर चढ जाओ रांड़ इतनी चुदक्कड है, इसे आज पूरा मज़ा दो तीन तीन लंडों से चोदो इसके सब छेद भर दो"

जीजाजी बोले "अम्मा, तू क्या करेगी, अकेली रह जाएगी"

अम्माजी बोलीं "मेरे चिंता ना करो, मैं सब के मुँह से काम चला लूँगी फिर रात भी तो पडी है रात को यही सुख मुझे देना"

"चलो भाई अपने अपने छेद ढूढ लो इस छिनाल के बदन से बोल अमित, तुझे कौन सा चाहिए? वैसे मुझे मालूम है तू क्या पसंद करेगा" दीपक जीजाजी बोले

"हाँ दीदी, अब तो मैं तेरी गान्ड मारूँगा, चल लेट जा नीचे" मैंने दीदी को पलंग पर पटककर कहा वह नखरा करने लगी मन में तो बड़ी खुश हुई होगी "अरे नहीं, तीन तीन लंड! मुझे मार डालोगे क्या" और उठाने की कोशिश करने लगी

जीजाजी बोले "ये रांड़ ऐसे नहीं मानेगी, ज़बरदस्ती करनी पडेगी, चल मुँह खोल हरामजादी" कहकर उन्होंने दीदी के गाल पिचकाकर उसका मुँह खोला और लंड डाल कर उसका मुँह बंद कर दिया दीदी अम अँ करने लगी रजत तुरंत दीदी पर चढ गये और उसकी चूत में लंड पेल दिया फिर दीदी को बाँहों में पकडकर पलट कर नीचे हो गये

दीदी के चूतड अब उपर थे मैंने झपटकर उसके चूतडो को चूमना शुरू कर दिया "वाह दीदी, तेरी गान्ड तो यहाँ ससुराल में और मोटी हो गयी है जल्द ही अम्माजी जैसी हो जाएगी, तरबूजों जैसी" और फिर उसकी गान्ड का छेद चूसना शुरू कर दिया

जीजाजी बोले "वाह मेरे शेर, गान्डो का बहुत शौकीन है तू तुझे यहाँ बहुत गांडे मिलेंगी अम्मा तुम भी अमिता का लंड गीला कर दो, तेल लगाने की ज़रूरत नहीं पडेगी"

शन्नो जी ने मेरे लंड को मुँह में ले कर गीला कर दिया मैंने अब दीदी की गान्ड में लंड पेलना शुरू कर दिया सुपाडा अंदर जाते ही दीदी छटपटाकर गों गों करने लगी "अरे काफ़ी दिनों के बाद मरा रही है ना इतने बड़े लंड से, साली का छेद फिर टाइट हो गया है लगता है अब आएगा मज़ा जब गान्ड फटेगी छिनाल की" रजत बोले

"अरे, तेरा लंड भी तो है चूत में, गान्ड और टाइट हो जाती है ऐसे में" शन्नो जी बोलीं वे दीदी के मम्मे मसल रही थीं मैंने लंड पेलना जारी रखा आज धीरे धीरे जा रहा था नहीं तो हमेशा दीदी एक बार में ले लेती थी पूरा पेल के मैं दीदी पर लेट गया और उसकी गान्ड मारने लगा रजत जेठजी के लंड का आकार मुझे महसूस हो रहा था

हमा तीनों दीदी को चोदने लगे "आराम से चोदो हरामन को, घंटे भर कूटो, पूरा मज़ा लो और इसकी खूब दुर्गति करो" शन्नो जी ने कहा उन्होंने एक चुची मेरे मुँह में दे दी थी और रजतजी को चूम रही थीं

हमने खूब देर दीदी की धुनाई की पलट पलट कर चोदा कभी मैं उपर होता कभी रजत जो उपर होता वो कस के हचक हचक के चोदता, नीचे वाला चूतड उछाल कर नीचे से पेलता जीजाजी तो मज़े में दीदी के सिर को फ़ुटबाल जैसा पकडकर पेट से सटाये उसका गला चोद रहे थे बिलकुल रेप जैसा मज़ा आ रहा था दीदी पहले खूब चटपटाई, छूटने की कोशिश करती रही, फिर लस्त हो गयी और रबड की गुडिया जैसी निढाल पडी रही

