RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
सुधीर अन्दर जाता है अंकित शराब पीकर मस्त था। सुधीर भी बोतल साथ ले आया और किसी भूखे कुत्ते की तरह वो रचना को घूरने लगे।
रचना- प्लीज़ शरद जी मुझे माफ़ कर दो प्लीज़ अशोक तुम तो माफ़ कर दो मुझे… इन कुत्तों के हवाले मत करो… इन्होंने सिम्मी को बहुत तड़पाया था प्लीज़…!
ये सुनकर अशोक के रोंगटे खड़े हो गए, पर तभी शरद बोल पड़ा।
शरद- सालों जैसा उस दिन किया अगर आज वैसा नहीं हुआ ना तो तुम दोनों को जान से मार दूँगा मैं…!
सुधीर- हाँ भाई आप बस देखो दोनों बहनों को आज तड़पा-तड़पा कर चोदेंगे…!
ललिता- प्लीज़ शरद अब भी वक़्त है रोक लो इन्हें… दीदी को माफ़ कर दो.. आपने हमारे साथ जो किया आप उसको कैसा बदला समझा रहे हो…. हाँ… अरे आपने चोदा और सब से चुदवाया.. साथ में मेरी भी लाइफ बर्बाद कर दी। मेरा तो कोई कसूर ही नहीं था.. प्लीज़ समझो बात को.. दीदी जलन में अंधी हो रही
थी और आप बदले की भावना में अंधे हो रहे हो।
शरद- चुप कर कुत्ती… सिम्मी मेरी जान थी…!
ललिता- अरे तो उसकी मौत का कितना बदला लोगे… हाँ… हम दोनों बहनों की इज़्ज़त आपने दांव पर लगा दी.. ये दो कुत्ते जिन्होंने सिम्मी को बर्बाद किया। आप इनको दोबारा वो ही हैवानियत करने को बोल रहे हो… इससे अच्छा तो है मार दो..! हमें ताकि तुम्हारे दिल को सुकून मिले, अरे मैं तो कब से जानती हूँ पर मैं
चुप रही, क्योंकि मैं भी मानती हूँ दीदी ने गलत किया, पर कहाँ लिखा है? जो पाप करे उसके घर वालों को भी सज़ा मिलनी चाहिए..! अब तुमको जो
करना है करो, लेकिन मैं बेगुनाह हूँ, तुमने मेरे साथ जो किया उसका बदला मुझे देदो मेरी इज़्ज़त वापस देदो, फिर मार दो दीदी को..!
ललिता रोए जा रही थी और बोल रही थी। रचना को होश नहीं था, पर वो अन्दर से रो रही थी। अमर भी बाहर आ गया और अशोक के पैर पकड़ लिए।
अमर- प्लीज़ ललिता की बात मान लो, माफ़ कर दो हमको, नादानी समझो या सेक्स की भूख हमसे ग़लती हुई है, प्लीज़ माफ़ कर दो…!
अशोक- भाई एक बात कहूँ जो हुआ गलत हुआ अब हम जो कर रहे हैं.. वो भी गलत है, जाने दो ना, इनको सज़ा मिलनी थी मिल गई, इन कुत्तों को सज़ा
दे दो, मैं नहीं रोकूँगा बस।
“ओके तुम कहते हो, तो मान लेता हूँ। ये माफी के काबिल तो नहीं है, पर ललिता की बातों ने मुझे भी झकजोर दिया है।”
शरद की बात सुनकर सुधीर और अंकित सन्न रह गए।
सुधीर- सालों हमें मारने का सोच रहे हो क्या? हम पागल हैं… भाग अंकित वरना ये साले छोड़ेंगे नहीं हमको…!
वो दोनों भागते इसके पहले अशोक ने उनको पकड़ लिया। नशे की हालत में कहाँ भागते कुत्ते। उन दोनों को वापस अन्दर बन्द कर दिया और सब रूम में आकर बैठ गए और बातें करने लगे।
सचिन- यार सही है, जो हुआ बहुत हुआ इतनी सज़ा काफ़ी है भाई उन वीडियो का क्या करना है अब…!
शरद- ख़त्म कर दो सब, आज ललिता ने हमें पाप करने से बचा लिया है।
अशोक- मगर भाई इस अमर ने मेरी सिम्मी की गाण्ड मारी थी। इसको सज़ा तो मिलनी चाहिए ना…!
अमर- अरे यार अब सब ठीक हो गया, प्लीज़ भूल जा ना और तू मेरी बहन की गाण्ड मार ले। हिसाब बराबर हो जाएगा… प्लीज़ यार हम सब एन्जॉय करेंगे न…!
शरद- साला बहनचोद इतना बड़ा हरामी है ना तू इतना सब हो गया अब भी तेरी लार टपक रही है चूत पर…!
