RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
अमर लगातार झटके देकर थक गया था, तब उसने लौड़ा बाहर निकाल लिया और रचना को ऊपर ले लिया। अब रचना ऊपर से उछल-उछल कर चुद रही थी। उसकी चूत में फिर से खुजली हो गई थी। अब वो गाण्ड उछाल-उछाल कर लौड़े पर कूद रही थी।
अमर- आ आ..हह.. आ मज़ा आ गया.. कूदो बहना आ उफ्फ आ..!
रचना- अई अई इ इ उफ़फ्फ़ आ आ फक आ आ ई फक यू भाई आ ओह..!
इन दोनों को चुदाई करते हुए पूरे 40 मिनट हो गए थे, अब जाकर अमर के लौड़े में झनझनाहट हुई।
अमर- आ उफ्फ मेरा पानी निकलने वाला है आ आह…!
रचना- उफ्फ… आआ… आईईईई… आआ… मेरा भी अई आ आ उफ्फ आया आया अई…!
रचना ज़ोर-ज़ोर से उछलने लगी, नीचे से अमर झटके मारने लगा और एक साथ दोनों झड़ गए। रचना लंबी सांस लेती हुई अमर पर ढेर हो गई।
अमर भी हाँफ रहा था। उसने रचना को नीचे उतारा और लंबी सांस के साथ रिलेक्स हुआ।
दोनों एक-दूसरे के पास लेटे हुए मुस्कुरा रहे थे जैसे कोई किला फतह करके आए हों।
दोनों एक-दूसरे के पास लेटे हुए मुस्कुरा रहे थे जैसे कोई किला फतह करके आए हों।
रचना- क्या देख रहे हो भाई…!
अमर- तुम्हें देख रहा हूँ न… कल तक तो में खेल-खेल में तुम्हारे मम्मों को टच करता था। लौड़ा चूत पर रगड़ता था और आज देखो तुम मेरे सामने नंगी पड़ी हो, जब चाहूँ मम्मों को दबा दूँ.. चूत चाट लूँ.. चुदाई कर दूँ.. है ना…!
रचना- हाँ भाई सही कहा आपने.. आप जब खेल के समय ये सब करते थे न..तो चूत एकदम गीली हो जाती थी। आपको पता है मैं और ललिता सेक्सी वीडियो देखते थे और सोचते थे कि कब हमको भी लौड़ा मिलेगा। अब देखो दोनों बहनें एक साथ चुद रही हैं।
अमर- अरे ललिता से याद आया… चलो उसको देख कर आते हैं क्या हाल है उसके.. शरद में बहुत पावर है.. वो पक्का अभी तक चोद रहा होगा…!
दोनों जल्दी से खड़े हुए और बिना अंडरगारमेंट के कपड़े पहन कर शरद के रूम की तरफ गए।
अमर- अन्दर से तो कोई आवाज़ नहीं आ रही क्या बात है, ललिता की सिसकारियाँ तो सुनाई देनी चाहिए ना..!
रचना कुछ नहीं बोली और दरवाजा खटखटाया, अन्दर से शरद की आवाज़ आई- बस दो मिनट..!
रचना- ओके… पर जल्दी खोलो हमें ललिता को देखना है।
कुछ मिनट बाद दरवाजा खुलता है। शरद ने तौलिया बाँधा हुआ था और ललिता बेड पर पड़ी सिसक रही थी। उसकी आँखों में आँसू थे और बेड पर खून ही खून था।
यह नजारा देख कर अमर की तो सांस अटक गई। रचना भाग कर ललिता के पास गई और उसका सर अपनी गोद में रख लिया।
ललिता की आँखों से लगातार आँसू गिरना जारी थे, पर वो कुछ बोल नहीं रही थी।
अमर- ओ माई गॉड… यार ये क्या कर दिया तुमने इतना खून…!
शरद- टेंशन मत लो यार… मुबारक हो ललिता सील पैक थी.. किसी से चुदी हुई नहीं थी। इसका मुहूर्त मैंने ही किया है.. थैंक्स यार ऐसी कच्ची कली को तोड़ने का मौका देकर तूने मुझे अपना कायल बना लिया है।
अमर- यार इसे हुआ क्या है.. ये रो क्यों रही है और कुछ बोलती क्यों नहीं?