मांजी जैसे उनसे बनता था मज़ा ले रही थी बारे बारी से हम तीनों को चूमती या अपनी चूत हमारे मुँह से लगा देतीं बीच बीच में दीदी की चूचिया गूँध देतीं

आख़िर हम तीनों झडे और पूरा वीर्य दीदी के शरीर में उगल दिया "मज़ा आ गया साले, आज इसकी सही चुदाई हुई है" जीजाजी बोले

लंड निकाले तो दीदी बेहोश थी "अरे अभी जाग जाएगी छिनाल, चिंता मत कर" शन्नो जी ने कहा और बारी बारी से दोनों बेटों का लंड चूसने लगीं जीजाजी दीदी की चूत में मुँह डाल कर चालू हो गये, अपने बड़े भाई की मलाई और बुर के रस का स्वाद लेने लगे और रजत ने दीदी की गान्ड को मुँह लगा दिया पता नहीं उन्हें दीदी की गान्ड का स्वाद लेना था या मेरे वीर्य का, या फिर दोनों

दीदी दस मिनिट बाद होश में आई और रोने लगी मुझे लगा कि शायद ज़्यादती हो गयी पर शन्नो जी को मालूम था उन्होंने आँखो के इशारे से मुझे कहा कि कुछ नहीं होगा बात सच थी जब दीदी शांत हुई तो अपनी सास से लिपट गयी "मांजी, आज मैं निहाल हो गयी, इतना सुख कभी नहीं मिला आप सब मुझे इतना प्यार करते हो, मुझे तो लगता था कि मर ना जाऊ, इतना मज़ा आ रहा था"

मांजी ने पुचकार कर उसे चुप कराया सब थक गये थे इसलिए वहीं पलंग पर जैसे बने, लुढक कर सो गये

रात को बाहर से खाना मँगाया गया दीदी ने सबके लिया बादाम का दूध बनाया खाना खाकर थोड़ी देर सब ने टी वी देखा फिर दीदी के कमरे में इकठ्ठे हुए

इस बार शन्नो जी की सेवा की गयी मैं आतुर था देखने को कि उनकी गान्ड किसको मिलती है मुझे उन्होंने मना कर दिया "बेटे, तेरा बहुत बड़ा है, मैं झेल नहीं पाऊन्गि तू तो मेरे चूत में आजा"

मेरी निराशा देखकर बोलीं "दिल छोटा ना कर, जब माँ के साथ आएगा, तब देखूगी एक दो चीज़ें हैं मेरे दिमाग़ में"

मैंने उनकी चूत में लंड डाला, रजत ने उनके मुँह को निशाना बनाया और जीजाजीने अपनी प्यारी माँ के चूतडो के बीच लंड उतारा, धीरे धीरे प्यार से, वे सी सी कर रही थीं जैसे तकलीफ़ हो रही हो फिर हम शुरू हो गये

दीदी पास बैठकर अपनी बुर में उंगली कर रही थी थोड़ी देर बाद बोली "क्या धीरे धीरे पुकूर पुकूर कर रहे हो इस चुदैल औरत को क्या मज़ा आएगा मुझे चोदा था वैसे चोदो, हचक हचक के तब साली झडेगी, ये मेरी सास तो मुझसे ज़्यादा चुदक्कड है, जनम भर दो लंडों से चुदवाती आई है"

हम धीरे धीरे चोद रहे थे पर दीदी की बात सुनकर तैश में आ गये पूरे ज़ोर से शन्नो जी के तीन छेदों में लंड पेलने लगे उनकी लटकी छातियाँ मेरे सीने से भिडी थीं, नरम नरम गद्दे जैसी लग रही थीं उनका चेहरा मेरे पास था और रजत का लंड उनके मुँह में अंदर बाहर होता हुआ मुझे सॉफ दिख रहा था मेरा मन ना माना और मैंने वैसे ही शन्नो जी के होंठों का किनारा चूम लिया जीजाजी का लंड मेरे होंठों से घिसता हुआ शन्नो जी के मुँह में पिल रहा था

