RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
रचना- हाँ भाई हाँ.. अब क्या लिख कर दूँ..!
अमर की आँखों में एक चमक सी आ गई और ना चाहते हुए भी उसका हाथ अपने आप लंड पर चला गया, लेकिन जल्दी ही वो संभल गया।
अमर ने खाने का ऑर्डर कर दिया, दोनों ने आराम से खाना खाया और कुछ इधर-उधर की बातें करने लगे।
लंच के बाद वो वहाँ से घर के लिए निकल पड़े।
घर पहुँच कर रचना ने एक मादक अंगड़ाई लेते हुए कहा- ओह भाई बहुत खाना खा लिया.. अब तो नींद आ रही ही.. आआ उउउ..!
रचना कुछ नहीं बोलती और बैग उठा कर अपने रूम में चली जाती है। अमर भी उसके पीछे-पीछे रूम में चला जाता है।
रचना बैग को साइड में रख कर बेड पर गिर जाती है।
अमर- यह क्या है? अब तुम दिखा रही हो या नहीं..!
रचना- दिखाऊँगी न..! भाई थोड़ा आराम तो करने दो..!
अमर- ठीक है, करो आराम, मैं जाता हूँ और अब मुझसे बात मत करना.. ओके..!
रचना- ओह भाई.. आप तो नाराज़ हो गए.. अच्छा बाबा.. यहाँ बैठो, मैं अभी दिखाती हूँ आपको !
रचना बैग से अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई और कपड़े पहन कर बाहर आई।
रचना- यह देखो, कैसी लग रही हूँ भाई, मैं?
अमर- अच्छी लग रही हो, अब दूसरा ड्रेस भी पहन कर दिखाओ।
रचना- भाई मैंने एक ही ड्रेस लिया है, दूसरा ललिता का है.. ओके..!
अमर- मैं जानता हूँ कि दूसरा ललिता का है, पर तूने अपने लिए और भी कुछ लिया है न..! वो पहन कर दिखाओ।
रचना- आर यू क्रेजी..! आप क्या बोल रहे हो..! मैंने और क्या लिया है?
अमर- अंडर-गारमेंट्स लिए हैं न..!
रचना- तो आप का मतलब मैं आपको वो पहन कर दिखाऊँ.. भाई आप ठीक तो हो न..!
अमर- इसमें ठीक होने की क्या बात है, तुमने वादा किया था ओके.. और उसमें क्या है?
रचना- भाई मुझे शर्म आ रही है, आप कैसी बात कर रहे हो?
अमर- क्यों.. स्वीमिंग के समय में भी तो सिर्फ़ अंडरवियर में तुम्हारे सामने होता हूँ और तुम भी तो स्विम सूट में मेरे सामने आती हो..!
रचना- वो दूसरी बात है भाई, ऐसे बिकनी में आना अच्छा नहीं लगता न…!
अमर- अरे पागल.. बड़ी-बड़ी फिल्म स्टार बिकनी में पोज़ देती हैं और 5 साल पहले याद है हम जंगल में घूमने गए थे, तब बारिश में भीग गए थे और सारे कपड़े गीले हो गए थे, तब मॉम ने हमें नंगा ही गाड़ी में बैठाया था। दूसरे कपड़े भी नहीं थे हमारे पास..!
रचना- भाई उस समय हम छोटे थे न.. तो चलता है..!
अमर- तो अब कौन से बड़े हो गए और क्या फ़र्क पड़ गया है, अब यार तुम तो कहती हो कि मुझे फिल्म में हीरोइन बनना है, ऐसे शरमाओगी तो तुम हीरोइन कैसे बन पाओगी?
रचना- हाँ भाई.. मेरा बहुत मन है कि मैं हीरोइन बनूँ..।
अमर- तेरा काम बन सकता है, आज जो मेरा दोस्त मिला था न.. शरद..! वो दुबई में ही बड़ी-बड़ी फिल्मों में पैसा लगाता है, उसकी बहुत पहचान है। अमिताभ से लेकर शाहिद कपूर तक और कटरीना से लेकर सोनाक्षी तक सब के साथ उसका उठना-बैठना है।
रचना- ओह.. रियली भाई..! आप उससे बात करो न.. प्लीज़ मुझे भी कोई रोल दिलवा दे..!
अमर- ओके मैं बात कर लूँगा, पर पापा को क्या कहोगी?
रचना- पापा की टेंशन मत लो, मैं उनको मना लूँगी, बस आप एक बार बात तो करो अपने दोस्त से..!