ललिता- शरद जी इसमें गलत क्या कहा भाई ने…! अब सब ठीक हो गया है तो चलो ना एक ग्रुप-सेक्स हो जाए मज़ा आएगा…!
अमर- रचना को देखो, उसको तो होश ही नहीं है, कहाँ शामिल हो पाएगी वो…!
ललिता- मैं हूँ न.. सब मिलकर मुझे चोदो मेरा हाल से बेहाल कर दो ताकि दीदी ने जो किया, उसकी सज़ा के तौर पर मैं अपने आप को खुश समझूँगी कि मैंने
दीदी को बचा लिया।
अशोक- नहीं ललिता तुम सह नहीं पाओगी। हम 4 हैं.. मर जाओगी और अब सज़ा किस बात की? सब ठीक हो गया ना?
ललिता- अरे अशोक जी सज़ा नहीं, तो मज़ा ही सही… पर मेरा मन है, बस हम ग्रुप-सेक्स करेंगे..! चोदो मुझे सब मिल कर मज़ा लो मेरी जवानी का…!
अमर- जा भाई अशोक इसकी गाण्ड पर तेरा हक़ है, तू तोड़ इसकी गाण्ड की सील..! मैं तो चूत से मन भर लूँगा।
शरद- ये सही रहेगा, सचिन तुम इसके मुँह को चोदो मैं धरम अन्ना के पास जाकर आता हूँ।
ललिता- ओह शरद जी आप के बिना मज़ा नहीं आएगा। सब से बड़ा हथियार तो आपके पास है।
अशोक- अरे यार ललिता अब शरद क्या तेरे कान में लौड़ा डालेगा? जाने दे ना उसको..!
ललिता- नहीं, अशोक भाई रचना को चोद लेगा वैसे भी मैंने उससे चुदाई करवा ली है। अब सचिन को चूत का स्वाद दूँगीं, आप गाण्ड मारना और शरद जी के लौड़े का टेस्ट बहुत अच्छा है। मैं उसको चुसूंगी बस…!
अमर- अरे वाह मैं अकेला रचना को आराम से चोदूँगा, सोई हुई भी बड़ी मस्त लग रही है वो, पहले चूत से शुरू करता हूँ.. यार ललिता वो तो सोई है, जल्दी से मेरा लौड़ा चूस कर गीला कर दे न.. प्लीज़…!
ललिता- ओके ओके.. सब कपड़े निकाल दो, अब यहाँ कोई कपड़े में नहीं रहेगा। अमर दीदी को भी नंगा कर दो जल्दी से…!
सुधीर अन्दर जाता है अंकित शराब पीकर मस्त था। सुधीर भी बोतल साथ ले आया और किसी भूखे कुत्ते की तरह वो रचना को घूरने लगे।
रचना- प्लीज़ शरद जी मुझे माफ़ कर दो प्लीज़ अशोक तुम तो माफ़ कर दो मुझे… इन कुत्तों के हवाले मत करो… इन्होंने सिम्मी को बहुत तड़पाया था प्लीज़…!
ये सुनकर अशोक के रोंगटे खड़े हो गए, पर तभी शरद बोल पड़ा।
शरद- सालों जैसा उस दिन किया अगर आज वैसा नहीं हुआ ना तो तुम दोनों को जान से मार दूँगा मैं…!
सुधीर- हाँ भाई आप बस देखो दोनों बहनों को आज तड़पा-तड़पा कर चोदेंगे…!
ललिता- प्लीज़ शरद अब भी वक़्त है रोक लो इन्हें… दीदी को माफ़ कर दो.. आपने हमारे साथ जो किया आप उसको कैसा बदला समझा रहे हो…. हाँ… अरे आपने चोदा और सब से चुदवाया.. साथ में मेरी भी लाइफ बर्बाद कर दी। मेरा तो कोई कसूर ही नहीं था.. प्लीज़ समझो बात को.. दीदी जलन में अंधी हो रही
थी और आप बदले की भावना में अंधे हो रहे हो।
शरद- चुप कर कुत्ती… सिम्मी मेरी जान थी…!
ललिता- अरे तो उसकी मौत का कितना बदला लोगे… हाँ… हम दोनों बहनों की इज़्ज़त आपने दांव पर लगा दी.. ये दो कुत्ते जिन्होंने सिम्मी को बर्बाद किया। आप इनको दोबारा वो ही हैवानियत करने को बोल रहे हो… इससे अच्छा तो है मार दो..! हमें ताकि तुम्हारे दिल को सुकून मिले, अरे मैं तो कब से जानती हूँ पर मैं
चुप रही, क्योंकि मैं भी मानती हूँ दीदी ने गलत किया, पर कहाँ लिखा है? जो पाप करे उसके घर वालों को भी सज़ा मिलनी चाहिए..! अब तुमको जो
करना है करो, लेकिन मैं बेगुनाह हूँ, तुमने मेरे साथ जो किया उसका बदला मुझे देदो मेरी इज़्ज़त वापस देदो, फिर मार दो दीदी को..!