कुछ देर बाद मैंने देखा कि शन्नो जी ने अपना एक हाथ उनके चूतडो के इर्द गिर्द लपेट लिया था और उनकी उंगली जीजाजी की गान्ड में घुसी हुई थी वे उसे अंदर बाहर कर रही थीं रजत जिस जोश से अपनी माँ का मुँह चोद रहे थे, उससे सॉफ था कि उन्हें बड़ा मज़ा आ रहा था मांजी की आँखें भी खूआरी से लाल हो गयी थीं जैसे ढेरों ग्लास शराब पी रखी हो साली सेठानी को मज़ा आ रहा है, मैंने मन ही मन सोचा और कस के चोदने लगा

क्रमशः………………
Reply
11-28-2017, 01:21 PM,
#8
RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—8

गतान्क से आगे……………

जब चुदाई खतम हुई तो शन्नो जी बोलीं "बहुत दिन के बाद ऐसे चुदाया है मैंने पहले जवान थी तो रोज बेटों से आगे पीछे से एक साथ चुदाती थी अब सहन नहीं होता, ख़ास कर गान्ड दुखती है तुम तीनों मिलकर अब मेरी बहू को हफ्ते में एक दो बार ऐसे ही चाँप दिया करो रोज मत करना नहीं तो टें बोल जाएगी"

कुछ आराम करने के बाद सब सोचने लगे कि अब क्या किया जाए कोई बोला जोड़ियाँ बना लेते हैं, बचा हुआ मेंबर बारी बारी से हर जोड़ी में शामिल हो जाएगा कोई बोला सब मिलकर करते हैं

मांजी मुझे प्यार से चूम रही थीं मेरे लंड को वे दोनों हथेलियों में लेकर बेलन सा घूमा रही थीं बोलीं "झगड़ा मत करो, अब मैं बताती हू क्या करना है अमित को कल जाना है, अब सोना चाहिए उससे पहले आमित के साथ और मस्ती कर लो मैं और बहू बहुत चुदवा चुके, कोई छेद नहीं बचा, लंडों ने घिस घिस के हमारे छेद छिल दिए हैं, अब ऐसा करते हैं कि मैं और बहू ज़रा आपस में इश्क कर लड़ाते हैं, दो औरतें ही जानती हैं कि एक दूसरे को कैसे मज़ा दिया जाता है और तुम तीनों बच्चे आपस में खेल लो, जान पहचान बढ़ा लो"

मेरा दिल धडकने लगा दीदी वहाँ एक हाथ में जीजाजी का और एक हाथ में रजत का लंड लेकर उपर नीचे कर रही थी बोली "हाँ भैया, यही अच्छा रहेगा आज जान पहचान हो जाएगी तो आगे आसानी रहेगी" जीजाजी और रजत भी मेरी ओर देख रहे थे, और मंद मंद मुस्करा रहे थे

मेरा लंड खड़ा होने लगा था "अम्मा, तू जा और सिमर का मन बहला, मैं देखता हू अमित को" कहकर जीजाजी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया रजत भी खिसककर मेरे पास आ गये और अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया "देख ले अमित, तेरे जितना बड़ा तो नहीं है पर तेरी दीदी को बहुत पसंद है" उनका लंड भी आधा खड़ा था एकदमा गोरा और सटीक

जीजाजी मेरे पीछे बैठ गये और मेरे लंड को सहलाते हुए पीछे से मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगे रजत मेरे सामने बैठे थे उन्होंने मेरे शरीर को सामने से सहलाना शुरू कर दिया "अमित, तेरी जवानी जोरदार है, बदन भी अच्छा चिकना है, कोई ताज्जुब नहीं कि तेरी माँ और दीदी तुझपर मरती हैं"

