RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
ललिता को गुस्से में देख कर धरम अन्ना के होश उड़ जाते हैं।
धरम अन्ना- बेबी हम तुम्हारे पैर पकड़ता जी प्लीज़ यहाँ किसी को कुछ मत कहना जी हम मर जाएगा जी प्लीज़…!
ललिता- साले कुत्ते, तेरी इतनी हिम्मत हो गई है मेरी दीदी को गंदा कर दिया है। तुझे जरा भी डर नहीं लगा मेरा हाँ अब देख मैं क्या करती हूँ..! बहुत शौक है ना तुझे ब्लू-फिल्म बनाने का… अब तेरी फिल्म सबको मैं दिखा दूँगी और टीना को सब कुछ बता दूँगी मैं.. फिर देखती हूँ कितना बहादुर है तू…!
धरम अन्ना- नहीं जी ऐसा मत करना… मैं कुछ नहीं करूँगा जी प्लीज़ अगर टीना को ये बात पता चल गई तो वो मर जाएगी प्लीज़…!
ललिता- अगर मैं चाहूँ तो तुमको कब का मार देती, पर क्या करूँ मजबूर हूँ टीना मेरी बेस्ट-फ्रेंड है और तुमने तो बहुत कोशिश की कि मुझे रास्ते से हटा दो, पर कामयाब नहीं हुए क्यों…. मार दो मुझे… तुम्हारा डर ख़त्म हो जाएगा…!
धरम अन्ना- नहीं जी तुम वो वीडियो किसके पास रखा जी बहुत हरामी होना वो.. अगर मैंने तुमको टच भी किया तो वो मेरी लाइफ बर्बाद कर देगा जी।
ललिता- मन तो करता है, तुझे अभी जान से मार दूँ, पर तेरे जैसे गंदे आदमी के खून से मेरे हाथ ही गंदे होंगे। अब बाहर जाकर तेरे जो मन में आए वो झूट बोल और यहाँ से निकल जा.. मेरे भाई को मारा तुमने.. उसका बदला मैं बाद में लूँगी.. अभी तो मुझे शरद और अशोक को मनाना है।
वहाँ अशोक और सचिन अमर को गाड़ी से निकाल कर उस रूम में ले जाते हैं, जहाँ सब मौजूद थे।
अमर- छोड़ो मुझे सालों एक-एक को देख लूँगा मैं…!
अशोक उसको कोने में लेजा कर धमकाने लगता है। सचिन भी कहाँ पीछे रहने वाला था, वो भी उसके साथ गालियाँ बकने लगा।
अशोक- साले मेरी बहन के साथ गंदा किया तूने… हाँ मादरचोद तेरे को जान से मार दूँगा मैं…!
सुधीर भाग कर उसको छुड़ाता है।
सुधीर- भाई… इससे हमको रेट भी तो पूछना है इसकी बहन का… जाने दो आप… हम देख लेंगे आप बाहर जाओ…!
सचिन- चल अशोक इसको ये सब बता देंगे बाहर चलते हैं।
वो दोनों बाहर आए तभी धरम अन्ना और ललिता भी बाहर आ जाते हैं।
धरम अन्ना- शरद जी हमको थोड़ा अर्जेंट काम होना जी हम जाता, आप का प्लान तो कामयाब हो गया जी… अब आप अपने हिसाब से बदला लो.. मेरे को जाने दो…!
शरद- क्यों धरम अन्ना आख़िर बात क्या है? मैं बहुत समय से देख रहा हूँ तुम ललिता से नजरें नहीं मिला रहे हो और इसने ऐसा क्या कह दिया जो रचना को
बिना चोदे जा रहे हो?
धरम अन्ना- चोद लिया जी बस मन भर गया। आप मेरा बहुत अच्छा दोस्त होना जी।
प्लीज़ मुझ को जाने दो मैं तुमको नहीं बता सकता जी प्लीज़…!
अशोक- ललिता, ऐसा क्या कह दिया तुमने..! ये क्यों जा रहा है? ऐसी क्या बात हुई तुम दोनों के बीच… हाँ…!
