10-25-2019, 01:38 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,138
Threads: 4,453
Joined: May 2017
|
|
RE: Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ
छोकरी ने यही एक्शन बार बार दुहराया और फिर तेजी से मुझे चोदने लगी और फिर थोड़ी ही देर में किसी कामोनमत्त नवयौवना की भांति लज्जा का परित्याग कर कामुक आहें कराहें किलकारियां निकालती हुई मुझे चोदने लगी.
मैं बड़े आराम से उसकी नटखट चूचियों का उछालना कूदना देखता रहा; बीच बीच में मैं उसके निप्पलस खींच कर अपने सीने पर रगड़ने लगता और उसके कूल्हों के बीच की दरार को, उसकी गांड के झुर्रीदार छिद्र को अपनी उँगलियों से सहलाने लगता जिससे छोकरी की वासना और प्रचण्ड रूप ले लेती और वो किसी हिस्टीरिया के मरीज की तरह अपनी कमर चलाने लगती.
कई बार ऐसा हुआ कि मेरा लंड फिसल कर उसकी चूत से बाहर निकल गया लेकिन उसने जल्दी ही मेरे लंड की लेंग्थ के हिसाब से अपनी कमर उठाना और गिराना सीख लिया और फिर एक बार भी लंड को बाहर नहीं निकलने दिया. वो छोकरी ऐसे ही करीब पांच सात मिनट मुझे चोदती रही फिर थक कर उतर गयी मेरे ऊपर से.
'' मास्टर जी थक गयी मैं तो. अब आप आओ मेरे ऊपर!” वो मेरा हाथ पकड़ कर खींचती हुई बोली.
उस छोकरी के संग चुदाई का पहला दौर ही काफी लम्बा खिंच गया था जिसकी मुझे कतई उम्मीद नहीं थी. समय बहुत हो चुका था. ऐसा सोच कर मैंने नवयौवना को दबोच लिया और फचाक से उसकी चूत में लंड पेल कर उसे चोदने लगा; अब झड़ने की जल्दी मुझे थी सो मैंने ताबड़तोड़, आढ़े तिरछे गहरे शॉट्स उसकी चूत में मारने शुरू किये; छोकरी किसी कुशल प्रतिद्वन्दी की तरह लगातार मेरे लंड से अपनी चूत लड़वाती रही.
मास्टर जी मास्टर जी, मुझे कसके पकड़ लो आप, जमीन सी हिल रही है मेरे भीतर से कुछ तेज तेज निकल रहा है.” वो बोली और फिर वो झटके से मुझसे लिपट गयी.
और मुझे अपनी बांहों में पूरी शक्ति से कस लिया और अपनी टाँगें मेरी कमर में लपेट दीं.
“अरे बेटा रुक तो सही, मेरा पानी निकलने वाला है; मुझे बाहर निकालने दे.” मैंने उसे चेतावनी दी.
'' कोई नही मेरे भीतर ही भर दो आप तो!” वो मुझसे कस के लिपटते हुए बोली कि कहीं मैं उससे अलग न हट जाऊं.
“अरे तुझे कुछ हो गया तो?”
'' कुछ नही होगा … मैं इसे गर्भ निरोधक गोली दे दूँगी आप अपना पूरा मज़ा लीजिए मास्टर जी !” सेठानी ने कहा
सेठानी की बात सुन कर अब मुझे क्या चिंता होनी थी, मैंने आखिरी दस बीस धक्के और लगा कर अपना काम भी तमाम किया और मेरा लंड लावा उगलने लगा. उधर कोकरी की चूत के मस्स्ल्स फैल सिकुड़ कर मेरे लंड से वीर्य को निचोड़ने लगे, एक एक बूंद निचुड़ गयी उसकी चूत में और फिर उसकी चूत एकदम से सिकुड़ गयी और मेरा लंड शहीद होकर बाहर निकल गया.
इसके बाद हम अलग हो गये और छोकरी ने अपनी चूत पास पड़ी चादर से अच्छे से पौंछ डाली और अपने कपड़े पहन लिए और बालों का जूडा खोल कर बाल फिर से बिखरा लिए.
मैंने भी लंड पौंछा और आँखे बंद कर लेट गया
|
|
10-25-2019, 01:39 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,138
Threads: 4,453
Joined: May 2017
|
|
RE: Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ
लेकिन सिर्फ इतने भर से ही मुझे संतोष होने वाला नहीं था, पता नहीं अभी मीना लंड से चोदने को मिले न मिले क्योंकि सेठानी अपने सामने मीना को चुदवाना चाहती थी ; पर मैं उसकी नंगी चूत से तो खेल ही सकता था. इसी धुन में मैंने उसकी कुर्ती पेट के ऊपर से ऊपर की तरफ चुचियों तक सरका दी इससे उसका पेट अनावृत हो गया. उफ्फ क्या मखमली जिस्म पाया था मीना ने!