मैं पहले झिझक रहा था थोड़ा अजीब सा लग रहा था पर जीजाजी मेरे लंड को बहुत प्यार से सहला रहे थे उनकी उंगलियाँ मेरे लंड के आसपास लिपटी थीं और अंगूठे से वे सुपाडे के नीचे के हिस्से को घिस रहे थे इस कला में वे माहिर लगते थे जल्द ही मेरा तन्नाने लगा

झेंप मिटाने को मैंने दीदी की ओर देखा दीदी को शन्नो जी ने अपनी गोद में बिठा लिया था और उसके मुँह को खोल कर उसे मिठाई जैसे चूस रही थीं हमारी ओर उनका ध्यान नहीं था दोनों एक दूसरे की बुर अपनी उंगलियों से खोद रही थीं कई बार माँ भी दीदी को ऐसे ही गोद में लेकर प्यार किया करती थी मेरा और जम कर खड़ा हो गया

अब जीजाजी और जेठजी की हरकतों में मुझे मज़ा आने लगा मैंने पीछे घूम कर जीजाजी को कहा "आप मस्त मुठियाते हो लंड को जीजाजी, कला है आपके हाथ में" वे मेरे पीछे से उठकर मेरे बाजू में बैठ गये "और कला देखनी है मेरी साले राजा?" और झुक कर मेरे लंड को चूसने लगे एक ही बार में उन्होंने पूरा लंड गले में उतार लिया

मैं अचंभे में था रजत मुस्करा कर बोले "अरे ये माहिर है इसमें, हम दोनों को ही ये अच्छे से आता है, आख़िर माँ के साथ बचपन से प्यार करते हुए आपस में भी मज़ा करना हमने बहुत पहले सीख लिया है, कोई चीज़ ऐसी नहीं है जो हमने ना आज़माई हो"

जीजाजी पलंग पर लेट गये और मुझे भी नीचे खींच लिया "आरामा से लेट जा अमित, ज़रा मज़ा करेंगे" और फिर मेरा लौडा चूसने लगे उनका आधा खड़ा आधा नरम लंड मेरे ठीक सामने था अच्छा ख़ासा गोरा चिकना लंड था, भले ही बहुत बड़ा ना हो उनके चिकने पेट पर वह ऐसा फॅब रहा था जैसे किसी किशोर का लंड हो जिसकी झांतें भी ना उगी हों
Reply
11-28-2017, 01:22 PM,
#9
RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
मैंने एक हाथ में जीजाजी का लंड लिया और एक में जेठजी का, और खेलने लगा जेठजी का अब मस्त खड़ा हो गया था वे मेरे पीछे लेट गये और उसे मेरे नितंबों पर रगडने लगे मैं दुविधा में था कि ये ना जाने क्या करें पर वे बस उसे मेरी जांघों और चूतड पर रगडते रहे और पीछे से मेरी पीठ चूमने लगे

काफ़ी मज़ा आ रहा था मैंने जीजाजी का लंड अपने गालों और होंठों पर रगडा और और सुपाडा मुँह में लेकर चूसने लगा मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं कभी ऐसा करूँगा पर दो दिन की इस कामुक चुदाई के बाद समाँ ही कुछ ऐसा बन गया था की हर काम में मज़ा आ रहा था

जीजाजी अब मेरे लंड को चूस रहे थे और एक उंगली से मेरी गुदा को टटोल रहे थे उनकी उंगली धीरे धीरे अंदर हो गयी मैंने भी उनके लंड को मुँह में लिया आराम से पूरा मेरे मुँह में समा गया उसे चूसते हुए मैंने भी उनके चिकने चूतड रगडे और एक उंगली उनकी गान्ड में डाल दी

थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उन्होंने मेरा लंड मुँहसे निकाला और रजत को बोले "भैया, अब तुम चख लो, अमित का बड़ा जानदार लंड है, मुझे अपना लंड दे दो, हफ़्ता हो गया उसे मुँह में लिए"

"हफ़्ता तो बहुत चीज़ों को हो गया छोटे, तूने उसे अपनी गान्ड में भी नहीं लिया है बहुत दिन से, चल चूस ले" कहकर वे हमारे पास लेट गये "अमित, ज़रा खिसक यार, अब ज़रा एक बड़ा त्रिकोण बनाना पड़ेगा"

