RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
शरद जानता था कि पानी निकलते समय कितना भी दर्द हो, ये सह लेगी और वो एकदम स्पीड से लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगता है। ललिता कमर को उठा-उठा कर झड़ने लगती है। पाँच मिनट बाद ललिता एकदम शान्त पड़ गई, लेकिन शरद तो अब भी लौड़ा पेलने में लगा हुआ था।
अब ललिता की चूत में जलन होने लगी थी। उसको दर्द का अहसास भी हो रहा था, मगर वो शरद का साथ दे रही थी और दस मिनट तक शरद लौड़ा पेलता रहा। अब ललिता दोबारा गर्म हो गई थी।
ललिता- आ…हह..आ.. आ आह अब मज़ा आ रहा है… फक मी आ…हह..आ.. फक मी हार्ड आ…हह..आ.. आह उ उईईइ आआ आआ…!
शरद की कमर दुखने लगती है, कितने समय से वो झटके मार रहा था। वो ललिता पर लेट जाता है और लौड़ा निकाले बिना, उसको अपने ऊपर ले आता है। खुद नीचे लेट जाता है।
शरद- जान अब तुम मेरे लौड़े पर झटके दो मज़ा आएगा तुमको…!
दोस्तों ललिता हिम्मत वाली लड़की थी, वो इतने दर्द को सहन कर रही थी और अब लौड़े पर भी कूदने लगी थी।
पाँच मिनट तक ललिता कूदती रही, मगर उसको ज़्यादा अनुभव नहीं था, तो शरद को मज़ा नहीं आ रहा था। शरद ने उसको उतारा।
ललिता- अई.. क्या हुआ मज़ा आ रहा था शरद…!
शरद- जान जल्दी से घोड़ी बन जाओ, अब मेरा पानी निकालने वाला है, तुम धीरे-धीरे कूद रही थीं, अब देखो कैसे तुम्हें घोड़ी बना कर सवारी करता हूँ।
ललिता घोड़ी बन जाती है, शरद उसकी गोरी गाण्ड पर हाथ फेरता है।
शरद- वाह जान.. तुम्हारी गाण्ड भी बहुत मस्त मुलायम है, इसको भी मारने में मज़ा आएगा, फिलहाल तो तेरी चूत का मज़ा ले लूँ।
शरद ने लौड़ा चूत में पेल दिया और ललिता के बाल पकड़ कर सटा-सट शॉट मारने लगा।
ललिता- आआआआआ आआआआअ आआआअ एयाया आराम से आ उ आ उफ़फ्फ़ सस्सस्स आह धीरे आ आ…!
शरद- थोड़ा उहह उहह उहह.. सब्र कर ले जान उहह आह उहह उहह मेरा पानी निकलने वाला है ह..उहह अब स्पीड कम नहीं होगी आ…हह..आ.. क्या मस्त घोड़ी बनी है.. आ मज़ा आ गया आ…!
ललिता भी इतने तेज़ झटकों को सह नहीं पाई और उसकी चूत का बाँध भी टूटने लगा। अब दोनों चुदाई को एन्जॉय कर रहे थे।
ललिता- आआ आआ आ…हह..आ.. फक मी आ म मेरा भी आआ प..प..पानी आ न..नि निकाल आ आ…हह..आ.. र रहा है उफ्फ आ…!
करीब तीन मिनट तक ये तूफ़ान चलता रहा और दोनों एक साथ झड़ गए। ललिता की पूरी चूत पानी से भर गई थी। अब उसमें जरा भी ताक़त नहीं थी, वो उसी हालत में बेड पर ढेर हो गई। शरद भी उसके पास लेट गया और दोनों हाँफने लगे।
चलो दोस्तों इनका भी कार्यक्रम खत्म हुआ अब वापस रचना के पास चलते हैं। उन दोनों का अब तक रेस्ट पूरा हो गया होगा।
अमर- रचना तुम बहुत मस्त हो यार… कितने अच्छे से चुदवाती हो… अब तो बता दो वो कौन है, जिसने तुम्हारी सील तोड़ी थी.. मुझको तो साले से जलन होने लगी है।
रचना- भाई समय आने पर बता भी दूँगी और मिला भी दूँगी.. अब खुश अब थोड़ा आराम करने दो यार बहुत थक गई हूँ।
अमर- अभी कहाँ थकी हो यार.. थोड़ी देर रुक जाओ मेरा पप्पू फिर खड़ा होगा और चालू हो जाएँगे। मैं अबकी बार पानी गाण्ड में ही निकालूँगा।
रचना- नहीं भाई आपने बहुत बुरी तरह से गाण्ड मारी है, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी गाण्ड ठीक से टिक भी नहीं रही है।
अमर- अबकी बार आराम से मारूँगा, आज मेरा पप्पू बहुत पावर में है।
रचना- हाँ भाई कर लेना, मैंने कब मना किया है, आज तो आपका पप्पू पास हो गया हा हा हा हा हा…!
दोनों खिल-खिला कर हँसने लगते हैं।
रचना- भाई भूख लगी है, चलो शरद के पास चलते हैं, इसी बहाने ललिता को भी देख लेंगे।
अमर- हाँ ये ठीक रहेगा।
दोनों वैसे ही अन्दर बिना कुछ पहने, कपड़े पहन कर शरद के रूम की ओर चल पड़ते हैं।
रूम के पास जाकर रचना नॉक करती है, तो शरद उठ कर डोर खोल देता है। वो वैसे ही नंगा वापस आकर बेड पर लेट जाता है और एक चादर अपने और ललिता पर डाल लेता है।
रचना अन्दर आती है, उसके पीछे-पीछे अमर भी अन्दर आ जाता है।
ललिता उन दोनों को देख कर मुस्कुरा रही थी।
अमर- अरे वाह ललिता रानी.. उस समय तो आँखों में आँसू थे और अब होंठों पर मुस्कान क्या बात है..!
रचना- भाई ये सब शरद का कमाल है, जादूगर है वो ये देखो…!
इतना बोलकर रचना चादर खींच लेती है और वो दोनों नंगे उनकी आँखों के सामने आ जाते हैं। ललिता शरमा जाती है और अपने पैर मोड़ कर चूत छुपा लेती है और हाथों से मम्मों को ढक लेती है।
अमर- वाउ यार.. ललिता तुम तो बिना कपड़ों के मस्त लग रही हो… उस समय तो खून की वजह से मैंने ध्यान नहीं दिया और ये शरमा क्यों रही हो, मुझे भी तो दिखाओ अपनी जवानी।
ललिता- भाई प्लीज़ मुझे शर्म आ रही है।
रचना- ओये..होये.. मेरी छोटी बहना को शर्म आ रही है.. क्या बात है…!
अमर- क्यों जब शरद के साथ नंगी बैठी है उससे चुदाई की है तब शर्म नहीं आई तुमको..! अब शर्म आ रही है…!
शरद- अरे तुम दोनों क्यों बेचारी को छेड़ रहे हो.. तुम दोनों भी कपड़े निकाल दो, तब इसको शर्म नहीं आएगी, सही है ना ललिता…!
ललिता ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ कही।
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