मैंने उसके पेट को सहलाया और फिर उसकी नाभि में उंगली रख के हिलाया; इतने से ही मीना हिल गयी और उसकी हंसी छूट गयी- मास्टर जी गुदगुदी मत करो ऐसे!
वो अपने मुंह पर हाथ रख कर खिलखिलाते हुए बोली.
लेकिन मैंने उसकी बात अनसुनी करते हुए अपना हाथ झटके से उसकी सलवार में घुसा दिया और इससे पहले कि मीना कुछ समझ पाती या संभल पाती मैंने उसकी पैंटी की इलास्टिक के नीचे से उंगलियां अन्दर सरका दीं और उसकी नंगी झांटों भरी चूत मेरी मुट्ठी में कैद हो गयी; मुझे लगा जैसी कोई ताजा मुलायम नर्म गर्म पाव मैंने पकड़ रखा हो. मेरी हसरत पूरी हो चुकी थी. मीना की इज्जत मेरी मुट्ठी में कैद थी.
उसका लालकिला मेरे अधिकार में आ चुका था बस अब उसमें प्रवेश करके उसे भोगना, उस पर राज करना, उसकी प्राचीर की सवारी करना भर शेष रह गया था.
मैंने अपनी मुट्ठी खोल के हथेली उसकी चूत से चिपका दी और झांटों को सहलाता, खींचता हुआ उसकी चूत से खेलने लगा; बीच बीच में मैं उसकी झांटें हौले से खींच लेता तो वो चिहुंक पड़ती. उसकी गद्देदार नंगी चूत को यूं सहलाने का आनन्द ही अलग आ रहा था. चूत की फांकें आपस में चिपकी हुईं थीं मैंने दरार में उंगली ऊपर से नीचे तक और नीचे से ऊपर तक फिरा दी.
मीना ने मेरा कन्धा पकड़ कर जोर से अपने नाखून मेरे कंधे में गड़ा दिए, शायद उत्तेजना वश उसने ऐसा किया होगा.
अब मैं उसकी चूत को मुट्ठी में भर कर दबाने, मसलने के साथ साथ दरार में कुरेदने लगा; उसकी चूत के रस से मेरा हाथ चिपचिपा हो गया. फिर मैंने अपने अंगूठे को चूतरस से गीला करके उसकी चूत का दाना टटोलने लगा, अंगूठे से अनारदाने को छेड़ने लगा.
लड़की की क्लिट को छेड़ो और वो चुदने को न मचल जाए ऐसा तो हो ही नहीं सकता. मीना ने भी अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया और आनन्द से आंखें मूंद लीं और और अपने पैर और चौड़े कर दिए इससे उसकी चूत और खुल गयी और मुझे उससे खेलने के लिए ज्यादा स्थान मिलने लगा.
|
|
10-25-2019, 01:39 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,138
Threads: 4,453
Joined: May 2017
|
|
RE: Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ
ऐसा कोई एक डेढ़ मिनट ही चला होगा कि वो मेरा हाथ अपनी चूत पर से हटाने का प्रयास करने लगी. वो मेरा हाथ अपनी चूत से हटाने का भरपूर प्रयास करती लग रही थी. लेकिन उसके हाथ में शक्ति नहीं बस एक तरह की रस्म अदायगी सी लगी मुझे. कि कहीं मैं उसे इतना बेशर्म, इतनी चीप न समझ लूं कि मैं उसकी चूत को छेड़ रहा था और वो चुपचाप बिना कोई प्रतिवाद किये अपनी चूत में उंगली करवाते हुए चुपचाप मजा लेती रही थी.
“बस भी करो मास्टर जी, कोई देख लेगा. वो नौकर खाना लेकर भी आता होगा!” मीना ने मुझे अपने से दूर हटाया और खुद दूर खिसक कर बैठ गयी.
'' मीना मेरी जान … कोई नहीं आने वाला. तू सब कुछ भूल कर इन पलों का मज़ा ले; ऐसा हसीन मौका और समय ज़िन्दगी में बार बार नहीं मिलता!” मैंने उसे कहा और उसकी कुरती को ऊपर उठा दिया जिससे मीना का सीना एकदम नंगा हो गया
मीना ने मेरे सीने को कुछ देर तक निहारा और फिर उठ कर मेरी छाती से लग गयी और अपना मुंह वहीं छुपा कर गहरी गहरी सांस लेने लगी, फिर वहीं पर दो तीन बार चूम लिया.
मैंने उसका मुंह ऊपर उठाया और उसके होंठों का रसपान करने लगा. मेरी जीभ मीना के मुंह में घुसने की कोशिश करने लगी. उधर मेरा हाथ उसकी ब्रा में घुस चुका था और उसके फूल से कोमल उरोजों से खेल रहा था फिर जल्दी ही उनसे खिलवाड़ करने लगा. उसके काबुली चने जैसे निप्पलस को मैं चुटकी से दबाने, मरोड़ने लगा.