मैं खिसका रजत ने मेरा लंड मुँह में लिया और खुद अपना लंड अपने छोटे भाई के मुँह में दे दिया हम एक दूसरे के लंड चूसने लगे रजत तो लगता है मेरे चूतडो पर फिदा हो गये थे उन्हें दबा और मसल रहे थे और मेरे लंड को गले तक निगलाकर जीभ से रगड रगडकर चूस रहे थे मेरे मुँह में घुसा जीजाजी का लंड अब तक पूरा तन गया था और मेरे हलक तक उतर गया था, मुँह पूरा भर गया था लंड अब मुँह में ज़िंदा जानवर जैसा थिरक रहा था अब मुझे समझ में आया कि क्यों औरतें लंड चूसने के लिए तैयार रहती हैं

जेठजी मेरी गान्ड में अब ज़ोर से उंगली कर रहे थे, अंदर बाहर करके घूमा भी रहे थे मेरी वासना ऐसे भडकी कि मैंने जीजाजी का लंड ज़ोर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया उन्होंने मेरे सिर को अपने पेट पर दबा लिया और धक्के मारने लगे मुँह चुदवाने में मुझे बड़ा आनंद आ रहा था मैंने ऐसा चूसा कि दो मिनिट में वे झड गये उनका वीर्य मेरे मुँह में भर गया पहले भी मैंने उसे चखा था पर अब सीधा मुँह में लेकर मुझे वह और स्वादिष्ट लगा मेरा लंड भी अब कस के तनतना रहा था इसलिए जीजाजी की मलाई पीने में और मज़ा आ रहा था

मैंने रजत का सिर पकडकर उनके मुँह में लंड पेलना शुरू कर दिया एक बार लगा कि पता नहीं वे नाराज़ ना हो जाएँ, पर मज़ा इतना आ रहा था कि मैंने उस बात पर ख़याल नहीं किया रजत भी मज़े से मेरे लंड को मुँह में पिलावाते रहे मेरे झडने पर लंड को और कस के मुँह में दबा कर उन्होंने पूरा वीर्य चूस डाला अब तक वे भी शायद अपने भाई के मुँह में झड गये थे

पड़े पड़े हम हाँफटे हुए आराम करने लगे अब झडने के बाद मुझे थोड़ा अटपटा लग रहा था अभी अभी मैंने दो जवान मर्दों के साथ समलिंगी संभोग किया था पर आनंद बहुत आया था जीजाजी बोले "क्यों साले, मज़ा आया?"

मैंने बस मूंडी हिलाई फिर जेठजी से माफी माँगी "रजत, सॉरी, मैं ज़रा बहक गया था इसलिए आपके मुँह में लंड पेलने लगा"

वे मेरे पास आए और मुझे बाँहों में भरके सीधे चूम लिया अच्छा गहरा लंबा चूम्मा लिया, मेरी आँखों में देखते हुए उनके मुँह में अब भी मेरे वीर्य की खुशबू थी "तू मेरे साथ कुछ भी करा सकता है अमित, तेरे साथ हर चीज़ करने में मुझे मज़ा आएगा वैसे आज हमने किया ही क्या है? अगली बार आना, माँ के साथ तब दिखाएँगे की लंडों के साथ कैसे मज़ा करते हैं" उनकी उंगली फॉरन मेरी गुदा में घुस गयी थी मैं उनका मतलब समझ गया, अजीब सी गुदगुदी दिल में होने लगी

क्रमशः………………
Reply
11-28-2017, 01:22 PM,
#10
RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—9

गतान्क से आगे……………

उधर दीदी और शन्नो जी भी अब उठ बैठी थीं हम मर्दों के खेल जब चल रहे थे तब उन्होंने मन भर के एक दूसरे की बुर चूस ली थी

शन्नो जी बोलीं "अमित ठीक से जान पहचान हुई या नहीं तेरे जीजाजी और जेठजी के साथ? मेरा ध्यान नहीं था, तेरी ये दीदी इतनी मीठी है कि इसीको चखने में लगी थी"

