Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
04-07-2019, 12:21 PM,
#28
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
सुधीर- अब आपको बताता हूँ उस दिन के एक दिन बाद रचना हमारे पास आई थी।
दोस्तों ऐसे आपको शायद मज़ा नहीं आ रहा होगा, तो चलो स्टोरी को सीधे वहीं ले चलती हूँ, ताकि आपको आराम से सारी बात समझ आ जाए।
अंकित- ओह्ह वाउ रचना आज तो मस्त लग रही हो।
रचना- बस अपनी बकवास बन्द करो, रात को तो बड़े दाँत निकाल कर हंस रहे थे तुम दोनों…!
सुधीर- सॉरी बाबा, एक बात कहूँ बुरा ना मानना पूनम खूबसूरत तो बहुत है, पर तुम्हारी तरह स्टाइलिश नहीं है। वो सीधी-साधी है बेचारी…!
रचना- बस अब मेरे सामने उसकी तारीफ मत करो और वो कोई सीधी नहीं है कुत्ती, जानबूझ कर इतना तैयार होकर आई थी ताकि सब उसके पीछे लट्टू हो जाएं। अब तुम दोनों मेरी मदद करो, मुझे उससे अपनी इस बेइज्जती का बदला लेना है।
अंकित- ओह्ह वाउ रानी को बदला लेना है, पर इसमे हमारा क्या फायदा होगा ये तो बताओ?
रचना- पैसों से बढ़ कर इस दुनिया में कुछ नहीं है, अपना मुँह खोलो कितना लोगे?
अंकित- वो बाद में पहले करना क्या होगा वो बताओ?
रचना- देखो प्लान तो मेरे पास नहीं है, पर कल रात मैंने गुस्से में घर में तोड़-फोड़ की, तब ललिता ने कहा कि तेज़ाब से उसका चेहरा जला दो, मगर मेरा भाई अमर कहता है पुलिस का चक्कर हो जाएगा। स्कूल में सब के सामने उसका मुँह काला कर दो अपने आप जलील हो जाएगी… साली।
अंकित- तो तुमने क्या सोचा?
रचना- ये सब नहीं मुझे कुछ बड़ा करना है ताकि वो किसी को हमारा नाम भी ना बताए और सारी उमर लोग उसको देख कर हँसे भी।
अंकित- ऐसा क्या सोचा है बताओ तो?
रचना- देखो हम उसे नींद की गोली देकर उसका न्यूड एमएमएस बना लेंगे और उसके चेहरे पर तेज़ाब की एक-दो बूंदे गिरा देंगे जिससे चेहरा जलेगा भी नहीं और दाग भी हो जाएगा और वो किसी को ये नहीं बता पाएगी क्योंकि हम उसको एमएमएस की धमकी देंगे।
सुधीर- वाउ.. क्या प्लान है, पर इसमें हम क्या करेंगे..? ये सब तो तुम खुद भी कर सकती हो और न्यूड एमएमएस वाउ.. मज़ा आ जाएगा…!
रचना- नहीं इतना सब मुझसे नहीं होगा, मैं उसको ले आऊँगी, बाकी काम तुमको ही करना है ओके…!
अंकित- ओके हो जाएगा 20000 लगेंगे और कब करना है कहाँ लाओगी उसको?
रचना- जगह का भी तुम ही बताओ?
सुधीर- मेरे अंकल के घर में ले आना, वहाँ कोई नहीं है सब कुछ दिनों के लिए गाँव गए हैं।
रचना- ओके कहाँ है, पता बता दो मुझे? कल सुबह ही उसको ले आती हूँ नींद की गोली तुम ले आना ओके..!
अंकित- ओके, पर उसको लाओगी कैसे?
रचना- वो मेरा टेन्शन है, बस कल तैयार रहना, तेज़ाब लाना भूलना मत, कल सुबह 9 बजे वहाँ पर मैं उसको ले आऊँगी।
सुधीर उसको पता बता देता है और उसके जाने के बाद।
सुधीर- यार अंकित न्यूड एमएमएस मतलब पूनम नंगी हमारे सामने होगी। यार अच्छा मौका है साली को रगड़ देंगे कल।


अंकित- लेकिन रचना का क्या करेंगे?
सुधीर- अरे उसके प्लान का उसी पर इस्तेमाल करेंगे, एक गोली उसको भी टिका देंगे, साली बहुत ज़्यादा स्मार्ट बनती है, पूनम के साथ-साथ उसका भी एमएमएस बना देंगे भाई सोचो दोनों टॉप की आइटम कल हमारे हाथ लगने वाली हैं, मज़ा आ जाएगा…!
अंकित- हाँ यार अब तू देख मैं कल नींद की नहीं, कोई और ही गोली लाता हूँ। दोनों को खिला कर मज़ा करेंगे हा हा हा हा हा…!
इन दोनों की बातें सुनकर शरद का तो सर चकरा गया था। रचना इस हद तक जा सकती है, ये तो उसने सोचा भी नहीं था। अशोक भी एकदम चुप उनकी बातें सुन रहा था।
सचिन- अरे बाप रे साली राण्ड ऐसा गेम खेली और मादरचोदो तुम उसके भी बाप निकले। हाँ आगे बताओ, क्या रचना के साथ भी उस दिन तुमने खेल खेला? कौन सी गोली लाए थे? बताओ सालों मुझे जानना है सारी बात?