ललिता रोए जा रही थी और बोल रही थी। रचना को होश नहीं था, पर वो अन्दर से रो रही थी। अमर भी बाहर आ गया और अशोक के पैर पकड़ लिए।
अमर- प्लीज़ ललिता की बात मान लो, माफ़ कर दो हमको, नादानी समझो या सेक्स की भूख हमसे ग़लती हुई है, प्लीज़ माफ़ कर दो…!
अशोक- भाई एक बात कहूँ जो हुआ गलत हुआ अब हम जो कर रहे हैं.. वो भी गलत है, जाने दो ना, इनको सज़ा मिलनी थी मिल गई, इन कुत्तों को सज़ा
दे दो, मैं नहीं रोकूँगा बस।
“ओके तुम कहते हो, तो मान लेता हूँ। ये माफी के काबिल तो नहीं है, पर ललिता की बातों ने मुझे भी झकजोर दिया है।”
शरद की बात सुनकर सुधीर और अंकित सन्न रह गए।
सुधीर- सालों हमें मारने का सोच रहे हो क्या? हम पागल हैं… भाग अंकित वरना ये साले छोड़ेंगे नहीं हमको…!
वो दोनों भागते इसके पहले अशोक ने उनको पकड़ लिया। नशे की हालत में कहाँ भागते कुत्ते। उन दोनों को वापस अन्दर बन्द कर दिया और सब रूम में आकर बैठ गए और बातें करने लगे।
सचिन- यार सही है, जो हुआ बहुत हुआ इतनी सज़ा काफ़ी है भाई उन वीडियो का क्या करना है अब…!
शरद- ख़त्म कर दो सब, आज ललिता ने हमें पाप करने से बचा लिया है।
अशोक- मगर भाई इस अमर ने मेरी सिम्मी की गाण्ड मारी थी। इसको सज़ा तो मिलनी चाहिए ना…!
अमर- अरे यार अब सब ठीक हो गया, प्लीज़ भूल जा ना और तू मेरी बहन की गाण्ड मार ले। हिसाब बराबर हो जाएगा… प्लीज़ यार हम सब एन्जॉय करेंगे न…!
शरद- साला बहनचोद इतना बड़ा हरामी है ना तू इतना सब हो गया अब भी तेरी लार टपक रही है चूत पर…!
ललिता- शरद जी इसमें गलत क्या कहा भाई ने…! अब सब ठीक हो गया है तो चलो ना एक ग्रुप-सेक्स हो जाए मज़ा आएगा…!
अमर- रचना को देखो, उसको तो होश ही नहीं है, कहाँ शामिल हो पाएगी वो…!
ललिता- मैं हूँ न.. सब मिलकर मुझे चोदो मेरा हाल से बेहाल कर दो ताकि दीदी ने जो किया, उसकी सज़ा के तौर पर मैं अपने आप को खुश समझूँगी कि मैंने
दीदी को बचा लिया।
अशोक- नहीं ललिता तुम सह नहीं पाओगी। हम 4 हैं.. मर जाओगी और अब सज़ा किस बात की? सब ठीक हो गया ना?
ललिता- अरे अशोक जी सज़ा नहीं, तो मज़ा ही सही… पर मेरा मन है, बस हम ग्रुप-सेक्स करेंगे..! चोदो मुझे सब मिल कर मज़ा लो मेरी जवानी का…!
अमर- जा भाई अशोक इसकी गाण्ड पर तेरा हक़ है, तू तोड़ इसकी गाण्ड की सील..! मैं तो चूत से मन भर लूँगा।
शरद- ये सही रहेगा, सचिन तुम इसके मुँह को चोदो मैं धरम अन्ना के पास जाकर आता हूँ।
ललिता- ओह शरद जी आप के बिना मज़ा नहीं आएगा। सब से बड़ा हथियार तो आपके पास है।
अशोक- अरे यार ललिता अब शरद क्या तेरे कान में लौड़ा डालेगा? जाने दे ना उसको..!
ललिता- नहीं, अशोक भाई रचना को चोद लेगा वैसे भी मैंने उससे चुदाई करवा ली है। अब सचिन को चूत का स्वाद दूँगीं, आप गाण्ड मारना और शरद जी के लौड़े का टेस्ट बहुत अच्छा है। मैं उसको चुसूंगी बस…!
अमर- अरे वाह मैं अकेला रचना को आराम से चोदूँगा, सोई हुई भी बड़ी मस्त लग रही है वो, पहले चूत से शुरू करता हूँ.. यार ललिता वो तो सोई है, जल्दी से मेरा लौड़ा चूस कर गीला कर दे न.. प्लीज़…!
ललिता- ओके ओके.. सब कपड़े निकाल दो, अब यहाँ कोई कपड़े में नहीं रहेगा। अमर दीदी को भी नंगा कर दो जल्दी से…!
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