दीदी मुस्करा कर बोली "बहुत जान पहचान हो गयी है अम्माजी, खाना पीना भी हो गया है, देखो सब कैसे बिलौटे जैसे मुस्करा रहे हैं"

"चलो अब सो जाओ, रात बहुत हो गयी है, अमित बेटा, आराम करो, तुझे सुबह सुबह जाना है अब जल्द से जल्द अपनी माँ को लेकर यहाँ आ जाओ हम तब तक उनकी खातिर करने की तैयारी करते हैं"

मैं सो गया मन में एक पूरी तृप्ति और आनंद था यही सोच रहा था कि जब माँ के साथ वापस आऊन्गा तो क्या धमाल होगी

मैं घर पहूचा तब रात हो चुकी थी, ट्रेन लेट हो गयी थी बेल दो बार बजानी पडी तब माँ आई पहले पीपहोल में से झाँक कर देखा कि कौन है और फिर दरवाजा खोला वह बस जल्दी जल्दी में एक साड़ी लपेट कर आई थी उसकी साँस भी चल रही थी मुझे देख कर खुश हो गयी "आ गया बेटे, मैं कब से इंतजार कर रही थी! सिमर को साथ नहीं लाया?"

मैं सीधा बेडरूम में चला गया वहाँ टेबल पर मोटा छिला केला पड़ा था "माँ, तू भी अच्छी चुदैल है! दो दिन बेटे से बिना चुदवाये नहीं रह सकती केले से मुठ्ठ मार रही थी ना?"

"अरे बेटे, तू क्या जाने माँ के दिल का हाल, अपने बेटे से दूर रहने में मेरा क्या हाल होता है तू नहीं समझेगा" माँ ने साड़ी खोलते हुए कहा उसके नंगे बदन को देख कर मेरा भी खड़ा हो गया "तू अब ज़रा धीरज रख, मैं नहा कर आता हू" उसे चूम कर मैं नहाने चला गया

वापस आया तो माँ नंगी पलंग पर पडी थी और केले को चूत में धीरे धीरे अंदर बाहर कर रही थी सिसक कर बोली "अब आ जा बेटे, रहा नहीं जाता पूरे चार दिन हो गये चुदवाये हुए"

मैंने केला खींच कर निकाला और टेबल पर रख दिया फिर माँ पर चढ कर चोदने लगा माँ ने सुख की साँस ली "हाय बेटे, कितना अच्छा लग रहा है अब बता, सिमर कैसी है"

माँ के चूम्मे लेते हुए मैंने कहा "एकदम मस्त है, यहाँ तो उसे प्यार करने वाली एक माँ और एक भाई थे, वहाँ उसे पति का प्यार तो मिलता ही है, सास और जेठ का भी प्यार मिलता है दो दो लौडे और एक चूत वह तो ऐसी खुश है कि क्या बताऊ"

"अरे तुझे कैसे पता लगा? उसने बताया? उनके घर में भी ऐसा होता है?" माँ ने खुश होकर पूछा

"अरे माँ, वो तो हम से भी सवाई हैं इस मामले में खुद देख कर आ रहा हू और सिर्फ़ देखा ही नहीं, किया भी, सिमर दीदी को चोदा जीजाजी के सामने, फिर सब के सामने, इतना ही नहीं, सिमर दीदी की सासूमा को भी चोद डाला" फिर मैंने माँ को विस्तार से सब बताया बताते बताते माँ को चोदना मैंने जारी रखा

वो ऐसे गरमाई की चूतड उछालने लगी मैंने पिछले दिनों में इतनी चुदाई की थी कि लंड झडने को बेताब नहीं था आराम से बिना झडे माँ को चोदता रहा उसे दो बार झड़ाया, फिर झडा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 2,002 9 hours ago
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 974 9 hours ago
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 819 10 hours ago
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,742,911 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 574,974 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,337,216 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,020,606 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,794,959 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,198,561 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,154,853 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)