अंकित- हाँ बताता हूँ भाई, मैंने वो गोली लाया था जो ड्रग्स की तरह काम करती है। इसे लेने के बाद इंसान होश में तो रहता है लेकिन दिमाग़ सुन्न हो जाता है और इससे सेक्सी फीलिंग्स आती हैं। कपड़े निकाल फेंकने का मन करता है। बड़ी मुश्किल से मैंने गोलियों का बंदोबस्त किया था। दूसरे दिन सुबह 9 बजे रचना और पूनम वहाँ आ गए।
शरद- चुप क्यों हो गया, बोल साले आगे क्या हुआ?
अंकित ने सीढ़ियों की तरफ इशारा किया। वहाँ कोई खड़ा आराम से इनकी बात सुन रहा था। सब की नज़र एक साथ सीढ़ी की ओर गई।

शरद- ललिता… तुम यहाँ क्या कर रही हो? कब आईं..?
ललिता- ओह शरद, तुम कहाँ चले गए, सभी जगह ढूँढ़ कर ही यहाँ आई हूँ और ये सब कौन है और सुधीर, अंकित तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
शरद धीरे से बोलता है, “इसने कुछ नहीं सुना शायद सब नॉर्मल रहना..!”
शरद- आओ ललिता यहाँ आओ, तुमको सब से मिलवाता हूँ।
ललिता नीचे आ जाती है, ब्लैक टी-शर्ट और ब्लू स्कर्ट में बड़ी सेक्सी लग रही थी। उसको देख कर अंकित और सुधीर की तो लार टपकने लगी थी।
ललिता सब को ‘हाय’ बोलती है।
शरद- ललिता ये अशोक है और ये सचिन रचना की फ़िल्म का हीरो और अशोक अब तुम्हारा हीरो बनेगा, फिल्म में…. ‘हाय’ करो…!
ललिता बड़ी नजाकत से अशोक के पास जाकर हाथ आगे बढ़ा कर उसको ‘हैलो’ कहती है। अशोक भी उसका हाथ पकड़ कर चूम लेता है।
ललिता- इन दोनों को मैं जानती हूँ, ये यहाँ क्या कर रहे हैं?
शरद- व वो दरअसल ये धरम अन्ना के आदमी हैं फिल्म में इनका भी काम है, इसलिए यहाँ आए हैं।
ललिता- ओह्ह वाउ.. सब एक साथ काम करेंगे तो मज़ा आएगा।
शरद- अभी हम फिल्म की ही बात कर रहे थे तुमने सीन तो सुन हे लिया होगा..!
ललिता- नहीं तो, मैं आई तब अंकित चुपचाप मेरी तरफ देख रहा था। आप ने इसको आगे बोलने को कहा और अंकित ने मेरे आने का इशारा कर दिया बस…!
शरद- ओह्ह मैं समझा तुमने स्टोरी सुन ली है, कोई बात नहीं तुम चलो ऊपर, मैं सब समझाता हूँ।
ललिता को कुछ समझ नहीं आता है, वो शरद के साथ वापस ऊपर चली जाती है और जाते-जाते शरद सचिन को इशारा करके जाता है कि इनका ख्याल रखना।
अंकित- ओह्ह मा.. ये क्या है, सचिन कौन सी फिल्म और कौन धरम अन्ना यहाँ कौन सा गेम चल रहा है? यार पटाखा यहाँ क्या कर रही है?
सुधीर- माँ कसम.. क्या लग रही थी साली, मन तो किया अभी उसकी गाण्ड पकड़ लूँ। साली हमेशा तड़पाती है, पर हाथ नहीं आती है।
सचिन- रचना भी यहीं है, अगर तुम दोनों शरद की बात मानोगे, तो दोनों बहनें तुमको मिल सकती हैं.. बोलो क्या बोलते हो?
अंकित- सचिन भाई गर्दन उड़ा देना, अगर मैं शरद भाई की बात मानने से इन्कार करूँ तो… बस रचना की दिला दो, उस रंडी को पटक-पटक कर चोदना चाहता हूँ। साली का सारा गुरूर उसकी चूत से पानी बना कर निकाल दूँगा और ललिता की तो गाण्ड मारूँगा हर बार साली गाण्ड हिला कर लौड़ा खड़ा कर जाती है।
सुधीर- हाँ मैं भी रेडी हूँ बस ललिता और रचना को नंगी आपने आजू-बाजू सुलाना चाहता हूँ उनको बेदर्दी से चोदना चाहता हूँ।
अशोक की आँखों में गुस्सा था, पर पता नहीं, वो क्या सोच कर चुप था। शरद और ललिता वापस रूम में चले जाते हैं।
रचना- कहाँ चले गए थे आप?
शरद- मैंने रूम से बाहर आने को मना किया था न…! हम फिल्म के बारे में ही बात कर रहे हैं। धरम अन्ना भी अभी तक नहीं आया।
रचना- अमर कहाँ है?
शरद- वो धरम अन्ना के पास गया है, उसके साथ वापस आएगा। अब तुम दोनों यहीं रहना ओके..! मैं आता हूँ।
इतना बोलकर शरद बाहर निकल जाता है। रचना को कुछ समझ नहीं आता है।
बाहर आकर शरद किसी को फ़ोन करता है कि अन्दर आओ।
एक आदमी अन्दर आ जाता है। शरद उसको कमरे के पास खड़ा कर देता है और उसको समझा देता है कि इनको बाहर मत आने देना और खुद धरम अन्ना को फ़ोन करता है।
शरद- कहाँ हो धरम अन्ना? अब तक आए नहीं..!
धरम अन्ना- हम थोड़ा समय बाद आता जी यहाँ थोड़ी गड़बड़ हो गई है, आकर बताता हूँ। अभी फ़ोन रखता हूँ।
शरद सीधा नीचे जाता है।
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