शरद- अरे कुछ नहीं हुआ है यार.. थोड़ा दर्द है अभी ठीक हो जाएगी। तुम दोनों जाओ एंजाय करो यार…!
रचना- लेकिन शरद जी आप इसको बाथरूम तक तो लेकर जाओ पूरा खून ही खून हो गया है।
शरद- यार तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे मुझे कुछ पता नहीं है तुम जाओ मैं सब संभाल लूँगा…!
ललिता कुछ बोल तो नहीं पा रही थी, पर कोशिश करके वो बोली- द दीदी आप जाओ.. आ..हह.. शरद की बात मानो आ आ एंजाय करो आ मैं ठीक हूँ आह..!
अमर- लेकिन ललिता तुम्हें दर्द हो रहा होगा यार शरद तुम भी ना क्या हाल बना दिया इसका ऐसे कोई करता है क्या…!
शरद- अरे यार अब तुमको कैसे समझाऊँ पहली बार में ऐसा होता है। ये ठीक है कुछ नहीं हुआ इसको.. तुम लोग जाओ.. थोड़ी देर में यह बिल्कुल ठीक हो जाएगी। मैं खुद तुमको बुला लूँगा और हम चारों यहीं एक साथ चुदाई करेंगे.. अभी तुम जाओ…!
ललिता- आ हा भाई आ आप जाओ आ मैं ठीक हू आ.ह..!
ललिता के कहने पर वो दोनों वहाँ से चले गए। रचना तो जानती थी ये सब साधारण बात है। उसकी भी यही हालत हुई थी।
दोनों वापस अपने रूम में चले आए।
दोस्तो, आप सोच रहे होंगे इन पाँच मिनट में ऐसा क्या हुआ होगा, वो आदमी कौन था जो आया था, तो आप टेंशन ना लो, मैं बताती हूँ चलो वापस पीछे चलते हैं।
मैं पीछे की कुछ लाइन वापस लिख रही हूँ ताकि आपको अच्छे से समझ आ जाए कि क्या हुआ था ओके..!
शरद तो पागल हो गया था ऐसी जवानी पाकर ललिता के होंठों का रस पीने के बाद अब वो निप्पल को चूसने लगा था। दूसरे निप्पल को चुटकी में लेकर दबा रहा था।
ललिता- आ आ शरद उफ्फ मज़ा आ रहा है तुम बहुत आ अच्छा चूस रहे हो उफ्फ आ आ.
दोस्तों शरद निप्पल चूसने में बिज़ी था तभी दरवाजे पे नॉक होती है और शरद जल्दी से उठ कर दरवाजे खोल देता है। एक आदमी अन्दर आ जाता है ललिता तो नशे में थी। उसे कहाँ होश था कि कौन आया है। शरद ने दरवाजे बन्द कर दिया और वो आदमी अन्दर आ कर खड़ा ललिता को देखने लगता है।
शरद- यार सचिन क्या बात है, यहा क्यों आ गए…!
सचिन- अरे यार क्या बताऊँ मुझ से रहा नहीं गया.. क्या सेक्सी आइटम है यार..! इसकी चुदाई का तो वीडियो एकदम करीब से बनाऊँगा देख मैं कैमरा साथ लाया हूँ..!
शरद- अरे इतने कैमरे तो लगे हैं फिर ये क्यों…!
सचिन- हाँ पता है, पर इसकी चूत पर जो तिल है उसको ज़ूम करके लूँगा तो मज़ा नहीं आएगा इसलिए नज़दीक से लूँगा.. यार तू चालू रख अपना प्रोग्राम..!
ललिता- उहह शरद कहाँ चले गए आ आओ ना आ मेरे जिस्म में आग लग रही है आ जाओ ना..!
सचिन- जाओ यार, साली खुद बुला रही है कि आओ मुझे चोदो.. जाओ भाई.. देर क्यों करते हो.. आप कहो तो मैं चला जाऊँ क्या…!
शरद- हे अपनी हद में रहो.. वक़्त आने पर तुम भी मज़े ले लेना.. ओके अब कैमरा चालू करके उसके सेक्सी पोज़ ले लो.. डरो नहीं नशे में है। उसको कुछ पता नहीं चलेगा कि इस कमरे में मेरे अलावा भी कोई है। जाओ लेलो पोज़…!