मेरे ऐसे करने से मीना की चूत की चुदास और प्यार की प्यास जग उठी थी सो उसने अपना मुंह खोल दिया और मेरी जीभ भीतर ले ली. उस शहरी बाला के मुखरस का स्वाद बेमिसाल था जिसे उचित शब्द देना मेरे बस में नहीं है. हमारी जीभें कितनी ही देर तक आपस में गुटरगूं करती रहीं, लड़ती झगड़ती रहीं और फिर वो हट गयी और लेट कर अपनी अपना मुंह अपनी हथेलियों से छिपा लिया और गहरी गहरी सांसें भरने लगी.
वो अपना मुंह हथेलियों से ढके सीधी लेटी थी, उसके उन्नत उरोज सांसों के उतार चढ़ाव के साथ उठ बैठ से रहे थे; दोनों पैर अलग अलग से फैले थे जिससे उसकी मांसल जांघों का वो फैलाव उसके बदन की कामुकता को और प्रबलता से दर्शा रहा था.
इस समय उसकी चूत पैंटी के भीतर कैसी लग रही होगी; चूत की दरार खुली होगी या दोनों लब आपस में चिपके होंगे? इस बात का फैसला मैं नहीं कर सका. जो होगा जैसा होगा अभी सामने आ जाएगा ऐसा सोचते हुए मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खींच कर खोल दिया और इसके पहले कि वो कुछ रियेक्ट करे मैंने सलवार ढीली करके सामने का हिस्सा नीचे सरका दिया.
पैंटी उसकी फूली हुई चूत पर डेरा डाले थी. यह मैं क्षणमात्र के लिए ही देख सका कि मीना ने घबरा कर अपनी सलवार झट से ऊपर कर ली और उसे कसके मुट्ठी में पकड़ लिया.
मैंने जोर लगा कर सलवार छुड़ाने का प्रयास किया तो उसने अब दोनों हाथों से उसे पकड़ लिया और इन्कार में गर्दन हिलाने लगी.
“अरे छोड़ तो सही गुड़िया रानी!” मैंने कहा.
“ऊं हूं…” उसकी गर्दन फिर इनकार में हिली.
“अरे छोड़ दे मीना, एक बार देखने तो दे. तू तो मेरी प्यारी प्यारी गुड़िया रानी है न!” मैंने बहुत ही मीठी आवाज में उसे मक्खन लगाया.
“नहीं मास्टर जी, मुझे शर्म आती है.”
|
|
10-25-2019, 01:39 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,138
Threads: 4,453
Joined: May 2017
|
|
RE: Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ
“हाय रामजी, मर गयी रे … धीरे … आराम से क्यों नहीं घुसाते … मम्मीं … ओ माँ ऽऽ.. मर गयी … बचा लो आज तो!” सेठानी तड़प कर बोली और मुझे परे धकेलने लगी. पर मैंने उनकी दोनों कलाइयां कस के पकड़ीं और अपने लंड को जरा सा पीछे खींच के फिर से पूरे दम से सेठानी की चूत में घुसा दिया.
“मार डाला आज तो मुझे ऐसे ही सूखा पेल के … न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी. सारी जान एक बार में ही निकाल लो आप तो!” वो रुआंसे स्वर में बोली.
'' सेठानी जी, मेरा बांस तुम्हारी बांसुरी में हमेशा बजेगा जब तक दम में दम है; आप ऐसे क्यों बोलती है?” मैंने उसे चूमते हुए पुचकारा.
“रहने दो मास्टर, धीरे से नहीं घुसा सकते थे क्या? बस आपको तो जरूरी है एकदम से आक्रमण कर देना. चाहे कोई मरे या जिये आपकी बला से!”
“ऐसे नहीं न कहते मेरी जान … अच्छा चलो मेरी सॉरी; आगे से बड़े प्यार से एंटर करूंगा. बस?” मैंने सेठानी को सांत्वना दी.
“हम्म्म्म … ठीक है मास्टर जी आगे से याद रखना अपनी ये वाली प्रॉमिस?”
“ओके सेठानी जी … पक्का याद रखूंगा” मैंने कहा.
इन हसीनाओं की ये भोली अदाएं ही तो चुदाई का आनन्द दोगुना कर देतीं हैं; इनका ये रोना धोना, नखरे कर कर के चुदना, एक प्रकार का कॉम्प्लीमेंट, उत्साहवर्धक ही है हम चोदने वालों के लिये. सभी हसीनाओं की ये सांझी आदत होती है कि लंड को उनकी चूत के छेद से छुला भर दो और ये ‘धीरे से करना जी, ऊई माँ … हाय राम हाय राम … मार डाला … फट गयी …’ जपना शुरू कर देंगी… नहीं तो इनकी चूतों की कैपेसिटी कितनी और कैसी होती है वो तो हम सब जानते ही हैं. आप सबने ऐसी स्थिति को अनुभव तो किया ही होगा.क्यों दोस्तो मैंने सच कहा न?
चलिए अब स्टोरी आगे बढ़ाते हैं; आप सब भी अपने अपने हाथों से मेरे साथ साथ मजे लेना शुरू करो.
|
|
|