धरम अन्ना- नहीं अशोक जी प्लीज़ इसको कुछ मत पूछो, मैं आपसे वादा करता हूँ समय आने पर खुद आपको बताएगा जी… अभी मैं जाता और ललिता तुमको तुम्हारी माँ का कसम जी किसी को कुछ मत बताना जी..!
शरद- अरे धरम अन्ना ऐसा क्या हो गया जो तुम ऐसे घबरा रहे हो?
धरम अन्ना- प्लीज़ शरद जी मेरे को जाने दो बाद में सब मैं खुद बताएगा जी..!
धरम अन्ना आपने आदमी लेकर वहाँ से चला जाता है। अशोक और सचिन बस ललिता को देख रहे थे और शरद कुछ सोच रहा था। रचना अब भी वहीं खड़ी थी। शरद सीधा उस रूम में जाता है जहाँ वो तीनों थे।
अमर- शरद ये सब क्या है? इन लोगों ने मुझे सब बता दिया है तुम बदला लेने के लिए इतना गिर जाओगे..! मैं सोच भी नहीं सकता।
शरद- चुप बहनचोद मैं अपनी जान का बदला लेने के लिए तुम लोगों के साथ खेल रहा हूँ.. पर तू तो अपनी बहनों को चोद चुका है, तुझे शर्म नहीं आई..!
अंकित- क्या… इसने दोनों को चोदा है… हाय रे हमारी फूटी किस्मत…. साले हमें भी देदे ना अपनी दोनों रंडी बहनों को कसम से बड़े प्यार से चोदेंगे।
अमर- चुप कर साले हरामी तेरी औकात में रह…!
सुधीर को गुस्सा आ गया और वो उठकर गया और उसने अमर का कॉलर पकड़ लिया, अंकित भी साथ हो लिया। शरद ने उनको रोका अमर बेहाल सा होकर एक साइड में बैठ गया।
शरद- साले अगर जीना चाहता है तो वहीं बैठा रह।
अमर कुछ बोलना चाहता था, पर अभी उसे ठुकाई का डर उसको याद आ गया।
शरद उन दोनों को समझा कर बाहर आ जाता है।
शरद- ललिता ऐसी क्या बात की तुमने धरम अन्ना से कि वो दुम दबा कर भाग गया।
मैं पागल नहीं हूँ सब समझता हूँ तू मेरे को झूट बोली ना कि तू हमारे साथ है… साली छिनाल… अपनी बहन को बचाने के लिए तू तड़प रही है। अब देख तुम दोनों का क्या हाल करता हूँ मैं..!
ललिता- नहीं शरद जी आप गलत सोच रहे हो। मैं बस उस धरम अन्ना से दीदी को नहीं चुदवाना चाहती थी। मुझे नफ़रत है उस आदमी से।
शरद- क्यों उसने तेरी गाण्ड मारी थी क्या? जो नफ़रत है?
ललिता- प्लीज़ अभी कुछ मत पूछो, आपके दोस्त की बदनामी होगी उसने आपको मना भी किया पूछने से…!
रचना- शरद प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो, मैंने जो किया गुस्से में किया, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो…!
शरद- साली, बहन की लौड़ी अब माफी माँग रही है, इतनी आसानी से तुझे माफी नहीं मिलेगी, पहले तेरा घमण्ड तोड़ूँगा मैं…!
ललिता चुप खड़ी सब सुन रही थी और शरद रचना को गालियाँ दे रहा था। बस रचना माफी माँगे जा रही थी, तभी सुधीर दवा लेकर आ गया। शरद वो गोली लेकर पानी के गिलास में मिला देता है और सुधीर के साथ मिलकर ज़बरदस्ती रचना को पिला देता है। रचना बचने की बहुत कोशिश करती है, पर नाकाम रहती है। पाँच मिनट तक सब शान्त थे रचना को चक्कर आने लगे।
शरद- सुधीर जाओ अंकित को बुला ला…!
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