सचिन करीब जाकर ललिता की वीडियो बनाने लगा, ज़्यादातर वो चूत का पोज़ ले रहा था और अपने हाथ से छू कर मज़ा भी ले रहा था।
ललिता- उई उफ्फ मत तड़पाओ आ जाओ ना शरद आ.हह..!
शरद बेड पर आ जाता है और सचिन को इशारा करके पीछे कर देता है।
ललिता- आ..हह.. शरद कहाँ हो मुझे नींद आ रही है। आ जाओ ना…!
शरद दोबारा ललिता के निप्पल को चूसने लगता है और अपना लौड़ा उसकी चूत पर रगड़ने लगता है।
ललिता- आ आ उफ्फ मज़ा आ रहा है.. तुम आ कितने अच्छे हो आ उई…!
पाँच मिनट तक शरद मम्मों के मज़े लेता रहा उसके बाद वो उल्टा होकर ललिता पर लेट गया और अपना लौड़ा उसके मुँह में डाल दिया। ललिता को यह अहसास हुआ तो आँखें बन्द किए हुए ही वो लौड़ा चूसने लगी और शरद उसकी चूत चाटने लगा।
काफ़ी देर तक शरद चूत चाटता रहा और अपनी ऊँगली से उसे खोलने की कोशिश करता रहा। जब शरद चूत में ऊँगली डालता तो ललिता दर्द के कारण “उउउउउउ” करती और सचिन पोज़ को नज़दीक से लेता।
अब शरद का लौड़ा जवाब दे रहा था। उसको चूत चाहिए थी इसलिए शरद उठा और ललिता के दोनों पैर मोड़ कर साइड में कर दिए उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया, जिससे उसकी चूत ऊपर उठ गई।
ललिता- आ आ..हह.. शरद कितना मज़ा आ रहा था उफ्फ चाटो ना.. मेरी चूत को आ आ.हह..!
शरद ने पास में रखी तेल की शीशी ली और ललिता की चूत पर ढेर सारा तेल लगाया और अपनी ऊँगली से अन्दर करने लगा।
ललिता- आ उफ्फ शरद दुखता है.. आ उई आ आ…!
सचिन पास खड़ा चूत का पोज़ ले रहा था और अपने एक हाथ से ललिता के मम्मों को भी दबा रहा था। शरद अपनी ऊँगली से ललिता की चूत को चोदने लगा ताकि आयल अच्छे से चूत में समा जाए और लौड़ा फिसल कर अन्दर जाए उसको तकलीफ़ कम हो।
पाँच मिनट तक शरद ऊँगली से चूत को चोदता रहा ललिता की चूत पानी छोड़ रही थी जिससे वो एकदम गीली हो गई थी और तेल ने भी अपना काम कर दिया था।
शरद ने लौड़े पर भी अच्छे से आयल लगाया और चूत की फाँक खोल कर टोपी अन्दर फंसा दी।
ललिता- आआ उउइई शरद बहुत दर्द हो रहा है आ.हह..!
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सचिन- भाई टोपी फँसाई तो इसका ये हाल है, अब तो भयंकर चीख निकलेगी इसकी…!
शरद- निकलने दो.. तभी तो लोगों को पता चलेगा कि ये कुँवारी कली है…अच्छे से रिकॉर्ड करना तुम…!
शरद ने लौड़े पर दबाव बनाया और एक इंच लौड़ा अन्दर घुसा दिया, चूत बहुत टाइट थी अगर तेल ना होता तो लौड़ा छिल जाता या चूत छिल जाती, चूत इतनी टाइट हो रही थी कि लौड़ा घुसते ही उसका दर्द के मारे ललिता का बदन अकड़ने लगा नशा उतरने लगा था।
ललिता- उई शरद उफ़फ्फ़ रूको अई बहुत दर्द हो रहा है, अई आह उ प्लीज़ रूको आ धीरे से आ आ.हह..!
शरद- मेरी जान अभी सील टूटी नहीं है अब दाँत भींच लो और देखो कैसे तुम्हें कली से फूल बनाता हूँ…!
इतना कहकर शरद ने कमर को पीछे किया और जोरदार धक्का मारा.. 4″ लौड़ा सील तोड़ता हुआ चूत में फँस गया।
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