अमर- ओके कर लूँगा.. यार, अब तुम जल्दी से बिकनी पहन कर आओ, मैं भी तो देखूँ कि मेरी बहन कैसी दिखती है।
रचना शरमाति हुई बाथरूम में जाकर ब्लैक वाला सैट पहन कर बाहर आई।
अमर तो नजरें गड़ाए उसकी गदराई जवानी को देखने लगा- दूधिया बदन पर काली ब्रा में उस के मम्मे बाहर निकलने को बेताब थे और उसकी पैन्टी चूत को छुपाने में नाकाम हो रही थी।
अमर का लंड पैन्ट में तन गया था।
रचना- ऐसे क्या देख रहे हो भाई?
अमर- देख रहा हूँ कि मेरी बहन कितनी सुंदर है।
रचना- रियली भाई.. थैंक्स..!
अमर- ब्रा-पैन्टी में इतनी खूबसूरत लग रही हो, अगर ये भी ना हो तो क्या मस्त लगोगी..!
“धत्त भाई.. आप भी..!” बोल कर रचना भाग जाती है और बाथरूम बन्द कर लेती है।
अमर- रचना क्या हुआ यार.. प्लीज़ बाहर आओ न..!
रचना- बस भाई.. मैंने आपको दिखा दिया, अब मैं कपड़े पहन कर आ रही हूँ।
अमर- क्यों वो रेड, पिंक और ब्राउन भी तो हैं वो भी पहन कर दिखाओ न..!
रचना- दो ललिता के लिए हैं, मेरी नहीं हैं भाई..!
अमर- अच्छा रेड वाली तो दिखाओ न..!
रचना- नहीं भाई अब आप अपने दोस्त से बात करो पहले.. उसके बाद आप जो कहोगे मैं दिखा दूँगी।
अमर- सच्ची..! जो मैं कहूँ.. वो दिखाओगी तुम?
रचना- हाँ भाई पक्का वादा है, पर आप बस अपने दोस्त से बात करो।
अमर- ओके.. मैं अभी उसको फ़ोन करके कल मिलने को बोलता हूँ, अब तो आ जाओ बाहर..!
रचना- भाई आप जाओ मैं थक गई हूँ बाथ लेकर सोऊँगी अब..!
अमर- ओके मैं अभी जाता हूँ और शरद से बात करता हूँ।
अमर वहाँ से अपने रूम में आया और शरद को फ़ोन करके ‘बहुत जरूरी काम है’ कह कर शाम को मिलने को बुलाया।
शरद से बात करने के बाद अमर नंगा हो गया और अपने लंड को सहलाने लगा।
अमर- ओह माई स्वीट सिस्टर, तेरे मम्मे क्या कमाल के हैं, उफ.. तेरा गोरा बदन, तेरी चूत भी कितनी प्यारी होगी.. आह आ आ.. साली बहुत नखरे हैं तेरे.. अब देख कैसे तुझे मजबूर करता हूँ नंगी होने के लिए।
रचना के नाम की मुठ मार कर अमर शान्त हो गया और सो गया।
शाम को अमर तैयार होकर बाहर निकला और घर से थोड़ी दूर एक स्टोर के पास खड़ा हो गया। करीब 5 मिनट में शरद भी आ गया। अमर कार देखकर झट से अन्दर बैठ गया, शरद ने कार को आगे बढ़ा देता दिया।
शरद- हाँ भाई.. अब बोल ऐसा कौन सा जरूरी काम है जो तूने अर्जेंट बुलाया है?
अमर- अरे यार तू गाड़ी चला, बस मैं बताता हूँ सब..!
शरद- वैसे जाना कहाँ है, यह तो बता यार..!
अमर- जाना कहीं नहीं है, बस कार को हाइवे पर ले ले.. लॉन्ग-ड्राइव भी हो जाएगी और बात भी..!
शरद- अच्छा ठीक है, अब तू बात तो शुरू कर यार..!
अमर- यार तेरे तो फिल्म वालों से बहुत कनेक्शन हैं, मेरी बहन के लिए बात करनी है तुझसे..!
शरद- क्या..! फिल्म में तेरी बहन को रोल चाहिए..! कौन सी बहन को..!
अमर- यार सुबह तो देखा है रचना को..!
शरद- अच्छा.. अच्छा कैसा रोल चाहिए.. उसे..! वो तो यार अभी बच्ची है।
अमर- उसको हीरोइन का रोल करना है।
शरद- तेरा दिमाग़ खराब है क्या..! हीरोइन का रोल नहीं होता, वो फिल्म की मेन किरदार होती है, और दूसरी बात अभी यार वो बहुत छोटी है।
अमर- अरे यार तुम बात को समझ नहीं रहे हो.. रोल-वोल कुछ नहीं दिलवाना है, उसको बस ये तसल्ली देनी है कि तुम उसको हीरोइन बना दोगे।
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